शनिवार, 21 दिसंबर 2019

अधिकारियों की कार्यशैली से असंतुष्ट मेयर

रोहतक। रोहतक नगर निगम ने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। हालांकि मेयर मनमोहन गोयल कामकाज से कुछ खास खुश नजर नहीं आ रहे है। मेयर होते हुए कोई पावर ना होने की टीस उनकी बातों में देखने को मिल रही है। मेयर मनमोहन गोयल का कहना है कि उनके हाथ में कुछ नहीं है, वह शहर की बड़ी समस्या सीवरेज और पानी के समाधान का प्रस्ताव बनाते हैं, लेकिन अधिकारी अमल नहीं करते।


साल भर में हाउस की सिर्फ दो बैठक हुई। कई पार्षद और पूर्व पार्षद हाउस की कम बैठक को लेकर अपना रोष व्यक्त कर चुके है। इस पर मेयर का कहना है कि बैठक आयुक्त को बुलानी होती है। लेकिन आयुक्त व्यस्तता का हवाला देकर टालते रहे। गोयल ने कहा कि शहर की सीवरेज, पानी, बिजली आदि समस्याओं का समाधान करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। हाउस की बैठक होगी और अधिकारी मेयर व पार्षदों की बात सुनेंगे तभी बात बनेगी।


314 लेखपालों के विरुद्ध कार्रवाई


कुशीनगर। जनपद के लेखपालों द्वारा विभिन्न मागो को लेकर काफी दिनों से ज़िला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था ।जिला प्रशासन ने धारा 144 व एस्मा कानून के उल्लंघन के मद्देनजर 314 लेखपालों पर देर शाम बड़ी कार्यवाई करते हुए निलम्बन के साथ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है ।
जिले की सभी तहसीलों के लेखपाल अपनी विभिन्न मांंगो को लेकर जिला मुख्यालय पर कई दिनों से धरना व प्रदर्शन करने वाले 314 लेखपालो को जिला प्रशासन ने गम्भीरता से लेते हुये। देर शाम निलंबित व बर्खास्तगी की कार्यवाही के लिए आनन-फानन मे नोटिस भी जारी कर दिया है। इस कार्यवाही से लेखपाल संगठन आहत है ।
पडरौना कोतवाली में धारा144 व एस्मा कानून के उलंघन मे के खिलाफ 17 नामज़द व अन्य सभी लेखपालों पर मुकदमा  एसडीएम रामकेश यादव पडरौना ने दर्ज कराया हैं।


अतिक्रमण हटाओ अभियान रहा असफल

एसडीएम के आदेश पर तीर्थनगरी के  फब्बारा चौक से अतिक्रमण तहत हटाये गये ठेले फिर से लगे


नरेश शर्मा
बृजघाट। तीर्थनगरी मे चौराहे पर फैले अतिक्रमण को हटाने का एसडीएम के आदेश का पालन करते हुए नगरपालिका कर्मचारियों ने फब्बारा चौक पर लगे ठेलो को हटा दिया गया ।लेकिन एक सप्ताह भी नही बीता कि एसडीएम के आदेशो का उल्लंघन करते हुए फिर से फब्बारा चौक पर ठेले लगे ।प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के स्वच्छता के प्रति नगरों को साफ सुथरा  व अतिक्रमण मुक्त करने के परिपालन मे गढमुक्तेश्वर के एसडीएम विजय बर्धन तोमर ने तीर्थनगरी मे फैले अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया के अंर्तगत नगरपालिका के कर्मचारियों ने फब्बारा चौक को पूर्णतया मुक्त करा दिया और लगने वाले सभी ठेलो को हटाने दिया गया ।लेकिन ठेलो वालो की हठधर्मिता व मुठमर्दी देखिये कि फिर से फब्बारा चौक पर ठेले लगा लिए । देखना यह है कि एसडीएम के आदेश  के द्वारा हटाये गये फब्बारा चौक से ठेलो को फिर से किसके आदेश से फब्बारा चौक पर लगवाया गया है।यह एसडीएम के आदेश का उल्लंघन है।


बवाल रोकने में प्रशासन की तत्परता

अतुल त्यागी जिला प्रभारी
रिंकु सैनी रिपोरटर


हापुड़। जमीयत उलेमा हिंद-हापुड के द्वारा हापुड़ में भी सी.ए.ए.के विरोध में ज्ञापन देने आए लोगों में शामिल शरारती तत्वों ने पुलिस द्वारा कई बार रोकने के बावजूद भी हापुड़ तहसील पर प्रदर्श न करना शुरू कर दिया और पुलिस बल पर पथराव भी शुरू कर दिया। इसके बाद हापुड़ नगर सीओ राजेश कुमार सिंह ने तत्परता दिखाते हुए। न्यूनतम लाठी चार्ज करा कर, इकट्ठा हुए असामाजिक तत्वों को तितर-बितर कर दिया। पीछे से आ रही भीड़ को बुलंदशहर रोड पर ही रोक दिया गया। जिसके चलते एक बड़ा हादसा हापुड़ शहर में होने से बच गया। मौके पर उनके साथ हापुड़ सदर एस.डी.एम. सत्य प्रकाश, हापुड़ नगर कोतवाली प्रभारी अवनीश गौतम द्वारा सटीकता से कुछ देर के लिए खराब हुए माहौल पर नियंत्रण कर लिया गया।
 हापुड़ जनपद के सभी आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और मुस्लिम समाज के नेताओं से ज्ञापन लेने के पश्चात भीड़ को वहां से हटवा दिया गया।


डीएम ने किसान दिवस का आयोजन किया

पंकज राघव संवाददाता 


संभल। कलेक्टर सभागार बहजोई में जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह की अध्यक्षता में किसान दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें सभी किसानों ने अपनी अपनी समस्या को बताया और जिलाधिकारी ने समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए जिसमें उन्होंने किसानों को पराली न जलाने की अपील की और उन्होंने सभी जिला स्तरीय अधिकारियों को सख्त हिदायत दी किसानों की समस्याओं को लेकर कोई भी लापरवाही ना की जाए और उन्होंने कहा कि गन्ना भुगतान शीघ्र से शीघ्र किया जाए जिससे किसानों को किसी प्रकार की समस्या ना हो उन्होंने कहा कि किसान हमारे देश की रीड की हड्डी है यदि किसान को परेशानी होती है तो उसकी परेशानी का विशेष हमें भी कहीं ना कहीं जेल नहीं पड़ता है किसान गोष्ठी में मौजूद किसानों ने बीना शुगर मिल पर गन्ना भुगतान न किए जाने को लेकर जिलाधिकारी के समक्ष अपनी बात रखी जिलाधिकारी ने गन्ना अधिकारी को निर्देश दिए कि किसानों के गन्ना भुगतान शीघ्र से शीघ्र किया जाए इस बीच में विकास अधिकारी उमेश कुमार त्यागी सहित जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे।


भालू के हमले से गई दो की जान

खरसिया। आज सुबह -सुबह ग्राम देवगाँव से सूती ग्राम के बीच नाला के पास एक जंगली भालू ने एक व्यक्ति के ऊपर हमला कर दिया और उसको पूरी तरह से मारकर शव से सर को अलग कर दिया, घटना के कुछ घंटे बाद अभी फिर से 11.30 बजे लगभग दूसरे व्यक्ति के ऊपर हमला कर दिया जिसके कारण उक्त दूसरे व्यक्ति की भी मौत हो गयी हैं। 
पुरे अगल बगल के गाँवो में दहशत का माहौल बन गया है रस्ते में आने जाने से लोग डर रहे है लोगो का कहना है की जब तक पागल भालू को वनविभाग पकड़ नहीं लेती तब तक सभी आने जाने वाले लोगो के ऊपर खतरा मंडरा रहा है क्योकि समय देखकर भालू लगातार हमला कर रहा हैं, पागल भालू नाले के निचे छिपकर बैठा हुआ है ।


यूं ही कोई बेहया.. (संपादकीय)


 रही होगी उनकी भी कोई मजबूरी ग़ालिब
 यूँ ही कोई बेहया नहीं होता ..


सुबह बहुत ठंड थी। तो ऑफिस जरा देर से आया। मीठी सी धूप निकली हुई थी और मेरा सहयोगी यश अभी तक भी आया नहीं था। मैं इंतजार करने के लिए ऑफिस के सामने एक 'जनरल स्टोर' है । वहां खड़ा होकर धूप सेकने लगा । देखा तो पड़ोस में रेलवे से रिटायर्ड कृष्ण गोपाल चतुर्वेदी एक गली के आवारा कुत्ते को पकड़ कर उसकी आंखों में आई ड्रॉप डाल रहे थे। यह दृश्य देखकर मैंने कहा अंकल थोड़ा संभल के कहीं काट न ले। तो अंकल बोले - इनके काटे का इलाज तो 14 इंजेक्शन है बेटा और यह बेवजह किसी को नहीं काटते । कभी कभी अनजाने में ही सही इंसान ही एक ऐसा जानवर है जो बेवजह काटता है। वह भी ऐसा की जिसका कोई इलाज नहीं होता।
मां कसम अंकल की यह लाइन खोपड़ी में घर कर गई। मैन पूछा *बेवजह कैसे अंकल ?
उन्होंने अपने जीवन का एक ऐसा अनुभव मेरे साथ शेयर किया जो मैं इस ब्लॉग के माध्यम से आपको बताना चाहता हूं। कृष्ण गोपाल चतुर्वेदी रेलवे से रिटायर्ड है। उन्होंने बताया कि सन् 1980 और 84 के बीच में उन्हें रेलवे बोर्ड ने उन्हें रेलवे विजिलेंस अफसर के पद पर 4 साल तक काम किया है। 1 दिन एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें बुलाया और कहा कि इस गाड़ी का रेलवे टीटी है । जो बहुत गहरी हदों तक भ्रष्टाचार कर रहा है। और पूरी की पूरी बोगी की सीटें बेच देता है। जिस उसे काली कमाई होती है। सीधे-साधे आदेश हुए कि इस टीटी को ट्रैप करना है, और मजबूत केस बनाना है। ताकि उसे पद से  हटाया जा सके। जिस पर कृष्ण गोपाल चतुर्वेदी ने बाकायदा योजना बनाई और उस भ्रष्ट टीटी की पड़ताल की। पड़ताल में यह ज्ञात हुआ कि वह वाकई पूरी की पूरी बोगी ऊपर ही ऊपर बेच देता है। जिसकी एक भी रसीद नहीं काटता है। चतुर्वेदी ने योजनाबद्ध तरीके से इस विषय में ज्ञात सभी चीजें मय सबूतों के अपने सीनियर अधिकारी को डॉक्यूमेंटेशन करके भेज दी। थोड़े दिनों बाद जब उस अधिकारी को रंगे हाथों पकड़ा जाने वाला था। तब कृष्ण गोपाल चतुर्वेदी को यह ज्ञात हुआ कि उस टीटी के 5 बेटियां थी। जोकि शादी की उम्र के करीब थी। और उसकी बीवी अक्सर बीमार रहती थी। कोई बेटा ना होने के कारण उस टीटी पर परिवार की जबरदस्त जिम्मेदारी सर पर बनी हुई थी। इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए वह यह भ्रष्टाचार कर रहा था। जैसे ही चतुर्वेदी को यह पता पड़ा तो उन्हें यह लगने लगा कि कहीं उनका बनाया हुआ यह केस इस  पांच बेटियों की जिम्मेदारी के तले दबे परिवार को सड़क पर न ले आये। चतुर्वेदी तुरंत अपने सीनियर अधिकारी के पास गया और कहा - सर आपने मुझे जो कहा उस आदेश की पालना मैंने कर दी। कानूनी और व्यवहारिक रूप से मैंने अपना फर्ज बखूबी निभा लिया। परंतु जब से मुझे उस टीटी की परिवारिक स्थिति का पता चला है , मुझे कहीं ना कहीं अंदर अपराध बोध खा रहा है की कही मेरे हाथों से कोई अनर्थ तो नहीं हो जाएगा ? आप अगर वाकई उस व्यक्ति को इस भ्रष्ट आचरण की सजा देना चाहते हैं। तो उसे रेलवे प्लेटफार्म पर कोई ऐसी जिम्मेदारी दे दें ताकि उसे आर्थिक लेनदेन से दूर रखा जाए। और उसकी नौकरी ना जाए । इससे रेलवे को भी नुकसान नहीं होगा और अपनी परिवारिक मजबूरियों के चलते ऐसा भ्रष्ट आचरण करने वाले अधिकारी को सबक भी मिलेगा। उन पांच बेटियों को भी नुकसान नहीं होगा । मोटे तौर पर विजिलेंस का अधिकारी होते हुए भी चतुर्वेदी ने एक तरह से अघोषित रूप से अपने सीनियर अधिकारी से उस भ्रष्ट टीटी को नौकरी से न हटाने की सिफारिश कर डाली थी। जिसके बाद चतुर्वेदी जी के निजी आग्रह पर उस टीटी को नौकरी से नहीं हटाया गया । और वही किया गया जो चतुर्वेदी ने कहा। आगे अपनी बात कहते हुए चतुर्वेदी जी ने कहा कि उसके बाद भी मेरे कार्यकाल को विजिलेंस में 1 साल बाकी रह गया था । इस घटना से वह इतना आहत हुए कि उन्हें यह लगने लगा था कि उन्होंने इससे पहले जितने भी अधिकारियों को इस तरह से पकड़ा होगा कहीं उनके भी परिवारों में ऐसी मजबूरियां ना रही हों ? यह सोचकर वह एक दिन अपने वरिष्ठ अधिकारी के पास गए और कहा कि - साहब मुझे विजिलेंस से हटा दीजिए। मुझे ये काम नहीं करना। मुझसे अब यह नहीं होगा। वरिष्ठ अधिकारियों के लाख समझाने पर भी चतुर्वेदी जी ने विजिलेंस की पोस्ट 1 साल पहले छोड़ दी। आज चतुर्वेदी की उम्र 70 साल प्लस है। वह खुद रिटायर हैं। और पंचशील नगर हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के बी ब्लॉक में बड़ी शांति की जिंदगी जी रहे हैं।


इस किस्से ने सोचने पर मजबूर कर दिया कि चतुर्वेदी जी ने सही किया या गलत ? उनके नजरिए से तो शायद यह बिल्कुल सही था। फिर पूरे किस्से में गलत कौन था ? क्या वह अधिकारी जो अपनी पांच बेटियों की शादी के लिए भ्रष्टाचार कर रहा था ? या फिर ये समाज ? जो इस तरह से एक बाप को भ्रष्ट आचरण करने पर मजबूर करता है। वो भी केवल महंगी शादी करने के लिए।
आये दिन मैं खुद भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारियों की खबरें लिखता हूँ और पढ़ता भी हूँ । लेकिन ये किस्सा सुनने के बाद कुछ देर के लिए क़लम थम सी गयी है ।
 *यह किस्सा सुनकर सचमुच दिमाग का दही हो गया है। बस मिर्ज़ा ग़ालिब की लिखी बड़ी सटीक पंक्तियां याद आ रहीं हैं जिनमें कभी कहा गया था।


 "रही होगी उनकी भी कोई मजबूरी, ग़ालिब"
"फिर यूं ही कोई बेहया नहीं होता ..


नरेश राघानी


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