बूंदी। राजस्थान के बूंदी जिसे से बड़ी खबर आ रही है। यहां बारातियों से भरी एक बस बुधवार की सुबह मेज नहीं में गिर गई। इस हादसे में अभी तक 18 लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है। हालांकि अधिकारी रूप से अभी मौतों की पुष्टि नहीं हो सकी है। वहीं, हादसे की सूचना पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे गए और बचाव कार्य में जुट गए। बता दें कि यह दर्दनाक हादसा बूंदी के लाखेरी थाना क्षेत्र में हुआ है। जानकारी के मुताबिक, बारातियों से भरी बस लाखेरी से कोटा की तरफ जा रही थी। तभी बस अनियंत्रित हो गई और मेज नदी में जा गिरी। इससे वहां हाहाकार मच गया। चीख-पुकार सुनकर वहां बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र हो गए। हाथ-पैर मार रहे बारातियों को बचाने के लिए कुछ ग्रामीण नदी में कूद गए। वहीं, हादसे की सूचना पर बड़ी संख्या में पुलिस व प्रशासन के लोग मौके पर पहुंच गए तथा राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया।
बुधवार, 26 फ़रवरी 2020
राष्ट्रहित के लिए जनगणना जरूरी
राजा कुमार की रिपोर्ट
मोतिहारी। शहर के राधाकृष्णन भवन में गुरुवार को जनगणना का शुभारंभ जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने दीप प्रज्वलित कर किया । जिसमे जिला के वरीय पदाधिकारियों को जनगणना का ट्रेनिंग दिया गया। डीएम ने इस मौके पर अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह जनगणना स्वतंत्रता के बाद का आठवां जनगणना है 10 साल पर पूरे राष्ट्र में जनगणना किया जाता है यह राष्ट्र के विकास के लिए जनगणना बहुत जरूरी माना जाता है।पूर्वी चंपारण जिला बहुत बड़ा क्षेत्रफल है. इसलिए दो फेज में जनगणना कराया जाएगा पहला फेज 26 फरवरी 2020 से तीन अनुमंडलों ढाका , पकड़ीदयाल,और रक्सौल में शुरू किया जाएगा वही अन्य अनुमंडलों की जनगणना पहले फेज के बाद शुरू किया जाएगा ।15 मई से पूरे जिले में मकानों की सूचीकरण और मकानों की गणना किया जाएगा। जनगणना के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिला स्तरीय पदाधिकारी एडीएम शशि चौधरी को नियुक्त किया गया। प्रशिक्षण में जिलाधिकारी सहित जिले के अन्य पदाधिकारीगण मौजूद रहे।
जातिगत गणना पर सदन में हंगामा
आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ। यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर जातिवार जनगणना कराने की मांग की जिसको लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ। पक्ष और विपक्ष के बीच हो रहे हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही 35 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। फर्जी मुठभेड़ों का आरोप लगाकर सपा सदस्यों ने किया बहिर्गमन।
इससे पहले समाजवादी पार्टी ने राज्य पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ की घटनाएं अंजाम देने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को सदन से बहिर्गमन किया। बसपा सदस्य श्याम सुंदर शर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से जानने की कोशिश की कि प्रदेश में एक जुलाई 2017 से 30 सितम्बर 2018 के बीच फर्जी मुठभेड़ और पुलिस द्वारा हत्या के कितने मामले दर्ज हुए।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने इसके जवाब में कहा कि इस दौरान लखनऊ में केवल एक मामला दर्ज हुआ जिसमें सम्बन्धित पुलिसकर्मी को न सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उसे बर्खास्त भी किया गया। शर्मा ने जब जवाब को गलत बताया तो खन्ना ने कहा कि उनसे फर्जी मुठभेड़ के बारे में पूछा गया था, उन्होंने उसी का जवाब दिया है। उन्होंने कहा च्च्हम किसी भी मुठभेड़ को फर्जी मानते ही नहीं है। प्रदेश में एक भी फर्जी मुठभेड़ नहीं हुई है।
सदन में सपा और विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ने आरोप लगाया कि प्रदेश में पुलिस द्वारा अत्याचार और फर्जी मुठभेड़ की वारदात में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने ऐसी घटनाओं में मारे गये लोगों के परिजन को मुआवजा देने की मांग भी की। उसके बाद चौधरी तथा अन्य सपा सदस्य सदन से बाहर चले गये।
नीति का दमन, नियति का दिखावा
अनिल अनूप
दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में बीते दो माह से दिया जा रहा जो धरना लाखों लोगों की नाक में दम किए हुए है, उसके यदि खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं तो इसकी एक वजह न्यायपालिका का अति उदार रवैया भी है। यह घोर निराशाजनक है कि पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने धरना दे रहे लोगों को सड़क खाली करने के स्पष्ट निर्देश देने से इनकार किया, फिर मामला जब उच्चतम न्यायालय गया तो उसने धरना दे रहे लोगों को समझाने-बुझाने के लिए वार्ताकार नियुक्त कर दिए। ऐसा करके सड़क पर काबिज होकर की जा रही अराजकता को एक तरह से प्रोत्साहित ही किया गया।
क्या अब जहां भी लोग अपनी मांगों को लेकर सड़क या फिर रेल मार्ग पर कब्जा करके बैठ जाएंगे, वहां सुप्रीम कोर्ट अपने वार्ताकार भेजेगा? यदि नहीं तो फिर शाहीन बाग के मामले में नई नजीर क्यों? समझना कठिन है कि जब उच्चतम न्यायालय ने यह माना भी और कहा भी कि इस तरह रास्ता रोककर धरना देना अनुचित है, तब फिर उसने शाहीन बाग इलाके की नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाली उस सड़क को खाली कराने के आदेश देने की जरूरत क्यों नहीं महसूस की, जिसका इस्तेमाल प्रतिदिन लाखों लोग करते हैं?
जो लोग अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और नागरिकता कानून में संशोधन के फैसलों का विरोध करने में लगे हुए हैं, वे यह समझें तो बेहतर कि कोई भी सरकार अपने निर्णय से इस तरह पीछे नहीं हटती. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जो लोग भी यह समझ रहे हैं कि धरना-प्रदर्शन, आंदोलन आदि से सरकार किसी भी तरह के दबाव में आ जाएगी, वे भूल ही कर रहे हैं. इसका प्रमाण यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने और अधिक अडिग इरादों का प्रदर्शन किया है. अनुच्छेद 370 हटाना भले ही एक मुश्किल कार्य रहा हो, लेकिन यह इसलिए आवश्यक हो गया था, क्योंकि एक तो यह अलगाव को जन्म दे रहा था और दूसरे कश्मीर के लोगों में भेदभाव कर रहा था. चूंकि अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता कानून में संशोधन करने के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और शीर्ष अदालत ने संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू भी कर दी है, इसलिए बेहतर यही होगा कि उसके फैसले का इंतजार किया जाए. यह आश्चर्यजनक है कि जो लोग खुद को संविधान और लोकतंत्र का हितैषी बता रहे हैं, वे इन दोनों मसलों पर संविधानसम्मत आचरण करने से भी इनकार कर रहे हैं. यह किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है कि वह संसद द्वारा पारित और अधिसूचित कानून को वापस ले ले.
लोगों को यह समझना चाहिए कि हर अधिकार की अपनी सीमाएं होती हैं. कोई अधिकार असीमित नहीं हो सकता. विरोध, हड़ताल अथवा आंदोलन के अधिकार के नाम पर लोग सड़क अथवा रेल मार्ग बाधित नहीं कर सकते, लेकिन दुर्भाग्य से अपने देश में ऐसा ही अधिक होता है. यह और कुछ नहीं, आम लोगों को बंधक बनाने वाला कृत्य है. कई बार तो ऐसे कृत्यों के कारण लाखों लोगों की दिनचर्या प्रभावित होती है. शाहीन बाग धरना भी यही कर रहा है. इससे खराब बात और कोई नहीं कि सड़क पर कब्जा करके दिए जा रहे जिस धरने के कारण बीते दो महीने से दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है, वह अभी भी समाप्त होता नहीं दिखता. सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग धरने को लेकर अपनी चिंता अवश्य जताई, लेकिन यह कोई नहीं जानता कि उसने उसे समाप्त करने की जरूरत क्यों नहीं महसूस की?
इससे दुखद-दयनीय और कुछ नहीं कि मुट्ठी भर लोग सड़क पर कब्जा करके लाखों नागरिकों के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं और फिर भी सुप्रीम कोर्ट तत्काल किसी फैसले पर पहुंचने के बजाय तारीख पर तारीख देना पंसद कर रहा है.
नि:संदेह ऐसा नहीं हो सकता कि सुप्रीम कोर्ट इस तथ्य से परिचित न हो कि शाहीन बाग की सड़क बंद होने से हर दिन लाखों लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है. क्या आधे-पौने की घंटे की दूरी तीन-चार घंटे में तय करने को मजबूर लाखों लोगों के समय और श्रम का कोई मूल्य नहीं? क्या ये लाखों लोग कमतर श्रेणी के नागरिक हैं, जो उनकी सुध लेने से इनकार किया जा रहा है और वह भी दो माह से अधिक समय से? आखिर जब सुप्रीम कोर्ट अनुचित तरीके से धरना-प्रदर्शन कर रहे लोगों के पास अपने वार्ताकार नहीं भेजता, तब फिर उसने शाहीन बाग में लाखों लोगों को तंग कर रहे प्रदर्शनकारियों के पास अपने वार्ताकार क्यों भेजे?
विरोध के नाम पर मनमानी का प्रदर्शन करने वाले धरने के प्रति नरमी दिखाना कानून के शासन के साथ-साथ शांतिप्रिय लोगों के अधिकारों की अनदेखी ही है. यह ठीक नहीं कि विरोध अथवा असहमति जताने के नाम पर मनमानी बढ़ती ही जा रही है. अब तो विरोध प्रदर्शनों के दौरान आगजनी, पत्थरबाजी और तोड़फोड़ आम है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के विभिन्न् हिस्सों में जिस तरह बड़े पैमाने पर आगजनी और तोड़फोड़ हुई, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है.
इस तरह की हरकतों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, लेकिन यह देखने में आ रहा है कि इस तरह के मामलों में कई बार अदालतें भी नरम रवैया अपना लेती हैं. इससे कुल मिलाकर विरोध के बहाने अराजकता फैलाने वालों को ही बल मिलता है. इसमें संदेह है कि शाहीन बाग में धरने पर बैठे लोग अपना अड़ियल रवैया आसानी से छोड़ेंगे. पहले वे नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने पर अड़े थे, फिर यह मांग करने लगे कि सरकार को उनसे बात करने धरना स्थल आना चाहिए. इसके बाद उन्होंने हजारों की संख्या में एकत्रित होकर गृहमंत्री से कथित तौर पर वार्ता करने की ठानी. आखिर यह कब समझा जाएगा कि यह धरना आम जनता के सब्र का इम्तिहान ले रहा है?
हैरत नहीं कि ये वार्ताकार नाकाम हैं. इस नाकामी की वजह यही है कि धरने पर बैठे लोग एक तो काल्पनिक भय से ग्रस्त हैं और दूसरे, वे तुक एवं तर्क की बात सुनने को तैयार नहीं. इतना ही नहीं, उन्होंने यह जिद भी पकड़ी है कि पहले उनकी मांग मानी जाए और नागरिकता संशोधन कानून रद्द किया जाए. क्या यह घोर अराजक व्यवहार नहीं?
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020
अवैध विदेशी माल डंप करने का अड्डा
अभिमन्यु चौरसिया की रिपोर्ट..
महाराजगंज। इन दिनों विदेशी मार्लों की तस्करी करने में अवैध कारोबारी सुर्खियों में है बॉर्डर क्रास के बाद दो थाने की पुलिस को भनक तक नहीं लगती तथा कोठीभार पुलिस बिल्कुल अनभिज्ञ है। जहां सबया में अवैध रूप से तस्करी के विदेशी मालों को डंप किया जाता है। बताते चलें कि महाराजगंज जनपद नेपाल के रास्ते विदेशी सामग्रियों की तस्करी रोकने में बिल्कुल नाकाम है जिसका जीता जागता उदाहरण सिसवा से निचलौल रोड पर देखा जा सकता है जहां अवैध विदेशी मालों की तस्करी पिकअप के द्वारा धड़ल्ले से की जा रही है ध्यानार्थ हेतु बता दें कि तेज गति से चलाई जा रही अवैध विदेशी मालों की लोडेड पिकअप खतरों से खाली नहीं है क्योंकि यह पिकअप बेखौफ बगैर रोक-टोक अनियंत्रित रूप से फर्राटे भरते हैं सामने कोई आ जाए बचना तो मुश्किल है क्योंकि साहब यह तस्कर है इंसान नहीं।
आइए जानते हैं कहां से होती है इनकी तस्करी…..
आपको बता दें की नेपाल बॉर्डर के द्वारा अवैध तस्करी जोरों पर हैं जिसे भारतीय क्षेत्रों में अत्यधिक दामों में बेचकर तस्कर खूब मालामाल हो रहे हैं विदेशी माल जैसे पाकिस्तानी छुहारा ,कनाडियन मटर ,काली मिर्च, इलायची जैसे कई सामान सम्मिलित है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कनाडिया मटर की तस्करी ठूठीबारी बॉर्डर व सीतलापुर बी.ओ.पी तस्करों के लिए सुरक्षित दिख रही है जहां से आसानी से माल को क्रास कराया जाता है जिसका एक मुख्य अड्डा जमुई गडौरा में है जहां से कनाडिया मटर व अवैध मालो की तस्करी भारतीय क्षेत्रों में जोर-शोर पर पिकअप के द्वारा की जाती है।
किस रोड पर तेजी से होती है तस्करों की सप्लाई….
प्राप्त जानकारी के मुताबिक उपरोक्त जमुई गडौरा में स्थित चर्चित गल्ले की दुकान से तस्कर अपने पिकअप को लोड करते हैं और निचलौल बलहीखोर कटहरी के रास्ते होते हुए कोठीभार थाना क्षेत्र का सबया तस्करों का सेफ जोन पड़ता है जहां माल को डंप किया जाता है आपको बता दें कि उक्त सबया ग्राम सभा अंतर्जनपदीय सीमा कुशीनगर से जुड़ा हुआ है जहां से तस्कर पुनः दूसरी गाड़ी पर माल को लोड कर कुशीनगर पड़ने वाला खड्डा थाना क्षेत्र से होते हुए मिश्रौलिया, पडरौना ,टेकुआटार, फाजिलनगर इत्यादि जगह सप्लाई करते हैं।
तस्करी रोकने में बॉर्डर पुलिस के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस भी नाकाम…
अनेकों बार अवैध मालों की तस्करी करते हुए पकड़े गए तस्करों पर कार्यवाही तो की जाती है किंतु तस्कर अपनी रवैया बदलने को नाम नहीं ले रहे हैं । प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा होता है कि तस्कर के हौसले इतने बुलंद होते जा रहे हैं कि बॉर्डर क्रॉस कराने के बाद थाना ठूठीबारी ,निचलौल ,कोठीभार, खड्डा थाना क्राश कराते हुए अवैध मालों को सही ठिकानों पर पहुंचाने में सफल रहते हैं । प्रत्येक रास्ते पर पुलिस पिकेट व पुलिस रात्रि गश्त भी करती है जिसके बावजूद भी वह पिक अप को नहीं रोकती जो हाई स्पीड व अनियंत्रित रूप व तेजी से चलाते हैं और हां भला रोके भी तो कैसे सूत्रों की मानें तो संबंधित अधिकारियों को तय समयानुसार नजराना भेज दिया जाता है नहीं तो बॉर्डर पुलिस, कस्टम विभाग, एसओजी टीम, उत्तर प्रदेश पुलिस, इतने बड़े पैमाने पर हो रहे हो तस्करी को रोकने में नाकाम क्यों ?जो अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल है। वैसे तो पुलिस समय-समय पर सूचना के मुताबिक छापेमारी व अवैध कारोबार को रोकने का प्रयास करती है किंतु विदेशी माल की तस्करी रोकने में बिल्कुल नदारद दिखती है। हम तो यही मानकर चलेंगे कि तस्कर प्रशासन पर हाबी हैं।
कोठीभार थाना क्षेत्र का सबया बना विदेशी माल डंप करने का अड्डा
निचलौल ‘जमुई ‘ गडौरा व चंदा गूलरभार से पिकअप के द्वारा लोड कर अवैध विदेशी माल (कनाडियन मटर काली मिर्च इलायची पाकिस्तानी छुहारा आदि) को कोठीभार थाना क्षेत्र के सबया में दो चर्चित स्थान पर डंप किया जाता है जिसमें अवैध कामों को बड़े पैमाने पर अंजाम देने वाले दो-चार नामित कारोबारी सम्मिलित हैं जहां से उक्त माल को कुशीनगर जनपद के खड्डा थाना क्षेत्र होते हुए पडरौना ,टेकुआटार , फाजिलनगर इत्यादि जगहों पर पहुंचाया जाता है। उक्त तस्करी के अंजाम को स्थानीय पुलिस जान कर भी अंजान बनी हुई है। सवाल खड़ा होता है कि कनाडिया मटर व अन्य खाद्य सामग्री बहाने तस्कर किसी बड़ी तस्करी को भी आसानी से अंजाम दे लेते होंगे आखिर जिम्मेदार कौन ?
तेज रफ्तार गति से चला रहे पिकअप को पुलिस क्यो नही रोकती ?
बॉर्डर पुलिस ‘ कस्टम विभाग ‘ क्राइम ब्रांच ‘ उत्तर प्रदेश पुलिस होने के बावजूद भी तस्करी कैसे ?
रात दिन धड़ल्ले से हो रही पिकअप व बोलेरो द्वारा विदेशी मालो की तस्करी कोठीभार का सबया ‘ दुर्गवलिया गुरली खलील नगर ‘ सिसवा बना माल डंपिंग का सेफ अड्डा आखिर कैसे और कब रुकेगी तस्करी ?
योगीः भ्रष्टाचार में किसी को छूट नही
प्रदीप पाठक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी को भी छूट देने वाले नहीं है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर चल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खनन कार्य में भ्रष्टाचार के आरोपी पांच अधिकारियों के विरुद्ध जांच के आदेश दिए हैं।
इनमें शामली और कौशांबी में तैनात रहे दो सहायक भूवैज्ञानिक, हमीरपुर में तैनात रहे एक भूवैज्ञानिक तथा देवरिया में तैनात रहे खान निरीक्षक के साथ सहायक भूवैज्ञानिक शामिल हैं। यह सभी शासकीय नियमों को ताक पर रख कर अवैध खनन कराने, निजी लोगों को लाभ पहुंचाने, राजकोष को नुकसान पहुंचाने तथा पट्टा नवीनीकरण कराने के प्रकरण में आरोपित हैं। इस मामले की जांच सुधीर दुबे, वरिष्ठ वेधन अभियंता, भूतत्त्व एवं खनिकर्म निदेशालय करेंगे।
सीबीआई ने भी दर्ज किया है मुकदमा, यह हैं अधिकारी
1- डॉ सदल प्रसाद-सहायक भूवैज्ञानिक शामली, सम्प्रति मुजफ्फरनगर।
2-अरविंद कुमार, सहायक भूवैज्ञानिक, कौशाम्बी, सम्प्रति चंदौली।
3-मुईनुद्दीन, भूवैज्ञानिक/खान अधिकारी हमीरपुर, सम्प्रति मुख्यालय लखनऊ।
4- पंकज सिंह, खान निरीक्षक देवरिया, संप्रति मिर्जापुर खान अधिकारी।
5-विजय कुमार मौर्य, सहायक भूवैज्ञानिक/खान अधिकारी देवरिया, सम्प्रति भूवैज्ञानिक, प्रभारी, सोनभद्र।
सनसनीः पुजारी की बर्बरता पूर्वक हत्या
पीलीभीत। बीसलपुर पीलीभीत मार्ग पर स्थित बालाजी ट्रस्ट मंदिर पर 6 माह से बाबा रह रहे थे बीते मंगलवार को समय करीब 4:00 बजे से 5:00 बजे तक बीच में बाबा की बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी गई। हत्या की सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मंदिर पर पहुंच गई जहां पर पुलिस ने घटनास्थल का मौका माना किया। वही बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई। इसके बाद एसपी रोहित मिश्रा व डॉग स्क्वायड टीम ने भी निरीक्षण किया बाबा के शव को पुलिस ने शील कर पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया है। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैली हुई है।
राजस्थान के अजमेर के थाना जेठाना निवासी बाबा विष्णु सहाय ब्रह्मचारी पिछले काफी समय से बालाजी ट्रस्ट मंदिर पर पुजारी का कार्य करते चले आ रहे हैं। मंगलवार को सुबह लगभग 4:00 से 5:00 के बीच किसी अज्ञात लोगों ने पहले लाठी-डंडों से बाबा के ऊपर प्रहार किया इतने पर भी दिल नहीं भरा तो हमलावरों ने उसकी धारदार हथियार से गर्दन रेत दी। जिससे बाबा की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई सुबह जब लोग पूजा अर्चना करने मंदिर पहुंचे तो बाबा का कपड़ा देखकर लोगों में हड़कंप मच गया। हत्या की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुंच गए मामले की सूचना मिलते ही सीओ धर्म सिंह मार्छल कोतवाल के के तिवारी पुलिस टीम के साथ पहुंच गए जहां पर पुलिस ने घटनास्थल का मौका माना किया। पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ भी की, लेकिन बाबा की अभी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। उधर लोगों का कहना है कि मंदिर में चरखोला के बाबा रमेश भी रह रहे थे जो बाबा की हत्या के बाद से फरार है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हत्या में उनका भी हाथ शामिल हो इस तरह की चर्चाएं शहर में जोरों पर चल रही है। घटना की सूचना पर एसपी रोहित मिश्रा व डॉग स्क्वायड की टीम भी मौके पर पहुंची जहां पर डाग स्क्वायड ने कई सबूत खंगाले, लेकिन कुछ हाथ नहीं लग सका फिलहाल एसपी ने कोतवाल को शीघ्र घटना का खुलासा किए जाने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल समाचार लिखे जाने तक पुलिस ने किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज नहीं किया।
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