शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

राजस्थान-एमपी को जोडेगा 'एक्सप्रेस-वे'

मंजूरी / मुरैना से कोटा तक एक्स-प्रेस -वे,
मध्यप्रदेश सरकार नहीं लेगी गिट्टी पर रॉयल्टी
राज्य सरकार ही 100% जमीन अधिग्रहण करके देगी
भारत माला प्रोजेक्ट के तहत एनएचएआई इसे बनाएगा



भोपाल। चंबल नदी के किनारे बनने वाले एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी चाहते थे कि राज्य सरकार ही 100% जमीन अधिग्रहण करके दे, इस पर मप्र सरकार राजी हो गई है। अब जल्द ही यह मामला कैबिनेट में रखा जाएगा।


भारत माला प्रोजेक्ट के तहत 3 हजार 970 करोड़ रुपए में बनने वाला 283.3 किमी लंबा यह एक्सप्रेस-वे मप्र के गडोरा (मुरैना) से शुरू होकर राजस्थान के कोटा तक जाएगा। इसी को लेकर गुरुवार को मुख्य सचिव एसआर मोहंती की पीडब्ल्यूडी, उद्योग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों संग बैठक हुई।


इसमें रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के एमडी सुदाम पी खाड़े ने प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन किया। इस एक्सप्रेस-वे की खास बात यह है कि नेशनल हाइवे नंबर 44 के जरिए नार्थ-साउथ और ईस्ट-वेस्ट काॅरीडोर जुड़ेंगे। नेशनल हाइवे अथाॅरिटी आॅफ इंडिया इसका निर्माण करेगी। कंसलटेंसी भोपाल की फर्म एलएन मालवीय तैयार कर रही है। प्रारंभिक डीपीआर बन चुकी है, इसे रिवाइज करने का काम जारी है।


मुख्य सचिव ने कहा है कि चूंकि जमीन अधिग्रहण में 305 करोड़ रुपए राज्य सरकार के लगेंगे, इसलिए जल्द से जल्द प्रस्ताव कैबिनेट के लिए तैयार किया जाए। चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए जरूरी जमीन में से 50 फीसदी सरकारी है, इसलिए बाकी की आधी जमीन ही राज्य सरकार को अधिग्रहीत करनी होगी। इसमें जमीन के बदले जमीन अथवा लैंड पुलिंग स्कीम के जरिए जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता है। इंडस्ट्रीयल टाउन, लाजिस्टिक हब और पर्यटन विकसित करने की तैयारी
बैठक में यह कहा गया है कि एक्सप्रेस-वे के किनारे (नदी की ओर नहीं) इंडस्ट्रीयल टाउन, लाजिस्टिक हब के साथ पर्यटन को विकसित किया जाए। पालपुर-कूनो के करीब से गुजरने के कारण होटल और ईको-टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। कंसलटेंट को कहा गया है कि वह एक्सप्रेस-वे के किनारे 16-16 एकड़ के भूखंड भी चिन्हित करे, जिसे व्यावसायिक उपयोग में बदलकर वहां पेट्रोल पंप, वेयर हाउस अथवा रेस्टाेरेंट-मोटल्स खोले जा सकें। इससे लागत मूल्य विकास हो सकेगा। केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री की ओर से पूर्व में यह बात रखी गई थी कि राज्य सरकार फंड जुटाए, इसी कड़ी में एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर अन्य गतिविधियों की संभावनाओं को टटोला जा रहा है।


इससे दो राज्य जुड़ेंगेः राजस्थान में एक्सप्रेस-वे का 85 किमी और मप्र में 195 किमी हिस्सा होगा। यह चंबल के समानांतर और नदी से 1.5 किमी दूर से गुजरेगा। प्रारंभिक डीपीआर के मुताबिक इसमें चंबल अभयारण्य का हिस्सा नहीं होगा।


राॅयल्टी नहीं लेगा मप्र: एनएचएआई के जल्द काम शुरू करने के लिए मप्र ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह रोड के निर्माण में लगने वाली मुरम, गिट्टी की राॅयल्टी नहीं लेगा।


एश्ले की हॉट वीडियो जमकर हुई वायरल

हॉलीवुड एक्ट्रेस एश्ले टिडस्ले एक बार फिर अपनी हॉट तस्वीरों के कारण सुर्खियों में हैं। उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं। जिसमें उनका बेहद बोल्ड अवतार नजर आ रहा है। हाल ही में एश्ले टिडस्ले ने अपनी बेदाग और निखरी हुई त्वचा के राज का खुलासा किया है। इंस्टाग्राम पर इसका खुलासा करते हुए टिडस्ले ने बताया कि उन्होंने पिछले पांच सालों से दुग्ध उत्पादों का सेवन करना बंद कर दिया है और इससे उन्हें एक बेदाग त्वचा पाने में बहुत मदद मिली है।



एश्ले ने एक वीडियो साझा करते हुए इसके कैप्शन में लिखा, “मैं पिछले पांच सालों से दुग्ध उत्पादों से दूर हूं।”इस वीडियो में एश्ले अपनी निखरी हुई साफ त्वचा को दिखाती नजर आ रही हैं। उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने दुग्ध उत्पादों का सेवन करना बंद किया है तब से उन्हें अपनी त्वचा पर फर्क दिखने लगा है। अभिनेत्री ने यह भी कहा कि शुरुआत में ऐसा करना काफी कठिन लग सकता है, लेकिन धीरे-धीरे इसकी आदत पड़ जाती है। आइए, अब आपको दिखाते हैं एश्ले टिडस्ले की वे 10 तस्वीरें, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है।


78 वर्षीय की इंटरमीडिएट की परीक्षा

गोंडा। शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र नही होती। ऐसा ही एक 78 वर्षीय बुजुर्ग परीक्षार्थी गोंडा जिले के एपी इंटर कॉलेज के परीक्षा केंद्र पर जज्बे के साथ इंटरमीडिएट हिंदी विषय की परीक्षा देने आया जो अपने आप पर गर्व महसूस कर रहा था। 


एपी इंटर कॉलेज परीक्षा केंद्र मनकापुर के परीक्षा प्रभारी समीर सिंह ने बताया कि प्रवेश पत्र के अनुसार, दूलम पुर बनकटवा गांव निवासी रामकरन प्रजापति (78) जिसने मुजेहना शिक्षा क्षेत्र के राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पेड़ारन से यूपी बोर्ड परीक्षा का फॉर्म भरा था।परीक्षा के प्रथम दिन मंगलवार को दूसरी पाली में रामकरन प्रजापति इंटरमीडिएट हिंदी विषय की परीक्षा देने आए। बुजुर्ग परक्षार्थी रामकरन प्रजापति ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से हैं। 


उनका जन्म 11 जुलाई वर्ष 1942 में हुआ था। वर्ष 1997 में जनता इंटर कॉलेज इटियाथोक से हाईस्कूल पास की। मौजूदा समय में एक निजी स्कूल में पढ़ाते हैं। पूछे जाने पर बताया कि आगे स्नातक करने की तमन्ना है। उनके पिता बद्री का 30 साल पहले स्वर्गवास हो गया था। पत्नी सावित्री देवी की भी दस साल पहले मृत्यु हो गई है। एक बेटा रंजीत कुमार (55) वर्ष है, जिसके दो बेटे दिनेश व विनय हैं। जो गांव में ही पंचर बनाने का काम करता है।


प्रोटीन पाउडर लेने के पांच नुकसान

अगर आप जिम में वर्कआउट करते है तो यकीनन प्रोटीन पाउडर के बारे में जानते होंगे। वैसे इन दिनों बॉडी और मसल्स बनाने के शौकिन कई लोग प्रोटीन सप्लीमेंट के लिए प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल करते हैं।
1 वर्कआउट के बाद प्रोटीन पाउडर लेने से इंसुलिन में बढ़ोतरी होती है, इस तरह नियमित रूप से इंसुलिन में होने वाली यह बढ़ोतरी आगे जाकर सेहत को नुकसान पहुंचाती है।
2 वे प्रोटीन सबसे सामान्य प्रोटीन है जिसे अधिकांश लोग लेते हैं। आमतौर पर इसे जिम में वर्कआउट करने वाले और बोड़ी बिल्डर लेते हैं। ये मसल्स बनाने में तो सहायक होता है लेकिन इसे जिस प्रकार से तैयार किया जाता है, वो शरीर को नुकसान ज्यादा पहुंचाता है।
3 वे प्रोटीन जैसे पाउडर्स में कई तरह के हारमोंस और बायोएक्टिव पेपटिड्स होते हैं। जिन्हें लेने पर सीबम निर्माण बढ़ जाता हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि प्रोटीन सप्लिमेंट लेने से मुंहासों की समस्या भी बढ़ सकती है।
4 प्रोटीन पाउडर लेने से शरीर में न्यूट्रिशन का असंतुलन हो सकता है। प्राकृतिक प्रोटीन जैसे अंडे, दूध और मीट लेने से ऐसा होने की संभावना कम होती है।
5 कई कंपनियों के प्रोटीन पाउडर में विषाक्त पदार्थ होते हैं। जो शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं और उन्हें लेने से सरदर्द, फेटीग्यू, कब्ज और मासपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है।


चश्मे के निशान से परेशान, आजमाऐ

आज के समय में आपके आस-पास मौजूद रहने वाले हर पांचवे इंसान की आंख पर चश्मा दिखेगा। इनमें आपके बॉस से लेकर आपके दोस्त भी शामिल हो सकते हैं। लैपटॉप और कम्प्यूटर पर ज्यादा समय करते समय चश्मे को बहुत लोग पहनते हैं। 
लगातार चश्मा पहने रहने के कारण जहां पर चश्मे का नोज स्टैंड रुकता है, वहां निशान पड़ जाता है। दरअसल ज्यादा देर तक त्वचा पर दबाव होने के कारण नीचे हम आपको कुछ ऐसी ही टिप्स देने जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप चश्में पहनने के कारण नाक पर बनने वाले निशान को हटा सकते हैं।
एलोवेरा से करें मसाज
एलोवेरा की पत्ती को बीच से काट लें और उसके गूदे का पेस्ट बना लें। अब इसके पेस्ट को नाक पर बने हुए निशान पर लगाएं और हल्के हाथों मसाज करें। एलोवेरा में मॉइस्चराइजिंग और एंटी-एजिंग गुण पाए जाने के कारण यह नाक पर बनने वाले निशान को कुछ दिनों में गायब कर देगा। 
आलू रस का बेहतर उपयोग
आलू के रस का उपयोग करके भी आप चश्मे के निशान से छुटकारा पा सकते हैं। कच्ची आलू को घिस कर इसका रस निकाल लें। आलू में ब्लीचिंग का प्रभाव पाया जाता है। जिसके कारण यह नाक पर चश्मे के कारण बने हुए निशान को हटाता है। 
गुलाब जल का भी कर सकते हैं उपयोग
गुलाब जल में हीलिंग का गुण पाया जाता है। यह चश्मे के कारण नाक पर बने हुए निशान को कुछ दिनों में गायब कर सकता है। इसे रुई के फीहे में भिगोकर निशान वाली जगह पर इस्तेमाल करें।
शहद का करिए उपयोग
शहद का उपयोग करके भी चश्मे के निशान को गायब किया जा सकता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक गुण होने के कारण यह त्वचा पर पडऩे वाले निशान को दूर करने में मदद करता है। 
ताजे संतरे के छिलके का करें उपयोग
ताजे संतरे के छिलके का उपयोग करके भी चश्मे के कारण पडऩे वाले निशान को दूर किया जा सकता है। संतरे के छिलके को पीसकर इसमें हल्का सा दूध मिला लें और निशान वाली जगह पर हल्के हाथों मालिश करें। एंटीसेप्टिक और हीलिंग का गुण होने के कारण यह नाक पर पडऩे वाले निशान को गायब कर सकता है। 
टमाटर का उपयोग नहीं करेगा निराश
टमाटर में एक्सफोलिएशन का गुण पाया जाता है। जो डेड स्किन को निकालने का मुख्य गुण है। टमाटर का पेस्ट बनाकर इसे चश्मे के कारण बने हुए निशान पर लगाएं। कुछ ही दिनों में आपको इसका रिजल्ट देखने को मिल जाएगा।


लिंगायत मठ पर मुस्लिम मुख्य पुजारी

बेंगलुरु। उत्तर कर्नाटक के गडग जिले के एक 350 साल पुराने लिंगायत मठ ने 33 साल के एक मुस्लिम व्यक्ति को मुख्य पुजारी बनाने का फैसला किया है। दीवान शरीफ रहिमनसब मुल्ला 26 फरवरी को मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वरा शांतिधाम मठ की जिम्मेदारी संभालेंगे। यह मठ कलबुर्गी के खजुरी गांव में स्थित है। कर्नाटक और महाराष्ट्र के लाखों अनुयायी इससे जुड़े हैं। शरीफ के पिता ने कई साल पहले इस मठ के लिए दो एकड़ जमान दान की थी। इस मौके पर खजूरी मठ के मुख्य पुजारी मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शिवयोगी ने कहा, “बसव का दर्शन सार्वभौमिक है और हम जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव न करते हुए हर किसी को गले लगाते हैं। उन्होंने 12वीं शताब्दी में सामाजिक न्याय और भाईचारे का सपना देखा था। उनके दिखाए रास्ते पर चलकर ही मठ ने सभी के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।”


मठ के मुख्य पुजारी शिवयोगी के प्रवचनों से प्रभावित होकर शरीफ के पिता रहिमनसब मुल्ला ने भी दीक्षा ली थी। पुजारी के मुताबिक आसुति मठ यहां 2-3 साल से काम कर रहा है और फिलहाल परिसर का निर्माण चल रहा है। उन्होंने कहा कि शरीफ के मन में बसव के प्रति गहरी आस्था है और काफी सालों से वह उनकी विचारधारा पर चल रहा है। 10 नवंबर, 2019 को शरीफ ने दीक्षा ली। हमने उन्हें पिछले तीन सालों में लिंगायत धर्म और बासवन्ना की शिक्षाओं के अलग-अलग पहलुओं के बारे में जानकारी दी। 


बासवन्ना के प्रवचन पढ़ता था: शरीफ मुल्ला
शरीफ ने बताया, “मैं बचपन से ही बसव की सामाजिक न्याय और आपसी भाईचारे की शिक्षा के प्रति आकर्षित था। मैं पास के गांव में आटा चक्की चलाता था और खाली वक्त में बसवन्ना और 12वीं शताब्दी के अन्य साधुओं द्वारा लिखे गए प्रवचन पढ़ता था। कोरानेश्वरा शांतिधाम के मठ के स्वामीजी ने मेरी इस छोटी सी सेवा को पहचाना और मुझे अपने साथ ले गए। मैं बसवन्ना और मेरे गुरु द्वारा बताए रास्ते पर आगे बढूंगा। ’


लिंगायत धर्म और परिवार के जरिए मोक्ष में विश्वास करता है


शरीफ शादीशुदा हैं और उनके 4 बच्चे हैं। लिंगायत मठों में आमतौर पर शादीशुदा व्यक्ति की पुजारी के तौर पर नियुक्ति कम ही देखने को मिलती है। मुख्य पुजारी ने बताया कि लिंगायत धर्म परिवार के जरिए सद्गति (मोक्ष) में विश्वास करता है। कोई पारिवारिक व्यक्ति भी मठ का स्वामी बनने के साथ सामाजिक और आध्यात्मिक काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि मठ से जुड़े सभी भक्तों ने एक मुसलमान को मुख्य पुजारी बनाने पर सहमति जताई है। यह हमारे लिए बासवन्ना के आदर्श कल्याण राज्य को बनाए रखने का मौका है।


कौन थे बसव?
एक दार्शनिक और सामाज सुधारक थे। उन्होंने 12वीं शताब्दी में लिंगायत संप्रदाय की स्थापना की थी। वे खुद ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे और जन्म आधारित की जगह कर्म आधारित व्यवस्था में विश्वास करते थे। उन्होंने हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था के खिलाफ लंबा संघर्ष किया।


कौन हैं लिंगायत?


लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। राज्य की आबादी का 18 फीसदी लिंगायत हैं। पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी इनकी बड़ी आबादी है। लिंगायत और वीरशैव कर्नाटक के दो बड़े समुदाय हैं। इन दोनों का जन्म 12वीं शताब्दी के समाज सुधार आंदोलन से हुआ है। इसकी अगुआई समाज सुधारक बसवन्ना ने किया था। लिंगायत समाज पहले वैदिक धर्म का ही पालन करता था, लेकिन इसकी कुरीतियों को हटाने के लिए इस नए सम्प्रदाय की स्थापना की गई। लिंगायत परंपरा में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी अलग है। लिंगायत में शवों को दफनाया जाता है।


वार्ता का रोड़ा, प्रदर्शनकारियों का व्यवहार

मनोज सिंह ठाकुर


नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए पहुंचे वार्ताकार लगातार प्रदर्शनकारियों से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच वार्ताकार ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आपका यही व्यवहार रहा तो हम कल से यहां नहीं आएंगे। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम पिछले दो महीने से प्रधानमंत्री मोदी का पलकें बिछाए इंतजार कर रहे हैं। वो शाहीन बाग आएं और हमसे बात करें। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्‍त वार्ताकार संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और वजाहत हबीबुल्‍लाह गुरुवार को दूसरे दिन बात कर रहे हैं। 


बातचीत के दौरान वार्ताकार प्रदर्शनकारियों के व्‍यवहार से नाराज होते दिखे। उन्होंने कहा कि हम ऐसे में बात करने के लिए कल से नहीं आएंगे। बता दें कि वहां इतनी शोर हो रही है कि वार्ताकार सही तरीके से बातचीत नहीं कर पा रहे हैं। वार्ताकार से बात करने के दौरान एक प्रदर्शनकारी फूट फूट कर रोने लगा। कहा कि रोड खुलवाने की याचिका नहीं होनी चाहिए। इस पर वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि आप कैसे नागरिक है जो दूसरों के हक पर टिप्पणी कर रहे हैं। रामचंद्रन ने कहा कि हम यहां सिर्फ इस पर बात करने आए हैं कि सड़क खुलनी चाहिए या नहीं। लेकिन, यहां कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे हैं उन्हें यहां से निकाला जाना चाहिए। साधना रामचंद्रन ने एक प्रदर्शनकारी को बाहर जाने के लिए कहा। साधना रामचंद्रन ने कहा कि कल से हम धरना स्थल नहीं आएंगे। किसी और जगह ढूढने जा रहे हैं हम जहां महिलाओं से बात कर सके। कहा कि अगर यहां बात करना है तो 20-20 महिलाओं का गुट बात करे बाकी लोग बाहर जाए। वरना हम कल से नहीं आ पाएंगे।


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...