शिवरात्रि के दिन शिवपूजा से मिलेगी ग्रह दोषो से मुक्ति
अरविंद सिसौदिया।
नानौता। 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व पूरे देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस बार की महाशिवरात्रि की विशेष बात यह है कि 117 वर्ष बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। जिसके चलते इस योग में शिवपूजा करने से कई ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
देशभर में महाशिवरात्रि पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथी को मनाया जाता है। इस बार दुर्लभ संयोग होने के चलते शिवभक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। जिलेभर के शिवमंदिरोंमें भी इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है। मंदिरों की साज-सज्जा के साथ अनुष्ठान के लिए सामग्री जुटाई जा रही है। मंदिरों पर मेलों का आयोजन होगा, जिसकी रूपरेखा तैयार की गई है। 28 वर्ष बाद बनेगा विषयोग -
इस वर्ष शनि ने 23 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश किया है। इस बार शिवरात्रि पर शनि के साथ चन्द्र भी रहेगा। शनि-चन्द्र की युति के चलते विष योग बन रहा है। इससे पूर्व यह योग 28 वर्ष पूर्व 2 मार्च 1992 को बना था। कुंडली में शनि और चंद्र योग के दोष दूर करने केलिए शिवपूजा करने की सलाह दी जाती है। बुधआदित्य और सर्प योग भी बनेगा -
21 फरवरी को बुध और सूर्य कुंभ राशि में एक साथ रहेंगे। इसके चलते बुध आदित्य योग बनेगा तो वहीं इसी दिन सभी ग्रह राहु-केतू के मध्य रहेंगे। जिसके चलते सर्पयोग भी बनेगा। जिसके चलते यह शिवरात्रि विशेष रहेगी।
117 वर्ष पूर्व बना था दुर्लभ योग - पं राजेश शास्त्री के अनुसार इस वर्ष शिवरात्रि पर शनि अपनी स्वंय की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। यह एक दुर्लभ योग होगा। इससे पूर्व यह योग 25 फरवरी 1903 में बना था। इस वर्ष गुरू भी अपनी स्वराशि धनु में स्थित है। इस योग में शिवपूजा करने पर शनि गुरू, शुक्र के दोषों से मुक्ति मिलेगी। इसी दिन स्वार्थ सिद्वी योग भी रहेगा। साधना के लिए शिवरात्रि यानि सिद्वरात्रि -
ज्योतिषशास्त्र में साधना के लिए तीन रात्रि विशेष बताई गई हैं। इनमें शरद पूर्णिमा को मोहरात्रि, दीपावली की कालरात्रि तथा शिवरात्रि को सिद्वरात्रि कहा गया है। इस बार शिवरात्रि पर चन्द्र-शनि की मकर मंयुति के साथ शश योग भी बन रहा है।