सोमवार, 30 दिसंबर 2019

नहीं भरेंगे एनपीआर, क्या करेंगे आप

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को साफ-साफ शब्दों में कहा है कि वह नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) नहीं भरेंगे। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक लखनऊ में पूर्व सीएम अखिलेश यादव का कहना है कि यदि जरूरत पड़ी तो मैं पहला ऐसा व्यक्ति बनूंगा, जो किसी भी फॉर्म को नहीं भरेगा। लेकिन सवाल यह है कि आप समर्थन करेंगे या नहीं। यादव ने आगे कहा कि हम नहीं भरते एनपीआर, क्या करेंगे आप?


नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में भड़की हिंसा के बीच अब एनपीआर को लेकर सभी विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। एक तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सीएए के खिलाफ हुई हिंसा के आरोपियों के समर्थन में सड़कों पर हैं। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने एनपीआर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अखिलेश यादव का कहना है कि वह खुद और न ही समाजवादी पार्टी का कोई कार्यकर्ता इस एनपीआर को भरेगा। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को रोजगार चाहिए ना कि एनपीआर। एनपीआर और एनआरसी हर गरीब और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। हमें पहले कांग्रेस ने नहीं गिना, अब भारतीय जनता पार्टी भी नहीं गिन रही है। अखिलेश यादव ये बातें समाजवादी छात्रसभा की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही है।


राजनीतिः रद्द किए कोल ब्लॉक आवंटन

अब्दुल सलाम कादरी 


रांची। केंद्र सरकार ने चार राज्यों के छह कोल ब्लॉक आवंटन को रद्द कर दिया है। शुक्रवार को कोयला मंत्रालय की ओर राज्य की बिजली उत्पादन कंपनियों के साथ छह ब्लॉकों के आवंटन को रद्द कर दिया। इनमें झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कोल ब्लॉक शामिल है।चार बिलियन टन कोयले के स्टॉक वाले इन खदानों को 2007-10 के बीच आवंटित किया गया है। बताया जा रहा है कि इस कोल ब्लॉक्स का आवंटन भविष्य की बिजली उत्पादन प्रोजेक्ट के लिए किया गया था। लेकिन इस दिशा में काम आगे नहीं बढ़ने के बाद मोदी सरकार ने इनका आवंटन रद्द कर दिया।


झारखंड के दो कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द
केंद्र सरकार ने कुल 4 बिलिटन टन उत्पादन क्षमता वाले छह कोल ब्लॉक्स का आवंटन रद्द किया है। इसमें झारखंड के दो कोल ब्लॉक है। पहला मोरनी (225.4 मीट्रिक टन कोयला) दूसरा केरंदारी जिसमें 916.5 मीट्रिक टन कोयले का भंडारण है। इसके अलावे महाराष्ट्र का भिखुन माइंस (100 मीट्रिक टन), छत्तीसगढ़ का पिंडराखी (421.5 मीट्रिक टन) और पुता पारोगिया (629.2 मीट्रिक टन) और ओडिशा की बनखुई (800 मीट्रिक टन) माइंस शामिल है।


राजस्व पर पड़ेगा असर
झारखंड में फिलहाल सरकारी खजाने की हालत खस्ता है। कर्ज के बोझ तले दबे झारखंड के पास वेतन-भत्ता देने के लिए भी राशि कम पड़ रही है। ऐसे में कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द होने से राज्य को राजस्व का और नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार का ये फैसला ऐसे समय में आया है जब मौजूदा वित्त वर्ष में कैप्टिव कोयला उत्पादन 25.1 मीट्रिक टन है, जो 2015 में संचालित 42 ब्लॉक्स में हुए 43.2 मीट्रिक टन से बहुत कम है।


हालांकि, रद्द किये गये 6 कोल ब्लॉक की नीलामी कब की जायेगी, इस बारे में मंत्रालय की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गयी है। गौरतलब है कि झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई है। और सत्ताधारी भाजपा 25 सीटों पर सिमट गयी, जबकि जेएमएम-कांग्रेस के गठबंधन ने 45 सीटों पर कब्जा जमाते हुए अप्रत्याशित जीत दर्ज की है।अब झारखंड में बीजेपी सत्ता से बाहर है, वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने झारखंड के दो कोल ब्लॉक समेत कुछ ब्लॉक का आवंटन रद्द कर दिया, जिससे राज्यों को राजस्व की हानि उठानी पड़ेगी।


प्रेमी युगल ने फांसी लगाकर की आत्महत्या

जांजगीर-चाम्पा। डभरा थानांतर्गत छुहीपाली में पिछले एक महीने से किराए के घर में रह रहे प्रेमी जोड़े ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना की सुचना मिलते ही डभरा पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर मामले की जांच में जुट गई है। फिलहाल आत्महत्या के कारण का पता नहीं चल पाया है। बता दें कि मृतक युवक डभरा तहसील में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ था।


विचारधारा-नेतृत्व के दोराहे पर खडी कांग्रेस

पूजा सिंह 


नई दिल्ली। कांग्रेस अपना 135 वां स्थापना दिवस एक ऐसे समय पर मना रही है जब वह विचारधारा और नेतृत्व, दोनों मामलों में दोराहे पर खड़ी है। विचारधारा का मामला तो महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन कर सरकार बनाने के बाद से थोड़ा नरम पड़ गया है, किंतु नेतृत्व का मामला अभी भी उलझा हुआ दिख रहा है। एक तरफ जहां अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने पुत्र राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए उत्सुक नजर आती हैैं, वहीं आम कांग्रेसी नेताओं में एक ऐसी सोच है कि अभी सोनिया गांधी ही कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाले रहें। कांग्रेसी नेताओं का यह भी मानना है कि दिल्ली में विधानसभा के चुनाव के बाद ही कांग्रेस के नेतृत्व के मुद्दे को देखने और समझने की कोशिश की जानी चाहिए। दिल्ली में अगले महीने ही विधानसभा हो सकते हैैं।
कांग्रेसी नेता राहुल को दोबारा अध्यक्ष के लिए तो तैयार हैं, लेकिन काम के तरीके में चाहते हैं बदलाव…
आज कांग्रेस के अंदर जो हलचल मची है उसका एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए कांग्रेसी नेता इस बात के लिए तो बिल्कुल तैयार नजर आ रहे हैैं कि वह राहुल गांधी को ही दोबारा अपना अध्यक्ष चुन लें, लेकिन इसके साथ ही वे राहुल गांधी के कामकाज करने के तौर-तरीके में थोड़ा बदलाव भी देखना चाहते हैं। उनकी एक-एक उम्मीद यह भी है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी, दोनों जल्द ही कांग्रेस कार्य समिति का निष्पक्ष चुनाव कराएंगे। देखना है कि ऐसा हो पाता है या नहीं?
दरअसल कांग्रेस में कार्य समिति के चुनाव हमेशा एक बहुत बड़ी चुनौती रहे हैं। वर्ष 1991 में जब पीवी नरसिंह राव कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तो उन्होंने तिरुपति में अप्रैल 1992 में चुनाव कराए थे। इसके अलावा दूसरी बार सीताराम केसरी ने कोलकाता में अगस्त 1997 में कांग्रेस कार्य समिति के चुनाव कराए थे। कांग्रेस जन यह चाहते हैं कि कार्य समिति के चुनाव के जरिये कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की भूमिका तय हो जानी चाहिए। खासतौर से उन नेताओं के लिए जो नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य नहीं हैैं।
सोनिया गांधी के तकरीबन 20 वर्ष के लंबे अध्यक्षीय कार्यकाल में कांग्रेस में महत्वपूर्ण पद पर ऐसे लोग मौजूद रहे हैैं जो उनके पसंदीदा थे। हालांकि राहुल गांधी ने भी उसी विधि को अपनाते हुए महत्वपूर्ण पदों पर अपने लोगों को बिठाने की कोशिश की, लेकिन उसमें वह पूरी तरह से कामयाब नहीं हुए थे। अब कांग्रेस के जो वरिष्ठ नेता हैं उन्हें डर है कि राहुल गांधी जब कभी वापस आएंगे तो कहीं वह पार्टी में बड़े पदों पर जैसे कार्य समिति के सदस्य, पार्टी के महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों को अपनी पसंद से मनोनीत करना न शुरू कर दें।
जाहिर है कि यदि कार्य समिति का चुनाव होगा तो उसमें वरिष्ठता का एक तरीके से क्रम तय हो जाएगा। कांग्रेस कार्य समिति चुनने का अधिकार ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के 1500 सदस्यों को है जो पूरे देश के विभिन्न राज्यों से आते हैं। कांग्रेस के संविधान के अनुसार कांग्रेस कार्य समिति 24 सदस्य की होनी चाहिए। जिसमें 12 सदस्यों का चुनाव होना चाहिए और 12 सदस्यों को कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत कर सकता है। इन 12 सदस्यों में अल्पसंख्यक, महिलाएं और कमजोर तबके के लोग होते हैं।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पार्टी के अंदर से उठती आवाजों का संज्ञान लेना चाहिए…
एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस कार्य समिति के चुनाव बहुत बार इस बिना पर नहीं किए जाते हैं कि उससे पार्टी में बिखराव हो सकता है और आपसी झगड़े बढ़ सकते हैं। फलस्वरूप कार्य समिति ही कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत कर देती है कि वह समस्त 24 सदस्यों को मनोनीत कर दें, लेकिन आज पार्टी के अंदर से कुछ आवाजें उठ रही हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पार्टी के अंदर से उठती इन आवाजों का संज्ञान लेना चाहिए।
झारखंड विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस में आशा की एक नई किरण आई है। यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ी कांग्रेस को 16 सीटें मिली हैैं। झारखंड चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेसी नेताओं को लगता है कि यदि केंद्रीय नेतृत्व पार्टी में सबको साथ लेकर चले तो राज्यों में नतीजे बेहतर हो सकते हैं।
हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह झारखंड में भी गांधी परिवार की बहुत सक्रिय भूमिका नहीं थी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, दोनों ने प्रचार में हिस्सा तो लिया था, लेकिन गठबंधन के अधिकतर काम हेमंत सोरेन के जिम्मे ही थे। कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारियों के निर्वाह का जिम्मा वहां मौजूद कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह और दूसरे जमीनी नेताओं पर था। कामकाज की इस परिपाटी में कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा कामयाबी मिली है। उम्मीद है कि यह मॉडल आने वाले समय में रहेगा और चलेगा।
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का काम यह है कि वह सबको साथ लेकर चले और जो राष्ट्रीय मुद्दे हैं उस पर एक स्पष्ट नीति तय करे। कार्य समिति के चुनाव होने से उसके जो सदस्य होंगे उनसे भी ऐसी आशा की जाती है कि वे संवेदनशील मुद्दों पर अपनी बात रख रखेंगे। कांग्रेस के अंदर फैसला लेने का अभी जो अधिकार है वह सोनिया गांधी के पास है। उनके सलाहकारों का पार्टी के अंदर या बाहर लोकप्रियता या जनाधार जानने का कोई पैमाना नहीं है।
प्रश्न यह उठता है कि क्या सोनिया गांधी और राहुल गांधी कांग्रेस कार्य समिति का चुनाव करने के लिए तैयार हैं? क्या कांग्रेस दिल्ली में भी एक ऐसी रणनीति अपनाएगी जहां वह पार्टी हित को सब कुछ न मानकर भाजपा के खिलाफ एक गठबंधन तैयार करेगी या फिर उसकी कोई और रणनीति होगी? यह समय ही बताएगा, लेकिन यह समझना आवश्यक है कि कांग्रेस जन और नेहरू-गांधी परिवार का रिश्ता बहुत दिलचस्प ।
एक आम कांग्रेसी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अपनी तमाम शक्ति देने को तैयार है। वह उनकी बातों को मानने को भी तैयार रहता है और उनके निर्देश पर अपना सब कुछ गंवाने को तैयार रहता है। वह कुछ पाने की भी इच्छा रखता है, लेकिन उसकी सिर्फ एक ही चाह है कि कांग्रेस सत्ता से दूर न रहे। यह मंत्र सोनिया गांधी बखूबी समझती हैैं। क्या राहुल गांधी यह कर पाएंगे? कांग्रेस का अध्यक्ष बनना तो आसान है, लेकिन उसके साथ इंसाफ कर पाना एक बहुत बड़ी चुनौती है, जो राहुल गांधी को पूरा करना है। क्या वह इसके लिए तैयार हैैं? यह वह सवाल है जिसका जवाब आने वाले दिनों में ही सामने आएगा।


दर्दनाक हादसे में परिवार के 6 लोगों की मौत

अविनाश श्रीवास्तव


गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में सोमवार सुबह हुए एक दर्दनाक हादसे में छह लोगों की मौत हो गई। लोनी बॉर्डर थाना क्षेत्र की मौलाना आजाद कॉलोनी बेहटा हाजीपुर में एक घर के अंदर शॉर्ट सर्किट होने के चलते आग लग गई। इस घटना में एक ही परिवार के 5 बच्चों समेत छह लोगों की आग में झुलसने के चलते मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि उत्तरांचल विहार कॉलोनी में शार्ट सर्किट के कारण घर में रखा फ्रिज अथवा बैटरी इनवर्टर फटने से आग लग गई जिसमें ताई परवीन (40 उम्र) के साथ सो रहे 5 बच्चों की जलने से मौत हो गई।


आग लगने के बाद आसपास के लोग मौके पर पहुंचे लेकिन तब तक आग विकराल रूप धारण कर चुकी थी और ताई सहित पांचों बच्चे मौत का शिकार हो गए। यह परिवार मूल रूप से बागपत जनपद के जानी गांव का रहने वाला है। गत कई वर्षों से लोनी बॉर्डर थाना क्षेत्र उत्तरांचल विहार कॉलोनी में अपने 100 वर्ग गज के मकान में रहता है। पांचों बच्चों के पिता का नाम आसिफ अली बताया जा रहा। है वह मकान की प्रथम मंजिल पर रहता था, जबकि भूतल पर उसका बड़ा भाई युसूफ अपनी पत्नी परवीन के साथ रह रहा था। बताया जा रहा है यूसुफ और आसिफ अपने गांव में किसी शादी समारोह में गए हुए थे पांचों बच्चे रात में भूतल पर अपनी ताई परवीन के सो रहे थे।


पैन आधार से लिंक कराने का 1 दिन शेष

नई दिल्ली। पैनकार्ड को आधार कार्ड से लिंक करवाने का अब मात्र एक दिन शेष है, अगर आपने अभी तक अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक नहीं कराया है तो 31 दिसंबर 2019 के बाद एक जनवरी से यह अवैध माना जाएगा। वहीं पैन कार्ड को आधार से लिंक नहीं कराएंगे तो आप निवेश या लोन आदि से जुड़ा कोई भी काम भी नहीं कर पाएंगे।


इसलिए विभाग ने एक बार फिर लोगों से पैन कार्ड को आधार से लिंक करवाने की अपील की है। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी।


अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत बैंक अकाउंट, पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करवाना जरूरी कर दिया है, जो लोग ऐसा नहीं करेंगे, उनका पैन कार्ड अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। इसलिए आयकर रिटर्न भरने वाले हर व्यक्ति के लिए पैन से आधार को लिंक करना जरूरी है। इसके लिए विभाग पहले भी कई बार लोगों को समय दे चुका है। लोगों को बार-बार हिदायत दी जा रही है कि वह पैन का आधार से लिंक करवा लें।


अब पैन कार्ड से आधार लिंक करने के लिए लोगों के पास मात्र एक दिन का समय बचा है। पैन कार्ड लिंक नहीं होने की स्थिति में अगली बार से ऑनलाइन आईटीआर (रिर्टन) फाइल नहीं कर पाएंगे। टैक्स रिफंड रुक सकता है, साथ ही, पैन कार्ड अवैध हो जाएगा।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


दिसंबर 31, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-146 (साल-01)
2. मंगलवार, दिसंबर 31, 2019
3. शक-1941, पौष - शुक्ल पक्ष, तिथि- चतुर्थी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 07:15,सूर्यास्त 05:37
5. न्‍यूनतम तापमान -4 डी.सै.,अधिकतम-14+ डी.सै., शीत लहर के साथ बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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