मोदी लहर का सच 'संपादकीय'
देश की जनता ने नरेंद्र मोदी पर आंख बंद कर विश्वास किया था। जनता के इसी सानिध्य से एनडीए समर्थित भाजपा 2 बार लगातार केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही। सरकार के द्वारा लिए गए अधिकतर फैसलों का देश की जनता ने स्वागत भी किया। लेकिन जनता की मूलभूत सुविधाओं का अभाव, रोजगार का अभाव, रोजगार के अवसरों के अभाव में जनता ने सरकार के सभी अच्छे-बुरे कार्यों को दरकिनार कर दिया है। निकटवर्ती होने वाले चुनाव परिणाम भाजपा के अस्तित्व पर प्रश्न-चिन्ह अंकित करने के लिए काफी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम ने मोदी युग के अंत का आगाज किया है। बनावटी बातें-विज्ञापन, झूठे वायदों की हकीकत ने 'मोदी लहर का कड़वा सच' जनता के सामने स्पष्ट जाहिर कर दिया है। धर्म और जातिवाद से नही, इस चुनाव को विकास के मुद्दों से जोड़कर देखा जा रहा है।
दिल्ली की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री, अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, और सांसदों की भीड़ की 'कमर तोड़ मेहनत' को एक सिरे से खारिज कर दिया है। भाजपा की इस हार को देश की जनता एक 'बड़ी हार' के रूप में देख रही है। थके-हारे नेताओं की पेशानी पर पानी की चंद बूंदे भाजपा के मनोबल को क्षीण करने का कार्य कर रही है। गफलत और गलतफहमी के शिकार कई लोगों के राजनीतिक जीवन को प्रभावित करने वाले हैं यह परिणाम। राष्ट्रीय राजधानी में लगातार भाजपा को तीन बार शिकस्त देने वाले केजरीवाल के भाषणों में ईर्ष्या कम और आत्मविश्वास अधिक था। अपनी मेहनत और दिल्ली की जनता की सेवा को आधार बनाकर उन्होंने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। भाजपा शिखर के अंतिम छोर से वापसी की राह पर आगे बढ़ चुकी है। शायद यह सबक भी लिया होगा कि बड़-बोलापन नहीं, संघर्ष सहयोग करता है।
राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'