रविवार, 16 फ़रवरी 2020

14 हजार किमी तक चली मादा भेड़िया

साथी की तलाश,14 हजार किमी तक चली मादा भेड़िया


कैलिफोर्निया। साथी को लेकर इंसान ही नहीं जानवर भी काफी संवेदनशील होते हैं। यूं तो भेड़िए अपना साथी ढूंढने के लिए मीलों पैदल सफर करते हैं लेकिन एक मादा भेड़िया (Female Wolf) ने अपने साथी की तलाश में पैदल 14 हजार किलोमीटर की दूरी तय की। हालांकि दुखद है कि इस दौरान मादा भेड़िया की मौत हो गई। इस मादा भेड़िया को वैज्ञानिकों ने OR-54 नाम दिया था और काफा समय से इस पर नजर बनाए हुए थे।


वैज्ञानिक उसके गले में लगे ट्रांसमिटर कॉलर (Transmitter caller) से उसे ट्रैक कर रहे थे। वैज्ञानिक इस बात की जांच कर रहे हैं कि इस मादा भेड़िया की मौत क्‍यों हुई। क्‍या मौत उसके इतने चलने के कारण कोई बीमारी से हुई है या फिर वो अपने साथी के वियोग में कमजोर हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस वुल्फ ने साथी की खोज में परिवार को छोड़ कैलिफोर्निया राज्य की सीमा को पार किया। अक्टूबर 2017 से जीपीएस-रेडियो कॉलर से ट्रैक हो रही यह मादा 2018 से एक दिन में औसतन 21 किलोमीटर की दूरी तय कर रही थी।lबीते दो वर्षों में OR-54 पहाड़ों और जंगलों में भटक गई थी। वह कभी-कभी खाने के लिए पशुओं को भी मार रही थी।


इस मादा भेड़िये ने जनवरी 2018 के बाद करीब 9 देशों से गुजरी थी और वापस दो बार कैलिफोर्निया आई थी। यह मादा भेड़िया कुछ समय के लिए नेवादा में भी रुकी थी। वैज्ञानिकों की मानें तो एक भेड़िया औसत तौर पर अपने साथी को खोजने के लिए 50 से 100 मील की यात्रा करता है और कुछ सैकड़ों मील तक की यात्रा करते हैं, लेकिन इतना चल पाना असंभव है। यंग वुल्फ का घर छोड़ना बेहद आम बात है। जब वुल्फ, डेढ़ से दो साल के हो जाते हैं तो वह साथी की खोज में निकल पड़ते हैं और अपना खुद का इलाका बनाते हैं। यहां तक OR-54 के पिता OR-7 ने भी ऑरेगन में बसने से पहले कई वर्षों तक साथी के लिए कैलिफोर्निया में समय बिताया था। कैलिफॉर्निया का ‘फिश और वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट’ उसकी मौत की वजह का पता लगाने में जुट गया है साथ ही, उन्होंने इस मामले में सूचना देने वाले को करीब 1 लाख 80 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।


शाहीनबाग में बड़ी संख्या में आए प्रदर्शनकारी

नई दिल्ली। शाहीनबाग में रविवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठे हुए। दोपहर दो बजे वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने उनके आवास की ओर कूच करने वाले थे, लेकिन पुलिस प्रशासन से इजाजत न मिलने पर उन्होंने मार्च नहीं निकाला। शाहीनबाग में अर्धसैनिक बल और क्यूआरटी टीम तैनात है। इजाजत नहीं मिलने पर शाहीनबाग के प्रदर्शनकारियों ने कानून हाथ में न लेने और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते रहने का का फैसला लिया। प्रस्तावित मार्च के मद्देनजर स्वयंसेवियों ने भीड़ को काबू में रखने के कलए अपनी तरफ से पूरी तैयारी की थी। उन्होंने रस्सियों और वहां रखी बैरिकेडों का भी सहारा लिया था। शाहीनबाग की तरफ से पुलिस प्रशासन से बात करने के लिए ‘दबंग दादियों’ को चुना गया और इसकी जानकारी वहां मौजूद महिलाओं ने ऐलान करके दिया। उन्होंने कहा, “हमारी तरफ से दादियां जाएंगी, जिनमें सरवरी दादी और बिल्किस दादी शामिल हैं। कुछ और बुजुर्ग लोग भी जाएंगे।” इजाजत न मिलने पर सरवरी दादी ने कहा, “हमें इजाजत नहीं मिली तो कोई बात नहीं, हम यहीं शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करेंगे, ये देश का सवाल है, संविधान बचाने की लड़ाई है।” इससे पहले, शाहीनबाग में मौजूद लोगों ने एक मानव श्रंखला बनाई और दूसरी ओर खड़े डीसीपी आर.पी. मीणा और एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश से दादियों की मुलाकात कराई गई। दादियों ने जब मार्च निकालने की इजाजत के बारे में पूछा और वहां मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, “हमने आपकी चिट्ठी आगे बढ़ा दी है, जब हमें इजाजत के बाबत जानकारी मिल मिल जाएगी तो आपको बता देंगे।” एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश ने मीडिया से कहा, “हमने एप्लिकेशन आगे बढ़ा दिया है, अभी वह प्रोसेस में है। जब इजाजत मिलेगी तो इन लोगों को सुरक्षा के साथ ले जाएंगे।” आखिरकार इजाजत नहीं मिली। तब प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से शाीनबाग में अपनी जगह जाकर बैठ गए।


घाटी में बर्फबारी के कारण कई सड़कें बंद

श्रीनगर। उत्तर कश्मीर में कुपवाड़ा के माचिल और केरन शहरों के अलावा बांदीपोरा के गुरेज में बर्फ जमा होने से सड़कों पर फिसलन बढ़ गयी है जिसके कारण पूरा क्षेत्र प्रभावित हुआ है। नियंत्रण रेखा के पास वाले गांवों के अलावा दर्जनाें अन्य गांवों में कई फीट बर्फ जमा होने तथा रविवार को हिमस्खलन की चेतावनी के कारण कई सड़क मार्ग अवरूद्ध रहे। जिला मुख्यालय कुपवाड़ा से कारनाह की ओर जाने वाली सड़कें कई सप्ताह तक बंद रहने के बाद शनिवार को दाेबारा खाेल दी गयी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कुपवाड़ा-केरन और कुपवाड़ा-माचिल सड़कें बंद रहीं। सड़कों के दोनों ओर से बर्फ हटाने का काम शुरू हो चुका है। इसी बीच, बांदीपोरा से गुरेज की ओर जाने वाली सड़क पर भी बर्फ जमी हुई है और यह कई जगह से बंद है। गुरेज शहर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से तीन ओर से घिरा हुआ है। इसके अलावा कश्मीर घाटी में सुबह कोहरे के बाद धूप खिलने के साथ ही मौसम खुशनुमा हो गया। घाटी में अगले 72 घंटों के दौरान मौसम शुष्क रहने का अनुमान है। मौसम विभाग के प्रवक्ता के मुताबिक 19 फरवरी को ताजा पश्चिमी विक्षोभों के मद्देनजर घाटी के अलग-अलग हिस्सों में 22 फरवरी से वर्षा अथवा बर्फबारी हो सकती है।


महामारी से लड़ने आए 'रोबोट और ड्रोन'

चुआनजीओ। चीन में अब ड्रोन और रोबोट जैसे हाईटेक उत्पादों को नोवल कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए तैनात किया जा रहा है। पूर्वी चीन के शानडोंग प्रांत के क्विंदाओ स्थित एक प्रौद्योगिकी कंपनी ने क्विंदाओ और पड़ोसी रिझाओ शहर के छह अस्पतालों में 30 किटाणुनाशक रोबोट्स दिए हैं। ऐसी संभावना है कि इस तरह के रोबोट्स का प्रांत के 20 और अस्पतालों में प्रयोग किया जाएगा। एक मीटर लंबा और दो व्हीलों पर चलने वाले रोबोट का आकार रेफ्रीजरेटर जैसा है और यह खुद ब खुद अलग-थलग किए गए वार्डो में जाता है और किटाणुनाशक का छिड़काव करता है। रोबोट के निर्माता और क्विंदाओ वेबुल इंटेलिजेंट टेक्नोलॉजी कोर्पोरेशन लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी फांग के ने कहा, “रोबोट को खासकर के छिड़काव करने वाले संयंत्र की तरह डिजाइन किया गया है और यह अलग-थलग किए गए वार्डो के प्रत्येक कोनों में घुसकर किटाणुनाशक का छिड़काव कर सकता है।” क्विंदाओ विश्वविद्यालय में हुंगडाओ परिसर के सर्जरी विभाग के निदेशक लू यून ने इस कदम की सराहना की है। पहली बार 31 जनवरी को रोबोट का प्रशिक्षण यहीं किया गया था। उन्होंने कहा, “इंटेलिजेंट रोबोटिक प्रोडक्ट्स कुछ मामलों में प्रभावी तरीके से डॉक्टरों और नर्सो का स्थान ले सकते हैं, जिससे उनके संक्रमित होने की आशंका कम हो जाती है।” वहीं यहां के हुआंगडाओ जिले में इस महामारी से लड़ने के लिए ड्रोनों का भी प्रयोग किया जा रहा है। यहां ड्रोनो का प्रयोग आवासीय जगहों पर किटाणुनाशक का छिड़काव करने के लिए किया जाता है।


बस-स्कूटी की टक्कर, 13 लोगों की मौत

बिलासपुर। भरनी रोड पर रविवार को एक बस और स्कूटी दुपहिया वाहन की आमने-सामने भिड़ंत में दुपहिया सवार दो लोगो की घटनास्थल पर ही मौत हो गई वही एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परसदा बस्ती निवासी सुरेश कैवर्त पिता चैतू, रामायण कैवर्त पिता भगउ कैवर्त और सतानंद कैवर्त पिता मुनीम तीनो अपनी दुपहिया वाहन में कोटा गए थे और वापस लौटते समय सीआरपीएफ गेट के पास बिलासपुर की तरफ से आ रही बस ने सामने से दुपहिया से जोरदार भिड़ंत हो गयी। टक्कर इतनी भयानक थी कि मौके पर ही सुरेश कैवर्त एवं रामायण कैवर्त की मौत हो गई जबकि उनका साथी सतानंद गंभीर रूप से घायल हो जिस। घटना के बाद बस का ड्राइवर गाड़ी छोड़कर फरार हो गया।दुर्घटना की सूचना किसी ने डायल 112 को दी 112 ने घायल सतानंद को अस्पताल में भर्ती कराया।


जहाज में सवार 355 में वायरस की पुष्टि

टोक्यो। जापान के योकोहामा तट के पास खड़े किये गये जहाज पर नॉवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के 70 नये मामले सामने आने के साथ ही जहाज पर इस संक्रमण से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़कर 355 हो गयी है। जापान के स्वास्थ्य मंत्री कत्सुनोबो कातो ने रविवार को बताया कि जहाज पर सवार लोगों में से कुल 355 लोगों में कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया है। संक्रमण के 70 नये मामलों में 38 में बुखार और कफ जैसे कोई लक्षण नहीं हैं।मंत्रालय ने ‘डायमंड प्रिंसेज’ जहाज पर 1219 लोगों की जांच की है। इस जहाज पर 3700 से अधिक यात्री और चालक दल के सदस्य सवार हैं। इस जहाज पर हांगकांग से आये 80 वर्षीय बुजुर्ग यात्री में इस वायरस का संक्रमण पाये जाने के बाद इसे योकोहामा तट के पास दो सप्ताह के लिए अलग रखा गया है। यह अवधि बुधवार को समाप्त हो जायेगी लेकिन यात्रियों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर ही उन्हें बुधवार को जहाज से उतरने की अनुमति दी जायेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि उसने अब तक 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के यात्रियों की जांच पर ध्यान केंद्रित किया है और रविवार से वह इससे छोटी उम्र के यात्रियों की जांच करेंगे। इस जहाज पर यूनान के दो यात्री भी सवार हैं। यूनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इन यात्रियों को अगले सप्ताह स्वदेश लाया जायेगा।


किसानों ने खेतों के अवशेष में लगाई आग

भटगांव- बिलाइगढ़। पवनी मेन रोड के किनारे भांचा ढाबा के पास 30 से 40 एकड़ खेतों में परावत/धान के अवशेष में किसानों ने आग लगा दी है। अपने सहूलियत को देखते हुए प्रत्येक वर्ष किसान अपने खेतों में धान के अवशेषों को आग के हवाले कर देते है, शायद किसानों को मालूम नहीं कि जलाने से खेत की उर्वरक शक्ति नष्ट हो जाती है, धीरे धीरे खेत बंजर की ओर चला जाता है। वहीं इस आग से पर्यावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाता है जिससे छोटे छोटे जीव जंतु भी नष्ट हो जाते हैं तथा इस आग से चारों तरफ धुंआ फैलने से पर्यावरण तो नुकसान हो रहा है। साथ ही जीव जंतुओं के लिए भी यह खतरनाक साबित हो रहा है। आसपास के लोगों को काफी परेशानी हो रही है। मौके पर लोगों ने और पत्रकारों ने मोबाइल पर बिलाईगढ़ तहसीलदार, इस डी एम व अन्य अधिकारियों को जानकारी देने का प्रयास करते रहे। उल्लेखनीय है कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण मंडल की ओर से खेत के परावत/धान के अवशेष को जलाने पर रोक लगाया गया है और कहीं कहीं पर किसानों को 2000 रुपए तक अर्थदंड भी लगा है। कानूनी कार्रवाई भी तय है।


कथा के आयोजन में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब

कथा के आयोजन में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब  रामबाबू केसरवानी  कौशाम्बी। नगर पंचायत पूरब पश्चिम शरीरा में श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन में भक्तो...