मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

'नमामि गंगे योजना' के घोटाले मे ज्ञापन

कानपुर। कानपुर नमामि गंगे योजना का जो कार्य नगर में हो रहा में हुए करोड़ो रूपये के घोटाले पर हिंदुत्व समन्वय समिति (उत्तर प्रदेश) ने जिलाधिकारी ब्रह्मदेव तिवारी को उचित कार्यवाही करने का ज्ञापन दिया।


हिंदुत्व समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया कि नमामि गंगे में योजना के तहत जो कार्य हुए थे। उनमें सत्यता बिल्कुल विपरीत है। जहां सरकार द्वारा भेजे गए पैसो का कैसे दुरप्रयोग हुआ है। नेता अधिकारी और कार्य करने वाली "श्रष्टि सायवोलॉन आश्वत किपो" कम्पनी किस प्रकार घोटाला किया गया है। जिंसका प्रार्थी  प्रत्यक्षदर्शि रहा है । पूर्व में सूचना भी की पर मिलीभगत के चलते उसकी सुनी नही गयी । 
 सरकार और जनता के बीच इस महाघोटाले उजागर किया जा सकता है। जिस सन्दर्भ में हम सभी आज जिलाधिकारी कानपुर नगर को निष्पक्ष जाँच करने के लिए ज्ञापन दिया जा रहा। कम्पनी ,अधिकारी व  किरण लोधी जो कि नमामि गंगे सदस्य ने पूर्व में जान से मरवाने की दी गई थी धमकिया। किरण लोधी के घर पर टाइल्स जो बिछे है।नमामि गंगे और जलनिगम के अधिकारियों ने क्यो लगवाए टाइल्स। जांच के दौरान कही जरूरत पड़ती है । सारे साक्ष्यों, सबूतों के साथ जिलाधिकारी पास उपलब्ध कराएंगे।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से नरेन्द्र कुमार मिश्रा (प्रदेश अध्यक्ष), डॉ बिपिन शुक्ला (प्रदेश महामंत्री), महेन्द्र सिंह (प्रदेश उपाध्यक्ष), सुमन गुप्ता (प्रदेश अध्यक्ष, वीरांगना वाहिनी), आशुतोष शुक्ला(महानगर अध्यक्ष), अंकित बाजपेई ( महानगर उपाध्यक्ष), विवेक त्रिपाठी(महानगर महामंत्री), ऋषि त्रिपाठी, सुरेश कुमार शर्मा, पवन कुमार तिवारी, प्रदीप कुमार, मनी मिश्रा, सूरज साहू, सिद्धार्थ मिश्रा, गोलू गुप्ता, राहुल सेन।


दल बदलू नेताओं का हाल भी जानेंं

रवि चौहान


नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए मतगणना जारी है। इस बार दिल्ली में कई नेताओं ने चुनाव से पहले पाला बदल लिया था और चुनाव के वक्त अपनी पार्टी छोड़कर टिकट की फिराक में दूसरी पार्टियों में चले गए। कई नेता पहले ही अपनी पार्टी छोड़ चुके थे। इस बार ऐसे नेताओं को जनता ने क्या संदेश दिया। कैसा जनादेश रहा। हम आपको विस्तार से बताएंगे।


अलका लांबाः ताजा जानकारी के मुताबिक चांदनी चौक से अलका लांबा इस वक्त पीछे चल रही हैं।


कभी आम आदमी पार्टी की बड़ी नेताओं में शामिल रहीं अलका लांबा चुनाव से पहले AAP छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गई। वो 2015 में AAP के टिकट पर चांदनी चौक से चुनाव जीतकर विधायक बनीं थी। इस बार वो कांग्रेस के टिकट पर चांदनी चौक से चुनाव लड़ रही हैं। 


प्रहलाद साहनीः अलका लांबा AAP से कांग्रेस में आ गईं तो यहां से कांग्रेस उम्मीदवार प्रहलाद साहनी AAP में आ गए। इस बार में AAP के टिकट पर चांदनी चौक से चुनाव लड़ रहे हैं।


कपिल मिश्राःः मॉडल टाउन से बीजेपी कैंडिडेट कपिल मिश्रा भी पीछे चल रहे हैं।


कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी से बीजेपी में आए हैं। कपिल मिश्रा ने पिछला विधानसभा चुनाव AAP के टिकट पर लड़ा था। लेकिन बाद में सीएम अरविंद केजरीवाल से अनबन के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी।


आदर्श शास्त्रीः-द्वारका सीट से कांग्रेस कैंडिडेट आदर्श शास्त्री पीछे चल रहे हैं।


2015 के विधानसभा चुनाव में आदर्श शास्त्री ने द्वारका सीट से 40 हजार वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। इस बार आप ने उनका टिकट काट दिया। इसके साथ ही यहां तेजी से समीकरण बदले। आदर्श शास्त्री कांग्रेस में गए। उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया है।


विनय मिश्राः द्वारका सीट पर एक और रोमांचक फेरबदल हुआ, यहां पर कांग्रेस के नेता रहे विनय मिश्रा AAP में आ गए हैं। आप ने उन्हें द्वारका सीट से टिकट दिया है।


राजकुमारी दिल्लनः राजकुमारी दिल्लन कांग्रेस की नेता हुआ करती थीं। लेकिन इस बार चुनाव से पहले वे AAP में आ गईं। उन्हें AAP ने इस सीट से टिकट दिया गया है।


अनिल वाजपेयीः गांधी नगर से अनिल वाजपेयी आगे चल रहे हैं


अनिल वाजपेयी पिछली बार गांधी नगर सीट से AAP के टिकट पर चुनाव जीते थे। वे इस बार बीजेपी के टिकट से मैदान में हैं। राम सिंह नेता जी। बदरपुर सीट से कांग्रेस के नेता रहे राम सिंह नेता जी को इस बार AAP में हैं। उन्हें AAP ने टिकट दिया है। शोएब इकबाल: शोएब इकबाल 2015 में कांग्रेस से उम्मीदवार थे। इस बार वे आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।


पटना जंक्शन की सौर ऊर्जा से आपूर्ति

पटना। पटना जंक्शन के सभी प्लेटफॉर्म सहित ऑफिस की बिजली आपूर्ति अब सौर ऊर्जा से होने जा रही है। जंक्शन की छतों पर लगाए गए सोलर पैनल से हर महीने 4 लाख से अधिक की बिजली उत्पन्न हो रही है। अकेले पटना जंक्शन के सामने के भवनों पर लगाए गए सौर ऊर्जा प्लांट ठंड के दौरान 35 हजार यूनिट बिजली बना रहे हैं। गर्मी के दौरान या 3 गुना तक बढ़ जाती है।


कितनी है खपत


पटना जंक्वशन पर हर महीने करीब ढाई लाख यूनिट बिजली की खपत है। जो सोलर पैनल के उत्सर्जन से 1.25 लाख यूनिट तक पहुंच जाता है। इस हिसाब से यह चार लाख तक पहुंच जाता है। अब प्लांट को धीरे-धीरे बढ़ाने की तैयारी है। अभी रेलवे हर माह बिहार से सिर्फ पटना जंक्शन के लिए औसतन 10 से 15 लाख रुपये की बिजली खरीदता है। वहीं सोलर पैनल से 1 से 4 लाख की बिजली उत्सर्जित हो रही है। यह लगातार बढ़ने की संभावना है।


16 कंपनियों से हुआ करार
16 कंपनियों से हुए करार की मानें तो 5 वर्ष बाद सभी रेलवे जंक्शन पर सरकारी बिजली की खपत न के बराबर हो जाएगी। रेलवे से प्राप्त जानकारी की माने तो पिछले 3 महीने में पटना दानापुर राजेंद्र नगर टर्मिनल के साथ डीआरएम ऑफिस में लगे पैनल ने 7.08 लाख रुपये बचाए हैं।


डिमेंशिया से तो नहीं जूझ रहे आप

डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश एक ऐसा मानसिक विकार है जो कि इंसान की सोचने और याद रखने की क्षमता धीरे-धीरे कम कर देता है। यह समस्या तब होती है जब तनाव, अवसाद या अल्जाइमर दिमाग को नुकसान पहुंचाता है। मस्तिष्क में कई हिस्से होते हैं, जो मिलकर अलग-अलग काम करते हैं, लेकिन किसी खास बीमारी या आघात के कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है।


मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने से डिमेंशिया हो सकता है और इससे कोशिकाओं के बीच संपर्क की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस विकार के कारण व्यक्ति की याद्दाश्त, व्यवहार और भावनाओं पर असर पड़ता है।


डॉ. रचिता नरसरिया का कहना है कि यह न्यूरॉन यानी मस्तिष्क की कोशिकाओं की गड़बड़ी के कारण होता है। जब मस्तिष्क की स्वस्थ तंत्रिक कोशिकाएं मस्तिष्क की अन्य कोशिकाओं से संपर्क खो देती हैं या उनके साथ काम करना बंद कर देती हैं तो यह स्थिति पैदा होती है।


डिमेंशिया की स्थिति में कई लक्षण सामने आ सकते हैं। जो व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है, उनकी याद्दाश्त पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। याद्दाश्त हद से ज्यादा कमजोर हो जाती है और इसका संकेत यह है कि व्यक्ति बार-बार एक ही सवाल पूछता है। ऐसे व्यक्ति को घरेलू काम करने में कठिनाई महसूस होती है। बात करने में भी दिक्कत का सामना करना होता है और वे सरल शब्दों तक को भूलने लगते हैं। चीजों को रखकर भूल जाना, मूड या व्यवहार में बदलाव, रास्ता भटक जाना भी शामिल हैं।


डिमेंशिया अंत में रोज होने वाली गतिविधियों को पूरा करने की क्षमता को पूरी तरह खत्म कर देता है जैसे कि ड्राइविंग, घर के कामकाज और यहां तक कि खुद के काम जैसे नहाना, कपड़े पहनना और खाना भी।


डिमेंशिया के भी प्रकार हो सकते हैं। इसके लक्षण और गंभीरता को देखते हुए समझ सकते हैं कि यह किस प्रकार का है। डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार अल्जाइमर है। मस्तिष्क में केमिकल रिएक्शन के कारण कुछ प्रोटीन जमा होने से कोशिकाएं नष्ट हो जाती है। डिमेंशिया का दूसरा बड़ा प्रकार है वैस्कूलर डिमेंशिया जो कि रक्त वाहिकाओं के रुक जाने के कारण होता है।


यह स्ट्रोक या मस्तिष्क पर लगी चोट के कारण भी हो सकता है। लेवी बॉडिज डिमेंशिया में कोर्टेक्स में प्रोटीन जमा होने की वजह से होता है। कमजोर याद्दाश्त के अलावा वहम् और असंतुलन से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। पार्किंसन रोग भी डिमेंशिया पैदा कर सकता है। डिमेंशिया के जोखिम के कारकों में सबसे पहला है उम्र बढ़ना। लाइफस्टाइल भी जोखिम पैदा करता है। शारीरिक आलस, ज्यादा शराब का सेवन, धूम्रपान इस खतरे को बढ़ाता है।


इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। स्वस्थ आहार लेकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। साबुत अनाज, फल, सब्जियों का भरपूर सेवन करें। आहार में कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, कैल्शियम, फाइबर और मैग्नीशियम का अधिक सेवन करें। नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करें और साथ ही मानसिक गतिविधियों पर ध्यान दें। मस्तिष्क को सक्रिय रखने से कोशिकाओं के बीच संपर्क को मजबूत किया जा सकता है। इससे मानसिक शक्ति बढ़ती है।


बोतल के दूध के नुकसान और फायदे

नीरज जिंदल


शिशु के जीवन के पहले छह महीनों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह देता है ताकि मां के दूध से बच्चे को कई लाभ मिल सकें। कई शोधों में साबित हुआ है कि मां का दूध नवजात के लिए सर्वश्रेष्ठ है। मां का दूध शत-प्रतिशत सुरक्षित है। स्तनपान से आगे के जीवन में बच्चों को मधुमेह, रक्त कैंसर और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है।


मां का दूध वसा, चीनी, पानी और प्रोटीन के संतुलन के साथ बच्चों के लिए बेहद पौष्टिक है। ये सभी पोषक तत्व बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं। साथ ही इसके सेवन से बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। खास बात है कि शिशु को मां के दूध से कोई एलर्जी नहीं होती है।


स्तनों में दूध की कमी, किसी चिकित्सीय समस्या के कारण हर महिला बच्चे को सामान्य रूप से स्तनपान नहीं करवा पाती है। ऐसी स्थिति में बच्चे को बोतल का दूध पिलाने का विकल्प है।


बोतल से दूध पिलाने के कुछ फायदे भी हैं, जिसमें पहली बात तो यह है कि स्तनपान कराते समय के दर्द से मुक्ति मिलती है। घर से बाहर मां को स्तनपान कराने में शर्मिंदगी महसूस होती है, लेकिन बोतल के दूध में उन्हें आसानी होती है और बच्चा भी भूखा नहीं रहता है। इसके अलावा बोतल से दूध पिलाते समय बच्चे की सही खुराक के बारे में जानकारी रहती है। बड़ी बात यह है कि घर का कोई भी सदस्य बोतल से बच्चे को दूध पिला सकता है। लेकिन बोतल के दूध के नुकसान भी हैं। सबसे बड़ी बात तो इससे पूर्ण पौष्टिकता नहीं मिल पाती है, क्योंकि मां का दूध ही उचित मात्रा में पौष्टिकता प्रदान करता है। यह आसानी से पच जाता है, लेकिन बोतल से डिब्बे वाले दूध को पीने से बच्चों में मोटापे की समस्या हो सकती है। डिब्बे वाले दूध में मां के दूध की तरह रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने वाले तत्व नहीं होते हैं।


बोतल के दूध को पीने से यूरीन इन्फेक्शन, दस्त, सीने और कान में इन्फेक्शन की शिकायत हो सकती है। स्तनपान से मां और बच्चे के बीच गहरा रिश्ता पनपता है, लेकिन बोतल के दूध को पिलाने से वह उस तरह के स्नेह का अनुभव नहीं कर पाते हैं। बच्चे को जब भी जरूरत हो तो मां का दूध आसानी से उपलब्ध हो सकता है, लेकिन बोतल का दूध कई तैयारियों के साथ बनता है। साथ ही हाइजीन का बहुत ध्यान रखना होता है। बोतल का दूध पिलाने की सबसे पहली शर्त ही यह है कि हर बार बोतल को पहले गर्म पानी से धोएं।


वायरस से मरने वालों की संख्या 1016

नई दिल्ली। चीन में कोरोना वायरस अपना कहर बरपा रही है। कोरोनावायरस की चपेट में आने से अब तक चीन में मरने वालों की संख्या 1016 हो गई है। इसके साथ ही 4000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं। ऐसे में इस वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या अब तक 42,600 तक पहुंच गई है। इससे पहले चीन में कोरोना वायरस से रविवार को एक ही दिन में 97 लोगों की मौत हो गई जो कि एक दिन में हुई सबसे अधिक मौतों का आंकड़ा था। वहीं रविवार को 4008 नए केस सामने आए, जिसमें 296 मरीजों की हालत काफी गंभीर थी। रविवार को ही 3281 लोगों में संक्रमण खत्म होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब तक 40 हजार से अधिक केस सामने आ चुके हैं। 27 देशों में यह वायरस दस्तक दे चुका है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनफिंग सोमवार को मास्क पहन कर यहां बने कोरोना वायरस शोध केंद्र में पहुंचे और इस बीमारी पर नियंत्रण पाने के उपायों पर चल रहे कामकाज का जायजा लिया। इस बीमारी के सामने आने के बाद राष्ट्रपति पहली बार इस वायरस से निपटने में जूझ रहे लोगों से मिले हैं। वह इस दिशा में चोयांग जिले में शोध के लिए बने केंद्र पर पहुंचे थे। सरकारी जानकारी के अनुसार राजधानी में सोमवार को कामकाज पटरी पर लौटने लगा है।


प्राधिकरत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


फरवरी 12, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-186 (साल-01)
2. बुधवार, फरवरी 12, 2020
3. शक-1941,फाल्गुन - कृष्ण पक्ष, तिथि- तीज, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 07:03,सूर्यास्त 06:04
5. न्‍यूनतम तापमान 8+ डी.सै.,अधिकतम-24+ डी.सै., हल्की बरसात की संभावना।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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'हनुमान मंदिर और अक्षयवट कॉरिडोर' का श्रृंगार

'हनुमान मंदिर और अक्षयवट कॉरिडोर' का श्रृंगार  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज। प्रधानमंत्री के आगमन से पहले अयोध्या की तर्ज पर बड़े हनुमा...