दूसरे के स्थान पर परीक्षा दे रहे दो परीक्षार्थी गिरफ्तार
फर्जी केंद्र ब्यवस्थापक और अतिरिक्त केंद्र ब्यवस्थापक पर कार्यवाही से क्यो कतरा रहे है अधिकारी
भ्रष्टाचार में लिप्त DIOD को गिरफ्तार कर जेल भेजने में आखिर लापरवाही क्यो
कौशांबी। बोर्ड परीक्षा 2020 में अवैध वसूली कर सॉल्वर के जरिए उत्तर पुस्तिका में उत्तर लिखे जाने का खेल जिले में नहीं बंद हो रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारी धृतराष्ट्र की भूमिका पर उतर आए हैं और सब कुछ बोर्ड परीक्षा में होने के बाद भी वह शिक्षा माफियाओं पर कार्यवाही करने को कतई तैयार नहीं है। ताजा मामला चायल तहसील क्षेत्र के एक बोर्ड परीक्षा केंद्र का है जिसे फर्जी तरीके से बोर्ड परीक्षा केंद्र बनाया गया है। जहाँ केंद्र ब्यवस्थापक और अतिरिक्त केंद्र ब्यवस्थापक को फर्जी अभिलेख के जरिये डियूटी दी गयी है। इस परीक्षा केंद्र में दूसरे के स्थान पर परीक्षा देते समय दो परीक्षार्थियों को तहसील प्रशासन ने पकड़कर मुकदमा दर्ज करा दिया है।
सर्वजीत सिंह इंटर कॉलेज नोहरी का पूरा में नितिन पाल के स्थान पर चांद बाबू परीक्षा दे रहा था और इसी स्कूल में कुलदीप के स्थान पर इंद्रजीत पाल परीक्षा दे रहा था इस बात की जब लोगों को जानकारी हुई तो उपजिलाधिकारी चायल से लोगों ने शिकायत दर्ज कराई। मौके पर दोनों परीक्षार्थियों का जब अधिकारियों ने आधार कार्ड से उनके नाम पता की जानकारी की तो मालूम चला कि दोनों परीक्षार्थी फर्जी तरीके से दूसरे के स्थान पर परीक्षा दे रहे हैं। जिले में उत्तर पुस्तिकाओं को लिखाने के लिए सॉल्वरों को शिक्षा माफियाओं ने एकत्रित कर रखा है और जिले में उत्तर पुस्तिकाएं हल कराने के नाम पर 30000 से ₹40000 तक परीक्षार्थियों से वसूली की गई है।
जिला विद्यालय निरीक्षक की भूमिका संदेह के घेरे में और पूर्व में भी इनके कई मामले प्रकाश में आए हैं। जिन पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कार्यवाही नहीं की है इस परीक्षा केंद्र में सत्येंद्र सिंह को बोर्ड के अधिकारियों ने केंद्र व्यवस्थापक और राजेश कुमार यादव को अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक का दायित्व सौंपा है। लेकिन यह दोनों लोक सेवा आयोग से चयनित प्रधानाचार्य नहीं है। इनको किन परिस्थितियों में केंद्र व्यवस्थापक बनाया गया है। यह बड़ा सवाल है और जिला विद्यालय निरीक्षक के द्वारा अवैध बोर्ड परीक्षा केंद्र बनाए जाने के साथ फर्जी केंद्र ब्यवस्थापक फर्जी कक्ष निरीक्षक की तैनाती के मामले में शासन स्तर से जाँच हुई तो जिला विद्यालय निरीक्षक का जेल जाना तय है। लेकिन क्या योगीराज में जिला विद्यालय निरीक्षक के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारनामे उजागर होंगे। यह योगी सरकार की व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।
सुशील केसरवानी