कानपुर! महाराजपुर के जाना गांव (किशनपुर) की कान्हा उपवन गोशाला में देखरेख के अभाव में गोवंश एक-एक कर दम तोड़ रहे हैं। यहां शुक्रवार को ग्रामीणों को मौके पर आठ गायें मरी मिलीं। वहीं, गोवंश के शव कुत्ते नोचते नजर आए। एक गाय काफी चुटहिल नजर आई। गाय की नांदी में सड़ा भूसा पड़ा था। इस अव्यवस्था को लेकर ग्रामीणों ने रोष जताया है।
नगर निगम ने 717.68 लाख की लागत से बेसहारा पशु के लिए यह गोशाला बनवाई थी। यहां जानवरों को न खाने को भूसा मिल रहा है और न चोकर। सैकड़ों की संख्या में गोवंश चाहरदिवारी में कैद है। किशनपुर निवासी राकेश कुमार, बल्लू , रामेश्वर व जाना गांव निवासी विमल ने बताया कि शुक्रवार सुबह 11 बजे गोशाला पहुंचे। यहां एक गाय के शरीर पर काफी चोटें मिलीं।
पता चला कि उसे कर्मचारियों ने मारा था। वहीं, पास मृत पड़ी गाय और नवजात गोवंश को कुत्ते नोच रहे थे। नांदी में सड़ा भूसा भरा था। मौके पर किशनपुर के हरिचंद्र व श्रीराम के अलावा मदारपुर के 4-6 लोग मिले। ये लोग गोवंश की देखरेख करते हैं। ग्रामीणों के अनुसार वहां मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें पांच बोरा भूसा और एक बोर चोकर रोज खर्च करने के लिए कहा गया है।
ग्रामीणों के मुताबिक गोशाला में करीब 1500 गोवंश हैं। इस लिहाज से जानवरों का पेट नहीं भर पाता है। यहां गोवंश की नादियों में एक हफ्ते पहले भरा गया पानी मिला। ग्रामीणों को मौके पर आठ गाये मरी मिलीं। करीब आधा दर्जन गाय कीचड़ से सनी बीमार मिली। इसके अलावा तीन दिन पहले मरे नवजात गोवंश के शव को कुत्ते नोच रहे थे। ग्रामीणों के मुताबिक इसे कुत्तों ने ही मारा था। ग्रामीणों का आरोप है कि बीमार गोवंश को भरपेट चारा नहीं मिल पा रहा। आरोप है कि यहां आने वाले भूसे व चोकर को सस्ते दामों पर बेच दिया जाता है।
नहीं लगा सके शव ठिकाने
ग्रामीणों के अनुसार गोवंश के शव रात को बाहर निकाल दिए जाते हैं। रोज मरने वाले गोवंश को जेसीबी से गंगा किनारे या कहीं न कहीं दबा दिया जाता है। यहां चारा, चोकर रखने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं है। इसके अलावा कई गाय दूध दे रहीं है, जिसे कर्मचारी मिलकर बेच देते हैं। सूत्रों की माने तो जेसीबी आदि पीएम आगमन की तैयारी में लगी हैं। इस कारण गोवंश के शवों को ठिकाने नहीं लगाया जा सका।