शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

आसिम-सुहाना को लांच करेंगे करण

मुंबई। हाल में बिग बॉस 13 के विजेता की घोषणा हो गई और इस बार के विनर सिद्धार्थ शुक्ला बने। हालांकि इस सीजन में फर्स्ट रनरअप रहे मॉडल आसिम रियाज की भी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है। एक दिन पहले ही कुछ ऐसी खबरें आई थीं कि प्रड्यूसर डायरेक्टर करण जौहर आसिम रियाज को शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान के साथ स्टूडेंट ऑफ द इयर 3 बॉलिवुड में लॉन्च कर सकते हैं। अब इस मुद्दे पर करण जौहर का रिऐक्शन आ गया है। 
करण जौहर ने अपने ऑफिशल ट्विटर अकाउंट पर इन खबरों पर रिऐक्ट किया है। उन्होंने लिखा, स्टूडेंट ऑफ द इयर 3 के बारे में इस समय बिल्कुल बेबुनियाद खबरें बनाई जा रही हैं। मेरा सभी से आग्रह है कि कृपया मनगढंत खबरों को प्रकाशित न करें।


वैसे बता दें कि शाहरुख की बेटी सुहाना के बॉलिवुड डेब्यू का इंतजार फैन्स पिछले काफी समय से कर रहे हैं। अभी तक सुहाना के डेब्यू के बारे में कुछ भी कन्फर्मेशन नहीं मिला है और वह इस समय न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही हैं। वैसे कम ही लोगों को पता है कि आसिम रियाज ने वरुण धवन की फिल्म मैं तेरा हीरो में एक छोटा सा किरदार निभाया था।


विश्व में शिवरात्रि की धूम मची है

आध्यात्म की दृष्टि से भारत दुनिया भर में शानदार देश है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा और भी कई ऐसे तीर्थस्थल हैं, जहां भगवान भोलेनाथ के भव्य मंदिर हैं और कई विशेष अवसरों पर देश-दुनिया से शिवभक्तों की भीड़ जुटती है।खासकर महाशिवरात्रि के अवसर पर देशभर के असंख्य शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के जयकारे गूंजते हैं। हर ओर भक्तिमय माहौल होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सात समंदर पार भी कई देशों में बम भोले के जयकारे लगते हैं।


देश में जम्मू कश्मीर में अमरनाथ, उत्तराखंड में केदारनाथ, गुजरात में सोमनाथ, उज्जैन में महाकाल, वाराणसी में काशी विश्वनाथ, भुवनेश्वर में लिंगराज, मध्य प्रदेश में खजुराहो जैसे अनेक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिर हैं। इससे इतर भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी श्रद्धा और निष्ठा के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है।


जम्मू कश्मीर: हमारे पड़ोसी हिंदू देश नेपाल का पशुपतिनाथ महादेव का मंदिर भी विश्वविख्यात है। नेपाली शैली का शानदार उदाहरण यह मंदिर 11वीं सदी में बनवाया गया था, जबकि 17वीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। यह भव्य मंदिर करीब 4 हजार वर्गमीटर में फैला हुआ है। बागमती नदी के किनारे बने मंदिर में भगवान शिव यहां पंचमुखी शिवलिंग के रूप में पूजे जाते हैं। स्थानीय लोगों के अलावा भारतीय पर्यटक और अन्य देशों से लोग बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं।


नेपाल: बात करें पड़ोसी देश श्रीलंका की, तो त्रेतायुग में लंकापति रावण भगवान शिव के बहुत बड़े उपासक थे। यहां के छोटे से गांव मुनेश्वरम में भव्य स्थापत्य कला का प्रतीक शिव मंदिर है, जो दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली में बनवाया गया है। इस परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें सबसे सुंदर और बड़ा मंदिर भगवान शिव का है। इसका संबंध रामायण काल से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान राम ने यहां शिव की आराधना की थी। यहां सालों भर भारत से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।


श्रीलंका: स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में शिवा टेंपल के नाम से एक छोटा सा खूबसूरत मंदिर है। इस मंदिर के गर्भगृह में शिव लिंग के पार्श्व में नटराज रूप में शिव एवं देवी पार्वती की प्रतिमाएं हैं। न केवल महाशिवरात्रि, बल्कि भगवान शिव से जुड़े हरेक पर्व यहां भक्ति भाव के साथ मनाया जाता हैै।


 स्विट्जरलैंड: ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न में साल 1987 में शिवा-विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया गया, जहां भगवान शिव और विष्णु के साथ अन्य देवी-देवता भी पूजे जाते हैं। मंदिर का उद्घाटन भारत के कांचीपुरम और श्रीलंका के 10 पुजारियों द्वारा कराया गया था। मंदिर की वास्तुकला भारतीय और ऑस्ट्रेलिया कला का मिश्रण है।


ऑस्ट्रेलिया: मलेशिया में स्थित अरुलमिगु श्रीराजा कली अम्मन मंदिर-जोहोर बरु में स्थित है। पहले मंदिर का रूप छोटा था, जो आज भव्य स्वरूप में परिवर्तित हो गया है। मंदिर का निर्माण साल 1922 के आसपास किया गया। करीब तीन लाख मोतियों को दीवार पर चिपका कर मंदिर के गर्भगृह की सजावट की गई है।


मलेशिया: न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में भगवान शिव नवदेश्वर शिवलिंग के रूप में पूजे जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र महाराज एवं यज्ञ बाबा के मार्गदर्शन में हिन्दू शास्त्रों के अनुरूप कराया गया था। साल 2004 में इस शिव मंदिर को भक्तों के लिए खोला गया।


न्यूजीलैंड: इन मंदिरों के अलावा दुनियाभर के कई देशों में भगवान शिव के मंदिर हैं, जहां पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा की जाती है। मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में भी भगवान शिव का मंदिर है, वहीं कैलिफोर्निया के लिवेरमोरे में और इंडोनेशिया के जावा द्वीप में भी भगवान भोलेनाथ के मंदिर हैं। भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी वाले मॉरीशस में तो भगवान शिव की पूजा देखने लायक होती है।


बढ़ रही है भूख 'समसामयिक'

लिमटी खरे


परिवर्तन प्रकृति का नियम है, साल दर साल, दशक दर दशक रहन सहन, खान पान आदि में परिवर्तन आना आम बात है। यह परिवर्तन अगर समाज या व्यक्ति के हित में है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए, पर दिखावे, चोचलों के लिए अगर परिवर्तन का लबादा ओढ़ा जा रहा है तो इसकी निंदा करते हुए इसे त्यागने की महती जरूरत है। शादी ब्याह या अन्य आयोजनों में पहले जहां कुछ दशक पहले तक पुड़ी, सब्जी, रायता, पुलाव, पापड़, बूंदी, एक मिठाई और छांछ से ही काम चल जाया करता था, अब इसका स्थान अनेक तरह के व्यंजनों ने ले लिया है। थाली का आकार तो नहीं बढ़ा, यह घटता ही चला गया, पर पकवानों की तादाद में कई गुना बढ़ोत्तरी हो चुकी है। पहले हलवाईयों (खाना बनाने वालों) के पास चुनिंदा आईटम ही हुआ करते थे, जिसके चलते लोगों के पास कम विकल्प होते थे, पर अब तो केटरिंग का व्यवसाय करने वाले व्यवसाईयों के पास उनके मेन्यू में कम से कम एक हजार तरह के आईटम देखने को मिलते हैं। पुड़ी की ही अगर बात की जाए तो आज कम से कम दो दर्जन से ज्यादा प्रकार की पुड़ी परोसी जाती हैं।


कुछ समय पहले तक महानगरों या बड़े शहरों में ही मंहगी शादियों और रिसेप्शन का चलन हुआ करता था। अब इस तरह परंपराओं ने गांव तक में पैर पसार लिए हैं। गांव में पुड़ी, सब्जी, रायता आदि के बजाए अब आधुनिक तरह से टेबिल पर खाना लगाया जाकर खिलाने का चलन चल पड़ा है। पंगतों में बिठाकर, दोना पत्तल में खिलाने का रिवाज अब इतिहास में शामिल हो चुका है। अब तो खड़े होकर खाने का चलन है। शादी ब्याह या अन्य आयोजनों में सबसे ज्यादा खर्च सजावट, दिखावे और खानपान में किया जाता है। कार्यक्रम समाप्त होने पर सजावट को अलग कर दिया जाता है। जितने लोगों के हिसाब से खाना बनाया जाता है, वह अक्सर बच जाता है जिसके चलते केटरिंग वाले इसे नाली में बहा देते हैं। इसका कारण यह है कि पशुओं को वे कहां खोजें, भूखे जरूरत मंद लोगों को खोजने में वे अपना समय जाया करना नहीं चाहते। शादी ब्याह के उपरांत दूसरे दिन पंडाल के आसपास मख्खियां भिनभिनाते देखी जा सकती हैं।


जब टेबिल पर चार तरह की पुड़ी, तीन तरह की रोटी, दस तरह की सब्जियां, दो से तीन तरह की दाल, पच्चीस तरह की सलाद, एक दर्जन से ज्यादा प्रकार के अचार, तीन तरह के पुलाव या चावल, चायनीज, चाट, पकौड़े, दस तरह की मिठाईयां, तीन तरह के रायते, चार तरह के पापड़ होंगे तो आप सभी को एक एक बार चखने का प्रयास जरूर करेंगे। जो आपको पसंद आएगा, वह आप खाएंगे, पर जो आपकी थाली में बच गया है, उसे आप वापस तो रखने से रहे। देश सहित दुनिया भर में थाली में बचा खाना कितनी बड़ी समस्या है इस बात का अंदाजा अनेक तरह के सर्वेक्षण के बाद आई रिपोर्टस के आधार पर लगाया जा सकता है।


कहा जाता है कि दुनिया भर में एक बार खाने के लिए जितना भोजन तैयार किया जाता है उसका एक तिहाई भोजन बर्बाद हो जाता है। इस भोजन की तादाद इतनी होती है कि दुनिया भर के दो अरब लोग इसे खा सकते हैं। अन्न की बर्बादी को देखकर सरकारें चिंतित दिखतीं हैं तो गैर राजनैतिक सामाजिक संगठनों की पेशानी पर भी इसे लेकर बल पड़ते दिखते हैं, पर इसके बाद भी इस बर्बादी को रोकने की दिशा में किसी तरह की ठोस पहल का न हो पाना आश्चर्य जनक ही माना जाएगा।


भारत के बारे में ही अगर बात की जाए तो देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ अन्नदाता किसान को ही माना जाता है। जब भी आप सड़क या रेल मार्ग के जरिए कहीं से गुजरते हैं तो आपको आसपास लहलहाते खेत दिखाई दे जाते हैं। देश में अन्न की खासी पैदावार है। एक अनुमान के हिसाब से देश में लगभग 25 करोड़ टन से ज्यादा खाद्यान्न का उत्पादन होता है। अब आप अंदाजा लगाईए कि इतनी विपुल मात्रा में अन्न के उत्पादन के बाद भी देश में हर चौथा व्यक्ति भूखा ही सोने पर मजबूर है।


किसानों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए सरकारों के द्वारा तरह तरह की योजनाएं बनाई गईं हैं। इन योजनाओ की जमीनी हकीकत क्या है इसे देखने की फुर्सत शायद किसी को नहीं मिल पाती है। सरकारी स्तर पर किसानों की धान, गेंहूं आदि को समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है। इसके उचित रखरखाव के चलते इसमें से लगभग तीस से चालीस फीसदी अनाज या तो सड़ जाता है या अंकुरित हो जाता है। ऐसा नहीं है कि हुक्मरान इस बात से वाकिफ नहीं हैं! इसके बाद भी अन्न की बर्बादी रूकने का नाम नहीं ले रही है। एक अनुमान के अनुसार देश में हर साल इक्कीस सौ करोड़ किलो गेहूॅ बर्बाद हो जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महज इतना ही गेंहूॅ आस्ट्रेलिया में हर साल पैदा किया जाता है।


भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल 23 करोड़ टन दाल, 21 करोड़ टन सब्जियां और 12 करोड़ टन फल सिर्फ इसलिए खराब हो जाता है क्योंकि वितरण प्रणाली में अनेक तरह की खामियां हैं। हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स (विश्व भूख सूचकांक) 2018 जारी हो गया है। इस सूचकांक के अनुसार देश में भुखमरी की स्थिति बहुत खराब है। इस सूचकांक में विश्व के 119 देशों का समावेश किया गया था, जिसमें भारत का स्थान अंत से महज पंद्रह ऊपर अर्थात 103वीं पायदान पर है।


इस सूचकांक में भारत के लिए राहत की बात सिर्फ यह मानी जा सकती है कि वह पाकिस्तान (जो 106 पायदान पर है) से आगे है, पर नेपाल और बंग्लादेश जैसे देशों से भारत बहुत पीछे है। भारत पिछले साल 100वें स्थान पर था। इस सूचकांक का अगर अध्ययन किया जाए तो छः करोड़ अस्सी लाख लोग आज भी रिफ्यूजी कैंप में रहने को मजबूर हैं। 2014 के बाद विश्व भूख सूचकांक में भारत की स्थिति में लगातार ही गिरावट दर्ज की जाती रही है। 2014 में भारत 55वें स्थान पर था, तो 2015 में यह 80वें स्थान पर जा पहुंचा और 2016 में 97वें स्थान पर तो 2018 में यह सौवें स्थान पर पहुंचा और पिछले साल तीन पायदान उतरकर यह 103वें स्थान पर आ गया।


एक आंकलन के अनुसार देश में लगभग बीस करोड़ से अधिक लोग कुपोषित माने जाते हैं। देश में अन्न की बरबादी हो रही है वहीं दूसरी ओर कुपोषत लोगों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। इस तरह के आंकड़े निश्चित तौर पर रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा करने के लिए पर्याप्त माने जा सकते हैं।


कुछ शहरों में रोटी बैंक की शुरूआत की गई है। उत्साही युवाओं के द्वारा सोशल मीडिया व्हाट्सऐप और फेसबुक पर घरों में बचने वाली रोटी, दाल, सब्जी आदि को दान देने की अपीलें की जा रहीं हैं। युवा बचे हुए खाने को एकत्र कर जरूरत मंद लोगों तक इसे ले जा रहे हैं। कमोबेश हर शहर में एक कचरा गाड़ी मोहल्ले मोहल्ले से होकर गुजरती है। इस कचरा गाड़ी में चालक के बाजू वाली सीट को निकालकर अगर उसमें रोटी और सब्जी, दाल आदि के लिए पात्र रखवा दिए जाएं तो लोगों के घरों में बचा खाना लोग इसमें डाल सकते हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए इस खाने को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।


इसके अलावा शादी ब्याह में कैटरिंग करने वालों को भी जिला स्तर पर प्रशासन के द्वारा ताकीद किया जा सकता है कि बचे हुए खाने को उनके द्वारा एक निर्धारित स्थान पर ले जाकर छोड़ दिया जाए। इस खाने को भी स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए जरूरत मंद लोगों में बटवाया जा सकता है। देश भर में शहरों के हिसाब से एक मोबाईल या हेल्प लाईन नंबर भी जारी किया जा सकता है, जिस पर कॉल करने पर प्रशासन के द्वारा निर्धारित संस्थाओं के सदस्यों के द्वारा घरों घर से बचा हुआ भोजन एकत्र किया जा सकता है। देखा जाए तो सरकार को शादी ब्याह एवं अन्य समारोहों में मेहमानों की संख्या निर्धारित करने के लिए कानून भी बनाया जाना चाहिए। 2011 में यूपीए सरकार ने इसकी पहल भी की थी, पर यह भी परवान नहीं चढ़ पाया।


दूषित जल से जूझते नागरिक

शरद खरे


सिवनी। जिला मुख्यालय में नागरिक दूषित जल के कारण बीमार पड़ रहे हैं। नगर पालिका परिषद इस मसले पर पूरी तरह मौन ही अख्तियार किये हुए है। पालिका का यह दायित्व है कि वह लोगों को साफ और पीने योग्य जल मुहैया कराये। नगर पालिका अपने दायित्वों को भूलकर तरह तरह के बहानेबाजी में ही उलझी दिख रही है।


शहर में पानी किस तरह का प्रदाय हो रहा है, इस बारे में देखने सुनने की फुर्सत चुने हुये पार्षदों को भी शायद नहीं है। पालिका का अपना जलकार्य विभाग है। जलकार्य विभाग क्या कार्य कर रहा है, इस बारे में भी किसी को कुछ नहीं पता है। सभी के सभी 62 करोड़ 55 लाख रुपये की जुगत में उलझे दिखते हैं। तत्कालीन निर्दलीय विधायक दिनेश राय ने भी बबरिया जलावर्धन की जाँच की। वहाँ जल शोधन सामग्री अमानक पाये जाने के बाद भी पालिका ने इस दिशा में कोई सुधार नहीं किया।


शहर में पानी गंदा क्यों आ रहा है, इस बारे में पालिका के अधिकारियों का अलग आलाप है। अधिकारियों का कहना है कि पानी गंदा इसलिये आ रहा है क्योंकि जल प्रदाय की पाइप लाइन, नाले नालियों में से होकर गुजरती है। इसमें कहीं लीकेज होने पर गंदगी, पानी के साथ आ जाती है।पालिका की दलील, हो सकता है सही हो पर इस सबसे नागरिकों को क्या सरोकार होना चाहिये? जाहिर है नहीं, क्योंकि पालिका की यह नैतिक जवाबदेही है कि वह लोगों को दो नहीं तो कम से कम एक ही वक्त साफ और पर्याप्त पानी तो मुहैया कराये। पालिका के पास अपना एक इंजीनियरिंग अमला है। क्या इंजीनियरिंग अमला यही देखने बैठा है कि कहाँ पाईप लीकेज है और गंदगी उससे जा रही है। पालिका के तकनीकि अमले का यह दायित्व है कि वह उन स्थानों पर जहाँ पाईप लीकेज है वहाँ उसे दुरूस्त करे।


वर्षों से यही देखने में आ रहा है कि पालिका का अमला यह कहकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर रहा है कि पाइप के लीकेज से गंदगी जा रही है। अगर ऐसा है तो लाखों करोड़ों रूपयों की फिटकरी खरीदकर जल शोधन का क्या औचित्य है, जाहिर है नहीं। लोगों को अगर गंदा पानी ही पीना है तो फिर शासन के लाखों करोड़ों रूपयों की होली क्यों?


यह आलम तब है जब दिनेश राय वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं। जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह ने भी पिछले साल 28 फरवरी तक का अल्टीमेटम ठेकेदार को इस जलावर्धन योजना को आरंभ करवाने के लिये दिया है। वैसे देखा जाये तो बड़े संपन्न लोग तो घरों में आरओ फिल्टर के जरिये शोधित पानी को पी रहे होंगे किन्तु आम जनता का क्या? आम जनता तो गंदा, बदबूदार, दूषित पानी पीकर बीमार हो रही है। इस मामले में चुनी हुई परिषद भी मौन ही साधे बैठी है। वार्ड के पार्षद भी निश्चिंत हैं मानो सब कुछ ठीक ठाक ही है। जिलाधिकारी प्रवीण सिंह अब नगर पालिका के प्रशासक बन चुके हैं तब उनसे जनापेक्षा है कि इस मामले में पहल कर जनता को कम से कम साफ पानी ही मुहैया करवायें।


 


कबाड़ी को बेची 100 डायल इनोवा कार

मुजफ्फरनगर। अखिलेश सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना यूपी डायल 100 की इनोवा तीन साल में नीलाम हो गई है। ये गाड़ी मामूली दुघर्टना में क्षतिग्रस्त हुई थी, जोकि आसानी से ठीक हो सकती थी। मुजफ्फरनगर पुलिस ने औने- पौने दामों पर इनोवा को नीलाम कर अब आम लोगों का वाहन बनाने का काम किया है। गाड़ी को सोतीगंज के कबाड़ियों ने चार लाख में खरीद लिया है, जिसकी मरम्मत शुरू कर दी गई। कबाड़ी का दावा है कि दस दिन में आरटीओ से इनोवा के नए कागज भी बन जाएंगे।  
 
चोरी और लूट के वाहन का सोतीगंज कमेला बन चुका है। सोतीगंज के कबाड़ियों के शहर में कई ठिकाने भी हैं। जहां पर वाहनों का कटान हो रहा है। सदर स्थित चाट बाजार के पास सोतीगंज के कबाड़ियों का नया अड्डा बना। जहां पर 2017 मॉडल की डायल 100 इनोवा को एक क्रेन से लाया गया। अमर उजाला ने कबाड़ी के हाथों में डायल 100 की इनोवा को मोबाइल में कैद कर लिया। कबाड़ी ने बताया कि मुजफ्फरनगर से इनोवा को नीलामी में छुड़वाया है। जिसकी वह मरम्मत करके नए रजिस्ट्रेशन पर आम लोगों का वाहन बनाएगा। उसने बताया कि उसकी आरटीओ से भी बात हो गई है। गाड़ी का एक ही हिस्सा क्षतिग्रस्त था, जबकि इंजन से लेकर अन्य गाड़ी का हिस्सा ठीक है। तीन साल में गाड़ी कबाड़ी के हाथों में पहुंच गई इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि तीन साल पुरानी गाड़ी की नीलामी नहीं हो सकती। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। 


पुलिस पर सवाल: पुलिस के वाहनों की मरम्मत कराने और उनकी देखरेख के लिये पुलिस में अलग से एमटी (मोटर ट्रांसपोर्ट) विभाग बना है। इसके बावजूद भी डायल 100 की गाड़ी को इस विभाग ने ठीक कराना उचित नहीं समझा। जबकि यह इनोवा मामूली दुघर्टना में ही क्षतिग्रस्त हुई है। वहीं, नीलामी में इनोवा को छुड़ाने वाला कबाड़ी दावा कर रहा है कि दस दिन में इनोवा नए कागजों के साथ सड़क पर दौड़ती नजर आएगी।


सपा और अब भाजपा की: सपा सरकार ने करोड़ों रुपये की लागत से लखनऊ में अत्याधुनिक कंट्रोल रूम बनाया। पुलिसिंग बेहतर करने के लिए ढाई साल पहले सभी जिले को डायल 100 की इनोवा और बोलेरो गाड़ी दी। जिनका रजिस्ट्रेशन 2017 का है। मेरठ में 61, मुजफ्फरनगर में 54 गाड़ियां दी गईं। भाजपा सरकार में इसका नाम डायल 112 हो गया। सीएम आदित्यनाथ ने पुलिस को निर्देश दिए कि डायल 112 को और भी सशक्त करें, ताकि परेशानी होने पर यह वाहन सबसे पहले उसके पास पहुंचे। लेकिन बृहस्पतिवार को सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना कबाड़ियों के हाथों में दिखाई दी। 


इसकी जांच होगी: एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार का कहना है कि डायल 100 की इनोवा मुजफ्फरनगर में नीलाम हुई है, गाड़ी कितनी क्षतिग्रस्त है, इसका टेक्निकल मुआयना हुआ है या नहीं, इसकी जांच होगी। पुलिस का कोई वाहन बिना जांच के नीलाम नहीं हो सकता। मुजफ्फरनगर पुलिस से जानकारी की जाएगी।


पाक नागरिक बन सकते हैं डेरेन सैमी

पाकिस्तान में लंबे समय बाद क्रिकेट की वापसी हो चुकी है। बांग्लादेश, श्रीलंका जैसी टीमें और बड़े खिलाड़ी पाकिस्तान के दौरे पर जा चुके हैं। यही वजह है कि इस साल पाकिस्तान (Pakistan) ने पहली बार अपनी टी20 लीग पाकिस्तान सुपर लीग की मेजबानी करने का फैसला किया है। पहली बार पाकिस्तान में होने जा रहे पीएसएल (PSL) का बड़ा श्रेय पेशावर जालमी टीम और उनके कप्तान डैरेन सैमी को जाता है जो अब जल्द ही पाकिस्तानी नागरिक बन सकते हैं।


पाकिस्तान की नागरिकता के लिए सैमी ने किया आवेदन
अपने देश वेस्टइंडीज (West Indies) को दो टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) जिताने वाले कप्तान डैरेन सैमी (Darren Sammy) अब पाकिस्तान (Pakistan) की नागरिकता चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने अपना आवेदन भी दे दिया है। आपको बता दें कि डैरेन सैमी सेंट लूसिया आईलैंड से क्रिकेटर बनने वाले पहले और इकलौते खिलाड़ी हैं। हालांकि अब वह पाकिस्तान की नागरिकता चाहते हैं। दूसरे सीजन में जब कोई भी खिलाड़ी फाइनल मुकाबले के लिए पाकिस्तान जाने के लिए तैयार नहीं था तब सैमी न सिर्फ वहां गए बल्कि अपनी टीम पेशावर जालमी (Peshawar Zalmi) को जीत भी दिलाई थी। इसके बाद से ही वह पीसीबी और क्रिकेट फैंस के चहेते बन गए थे


पाकिस्तान को बेहद पसंद करते हैं सैमी
सैमी की टीम पेशावर जालमी के मालिक जावेद अफरीदी ने cricketpakistan।com।pk को दिए इंटरव्यू में बताया कि डैरेन सैमी (Darren Sammy पाकिस्तान की नागरिकता के लिए आवदेन कर चुके हैं। जावेद अफरीदी ने कहा, ‘हमने सैमी को मानद नागरिकता देने की अपील की है। यह आवदेन फिलहाल राष्ट्रपति के पास है। हमने पीसीबी चेयरमैन से बात की है कि वह सैमी को नागरिकता दिलाने में हमारी मदद करें।’ सैमी पीएसएल के पांचवें सीजन में हिस्सा लेने पाकिस्तान पहुंच चुके हैं। सैमी ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि यह सीजन बाकी सभी सीजन से बेहतर हो। एक खिलाड़ी और फैन के तौर पर हम मिलकर दुनिया को दिखाएंगे कि पाकिस्तान में क्रिकेट खेलना कितना शानदार है।’


पीएसएल खेलने सबसे पहले पहुंचे सैमी
सैमी 36 विदेशी खिलाड़ियों में पाकिस्तान पहुंचने वाले पहले खिलाड़ी थे, उन्होंने कहा, ‘यहां आकर अच्छा लग रहा है। पाकिस्तान में पीएसएल खेलने को लेकर मैं काफी उत्साहित हूं। मैं पिछली बार 2017 में फाइनल मुकाबले के लिए यहां आया था और मुझे खुशी है कि इस बार पूरा टूर्नामेंट यहां होगा।


सैमी ने आगे कहा कि उन्हें अहसास है कि पाकिस्तानी फैंस ने बीते सालों में अपने देश में क्रिकेट को कितना मिस किया है। सैमी ने कहा, ‘मैं पहले भी कह चूका हूं। मैंने अपने करियर में घर और विदेशों में मैच खेले हैं। मैं जानता हूं हर देश के फैंस अपने क्रिकेट खिलाड़ियों को अपने घर पर खेलते देखना चाहते हैं और पाकिस्तान लंबे समय तक इससे दूर रहा है।’


राजस्थान-एमपी को जोडेगा 'एक्सप्रेस-वे'

मंजूरी / मुरैना से कोटा तक एक्स-प्रेस -वे,
मध्यप्रदेश सरकार नहीं लेगी गिट्टी पर रॉयल्टी
राज्य सरकार ही 100% जमीन अधिग्रहण करके देगी
भारत माला प्रोजेक्ट के तहत एनएचएआई इसे बनाएगा



भोपाल। चंबल नदी के किनारे बनने वाले एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी चाहते थे कि राज्य सरकार ही 100% जमीन अधिग्रहण करके दे, इस पर मप्र सरकार राजी हो गई है। अब जल्द ही यह मामला कैबिनेट में रखा जाएगा।


भारत माला प्रोजेक्ट के तहत 3 हजार 970 करोड़ रुपए में बनने वाला 283.3 किमी लंबा यह एक्सप्रेस-वे मप्र के गडोरा (मुरैना) से शुरू होकर राजस्थान के कोटा तक जाएगा। इसी को लेकर गुरुवार को मुख्य सचिव एसआर मोहंती की पीडब्ल्यूडी, उद्योग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों संग बैठक हुई।


इसमें रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के एमडी सुदाम पी खाड़े ने प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन किया। इस एक्सप्रेस-वे की खास बात यह है कि नेशनल हाइवे नंबर 44 के जरिए नार्थ-साउथ और ईस्ट-वेस्ट काॅरीडोर जुड़ेंगे। नेशनल हाइवे अथाॅरिटी आॅफ इंडिया इसका निर्माण करेगी। कंसलटेंसी भोपाल की फर्म एलएन मालवीय तैयार कर रही है। प्रारंभिक डीपीआर बन चुकी है, इसे रिवाइज करने का काम जारी है।


मुख्य सचिव ने कहा है कि चूंकि जमीन अधिग्रहण में 305 करोड़ रुपए राज्य सरकार के लगेंगे, इसलिए जल्द से जल्द प्रस्ताव कैबिनेट के लिए तैयार किया जाए। चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए जरूरी जमीन में से 50 फीसदी सरकारी है, इसलिए बाकी की आधी जमीन ही राज्य सरकार को अधिग्रहीत करनी होगी। इसमें जमीन के बदले जमीन अथवा लैंड पुलिंग स्कीम के जरिए जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता है। इंडस्ट्रीयल टाउन, लाजिस्टिक हब और पर्यटन विकसित करने की तैयारी
बैठक में यह कहा गया है कि एक्सप्रेस-वे के किनारे (नदी की ओर नहीं) इंडस्ट्रीयल टाउन, लाजिस्टिक हब के साथ पर्यटन को विकसित किया जाए। पालपुर-कूनो के करीब से गुजरने के कारण होटल और ईको-टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। कंसलटेंट को कहा गया है कि वह एक्सप्रेस-वे के किनारे 16-16 एकड़ के भूखंड भी चिन्हित करे, जिसे व्यावसायिक उपयोग में बदलकर वहां पेट्रोल पंप, वेयर हाउस अथवा रेस्टाेरेंट-मोटल्स खोले जा सकें। इससे लागत मूल्य विकास हो सकेगा। केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री की ओर से पूर्व में यह बात रखी गई थी कि राज्य सरकार फंड जुटाए, इसी कड़ी में एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर अन्य गतिविधियों की संभावनाओं को टटोला जा रहा है।


इससे दो राज्य जुड़ेंगेः राजस्थान में एक्सप्रेस-वे का 85 किमी और मप्र में 195 किमी हिस्सा होगा। यह चंबल के समानांतर और नदी से 1.5 किमी दूर से गुजरेगा। प्रारंभिक डीपीआर के मुताबिक इसमें चंबल अभयारण्य का हिस्सा नहीं होगा।


राॅयल्टी नहीं लेगा मप्र: एनएचएआई के जल्द काम शुरू करने के लिए मप्र ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह रोड के निर्माण में लगने वाली मुरम, गिट्टी की राॅयल्टी नहीं लेगा।


'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...