सोमवार, 27 जनवरी 2020

अंबाला बस स्टैंड का बदला जाएगा नाम

अंबाला बस स्टैंड का बदला जाएगा नाम, सुषमा स्वराज के नाम पर होगा


अमित शर्मा


अंबाला। हरियाणा की मनोहर सरकार ने अंबाला शहर के बस स्टैंड को लेकर नया फैसला किया है। बस स्टैंड का नामकरण पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज के नाम पर करने का निर्णय लिया है। हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस आशय के एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। उन्होंने बताया कि अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक असीम गोयल ने एक पत्र के माध्यम से इस बस अड्डा का नाम सुषमा स्वराज के नाम पर रखने का आग्रह किया है।


गणतंत्र दिवस पर की वॉलीबॉल प्रतियोगिता

कोंडागांव। आईटीबीपी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर बॉलीबाल प्रतियोगिता का आयोजन  किया। इसमें 16 गांव की टीमों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में फाइनल मैच ग्राम खजरावड़ और आईटीबीपी के बीच हुआ। इसमें खजरावड़ की टीम विजेता रही। इनको मुख्यअतिथि आईटीबीपी के 29वाहिनी के कमांडेंट समरबहादुर सिंह ने पुरस्कृत किया। कमांडेंट समरबहादुर सिंह ने सभी खिलाड़ियों को खेल के प्रति जागरूक किया। इस अवसर पर कमांडेंट मुकेश कुमार वर्मा,रेफरी महेंद्र, उपनिरीक्षक रणजीत, उप निरीक्षक रामनरेश, उपनिरीक्षक प्रमोद सहायक, उप निरीक्षक अशोक, हवलदार हरबिलास, सिपाही जोगेंद्र, सुजीत,समर, श्यामलाल, चंदा, उपस्थित थे।


भाजपा का गम 'संपादकीय'

भाजपा का गम     'संपादकीय'
 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विधानसभा-चुनाव भाजपा के लिए चुनौती से भी बढ़कर है। दिल्ली विधानसभा-चुनाव में दो बार भाजपा को बौनें कद का एहसास कराया जा चुका है। पिछले विधानसभा-चुनाव में भाजपा की खूब किरकिरी हुई थी। जबकि उस दौर को 'भाजपा का स्वर्णिम दौर' कहा जाने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए। देश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा कमल खिलाने में सफल रही। संपूर्ण भारत में भाजपा ने कुल 84% क्षेत्र में एकछत्र शासन स्थापित करने में महारत हासिल कर ली थी। वजह चाहे जो भी रही हो। आज भाजपा 35% राज्यों में सत्ता प्राप्त करने में सफल रही है। दिल्ली विधानसभा-चुनाव में गृहमंत्री अमित शाह को दायित्व सौंपा गया है। लेकिन दिल्ली फतह करना भाजपा के लिए 'टेढ़ी खीर' ही नजर आ रही है। अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक नीतियां विपक्षियों पर एक बार फिर भारी पड़ने वाली है। जनता को मिलने वाली सुविधाओं के बलबूते आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार निर्वाचित होने का रास्ता और यात्रा बहुत छोटी हो गई है। दिल्ली में भाजपा की जद्दोजहद कुछ लाभकारी सिद्ध अवश्य होगी। दिल्ली की जनता विवेकपूर्ण निर्णय लेने में माहिर है। जिसका प्रमाण भी रहा है कि भाजपा की 31 सीटों पर जीत के बाद पुनः चुनाव होने पर भाजपा को 70 सीटों में से कुल 3 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। हालांकि राजू श्रीवास्तव का हास्य व्यंग उस समय बहुत चर्चित भी रहा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि "भाजपा का यही गम है, पहले चार कम थे, अब 4 से भी कम है। पिछले चुनाव और दिल्ली सरकार का सेवा-भाव जनता के मन में घर कर चुका है। जिसको निकालने या कम करने का सतत प्रयास दिल्ली भाजपा के द्वारा नहीं किया गया है। गृहमंत्री का प्रयास भाजपा को बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। लेकिन प्रत्याशियों की छवि और लोकप्रियता राह का बड़ा कांटा साबित होंगे।


राधेश्याम 'निर्भय-पुत्र'


प्रदर्शनकारियों के मुकदमे वापस ले सरकार

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने सूबे की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने की मांग की। साथ ही बसपा सुप्रीमो ने विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद देने के लिए भी सरकार से मांग की है।


मायावती ने एक ट्वीट में कहा, “सीएए और एनआरसी के विरोध में संघर्ष करने वाली महिलाओं समेत जिन लोगों के भी खिलाफ उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा गलत मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हें तुरंत वापस लिया जाए और इस दौरान जिनकी जान गई है, सरकार उनकी भी उचित मदद करे। यह बसपा की मांग है।”


इससे पहले मायावती लखनऊ विश्वविद्यालय में सीएए को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने को लेकर विरोध दर्ज करा चुकी हैं। उन्होंने कहा था, “सीएए पर बहस आदि तो ठीक है, लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित है। बसपा इसका सख्त विरोध करती है तथा प्रदेश में सत्ता पर आने के बाद इसे अवश्य वापस लेगी।


30 तक बर्फबारी, ओलावृष्टि, बरसात

देहरादून। आज सोमवार को पूरा दिन आकाश में काले बादल घिरने से जहां पहाड़ों में जबरदस्त ठंड का प्रकोप रहा, वहीं मौसम विभाग के अनुसार 28 व 29 जनवरी को भी हालात ऐसी ही बनी रहेगी। मौसम विभाग ने कल 28 जनवरी को अल्मोड़ा, नैनीताल, देहरादून, पौड़ी, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में ओलावृष्टि की संभावना व्यक्त की है। वहीं कुछ स्थानों पर हल्की बारिश तथा ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी भी हो सकती है। 2500 मी. तथा उससे ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना जाहिर की गई है। 29 जनवरी को भी हालत कुछ ऐसी ही रहेगी।उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जिले में 3000 मीटर और उससे अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी की संभावना है। नैनीताल, देहरादून, पौड़ी, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में ओलावृष्टि की संभावना है। 30 जनवरी को भी कुछ जगह बादल छाए रह सकते हैं, लेकिन बारिश की संभावना कम है। अलबत्ता माह का आंखिरी दिन यानी 31 जनवरी को सूर्य देवता के दर्शन होने की संभावना जाहिर की गई है।


बड़े समूहों के साथ त्रिस्तरीय समझौता

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में लोगों की भलाई और स्थायी शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबंधित संगठन नेशनल फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) से संबद्ध सभी धड़ों और असम सरकार के साथ साेमवार को यहां एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में यहां गृह मंत्रालय में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद साेनोवाल और एनडीएफबी के प्रतिनिधियों के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।


अमित शाह ने इस मौके पर कहा कि यह महत्वपूर्ण समझौता असम और बोडो समुदाय के लोगों के लिए एक स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित करेगा। वर्षों से चली आ रही शत्रुता को समाप्त करने में मदद मिलेगी क्योंकि एनडीएफबी में शामिल नौ धड़ों ने इसमें हिस्सा लिया है और 30 जनवरी को 1550 कार्यकर्ता हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करेंंगे। शाह ने कहा,“ गृह मंत्री होने के नाते मैं सभी प्रतिनिधियाें को आश्वस्त कराना चाहता हूं कि किए गए सभी वादाें को तय समय सीमा में पूरा किया जाएगा।


कांग्रेस में वापसी का सवाल नहींः रावत

नैनीताल। नैनीताल चिड़ियाघर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट और कांग्रेस में वापसी की बात से जवाब दिया। हरीश रावत की ट्वीट का हवाला देते हुए उनसे पूछा गया कि हरदा ने कहा है कि वह किसी की वापसी में बाधा नहीं बनेंगे। इस पर हरक सिंह रावत ने कहा कि वापसी का सवाल ही नहीं है। कहा कि जब पार्टी में हालात बेहद खराब हो गए थे, तब हरीश रावत को हर स्तर पर समझाने की कोशिश की गई थी। पार्टी पदाधिकारियों की उपेक्षा पर भी उनसे सवाल किए गए थे। लेकिन तब उन्होंने एक न सुनी, जिसके कारण कांग्रेस छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा। हालांकि उन्होंने हंसते हुए यह भी कहा कि राजनीति में ना तो कोई स्थायी दोस्त होता है और ना ही स्थायी दुश्मन। कहा कि उनकी हरीश रावत के साथ कोई व्यक्तिगत नाराजगी या तनातनी नहीं है। जो कुछ है राजनीतिक है। उल्लेखनीय है कि हरक सिंह रावत उन नौ विधायकों में शामिल थे जिन्होंने 18 मार्च 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार में मंत्री होते हुए भी बगावत कर बगावत कर भाजपा के लैटर पैड पर राज्यपाल को समर्थन वापस लेने का पत्र सौंपा था, जिसके बाद हरीश रावत को कुछ समय के लिए अपदस्थ होना पड़ा था और राज्य को राष्ट्रपति शासन भी झेलना पड़ा था। बाद में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों से हरीश रावत की सरकार बहाल हो पाई थी। इन नौ कद्दावर नेताओं के भाजपा में आने के बाद कांग्रेस काफी कमजोर हुई और पिछले विधानसभा चुनावों में 70 सदस्यीय विधानसभा में 11 की संख्या पर सिमट गई, लेकिन इन नेताओं के भाजपा में होने के बावजूद खासकर हरक सिंह के कई बयानों से बागियों के कांग्रेस में वापसी की चर्चाएं भी होती रही हैं।


कौशाम्बी: 'पीएम' नेहरू की जयंती मनाई गई

कौशाम्बी: 'पीएम' नेहरू की जयंती मनाई गई  गणेश साहू  कौशाम्बी। जिला कांग्रेस कार्यालय में कौशाम्बी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष गौरव पाण्डे...