क्रिसमस ," ईसा मसीह का जन्म दिवस जिसने दुनिया को प्रेम का संदेश दिया था।
" ईसा मसीह का जीवन प्रेम और करूणा के लिए समर्पित रहा है।उनके जीवन में द्वेष और घृणा का कोई स्थान नहीं था।चाहे वो उनको यातनाएं देने वाला ही क्यों न रहा हो।ईसा मसीह की ये शिक्षाएँ हर किसी इंसान के जीवन में बहुत महत्व रखती हैं। उनकी शिक्षाओं की आज इसलिए जरूरत है क्योंकि इंसान से इंसान कट रहा है,तब यह जरूरी हो जाता हैं कि समाज में प्रेम करूणा के भावों का अधिकाधिक संचार हो ,इंसान को इंसान से जोड़े ,एक अच्छा समाज बनाए । ईसा ने दुश्मन से भी प्यार करने की बात कही है। ईसा हर किसी के प्रति समान भाव रखते थे।
गुरु होकर अपने शिष्यों के पांव धोकर सेवा की चरम मिसाल पेश की थी। उनके लिए ईश्वर ऐसे प्यारे पिता की तरह थे ,जो भले और बुरे के बीच भी फर्क नहीं करता और सूरज की रोशनी और बारिश का पानी सभी को बराबर देता है। ईसा मसीह का कहना है कि "जैसा व्यवहार आप दूसरों से चाहते है ,वैसा ही व्यवहार उनके साथ भी करें।
"ईसा मसीह का व्यक्तित्व विराट था।हम उनके व्यक्तित्व से,गुणों से,जीवन जीने की कला सीख सकते है।ऐसा करने से हमारा जीवन सुख मय बन सकता है। यदि हम उनके गुणों को जीवन में आत्मसात कर ले तो जीवन सफल हो जाएगा, एक अच्छे इंसान बन सकते है। पहला गुण है क्षमाशीलता का ,ईसा मसीह क्षमाशीलता की प्रतिमूर्ति थे।लोगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया लेकिन वो हमेशा उनको क्षमा करते रहे।जब उनको सूली पर चढ़ाया गया तब भी उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि सूली पर चढ़ाने वालों के लिए क्षमा मांगी।उन्होंने कहा
हे ईश्वर इन्हें माफ कर देना।ये नहीं जानते कि वो क्या कर रहे है।'उन्होंने कहा इंसान को क्षमा करना आना चाहिए। दूसरा गुण सीखना चाहिए वो है विनम्रता-इंसान को विनम्र होना चाहिए।
यदि कोई आपके साथ गलत करे या हो जाए तो आपको अपने विनम्र स्वभाव को नहीं छोड़ना चाहिए। ईसा मसीह के एक शिष्य ने उनके साथ धोखा किया था, जब वो अन्य शिष्यों के साथ जा रहे थे तो राजा के सैनिकों से कैद करवा दिया गया।फिर ईसा मसीह का अपने शिष्य के प्रति व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया।अपने विनम्र स्वभाव व सहनशीलता के चलते अपने शिष्यों को क्षमा कर दिया। दानशीलता भी हमें ईसा मसीह से सीखना चाहिए।उन्होंने सभी को दान करने की सीख भी दी थी। ईसा मसीह सद्भाव की शिक्षा देते है।
सब लोग मिलजुल कर रहे ।सब ईश्वर की संतान है और उनके लिए कोई छोटा या बड़ा नहीं है। इंसान को बच्चों की तरह सरल व निश्छल होना चाहिए जो पक्षपात रहित हो।बिना किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के जीवन जिया जाए,तो जीवन मे किसी प्रकार का तनाव नहीं रहेगा और जीवन बिल्कुल सहज,सरल बन जाएगा। आज फिर से दुनिया को गौतम बुद्ध ,महावीर स्वामी और ईसा मसीह जैसे शांति के दूत ,मानवता व समानता के पुरोधा महापुरुषों के संदेशों को पुनः स्मरण करने की जरुरत है। शुभ अवसर पर दुनिया के हर इंसान को बहुत बहुत बधाइयां।