बहराइच। 47 वी जवाहर लाल नेहरू राज्य स्तरीय विज्ञान,गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी मेरठ जिले मे आयोजित किया गया। चार दिवसीय प्रदर्शनी में राज्य भर से शिक्षक अपने जनपदों के उपविषय पर मॉडल प्रस्तुत किया।बहराइच जनपद ने विभिन्न उप विषयों पर प्रतिभाग किया और मॉडल प्रस्तुत किया।जिसमें भावी परिवहन और संचार उपविषय के अंतर्गत लंबन विधि द्वारा आकाशीय पिण्डो का व्यास,परिधि ज्ञात करने का मॉडल प्रस्तुत किया गया जिसमें जनपद को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।मॉडल को प्रस्तुत करने के लिए देवीपाटन मंडल से नामित पूर्व माध्यमिक विद्यालय सधुवापुर,विकासखण्ड महसी के सहायक अध्यापक डॉ आशीष श्रीवास्तव को पुरस्कार,ट्राफी व सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया।उन्होंने बताया कि मेरठ में चार दिवसीय प्रदर्शनी में जिले ने अपना परचम लहराया।प्रदर्शनी के दूसरे दिन शिक्षण अधिगम सामग्री का मूल्यांकन व आवर्त सारिणी विषय पर सेमिनार का भी आयोजन किया गया।चार दिन के सम्पूर्ण कार्यक्रम में देवीपाटन मण्डल को द्वितीय स्थान भी मिला।देवीपाटन मण्डल से अशोक पाण्डेय, राज्यवर्द्धन श्रीवास्तव, अजय कुमार मिश्रा, दया शंकर प्रजापति,डॉ कृष्ण देव द्विवेदी सहित अन्य शिक्षक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
मंगलवार, 24 दिसंबर 2019
राज्य मंत्री का दखल, रेप का मामला दर्ज
उत्तरकाशी। राज्यमंत्री रेखा आर्य के हस्तक्षेप के बाद पीसीएस की तैयारी कर रही युवती से दुष्कर्म का मुकदमा उत्तरकाशी पुलिस ने दर्ज कर लिया है। आरोपी ने शादी करने का झांसा देकर कई साल तक उसका यौन शोषण किया। बाद में दूसरी शादी रचाकर पीड़िता को छोड़ दिया। आरोप है कि लखनऊ के इस युवक ने पीड़िता को डेढ़ साल तक गाजीपुर में पत्नी के रूप में रखा।
उत्तरकाशी जिले की पीड़िता ने राज्यमंत्री रेखा आर्य से मिलकर आपबीती बताई थी। पीड़िता ने बताया कि उत्तरकाशी में एनबीसीसी कंपनी में काम करने वाला अभिषेक चौहान निवासी गोमतीनगर, लखनऊ 2013 में उसके संपर्क में आया था। चौहान ने घर आकर कई बार प्रेम प्रस्ताव दिया, लेकिन वह टालती रही। 21 नवंबर 2014 को आरोपी अपने परिवार के साथ उसे जन्मदिन के बहाने एक होटल में ले गया और कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। विरोध करने पर आरोपी ने उसे शादी करने का झांसा दिया। इसी बीच 2015 में गर्भ ठहरा तो आरोपी ने दवा खिलाकर गर्भपात करा दिया। इधर, सितंबर 2017 में शादी का झांसा देकर फिर कई होटलों में उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। वह विरोध करती तो अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उसके मुंह को बंद करा दिया जाता। इसके बाद आरोपी एक कंपनी में नौकरी लगने की बात कहकर उसे गाजीपुर ले गया, जहां किराए पर कमरा लेकर अपने साथ रखा। पीड़िता ने आरोप लगाया कि सितंबर 2019 में अभिषेक के पिता शादी कराने की बहाने उसे उत्तरकाशी छोड़ गए। धोखे का पता चलने पर विरोध किया तो आरोपी पक्ष ने जान से मारने की धमकी दी। इसी बीच 22 नवंबर को अभिषेक के मोबाइल से एक युवती का फोन आया, जिसने अभिषेक से शादी करने की बात कही। धमकी दी कि यदि शादी में अड़ंगा लगाया तो वह उसे मरवा देगी। राज्यमंत्री रेखा आर्य ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक से बात की। एसपी के निर्देश पर उत्तरकाशी में पीड़ित की तहरीर पर आरोपी अभिषेक चौहान, उसके पिता और धमकी देने वाली युवती के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि विवेचना में आने वाले तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
कैंसर के दर्द में लाभदायक एक्यूपंचर
चिकित्सा की वैदिक पद्धतियां एक्यूप्रेश और ऐक्यूपंक्चर कैंसर के कारण होनेवाले भीषण दर्द की तीव्रता को कम करती हैं। इतना ही नहीं दर्द को दूर कर कैंसर में ओपिओइड की जरूरत को भी कम कर सकती हैं। यह स्टडी हाल ही जामा ऑन्कॉलजी जर्नल में प्रकाशित हुई है।
कैंसर के मरीजों में करीब 70 प्रतिशत लोग भीषण तीव्रता वाला दर्द सहन करते हैं। इसे दवाओं के जरिए 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। हालांकि पेन मैनेजमेंट के दौरान पता चलता है कि दर्द को कंट्रोल करने के लिए दी जानेवाली दवाओं के भी पेशंट्स के शरीर पर हानिकारक प्रभाव होते हैं। इनमें दवाओं का अडिक्शन भी शामिल है। दवाइयों के इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए ऐक्यूप्रेशर और ऐक्यूपंक्चर जैसी पद्धतियों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
आरएमआईटी यूनिवर्सिटी, मेलबर्न और विक्टोरिया ऑस्ट्रेलिया द्वारा भी कैंसर के पेशंट्स के दर्द को कम करने के लिए ऐक्यूप्रेशर और ऐक्यूपंक्चर के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया। इस दौरान ऐक्यूप्रेशर और ऐक्यूपंक्चर को एनलजेसिक थेरपी के साथ अप्लाई किया गया। इस दौरान सामने आया कि इनके उपयोग से मरीज को दर्द में बड़ी राहत मिलती है और उसे पेनकिल्स की लत भी नहीं लगती है।
क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए सारा तैयार
क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए सारा तैयार, शेयर की यह तस्वीर
मुंबई! बॉलिवुड की खूबसूरत ऐक्ट्रेस सारा अली खान हमेशा सुर्खियों में बनी रहती हैं। ऐक्ट्रेस कभी अपनी ऐक्टिंग को लेकर तो कभी अपने सोशल मीडिया पर ऐक्टिवनेश को लेकर चर्चा में रहती है। किसी त्यौहार का सेलिब्रेशन हो और सारा अली खान पीछे रह जाएं, ऐसा हो ही नहीं सकता है। हाल में उन्होंने क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए अपने घर पर क्रिसमस ट्री बनाया है।
सारा अली खान ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर क्रिसमस ट्री की फोटो शेयर की है। इस तस्वीर में उन्होंने ट्री को बहुत अच्छी तरह से सजाया है। बैकग्राउंड में आप देख सकते हैं कि ऐक्ट्रेस की अपनी मां अमृता सिंह और भाई इब्राहिम अली खान के साथ पोज देते हुए तस्वीर टंगी हुई है। सारा अली खान ने फोटो के साथ कैप्शन लिखा, होम स्वीट होम एंड हैपी हॉलीडेज।
वर्कफ्रंट की बात करें तो सारा अली खान इस समय अपनी अपकमिंग फिल्म कुली नं. 1 की शूटिंग वरुण धवन के साथ कर रही हैं। इस फिल्म का डायरेक्शन डेविड धवन कर रहे हैं। इसके अलावा वह डायरेक्टर इम्तियाज अली की फिल्म आजकल में अपने एक्स बॉयफ्रेंड कार्तिक आर्यन के साथ नजर आएंगी।
केंद्र सरकार अब 'एनपीआर' को तैयार
केंद्र सरकार अब NPR लाने की तैयारी में
नई दिल्ली! सीएए लाने बाद अब सरकार NPR लाने की तैयारी में जुट गई है, जिसके सम्बन्ध में आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हो रही है, जिसमें राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NCR) में अपडेट के लिए धन आवंटन के प्रस्ताव पर फैसला हो सकता है। एनपीआर अपडेट करने की प्रक्रिया अगले साल पहली अप्रैल से शुरू होने वाली है।
जानकारी के अनुसार कैबिनेट की बैठक के लिए तय एजेंडे में NPR को लेकर प्रस्ताव भी शामिल है। एनपीआर में देश के 'सामान्य नागरिकों' की गणना की जाती है। एनपीआर के लिए 'सामान्य नागरिकों' से मतलब उस व्यक्ति से है, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहा हो या अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में रहने की उसकी योजना हो।
लेखपाल फिर धरने पर डटे, आर-पार
मथुरा। लेखपाल आरपार के मूड में आ गये हैं। रविवार को रही छुट्टी के बाद सोमवार को फिर सदर तहसील में आ डटे।शासन की सख्ती के बावजूद लेखपालों का रूख अडियल बना हुआ है। रविवार को छुट्टी होने के चलते लेखपालों का धरना नहीं हुआ था। आंदोलन के 14वें दिन यानी सोमवार को फिर सदर तहसील में आंदोलनों ने धारने पर आ डटे हैं। एस्मा की कार्यवी के बाद, निलंबल और नोटिस दिये जाने की प्रक्रिया जारी है बावजूद इसके लेखपाल अपनी मांगों पर डटे हुए हैं। रविवार को आंदोलन का 13 वां दिन था लेकिन छुट्टी होने की वजह से लेखपाल आंदोलन स्थल से दूर रहे। लेखपाल संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने बताया कि हमारी मांग जायज हैं। सरकार हमें गुमराह कर रही है। अब तो हमारे साथ अन्याय कर रही है। मांग माने जाने की बजाय निलंबन, ट्रांसफर की कार्यवाही की जा रही है। सरकार की सख्ती के आगे हम झुकने वाले नहीं हैं।
स्पष्टता का अभाव (संपादकीय)
नागरिकता संशोधन अधिनियम में स्पष्टता का अभाव है
नागरिकता को परिभाषित करने से पहले खुद अपने रिकॉर्ड से नागरिकता सूची बनाये सरकार
आज मुझे मेरा एक मित्र मिला उसने मुझसे पूछा "नरेश भाई" जिस तरह का विवाद पूर्ण माहौल बना हुआ है । इसके चलते मैं और मेरा परिवार बहुत चिंतित है । मैंने उससे पूछा - क्यों भाई चिंता की क्या बात है ? हम सब भारतीय हैं और अपने देश से बहुत प्यार करते हैं। और रोज़ प्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री बोल तो रहे हैं कि इस से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वह बोला कि भाई वो सब तो ठीक है लेकिन कल यदि इन लोगों ने एनआरसी रजिस्टर में मुझे एंट्री हेतु अगर 1970 के पहले का यानी कि मेरे दादा का कोई सरकारी दस्तावेज मांग लिया तो मैं कहां से लाऊंगा ? मैंने उससे कहा कि - तुम दादा का कह रहे हो मुझसे मेरे पिताजी का मांग लिया तो मैं कहां से लाऊंगा!
गृहमंत्री रोज़ बोल रहे हैं कि यह कानून केवल पड़ोसी देशों से जो हिन्दू , बौद्ध वगैरह भारत में नागरिकता लेने के इच्छुक हैं और उन देशों में पीड़ित हैं। उनको अपनाने हेतु बनाया गया है। यह सुन कर तो यही लगता है कि यह कानून शायद सिर्फ उन्हीं लोगों पर लागू है जो भारत की नागरिकता चाहते हैं।* जिनकी संख्या भी शायद बहुत बड़ी नहीं हैं ।
यदि ऐसा है तो सरकार यह स्पष्ट क्यों नहीं कहती ? की यह एनआरसी केवल बाहर से इस देश में आने वाले पीड़ित वर्ग के लोगों पर ही लागू है ।और इसका जो भारतवर्ष में पहले से ही रह रहे हैं उन से कोई लेना-देना नहीं है। भारत देश में रह रहे लोग तो वैसे ही भारतीय हैं जिस किसी के पास उसका आधार कार्ड ,वोटर आईडी ,पासपोर्ट या कोई भी सरकारी दस्तावेज है उसे किसी भी प्रक्रिया से गुजरने की ज़रूरत नहीं है।
जिस पर वह बोला नहीं भाई ! इस एक्ट में न अब तक यह व्याख्या स्पष्ट नहीं है कि किस सरकारी दस्तावेज के अभाव इस देश में रहने वाले को भारतीय नागरिक की नागरिकता को नहीं माना जायेग।
और न ही यह स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया से क्या सबको गुज़रना है या केवल पड़ौसी देशों से आये हुए पीड़ित हिन्दू , सिखों, बौद्ध और पारसियों को ?
मैन कहा - देखो भाई ! अगर यह केवल उन लोगों के लिए बनाया गया है जो भारत की नागरिकता चाहते हैं, और किसी अन्य देश में पीड़ित हैं वहां तक तो सही है। यह होना भी चाहिए । परंतु यदि इसमें यह भी है कि , जो पहले से ही भारत में रह रहे हैं और जिनके पास पहले ही वोटर आईडी आधार कार्ड या पासपोर्ट है , उन्हें भी अपने पूर्वजों के दस्तावेज जमा कराने होंगे तो यह बिल्कुल गैर वाजिब है।
पहले खुद अपने रिकॉर्ड से नागरिकता सूची बनाये सरकार
फिर जब नागरिकता की सूची बनाई ही जा रही है , तो सबसे पहले तो सरकार को लोगों को परेशान करने से पहले खुद अपने ही विभागों से जानकारी लेनी होगी कि उन्होंने आखिर कितने आधार कार्ड कितने पासपोर्ट कितने वोटर आईडी लोगों को बनाकर पहले ही दिए हुए हैं और जिनको यह बनाकर दिए हुए हैं, उनके नाम वैसे ही एनआरसी रजिस्टर में चढ़ा देना चाहिए । बैठकर लोगों से नागरिकता के दस्तावेज़ मांग कर सूची दुरुस्त करने से पहले खुद सूची बनाओ तो सही !
बाकी बचे लोगों की जांच जायज़
फिर बात रहती है बाकी लोगों की। तो केवल उन पर अगर यह प्रक्रिया लागू की जाए तो बेहतर होगा। यदि आप यह कहते हैं कि हम एक धर्म विशेष को इस प्रक्रिय में उठाकर ताक में रख देना चाहते है ? तो भी इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि जो इस देश का ही नही है वो क्या हिन्दू और क्या मुसलमान ? यदि उनमें से भी किसी के पास अगर पहले से ही भारत देश के वैलिड आधार कार्ड वोटर आईडी या पासपोर्ट बने हुए हैं ! तो उन्हें तो भारतीय नागरिक मानना ही पड़ेगा। ताकि वह आराम से सुरक्षित महसूस कर सकें।
शांति कैसे स्थापित हो ?
यदि सरकार वाकई चाहती है कि यह देश भर में लगी आग शांत हो जाये तो पहले तो स्पष्ट बात कहनी होगी। और जीएसटी की तर्ज पर बिना सोचे समझे और पूरी तैयारी के पास किये गए इस एक्ट में , स्पष्टता और एडजस्टमेंट लाना होगा । जब किसी को यह मालूम होगा कि उसकी जेब में पड़ा आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड अथवा पासपोर्ट पर्याप्त है एनआरसी की लिस्ट में शामिल होने के लिए , तो क्यों विरोध करेगा ? और क्यूँ सड़कों पर आकर पत्थर हाथ में उठाएगा ? वह अपना काम करेगा क्यों झंझट में पड़ेगा ? सरकार को चाहिए कि वह पूरी तरह से स्पष्ट शब्दों में कह दे कि हम किन दस्तावेजों के अभाव में नागरिकता पर प्रश्न चिन्ह लगायेंगें ? और ये सब केवल नई नागरिकता चाहने वालों के लिए है या सभी के लिए ?
जनसंख्या नियंत्रण कानून अभी आना बाकी है
एक बड़ी वरिष्ठ भाजपा नेता से बात करने पर ज्ञात हुआ कि सरकार बहुत जल्द जनसंख्या नियंत्रण पर भी एक कानून लाने वाली है । जिसके चलते किसी भी भारतीय नागरिक को दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर सरकारी सुविधाएं मिलना बंद हो जाएंगी। यहां पर दूसरे शब्दों में यह कई है कि इस आदेश की सख्ती से पालना करनी होगी कि बच्चे सिर्फ दो ही पैदा करने हैं । अब सवाल यह है कि एक तरफ तो जनसंख्या नियंत्रण हेतु हम कानून लाना चाहते हैं ताकि देश के हर नागरिक तक सुविधाएं पहुंचा सके। दूसरी तरफ हम खुद बाहरी पीड़ित नागरिकों को खुद नागरिकता देने हेतु कानून बना रहे हैं। यह हल्का सा विरोधाभास नहीं है तो और क्या है ?
नारी सम्मान की रक्षा हेतु एक से ज्यादा विवाह नहीं कर पाएंगे भारतीय नागरिक
उस नेता ने मुझसे यह भी कहा की आने वाले समय में महिलाओं की सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी भारतीय नागरिक को केवल एक बार विवाह करने की ही अनुमति होगी और पहली पत्नी के जिंदा रहते दो पत्नियां रखना गैरकानूनी माना जाएगा । चाहे वह नागरिक किसी भी धर्म से क्यूँ न हो। मैंने उससे पूछा कहीं आप इस तरह का कानून लाकर किसी धर्म विशेष को तो टारगेट नहीं कर रहे हैं ? जिस पर उसने कहा कि नहीं यह पूर्णतया इंसानियत के दायरे के तहत सोच समझकर महिला सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जहाँ तक जनसंख्या नियंत्रण की बात है, इस बात में वाकई बहुत दम है किस देश को बहुत जरूरत है अपनी जनसंख्या को नियंत्रण में रखने की। क्योंकि *हमारे पास खाने वाले मूँह इतने बढ़ चुके हैं लेकिन इतने कमाने वाले हाथ नहीं है। नौकरियाँ नहीं है । रोज़गार नहीं है। अब जहाँ धर्म सम्प्रदाय का संघर्ष तो सदियों से इस देश में अपनी जगह चल ही रहा है और चलता ही रहेगा । परंतु इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आर्थिक आज़ादी की जंग भी लड़ी जाए। ताकि सबको दो वक्त की रोटी और छत आसानी से मिल सके।
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
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