हाल ही मे हुई कई स्टडीज में सामने आया है कि तेज गति से की जानेवाले एक्सर्साइज दिमाग की सेहत और यादाश्त को दुरुस्त रखने में मददगार हैं। खास बात यह है कि केवल युवाओं में ही नहीं इन फास्ट एक्सर्साइज का सकारात्मक प्रभाव 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में भी देखने को मिलता है। साथ ही धीमी गति से की जानेवाली एक्सर्साइज की जगह सेफ्टी का ध्यान रखते हुए तेज गति से यदि एक्सर्साइज की जाए तो उसका असर शरीर और दिमाग पर कहीं अधिक देखने को मिलता है।
हैमिल्टन की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 12 सप्ताह तक 60 से 88 वर्ष की आयु के बीच के 64 सेडेंटरी (ज्यादातर समय बैठे रहनेवाले लोग) लोगों पर शोध किया। इस दौरान इन लोगों के ग्रुप को तीन भागों में बांटा, जिन्हें अलग-अलग तरह की एक्सर्साइज कराई गईं। इन लोगों के यह शोध शुरू करने से पहले और शोध के बाद लिए गए डेटा विश्लेषण में सामने आया कि जो एडल्ट तीव्र गति वाली अक्सर्साइज करते हैं उनमें अल्जाइमर होने का रिस्क कम होता है। साथ ही उनकी यादाश्त पहले के मुकाबले कहीं बेहतर हो जाती है।
इनको कराई गई तीव्र गति वाली एक्सर्साइज में 4 मिनट तक ट्रेड मिल वॉक के चार सेट और मीडियम तीव्रता वाली एरोबिक्स एक्सर्साइज शामिल थीं, जो इन्हें हर रोज करीब 50 मिनट तक कराई जाती थीं। शोध में यह भी सामने आया कि धीमी गति से लंबे समय तक की जानेवाली एक्सर्साइज की तुलना में अधिक प्रभाव डालने वाली तीव्र गति की एक्सर्साइज कम समय तक करना ब्रेन के लिए अधिक प्रभावी रहता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने यह बात भी साफ कर दी कि इस तरह का व्यायाम लोगों को डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से बचाने में मददगार है अगर ये ऐक्टिविटीज किसी एक्सपर्ट की देखरेख में की जाएं। लेकिन बीमारी हो जाने पर उन्हें ठीक करने में इनके रोल के बारे में अभी कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता।