सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

बिटिया हम शर्मिंदा, तेरे कातिल जिंदा

बिटिया हम शर्मिंदा है तेरे कातिल जिंदा है
रजनीकांत अवस्थी
बछरावां/रायबरेली। बिटिया हम शर्मिंदा है तेरे कातिल जिंदा है के नारों के साथ मृतिका वंशिका का शव सड़क पर रखकर बछरावां में हत्या आरोपियों की गिरफ्तारी व फांसी की सजा दिलाए जाने की मांग के साथ  हजारों की संख्या में  लोग सड़कों पर उतर कर जाम लगा दिया है।
आपको बता दें कि, इस दौरान पूर्व सपा विधायक रामलाल अकेला व वर्तमान भाजपा विधायक राम नरेश रावत के बीच झड़प की बात भी सामने आ रही है। हालांकि प्रशासन के अथक प्रयासों से जाम से पीड़ित परिवार को सांत्वना देते हुए निजात दिला दी गई है। विदित हो कि, हरचंदपुर थाना क्षेत्र के गोपाल ढाबा के पास अधजली मिली युवती की लाश के मामले में गिरफ्तारी व आरोपियों को फांसी दिलाए जाने की मांग को लेकर बछरावां प्रयागराज हाईवे को लोगों ने जाम कर दिया है। यही नहीं जमा भीड़ द्वारा प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी के साथ हत्यारों को फांसी की सजा दिलाए जाने की मांग उठाई जा रही है। 
जाम की सूचना मिलते ही जिले के कई थाना प्रभारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच चुके हैं। वहीं कल पुलिस ने शक के आधार पर एक युवक को उठा लिया था, पर अभी तक जांच चल रही है और अभी तक यह पता नही चल पाया है कि, वह युवक इस घटना में शामिल भी है या नही।


13 सदस्यों वाले कमीशन में अकेले भारतीय

डॉ. निरंजन कुमार


वाशिंगटन। भारतवंशी प्रेम परमेश्ववरन को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अमरेकी एशियन और पैसिफिक आइलैंडर के एडवायजरी कमीशन में जगह मिली है। 13 सदस्यों वाले इस कमीशन में प्रेम परमेश्वरन अकेले भारतीय हैं। उन्हें कमीशन के अन्य सदस्यों के साथ उपराष्ट्रपति माइक पेन्स ने पद की शपथ दिलाई। परमेश्वरन ने आयोग में शामिल होने के बाद कहा , ‘‘ मेरे पिता एक छात्र के तौर पर अमेरिका आए थे। एक भारतीय-अमेरिकी होने के नाते मैं इस नियुक्ति से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं इस जिम्मेदारी को गंभीरता से लूंगा।’’ 
अमेरिका में पले बढ़े परमेश्वरम इंडियन मोशन पिक्चर प्रोडक्शन एंड डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी और इरोज इंटरनेशनल के प्रेसिडेंट और चीफ फायनेंशियल ऑफिसर हैं। वे 2015 में ईरोज से जुड़े थे। परमेश्वरन वैश्विक दूरसंचार , मीडिया और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग का अनुभव रखते हैं। वे कोलंबिया बिजनेस स्कूल के फाइनेंशियल स्टडीज प्रोग्राम में भी शामिल हैं।


हिंदी भवन में बसपा की आपात बैठक

6 को बसपा की हिंदी भवन में आपात बैठक।
देहरादून। बहुजन समाज पार्टी की 6 फरवरी को आपात बैठक दोपहर 1:00 बजे हिंदी भवन परेड ग्राउंड देहरादून में की जानी सुनिश्चित की गई है। बैठक में मुख्य अतिथि प्रदेश प्रभारी नरेश गौतम एवं प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शीशपाल सिंह शिरकत करेंगे, जो पार्टी संगठन की समीक्षा करेंगे तथा केंद्र की भाजपा सरकार एवं प्रदेश की भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध भावी रणनीति पर विचार करेंगे।


जिला अध्यक्ष दिग्विजय सिंह बहुजन समाज पार्टी देहरादून ने कहा कि पार्टी के समस्त पदाधिकारी एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता गण व पार्टी के शुभचिंतकों से अनुरोध है कि सभी साथियों के साथ समय पर पहुंचकर पार्टी बैठक को सफल बनाएं।


गंदी शक्ल वाले मर्दों पर रेप के आरोप

बोले- महिलाएं खूबसूरत की अपेक्षा गंदी शक्ल वाले मर्दों पर रेप का आरोप मढ़ती हैं


नई दिल्ली। एक देश के राष्ट्रपति के मुंह से ऐसी बातें शोभा देती हैं? ये वाकई निंदनीय है कि एक देश का राष्ट्रपति कहता है कि महिलाएं रेप का आरोप गंदी शक्ल वाले मर्दों पर लगाती हैं…..खूबसूरत मर्दों पे नहीं।


दरअसल, इक्वाडोर (Ecuador) के राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो ने इक्वाडोर के गुआयाक्विल शहर में आयोजित इकोनॉमिक्स कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यौन शोषण का आरोप हमेशा ही बुरे दिखने वाले आदमियों के लिए ज्यादा खतरनाक होता है। जबकि, खूबसूरत दिखने वाले आदमियों के लिए यह खतरा कम रहता है। लेनिन मोरेनो ने कहा कि यह अच्छी बात है कि महिलाएं यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। लेकिन वह गंदी शक्ल वाले मर्दों पर ही यौन शोषण आरोप मढ़ती हैं जबकि खूबसूरत और स्मार्ट आदमियों के साथ बनाए गए संबंध उन्हें यौन शोषण नहीं लगते।


उधर, अब अपने इस बयान के बाद लेनिन मोरेनो सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे है। उनकी भारी शब्दों में निंदा की जा रही है। जहाँ खुद को ट्रोल होते देख लेनिन मोरेनो ने एक ट्वीट किया है कि जिसमे उन्होने कह है कि यौन शोषण पर मैंने जो बयान दिया था उसका लोग गलत मतलब निकाल रहे हैं। मैं इस विषय की गंभीरता को कम नहीं आंकता| लेकिन अगर किसी को मेरी बात बुरी लगी है तो मैं सभी से माफी मांगता हूं।


केरोसिन डालकर 'पति को जिंदा जलाया'

सुनील पटेल 
सरगुजा। एक शख्स को डबल शादी करना पड़ा महंगा। यह मामला सूरजपुर जिले के कल्याणपुर का है शख्स का नाम प्रेम शंकर पाण्डेय है। जिसने जयनगर थाना क्षेत्र के सरबोका इलाके की रहने वाली मधुलता से कुछ साल पहले शादी की थी। इनके दो बच्चे भी हैं। दोनों का प्रेम संबंध अच्छा था।
फिर कुछ सालों बाद मधुलता, प्रेम शंकर को छोड़कर अपने मायके में रहने लगी। फिर पत्नी के वापस नहीं आने से शख्स ने दूसरी शादी कर ली। गुरुवार को मधुलता ने प्रेम शंकर को अपने घर में बुलाकर प्रेम शंकर पर केरोसिन डालकर उसे जिंदा जलाने की कोशिश की। बुरी तरह घायल पति को मधुलता खुद अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाकर अस्पताल से गायब हो गई। आपको बता दें प्रेम शंकर ने दूसरी शादी कर अपने गांव कल्याणपुर में रहने लगा था। तो दो दिन पहले मधुलता ने पति प्रेम शंकर को बुलाया की उसके साथ वो रहना चाहती है। फिर प्रेम शंकर उसे लेने सूरजपुर जिले के सरभोका गांव पहुंचा।
प्रेम शंकर ने आरोप लगाया है कि यहां उसकी पत्नी मधुलता और साले सुशील ने उसके ऊपर केरोसीन छिड़कर आग लगा दी। उसकी पत्नी ने उसे अस्पताल में एडिमट कराया और भाग निकली। दूसरी पत्नी रमोनिया का आरोप है कि इस घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी पत्नी मधुलता ने उसे जान से मारने की धमकी दी और फिर प्रेम शंकर को अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज में एडमिट भी खुद ही कराया।
मामले में पुलिस सहायता केन्द्र प्रभारी निर्मला कश्यप ने कहा सहायता केन्द्र द्वारा सूचना जयनगर पुलिस दी गई है। क्योंकि जिस सरभोका गांव में बुलाकर प्रेम शंकर को आग के हवाले किए जाने की बात कही जा रही है वो सूरजपुर जिले में आता है।


भ्रष्टाचार का हमाम 'संपादकीय'

भ्रष्टाचार का हमाम    'संपादकीय' 


देश के सभी राज्यों में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर विरोध, धरना-प्रदर्शन के साथ, खूब हो-हंगामा किया जा रहा है। जबकि यह नागरिकता कानून राष्ट्रीय एकता और अखंडता को संजोए रखने में मील का पत्थर साबित होगा। इस विषय को लेकर होने वाला दंगा-फसाद कोरी राजनीति है। इस राजनीति की आग में घी डालने का काम योजनाबद्ध ढंग से किया जा रहा है। इसके पीछे असली चेहरे को बेनकाब करना देश की भ्रष्ट संस्थाओं के बस की बात नहीं है। यह घटिया राजनीति समुदाय विशेष के हितों के प्रतिकूल है। यह बात समझने की आवश्यकता है कि कानून से कौन प्रभावित हो रहा है? हालांकि यह बहुत अधिक महत्व नहीं रखता है। क्योंकि कानून भारत के नागरिकों के हित में निहित है।
 परंतु इस पर देशभर में होने वाले हंगामे के पीछे किसका हाथ है? उन लोगों तक हमारी जांच करने वाली संस्थाएं पहुंच बनाने में विफल साबित हो रही है। हो सकता है कि सत्ता पक्ष का कोई रसूखदार-नामचीन व्यक्ति इस प्रकरण का आधार बना हो। देश में अराजकता फैलाकर कोई विशेष रणनीति बनाई जा रही हो। क्योंकि विपक्ष का कद इतना छोटा हो गया है कि उसकी आवाज चीख-पुकार के बीच कोई भी नहीं सुन पा रहा है। देश की अर्थव्यवस्था रेंग रही है। रोजगार दम तोड़ रहे हैं। आम आदमी के जीवन से जुड़े विषयों से हटकर, असल मुद्दों से अलग राजनीति का क्या औचित्य है? देश में अप्रत्याशित भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चुका है। भ्रष्टाचार के विरोध को आधार बनाने वाली भाजपा ही भ्रष्टाचार में अव्वल है। आधार-बिंदु से भटकी भाजपा को दिल्ली-विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ेगी। बल्कि कई राष्ट्रीय नेताओं के लिए यह पराजय टीस बनकर रहेगी। कुछ नेता तो इस टीस को साथ लेकर ही जिएंगे। जिन्होंने विचारधारा को प्रवाहित करने का कार्य किया है। वे लोग बुझे मन से साथ है और उनके कदमों की ताल धीमी पड़ गई है। क्योंकि वह सब लोग समझ चुके हैं कि 'भ्रष्टाचार के हमाम में सब नंगे' है।


राधेश्याम 'निर्भय-पुत्र'


पतित-पावन 'उपन्यास'

पतित पावन       'उपन्यास' 
गतांक से...


जया के संबोधन से चारों तरफ सन्नाटा पसर गया था। 
सन्नाटे के भीतर संवेदना जागृत हो गई थी। इन चंद शब्दों के प्रहार से भावनात्मक प्रक्रिया विश्लेषक हो रही थी, रह-रहकर विश्लेषण हो रहा था। मन में कई प्रकार के सवाल घर कर रहे थे। यह किसी एक विशेष के लिए नहीं था, जो लोग वहां पर उपस्थित थे। उन सब के जेहन में कई सारे सवाल घर कर गए थे। गलूरी कुछ समय तक जया को ताकता रहा, भांपता रहा, फिर कुछ लंबी सांस लेकर गलूरी ने कहा- बेटी तू क्यूँ व्याकुल हौवै? बता के चाह?
जया ने भावनात्मक आवरण को तोड़कर गलूरी की तरफ देखा और बड़े शांत स्वभाव में शालीनता के साथ कहा- पिताजी क्या मजदूरों को इनके भरपेट अनाज नहीं मिलना चाहिए, यह लोग कितनी यातनाएं झेलते हैं, कितनी दुत्कार के बाद भी कितने कष्ट सहकर, कितना कठोर परिश्रम करते हैं। किंतु इन्हें प्रताड़ना के अलावा और कुछ नहीं मिलता है। क्या इन्हें भरपेट खाना नहीं मिलना चाहिए? सबसे अहम बात यह कि ये लोग ही हमारा वजूद है। दिन-रात हमारे खेतों में काम करते हैं। अगर किसी प्रकार की कोई समस्या आ जाती है तो उस समस्या के सामने सबसे पहले यही खड़े होते हैं। यह लोग खेत से जुड़ी हुई हर चिंता और समस्या के सामना करने के लिए तत्पर रहते हैं। दिन-रात, सर्दी-गर्मी, बरसात से फसलों को बचाकर उन्हें धन-धान के रूप में बदल देते हैं और इन्हें बदले में इनके सुख के लिए क्या मिलता है? भूखे पेट रहना,  इनका भरण-पोषण भी नहीं होगा तो क्या यह काम कर पाएंगे? गलूरी मुस्कुरा कर बोला- आज मुझे पता चल गया, मारी लड़की लाखों में एक है, बेटी तू सही कहरी। जो कुछ तूने कहा आज के बाद वही होगा। 
जया मंद-मंद मुस्कुराने लगी उसकी मुस्कुराहट से आंखों मे चमक आ गई, सभी मजदूर विश्मय में भरी नजरों से जया की ओर देखते थे। मन में यही विचार आ रहा था कि 12 वर्ष की छोटी सी लड़की कितनी उत्तम वक्ता है, उसके पास कितनी अच्छी समझ है। सुंदरता के साथ-साथ कितनी बुद्धिमान है? वास्तव में जया को देवी स्वरूप समझने लगे थे। इतने महान विचार किसी अलौकिक शक्ति के ही हो सकते थे। इस प्रकार के विभिन्न-विचार और कल्पनाओ के वाक्य सभी के दिमाग में घूम रहे थे। अपने पिता जी से संतुष्ट होकर जया, कल्पना के पास चली गई। कल्पना बहुत डरी हुई थी। वैसे वह बार-बार आंखें चुरा रही थी फिर कंप-कपाती आवाज से लड़-खडाती हुई कल्पना ने कहा- तुम्हारे लिए तीतली पकड़ी थी उड़ गई, दांटोकी तो नहीं।
 जया ने मित्र प्रेम से ओतप्रोत होकर कहा- और पकड़ेंगे, इसमें डरने की क्या बात है। तुम बहुत अच्छी हो मेरे साथ पढ़ा करना। दोनों एक साथ रहेंगे और मुझे पता लग गया कि तुम बहुत अच्छा गाती भी हो। 
कल्पना ने शांत स्वर से कहा- कभी-कभी। 
जया ने निवेदन पूर्ण कहा- हमें भी गाकर सुनाओ। 
कल्पना ने कुछ मुंह बना कर कहा- आज नहीं फिर कभी। 
इसी अंतराल में माधुरी ने जया को स्नेह पूर्ण आवाज लगाकर बुला लिया। कई दिनों तक जया गांव में चर्चा का विषय बनी रही। कई लोग उसे इस बदलाव का कारण मानते थे। कई लोग उसे आलौकिक शक्ति समझ रहे थे। लोगों के दिमाग में तरह-तरह के विचार और कल्पनाएं थी। लेकिन जया ने मेहनतकश मजदूर लोगों को एक राहत का अहसास कराया था। मजदूर वर्ग जया के प्रति समर्पित हो गया था। बल्कि यूं कहिए कि जया के प्रति एक सम्मान उनके मस्तिष्क में घर कर गया था। उनकी आत्माओं से जया के लिए शुभाशीष निकलते थे। सभी ने जया को मन से आशीर्वाद दिए थे और आश्चर्य था। सब कहते भी थे गलूरी के यहां किसी देवी का अवतरण हुआ है। इस प्रकार के सम्मान को पाकर, लोगों की आंखों में अपने प्रति इतना आदर और सम्मान मिलने के बाद गलूरी और माधुरी का हृदय गदगद हो उठा। उन्हें आत्म संतुष्टि का एक विशेष एहसास हो रहा था। इसके पीछे वास्तविकता यही थी की जया को सुंदर होने के साथ-साथ अत्यंत गुणवान और असाधारण व्यक्तित्व की स्वामित्तव प्राप्त था। उसमें दया-करुणा कूट-कूट कर भरा था। प्रबल बुद्धि होने के कारण अल्प आयु में ही जया ने अपार ख्याति प्राप्त कर ली थी। आसपास के गांव में दूरदराज लोगों तक जया के द्वारा किए गए कार्य सराहना पा रहे थे। साथ ही जया विद्यालय में अपनी कक्षा में सर्वोत्तम विद्यार्थी के रूप में प्रतिस्थापित भी हो रही थी। कभी-कभी तो अध्यापक भी असमंजस में पड़ जाते थे कि इस प्रकार की प्रतिभा और दृष्टि अवलोकन असामान्य ही है। यह एक सामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर होते हैं। इसी के चलते जया कभी विद्यालय में कोई डांट नहीं खाती थी। उसके साथ अध्यापकों का, आचार्यों का व्यवहार इतना विनम्र और आदर पूर्ण था कि जया को कोई भी विषय अथवा प्रश्न् दुविधा में नहीं डाल सकता था।
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कल्पना ने जैसे ही कमरे के भीतर प्रवेश किया चारों तरफ बैठने के लिए मुढ्ढे पड़े हुए थे। एक मुढ्ढे पर जय बैठी थी। कल्पना ने जया की तरफ देखा। जया ने खड़े होकर बड़े स्नेह के साथ कहा- आओ-आओ डरो नहीं, यहां बैठो। अभी तो 3:30 ही बजे हैं मैंने तुम्हें 4:00 बजे बुलाया था। कल्पना भयभीत सी बोली- कहीं देर ना हो जाए, जल्दी आ गई। जाऊं बाद में आ जाऊंगा। 
जया ने रौब से कहा-क्यों? कल्पना ने उसी मुद्रा में कहा- तुम्हे मेरी वजह से कोई दिक्कत ना हो जाए। जया ने विनम्रता से कहा- कोई बात नहीं बैठ जाओ, खाना खाकर आई है, या यूं ही चली आई है? 
कल्पना ने उसी मुद्रा में गर्दन हिलाते हुए कहा-हूं।
 इतना ही कह पाई थी उसने पलके उठा कर वातावरण को नापने की भांति दृष्टि घुमा कर कहा- आचार्य मारेंगे तो नहीं, पहली बार पढ़ने आई हूं,इसलिए थोड़ी सी डर रही हूं। 
जया ने मित्र स्नेह की मुद्रा में कहा- डरने की कोई जरूरत नहीं है, आचार्य तुम्हें खा नही जाएंगे, हम भी तुम्हारे साथ ही हैं और वैसे भी तुम बहुत बुद्धिमान हो, आचार्य को बहुत ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ेगा।


कृत:- चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भय-पुत्र'


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