पैर में 15 सेमी. फ्रेक्चर एवं सूजन की वजह से कीचड़ से ना उठ पाने के कारण हुई मादा हाथी की मौत मामले में प्रभारी वनमंडलाधिकारी डी.डी.संत का सस्पेंशन को कटघोरा वनअमला ने बताया अनुचित
कोरबा। कटघोरा के केंदई रेंज अंतर्गत ग्राम कुल्हड़िया गाँव के समीप साल्ही पहाड़ के नीचे 28 दिसंबर को हुए एक मादा हाथी की मौत मामले में हाथी के सीधे पैर में 15 सेंटीमीटर फ्रेक्चर एवं सूजन होने के कारण कीचड़ से ना उठ पाने की वजह से डॉक्टरों की टीम ने हाथी का मौत होना बताया।हालाकि हाथी के मौत का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्पष्ट होगा।लेकिन जिस स्थान पर हाथी की मौत हुई वह एक खेत है जो बांगों डुबान क्षेत्र के अंतर्गत आता है।और जहाँ हमेशा कीचड़ बना रहता है।उक्त स्थान पर लगभग डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर पहुँचना पड़ता है।उक्त कारणों से मौके पर एक्सीवेटर ना पहुँच पाने के कारण वनअमला का रेस्क्यू ऑपरेशन विफल रहा।और घायल मादा हाथी के कीचड़ से उठ ना पाने की वजह से मौत हुई।जहाँ पर हाथी की मौत हुई वहाँ लगभग 300 मीटर के दायरे में 45 हाथियों का दल लगातार 4 से 5 दिनों तक भ्रमण कर रहा था।मामले में बिना वास्तविकता जाने शासन द्वारा सीधे तौर पर प्रभारी डीएफओ डी डी संत का संस्पेंशन किये जाने को लेकर विभागीय अमला द्वारा कार्यवाही को अनुचित बताया जा रहा है। वन शासन के पास डॉक्टर एवं वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट नही आपको बता दें कि राज्य शासन और वन विभाग के पास मौजूदा समय में कोई भी एक्सपर्ट डॉक्टर और वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट नही है।पूर्व में दो एक्सपर्ट डॉक्टर थे।जिन्हें भी उनके मूल विभाग में वापस भेज दिया गया।जिसके कारण हाथी सहित अन्य घायल जानवरों को समय पर उचित उपचार नही मिलने के कारण उनकी असमय मौत हो जाती है। प्रभारी डीएफओ संत रहे नेताओं के निशाने पर।
स्थानीय स्तर के कुछ नेताओ द्वारा विभागीय स्तर पर कराए गए निर्माण कार्यों को लेकर घटिया निर्माण के कारण प्रभारी डीएफओ डी डी संत द्वारा उनका बिल भुगतान राशि रोक दिए जाने को लेकर वे नेताओं के निशाने पर रहे।डी डी संत के सस्पेंशन पश्चात वर्तमान में जांजगीर के प्रभारी डीएफओ (एसडीओ) जितेंद्र उपाध्याय को कटघोरा वनमंडल का प्रभार सौंपा गया है।जहाँ स्थानीय नेताओं के भुगतान राशि का रास्ता अब उन्हें क्लियर दिख रहा है।सम्भवतः संत पर गिरे गाज को उक्त नजरिये से भी जोड़कर कटघोरा वनमंडल में देखा जा रहा है।