मथुरा। लेखपाल आरपार के मूड में आ गये हैं। रविवार को रही छुट्टी के बाद सोमवार को फिर सदर तहसील में आ डटे।शासन की सख्ती के बावजूद लेखपालों का रूख अडियल बना हुआ है। रविवार को छुट्टी होने के चलते लेखपालों का धरना नहीं हुआ था। आंदोलन के 14वें दिन यानी सोमवार को फिर सदर तहसील में आंदोलनों ने धारने पर आ डटे हैं। एस्मा की कार्यवी के बाद, निलंबल और नोटिस दिये जाने की प्रक्रिया जारी है बावजूद इसके लेखपाल अपनी मांगों पर डटे हुए हैं। रविवार को आंदोलन का 13 वां दिन था लेकिन छुट्टी होने की वजह से लेखपाल आंदोलन स्थल से दूर रहे। लेखपाल संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने बताया कि हमारी मांग जायज हैं। सरकार हमें गुमराह कर रही है। अब तो हमारे साथ अन्याय कर रही है। मांग माने जाने की बजाय निलंबन, ट्रांसफर की कार्यवाही की जा रही है। सरकार की सख्ती के आगे हम झुकने वाले नहीं हैं।
मंगलवार, 24 दिसंबर 2019
स्पष्टता का अभाव (संपादकीय)
नागरिकता संशोधन अधिनियम में स्पष्टता का अभाव है
नागरिकता को परिभाषित करने से पहले खुद अपने रिकॉर्ड से नागरिकता सूची बनाये सरकार
आज मुझे मेरा एक मित्र मिला उसने मुझसे पूछा "नरेश भाई" जिस तरह का विवाद पूर्ण माहौल बना हुआ है । इसके चलते मैं और मेरा परिवार बहुत चिंतित है । मैंने उससे पूछा - क्यों भाई चिंता की क्या बात है ? हम सब भारतीय हैं और अपने देश से बहुत प्यार करते हैं। और रोज़ प्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री बोल तो रहे हैं कि इस से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वह बोला कि भाई वो सब तो ठीक है लेकिन कल यदि इन लोगों ने एनआरसी रजिस्टर में मुझे एंट्री हेतु अगर 1970 के पहले का यानी कि मेरे दादा का कोई सरकारी दस्तावेज मांग लिया तो मैं कहां से लाऊंगा ? मैंने उससे कहा कि - तुम दादा का कह रहे हो मुझसे मेरे पिताजी का मांग लिया तो मैं कहां से लाऊंगा!
गृहमंत्री रोज़ बोल रहे हैं कि यह कानून केवल पड़ोसी देशों से जो हिन्दू , बौद्ध वगैरह भारत में नागरिकता लेने के इच्छुक हैं और उन देशों में पीड़ित हैं। उनको अपनाने हेतु बनाया गया है। यह सुन कर तो यही लगता है कि यह कानून शायद सिर्फ उन्हीं लोगों पर लागू है जो भारत की नागरिकता चाहते हैं।* जिनकी संख्या भी शायद बहुत बड़ी नहीं हैं ।
यदि ऐसा है तो सरकार यह स्पष्ट क्यों नहीं कहती ? की यह एनआरसी केवल बाहर से इस देश में आने वाले पीड़ित वर्ग के लोगों पर ही लागू है ।और इसका जो भारतवर्ष में पहले से ही रह रहे हैं उन से कोई लेना-देना नहीं है। भारत देश में रह रहे लोग तो वैसे ही भारतीय हैं जिस किसी के पास उसका आधार कार्ड ,वोटर आईडी ,पासपोर्ट या कोई भी सरकारी दस्तावेज है उसे किसी भी प्रक्रिया से गुजरने की ज़रूरत नहीं है।
जिस पर वह बोला नहीं भाई ! इस एक्ट में न अब तक यह व्याख्या स्पष्ट नहीं है कि किस सरकारी दस्तावेज के अभाव इस देश में रहने वाले को भारतीय नागरिक की नागरिकता को नहीं माना जायेग।
और न ही यह स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया से क्या सबको गुज़रना है या केवल पड़ौसी देशों से आये हुए पीड़ित हिन्दू , सिखों, बौद्ध और पारसियों को ?
मैन कहा - देखो भाई ! अगर यह केवल उन लोगों के लिए बनाया गया है जो भारत की नागरिकता चाहते हैं, और किसी अन्य देश में पीड़ित हैं वहां तक तो सही है। यह होना भी चाहिए । परंतु यदि इसमें यह भी है कि , जो पहले से ही भारत में रह रहे हैं और जिनके पास पहले ही वोटर आईडी आधार कार्ड या पासपोर्ट है , उन्हें भी अपने पूर्वजों के दस्तावेज जमा कराने होंगे तो यह बिल्कुल गैर वाजिब है।
पहले खुद अपने रिकॉर्ड से नागरिकता सूची बनाये सरकार
फिर जब नागरिकता की सूची बनाई ही जा रही है , तो सबसे पहले तो सरकार को लोगों को परेशान करने से पहले खुद अपने ही विभागों से जानकारी लेनी होगी कि उन्होंने आखिर कितने आधार कार्ड कितने पासपोर्ट कितने वोटर आईडी लोगों को बनाकर पहले ही दिए हुए हैं और जिनको यह बनाकर दिए हुए हैं, उनके नाम वैसे ही एनआरसी रजिस्टर में चढ़ा देना चाहिए । बैठकर लोगों से नागरिकता के दस्तावेज़ मांग कर सूची दुरुस्त करने से पहले खुद सूची बनाओ तो सही !
बाकी बचे लोगों की जांच जायज़
फिर बात रहती है बाकी लोगों की। तो केवल उन पर अगर यह प्रक्रिया लागू की जाए तो बेहतर होगा। यदि आप यह कहते हैं कि हम एक धर्म विशेष को इस प्रक्रिय में उठाकर ताक में रख देना चाहते है ? तो भी इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि जो इस देश का ही नही है वो क्या हिन्दू और क्या मुसलमान ? यदि उनमें से भी किसी के पास अगर पहले से ही भारत देश के वैलिड आधार कार्ड वोटर आईडी या पासपोर्ट बने हुए हैं ! तो उन्हें तो भारतीय नागरिक मानना ही पड़ेगा। ताकि वह आराम से सुरक्षित महसूस कर सकें।
शांति कैसे स्थापित हो ?
यदि सरकार वाकई चाहती है कि यह देश भर में लगी आग शांत हो जाये तो पहले तो स्पष्ट बात कहनी होगी। और जीएसटी की तर्ज पर बिना सोचे समझे और पूरी तैयारी के पास किये गए इस एक्ट में , स्पष्टता और एडजस्टमेंट लाना होगा । जब किसी को यह मालूम होगा कि उसकी जेब में पड़ा आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड अथवा पासपोर्ट पर्याप्त है एनआरसी की लिस्ट में शामिल होने के लिए , तो क्यों विरोध करेगा ? और क्यूँ सड़कों पर आकर पत्थर हाथ में उठाएगा ? वह अपना काम करेगा क्यों झंझट में पड़ेगा ? सरकार को चाहिए कि वह पूरी तरह से स्पष्ट शब्दों में कह दे कि हम किन दस्तावेजों के अभाव में नागरिकता पर प्रश्न चिन्ह लगायेंगें ? और ये सब केवल नई नागरिकता चाहने वालों के लिए है या सभी के लिए ?
जनसंख्या नियंत्रण कानून अभी आना बाकी है
एक बड़ी वरिष्ठ भाजपा नेता से बात करने पर ज्ञात हुआ कि सरकार बहुत जल्द जनसंख्या नियंत्रण पर भी एक कानून लाने वाली है । जिसके चलते किसी भी भारतीय नागरिक को दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर सरकारी सुविधाएं मिलना बंद हो जाएंगी। यहां पर दूसरे शब्दों में यह कई है कि इस आदेश की सख्ती से पालना करनी होगी कि बच्चे सिर्फ दो ही पैदा करने हैं । अब सवाल यह है कि एक तरफ तो जनसंख्या नियंत्रण हेतु हम कानून लाना चाहते हैं ताकि देश के हर नागरिक तक सुविधाएं पहुंचा सके। दूसरी तरफ हम खुद बाहरी पीड़ित नागरिकों को खुद नागरिकता देने हेतु कानून बना रहे हैं। यह हल्का सा विरोधाभास नहीं है तो और क्या है ?
नारी सम्मान की रक्षा हेतु एक से ज्यादा विवाह नहीं कर पाएंगे भारतीय नागरिक
उस नेता ने मुझसे यह भी कहा की आने वाले समय में महिलाओं की सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी भारतीय नागरिक को केवल एक बार विवाह करने की ही अनुमति होगी और पहली पत्नी के जिंदा रहते दो पत्नियां रखना गैरकानूनी माना जाएगा । चाहे वह नागरिक किसी भी धर्म से क्यूँ न हो। मैंने उससे पूछा कहीं आप इस तरह का कानून लाकर किसी धर्म विशेष को तो टारगेट नहीं कर रहे हैं ? जिस पर उसने कहा कि नहीं यह पूर्णतया इंसानियत के दायरे के तहत सोच समझकर महिला सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जहाँ तक जनसंख्या नियंत्रण की बात है, इस बात में वाकई बहुत दम है किस देश को बहुत जरूरत है अपनी जनसंख्या को नियंत्रण में रखने की। क्योंकि *हमारे पास खाने वाले मूँह इतने बढ़ चुके हैं लेकिन इतने कमाने वाले हाथ नहीं है। नौकरियाँ नहीं है । रोज़गार नहीं है। अब जहाँ धर्म सम्प्रदाय का संघर्ष तो सदियों से इस देश में अपनी जगह चल ही रहा है और चलता ही रहेगा । परंतु इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आर्थिक आज़ादी की जंग भी लड़ी जाए। ताकि सबको दो वक्त की रोटी और छत आसानी से मिल सके।
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
मृत व्यक्ति का सिर ट्रांसप्लांट करने का दवा
नई दिल्ली। आपने अभी तक सिर्फ ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ transplant) करने की ही बात सुनी होगी, लेकिन जिस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वह जान कर आप भी हैरान रह जाएंगे। दरअसल, डॉक्टर्स का दावा है कि बाकी ऑर्गन्स की तरह अब एक मृत व्यक्ति को दूसरे का सिर लगाया जा सकता है, इससे मृत शरीर को भी जिंदा किया जा सकता है।
बता दें कि ब्रिटेन की हल यूनिवर्सिटी टीचिंग हॉस्पिटल्स (University Teaching Hospitals) के पूर्व क्लिनिकल प्रमुख डॉ. ब्रूस मैथ्यू का दावा है कि अगले 10 साल में हेड ट्रांसप्लांट (Head transplant) संभव हो सकता है। रोबोटिक्स, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट्स और नर्व सर्जरी में टेक्नोलॉजी एडवांस होने की वजह से यह संभव हो सकता है। अगर ऐसा संभव हो पाता है तो जिन लोगों के शरीर के कई अंग खराब हो चुके हैं या जिनके हाथ या पैर कट गए हैं, उन्हें फायदा हो सकता है। इससे मर चुके लोगों को भी जिंदगी मिल सकती है।
8 करोड़ का कुत्ता चोरी,1 लाख का इनाम
नई दिल्ली। आमतौर पर हम सभी के घरों में पालतू कुत्ते (Pet Dog) होते हैं लेकिन आपने 8 करोड़ के कुत्त्ते के बारे में नहीं सुना होगा। इसी तरह के एक मामले के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। जब एक शख्स ने दावा किया कि उसका 8 करोड़ का कुत्ता गायब हुआ है। इस कुत्ते को खोजने के लिए शख्स ने 1 लाख का इनाम भी रखा है।
दरअसल, बेंगलुरु (Bengluru) के एक शख्स ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि 'अलास्कन मैलेम्यूट' प्रजाति का उसका 3-वर्षीय कुत्ता 'सैमसंग' चोरी हो गया है जिसकी कीमत तकरीबन 8 करोड़ है। उसका कुत्ता ढूंढने वाले को उसने इनाम में 1 लाख देने की पेशकश की है। शख्स ने दो साल पहले चीन से इस कुत्ते को मंगवाया था।
नौवीं की छात्रा से नाबालिगों ने किया गैंगरेप
सीधी! मध्यप्रदेश के सीधी जिले में एक बेहद शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां चार नाबालिग लड़कों ने 9वीं कक्षा की नाबालिग छात्रा से गैंगरेप किया। इतना ही नहीं छात्रा का अश्लील वीडियो भी बना लिया। बताया जा रहा है कि घटना एक सप्ताह पहले की है। छात्रा ने वीडियो वायरल होने के डर से किसी को कुछ नहीं बताया लेकिन रविवार को हिम्मत जुटा कर अपनी मां के साथ थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, एक सप्ताह पहले छात्रा अपनी छोटी बहन और एक सहेली के साथ बाजार गई थी। लेकिन मां का फोन आने पर सहेली व उसकी छोटी बहन घर लौट आई। छात्रा अकेले ही बाजार में खरीददारी करती रही। उसके बाद जब वह बाजार से घर जा रही थी तो रास्ते में दो लड़कों ने उसका पीछा किया और एक सुनसान झोपड़ी में ले जाकर उसके साथ रेप किया। इस दौरान तीन अन्य लड़कों ने भी छात्रा के साथ दुष्कर्म किया और उसका वीडियो बना लिया और कहा कि यदि किसी को बताया तो विडियो वायरल कर देंगे।
घटना के बाद छात्रा ने डर के मारे किसी को कुछ नहीं बताया। जब 4-5 दिन बाद अपनी मां को घटना की जानकारी दी तो उसके बाद रविवार को मां छात्रा को लेकर थाने पहुंची और मामले की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
फ्लोराइड युक्त पानी, पीने को विवश
रजनीकान्त अवस्थी
शिवगढ़/रायबरेेल! रानी खेड़ा ग्राम पंचायत के कृष्णपाल खेड़ा, जोरावर खेड़ा सहित गांव के लोग फ्लोराइड युक्त दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। फ्लोराइड युक्त दूषित पानी पीकर ग्रामीण विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। सबसे बड़ी विडंबना है कि, ग्राम प्रधान शारदा देवी ने रानीखेड़ा ग्राम पंचायत के कृष्णपाल खेड़ा जोरावर खेड़ा सहित गांवों के ग्रामीणों को फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए दर्जनों बार संबंधित अधिकारियों व जिलाधिकारी एवं मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजें किंतु नतीजा शून्य रहा।
आपको बता दें कि, कृष्णपाल खेड़ा गांव की रहने वाली शांति का कहना है कि, पानी इतना खारी एवं फ्लोराइड युक्त है कि महज कुछ घंटों के लिए बर्तन में पानी भरकर रख देने से पूरा बर्तन लाल हो जाता है। जब फ्लोराइड युक्त पानी बर्तनों पर इतना गहरा दुष्प्रभाव डाल रहा है तो मनुष्य एवं पशुओं के स्वास्थ्य पर इसका कितना दुष्प्रभाव पड़ता होगा, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।
प्रधान प्रतिनिधि रामखेलावन उर्फ खिलाड़ी ने बताया कि कई जगह शिकायत करने के बाद एक बार जांच भी आई थी जो पानी के सैंपल लेकर चले गए और दोबारा आज तक दिखाई नहीं पड़े। यदि सौर ऊर्जा संचालित पानी की टंकी का निर्माण करा दिया जाए तो रानी खेड़ा ग्राम पंचायत के कृष्णपाल खेड़ा, जोरावर खेड़ा सहित गांव को पेयजल संकट की समस्या से निजात मिल जाएगी।
सीबीएसई ने सीटीईटी आंसर की जारी की
नई दिल्ली! केंद्रीय माध्यमिक शिक्षक बोर्ड (सीबीएसई) ने सोमवार को केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) की उत्तर कुंजी (आंसर की ) जारी कर दी है।
केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा की आसंर की देखने के लिए उम्मीदवार सीटेट की वेबसाइट ctet.nic.in देख सकते हैं। 25 दिसंबर तक आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। आंसर की वेबसाइट पर 25 दिसंबर तक उपलब्ध रहेगी। उम्मीदवार 1000 रुपए प्रति प्रश्न का भुगतान कर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। उम्मीदवार रोल नंबर और डेट ऑफ बर्थ सब्मिट करके आंसर की डाउनलोड कर सकते हैं। आपको बता दें कि परीक्षा में 29 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था।
सीटीईटी की परीक्षा का आयोजन 8 दिसंबर को किया गया था। सीटीईटी परीक्षा में अंग्रेजी और गणित के सवालों ने उम्मीदवारों को खासा परेशान किया है। आपको बता दें कि सीटीईटी की परीक्षा की आंसर की के साथ बोर्ड ओएमआर शीट भी जारी की गई है।
यह परीक्षा देश के 110 शहरों में 20 भाषाओं में आयोजित हुई। सीबीएसई हर साल दो बार सीटीईटी परीक्षा आयोजित करता है। पहली परीक्षा जुलाई और दूसरी दिसंबर के महीने में आयोजित की जाती है। सीटीईटी परीक्षा का मुख्य उद्देश्य सराकरी विद्यालयों में गुणवत्ता वाले तथा कुशल शिक्षकों की भर्ती करवाना होता है।
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