शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

सीएए के खिलाफ रोहतक में प्रदर्शन

हर्षित सैनी
रोहतक। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति जिला रोहतक की कार्यकर्त्ताओं ने सीएए, एनआरसी, एनपीआर के विरोध में माता दरवाजा पर धरना दिया। धरने की अध्यक्षता राज्य कोषाध्यक्ष राजकुमारी दहिया ने की व संचालन वीना मलिक ने किया।
धरने को संबोधित करते हुए अखिल जनवादी महिला समिति की राज्य महासचिव सविता ने कहा कि आम जनता के सामने रोजी-रोटी, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, आवास, सुरक्षा के लाले पड़े हुए हैं। सभी जरूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं। बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम 850 से ऊपर हो गए हैं। ऐसे में केंद्र की भाजपा सरकार ने देश की एकता को तोड़ने के लिए नागरिकता कानून में परिवर्तन जैसे खतरनाक कदम उठाकर लोगों को धर्म के नाम पर आपस में लड़ाने का षड्यंत्र रचा है।
उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में करोड़ों लोग इस कानून के विरोध में सड़कों पर हैं, जिसमें ज्यादा संख्या में महिलाएं हैं क्योंकि यह कानून देश विरोधी, संविधान विरोधी, गरीब विरोधी, दलित विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी और महिला विरोधी है। इस कानून ने संविधान की मूल भावना धर्म निरपेक्षता पर गहरी चोट की है।
सविता ने कहा कि संविधान में कहीं भी नागरिकता का आधार धर्म नहीं माना गया है परंतु यह कानून पहली बार नागरिकता को धर्म के साथ जोड़ता है। यह देश के लिए बेहद खतरनाक है।
जनवादी महिला समिति की नेता अनीता सांपला व मुनमुन हजारिका ने कहा कि हमारा देश एक गरीब मुल्क है जहां आज भी करोड़ों लोगों को स्कूल जाने का मौका नहीं मिला, ऐसे में अक्सर राशन कार्ड, आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, बैंक खाते आदि में स्पेलिंग या मात्रा गलत होती है तो उसे ठीक करवाने के लिए कितने चक्कर काटने पड़ते हैं।
उनका कहना था कि महिलाओं का अक्सर ससुराल में नाम बदल दिया जाता है। बहुत सी महिलाएं दूसरे राज्यों से शादी करके आई हैं। अनाथ बच्चों और ट्रांसजेंडरों के पास अपनी पिछली कोई पहचान नहीं होती। ऐसे में उन लोगों की नागरिकता को खतरा रहेगा जो दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे। ऐसे लोगों से बहुत संघर्षों से हासिल किए गए वोट का अधिकार, रोजगार, संपत्ति का अधिकार आदि छीन जाएगा।
उन्होंने कहा कि इन तीनों काले कानूनों का असर केवल किसी विशेष समुदाय पर नहीं बल्कि देश के करोड़ों गरीब लोगों पर पड़ेगा हमें मिलकर इसका विरोध करना होगा।
धरने को नागरिक एकता एवं सद्भावना समिति के नेता कैप्टन शमशेर मलिक, बसपा नेता डॉक्टर कश्मीरी, ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य अध्यक्ष डॉ आर एस दहिया, मनीषा, रिटायर्ड कर्मचारी संगठन के राज्य उपाध्यक्ष रामकिशन, डीवाईएफआई के राज्य महासचिव संदीप सिंह, एसएफआई के महासचिव सुरेन्द्र ने भी समर्थन किया व धरने में उर्मिल, पूजा, ओमपति,गीता, कमलेश, नेहा, दर्शना, अर्जुन सीमा,शबाना, रेशमा मोनिका, प्रियंका, मूर्ति, राजेश, नरेश, बलजीत,अमित, प्रेम, फूलवती आदि महिलाएं शामिल हुई।


15 दस्तावेज के बावजूद नागरिकता खारिज

गुवाहाटी। असम में एक परिवार को हाईकोर्ट ने भी भारतीय मानने से इंकार कर दिया है। नागरिकता साबित करने की जंग में परिवार खेत तक बेच चुका है। अब ऐसे में कानूनी लड़ाई के लिए सबसे बड़ी फीस की चिंता है। पति बीमार हैं और महिला 150 रुपये प्रतिदिन पर काम कर परिवार का खर्च चला रही है।
15 सरकारी दस्तावेज के बावजूद असम में एक मुस्लिम महिला अपनी नागरिकता की जंग हार गई है। ट्रिब्यूनल ने पहले ही उसे विदेशी घोषित कर दिया था। ऐसे में हाईकोर्ट से मिली नाकामी ने उसके सामने जिंदगी की सारी उम्मीद खत्म कर दी।
बक्सा निवासी 50 वर्षीय जुबेदा बेगम को 2018 में ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया था। हालांकि अपनी नागरिकता साबित करने के लिए उसने 15 सरकारी दस्तावेज दिखाए। मगर जमीन के कागजात, बैंक दस्तावेज, पैन कार्ड भी उसे भारतीय साबित नहीं कर सके।
15 दस्तावेज भी नहीं साबित कर सके नागरिकता
जुबेदा कहती हैं कि मैंने 1966, 1970 और 1971 का अपने पिता जावेद अली का वोटर लिस्ट ट्रिब्यूनल में पेश किया। मगर ट्रिब्यूनल को उनके पिता के साथ उसके लिंक का कोई सबूत नहीं मिला। नागरिकता साबित करने की जंग में मैंने सब कुछ दांव पर लगा दिया। मगर अब हाईकोर्ट से मिली नाकामी के बाद मेरे पास कानूनी लड़ाई के लिए कुछ भी नहीं बचा है।
महिला के पति का कहना है कि पहले ही उन्होंने कानूनी फीस अदा करने के लिए अपनी तीन बिगहा जमीन बेच दी है। अब 150 रुपये प्रतिदिन पर उनकी पत्नी को दूसरे के यहां काम कर परिवार का खर्च चलाना पड़ रहा। नागरिकता साबित करने की लड़ाई ने उनके लिए तो जैसे रही सही उम्मीद भी खत्म कर दिया है। अब सिर्फ मौत ही नजदीक दिखाई दे रही है।
गांव के प्रधान की भी काम नहीं आई गवाही
ट्रिब्यूनल से नागरिकता का दावा खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में अपील की गई। हाईकोर्ट ने भी अपने पूर्व के आदेश का हवाला देते हुए उनके जमा किये दस्तावेज को नागरिकता का पर्याप्त आधार नहीं माना। जब उनसे जन्म प्रमाण पत्र मांगा गया तो उन्होंने गांव के प्रधान से एक प्रमाण पत्र बनवा कर पेश कर दिया।
गवाही के लिए बुलाए गए ग्राम प्रधान ने महिला को जानने और उसके रिहाइश की गवाही दी। मगर इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। पिछले साल नागरिकता पंजीकरण में महिला के परिवार का नाम नहीं आया था। पति और पत्नी दोनों को संदिग्ध वोटर घोषित कर दिया गया है।


रूस की जासूसी, अमेरिका में अरेस्ट

न्यूयॉर्क। रूस के लिए जासूसी करने के संदेह में हेक्टर अलेजांद्रो कैब्रेरा फुएंतेस नाम के मेक्सिको के नागरिक को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया है। मेक्सिको के इएल एस्पिनल शहर के मेयर हजाएल माटस ने यह जानकारी दी है। कैब्रेरा मेक्सिको के दक्षिणी राज्य ओक्साका में एक वैज्ञानिक परियोजना में कार्यरत था और चिकित्सा के क्षेत्र में उसने महान उपलब्धियां हासिल की है। 


मिलेनियो न्यूज ने माटस के हवाले से अपने रिपोर्ट में कहा, ”कैब्रेरा हमारे क्षेत्र में एक वैज्ञानिक परियोजना का हिस्सा था और उसे चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए एक उम्मीदवार के तौर पर माना गया था। मिलेनियो न्यूज के अनुसार उसने (कैब्रेरा) रूस के कजान संघीय विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी और आणविक जीव विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। इसके अलावा उसने जर्मनी के गिएसेन विश्वविद्यालय से भी डिग्री हासिल की है।


यूपी पंचायत चुनाव में बदलेगा आरक्षण

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2020 में इस बार बदल जाएगे ग्राम पंचायत का आरक्षण


लखनऊ। उत्तर-प्रदेश पंचायत चुनाव 2020 पर सभी की निगाहें जमी हुई हैं। पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है। चुनाव आयोग मतदाता सूची का पुनरीक्षण अभियान शुरू करने जा रहा है। साथ ही ऐसी उम्मीद है कि नए निर्धारण से उत्तर प्रदेश में पंचायतों के आरक्षण की स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी। पंचायत चुनाव 2015 में हुए चुनाव में जो पंचायत जिस जिस वर्ग के लिए आरक्षित हुई थी, इस बार वह उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी। उत्तर प्रदेश में कुल 59,163 ग्राम पंचायतें हैं, प्रदेश में 16 करोड़ लोग गांव में रहते हैं। 14वें वित्त, मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन के वार्षिक औसत निकाला जाए तो एक पंचायत को 20 लाख से 30 लाख रुपए मिलते हैं। चक्रानुक्रम से पंचायत का आरक्षण परिवर्तित हो जाएगा। मान लीजिए कि अगर इस वक्त किसी ग्राम पंचायत का प्रधान अनुसूचित जाति वर्ग से है तो अब इस बार के चुनाव में उस ग्राम पंचायत का प्रधान पद ओबीसी के लिए आरक्षित हो सकता है। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2020 के लिए नए चक्रानुक्रम के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति महिला, अनारक्षित, महिला, अन्य पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जनजाति महिला के वर्गों में नए सिरे से आरक्षण तय किया जाएगा। प्रदेश का पंचायती राज विभाग आरक्षण में बदलाव की यह कवायद जुलाई-अगस्त में पूरी करेगा क्योंकि नए आरक्षण का निर्धारण चुनाव से तीन महीने पहले किया जाता है। उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि मार्च से पंचायतों की वोटर लिस्ट का वृहद पुनरीक्षण अभियान शुरू करने की तैयारी है। नगर विकास विभाग से शहरी क्षेत्र में शामिल की गई पंचायतों के ब्योरे का इंतजार है। यह अभियान 30 जून तक चलेगा।


कार्बन उत्सर्जन में भारत का 77वां नंबर

वाशिंगटन। बच्चों के पालन-पोषण तथा खुशहाली से संबंधित सूचकांक (फ्लोरिशिंग इंडेक्स) में भारत काफी पीछे है। 180 देशों में भारत का 131वां स्थान है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। भारत प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन (सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स) के मामले में 77वें स्थान पर है। दुनियाभर के 40 से अधिक बाल एवं किशोर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक आयोग ने बुधवार को रिपोर्ट जारी की। यह शोध डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ तथा द लैंसेट मेडिकल जर्नल के संयुक्त तत्वावधान में हुआ है।


नॉर्वे पहले स्थान पर: उत्तर जीविता, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पोषण के मामले में नॉर्वे पहले स्थान पर है। इसके बाद दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और चाड हैं। हालांकि, प्रतिव्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के मामले में चाड को छोड़कर बाकी के देश बहुत पीछे हैं। अल्बानिया, आर्मेनिया, ग्रेंडा, जॉर्डन, मोलदोवा, श्रीलंका, ट्यूनीशिया, उरुग्वे तथा वियतनाम 2030 के प्रतिव्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य के मुताबिक चल रहे हैं। 
180 देशों की क्षमता का आकलन: रिपोर्ट में 180 देशों की क्षमता का आकलन किया गया है। ये देश सुनिश्चित कर पाते हैं या नहीं कि उनके यहां के बच्चे पले-बढ़ें और खुशहाल रहें। खुशहाली सूचकांक का संबंध किसी भी राष्ट्र में मां-बच्चे की उत्तर जीविता, पलने, बढ़ने तथा उसके कल्याण से है। 


क्या हैं मानक: खुशहाली सूचकांक में मां एवं पांच साल से कम आयु के बच्चों की उत्तर जीविता, आत्महत्या दर, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुविधा, बुनियादी साफ-सफाई और भीषण गरीबी से मुक्ति तथा बच्चे का फलना-फूलना आदि आता है।


नौनिहालों को टिकाऊ भविष्य देने का प्रयास नहीं
रिपोर्ट में कहा गया कि कोई भी देश अपने नौनिहालों को टिकाऊ भविष्य देने के पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है। रिपोर्ट के अग्रणी शोधकर्ताओं में से एक यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में प्रो. एंथनी कोटेलो ने कहा कि दुनिया का कोई भी देश ऐसी परिस्थितियां मुहैया नहीं करवा रहा है, जो हर बच्चे के विकसित होने और स्वस्थ्य भविष्य के लिए आवश्यक है। उन्हें जलवायु परिवर्तन तथा व्यावसायिकता का सीधे-सीधे खतरा है।


मिकेला की घोषणा, बनेगी पोर्न स्टार

ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित हॉलीवुड फिल्म मेकर स्टीवन स्पीलबर्ग की बेटी मिकेला स्पीलबर्ग ने पोर्न स्टार बनने की घोषणा कर दी है। मिकेला ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके परिवार ने भी उनके इस फैसला का काफी सपोर्ट किया है। मिकेला ने जैसे ही ये घोषणा की तो हर तरफ इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई. ये कोई पहली बार नहीं है जब कोई पोर्न स्टार इसको लेकर चर्चा में रही है। इससे पहले मिया खलीफा भी कुछ ऐसे ही कारणों के चलते सुर्खियां बटोर चुकी हैं।मिया खलीफा सिर्फ 21 साल की उम्र में पोर्न इंडस्ट्री का जाना-पहचाना नाम बन गई थीं। मिया की लोकप्रियता इस कदर थी कि उन्हें पोर्न हब ने अपनी लिस्ट में सबसे पहले स्थान पर रखा था। यानी मिला सबसे ज्यादा सर्च होने वाली एक्ट्रेस बन गई थीं। अब मिया खलीफा पोर्न इंडस्ट्री को अलविदा कह चुकी हैं और अपनी पर्सनल लाइफ पर पूरा ध्यान दे रही हैं। उन्होंने अपने बॉयफ्रेंड रॉबर्ट सैंडबर्ग से इंगेजमेंट कर ली थी।



मिया खलीफा ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में पोर्न इंडस्ट्री के बारे में अनसुनी बातें बताई थीं। उन्होंने बताया था कि पोर्न इंडस्ट्री कैसे काम करती है और राजी नहीं होने पर क्या पोर्न स्टार्स के साथ जोर-जबरदस्ती की जाती है। 
एक चैनल के प्रोग्राम में मिया खलीफा से जब पूछा गया कि गूगल पर आपका नाम सर्च करते ही कुछ वीडियो आते हैं और क्या आपको लगता है कि आप पोर्न स्टार शब्द से पीछा छुड़ा लोगे? उन्होंने कहा, ‘मैं ज्यादा गूगल फ्रेंडली नहीं हूं। मैं अपने साथ जुड़े पोर्न स्टार शब्द से निकलने का प्रयास कर रही हूं। मैंने विकिपीडिया पर भी पोर्न स्टार हटाने की कोशिश की है, लेकिन कंपनी ने नहीं सुनी।’ मिया खलीफा ने बताया था, ‘उन्हें सड़क पर किसी लड़के ने बताया था कि वह उनके साथ काम करना चाहता है। बाद में मैं जब स्टूडियो में गई तो पता चला यहां पोर्न शूट होती है। वहां काम करने वाले सभी लोग अच्छे लगे। वहां मुझे बिल्कुल भी असहज महसूस नहीं हुआ। पहली बार मैंने पोर्न फिल्म नहीं की थी। पहली बार तो सिर्फ मुझसे बात हुई थी।’ पोर्न स्टार ने आगे बताया, ‘दूसरी बार मैं जब स्टूडियो पहुंची तो मैंने पोर्न मूवी शूट की। स्टूडियो काफी सुंदर था और मेरे साथ कुछ भी ऐसा नहीं हुआ जो मुझे खराब लगता।’


मिया खलीफा से जब पूछा गया कि जब वो लोग आपसे ऐसा एक्ट करने के लिए कहते थे जो आप नहीं करना चाहती हैं तो क्या होता था। मिया खलीफा ने बताया था, ‘नहीं, वो आप पर किसी भी तरह का दवाब नहीं डाल सकते हैं। अगर वो जबरदस्ती कोई भी सेक्स एक्ट जबरदस्ती करवाएंगे तो वह रेप बन जाएगा।’ मिया खलीफा का करियर लोकप्रियता के साथ विवादों में भी रहा है। मिया ने एक वीडियो हिजाब पहनकर शूट की थी, जिसके बाद उन्हें ISIS से धमकी भी मिलने लगी थी। मिया ने बताया था कि धमकियों के चलते अंत में उन्होंने पोर्न इंडस्ट्री छोड़ने का फैसला किया था।


सफलता की दिशा में बढ़ती 'दिशा'

मुंबई। ऐक्ट्रेस दिशा पाटनी बॉलिवुड में अपने लिए एक अलग मुकाम बनाने में धीरे-धीरे ही सही सफल होती दिख रही हैं। हालिया फिल्म मलंग के कारण दिशा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस फिल्म से उनके फैंस खुश हैं। अब दिशा पाटनी बॉलिवुड की टॉप ऐक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा के नक्शेकदम पर चलना चाहती हैं। पाटनी का मानना है कि वह प्रियंका चोपड़ा से बेहद प्रेरित हैं और वह उन्हीं की तरह बनना चाहती हैं।


दिशा पाटनी ने कहा कि वह बॉलिवुड की देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा को काफी फॉलो करती हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए प्रियंका एक प्रेरणा की तरह हैं। दिशा कहती हैं, एक छोटे शहर से आकर ना सिर्फ बॉलिवुड बल्कि आज हॉलिवुड में अपना मुकाम बनाना आसान काम नहीं। प्रियंका ने जो किया है, उससे अपने देश का नाम भी ऊंचा हुआ है।
प्रियंका से खुद को जोड़ते हुए दिशा कहती हैं कि मैं भी उनकी तरह ही एक छोटे शहर बरेली से आती हूं। अपने करियर के बारे में विस्तार से बात करते हुए दिशा कहती हैं, मैं बॉलिवुड में पहले मजबूत पकड़ बनाना चाहती हूं। पाटनी आगे कहती हैं, मैंने यहां सभी बड़े ऐक्टर्स के साथ काम किया है और अच्छे रोल मुझे ऑफर हो रहे हैं। हालांकि दिशा का मानना है कि अभी उन्हें बॉलिवुड में बेहतर मुकाम के लिए काफी काम बाकी है।
यह पूछने पर कि प्रियंका की तरह क्या वह भी हॉलिवुड में जाना चाहती हैं? दिशा ने कहा, सच कहिए तो अभी मैंने इस बारे में कुछ सोचा नहीं है। मेरा कोई एजेंट भी नहीं है, जो मुझे हॉलिवुड तक ले जाए। मैं मानती हूं कि हॉलिवुड के लिए ऑडिशन देना तक इतना आसान नहीं है। मैं फिलहाल बॉलिवुड में अच्छा काम कर रही हूं और भगवान से यही प्रार्थना है कि बेहतर काम यहां करती रहूं।
वर्कफ्रंट की बात करें तो दिशा पाटनी हालिया फिल्म मलंग में दिखी हैं। इस फिल्म में उनके साथ आदित्य रॉय कपूर थे। इसके बाद वह सलमान खान की फिल्म राधे में दिखेंगी। इसे प्रभुदेवा डायरेक्ट कर रहे हैं।


'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...