सुबीर चेोधुरी
मरवाही!आपने जहाज महल , हवा महल और झुकती मिनार का नाम सुना होगा और कई ने देखा भी होगा । लेकिन क्या आपने हिलते डुलते आवास का नाम सुना या देखा है । नहीं ना तो फिर हमारे मरवाही ब्यूरो के द्वारा भेजी गई ये खबर पढ़िए । ये खबर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की हदें पार करनी वाली है । मरवाही विकासखंड के मगुरदा पंचायत में प्रधान मंत्री आवास में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है । यहां बने आवास की दिवाले फट रही है और हद तो ये कि यदि आप छत पर चढ़ जाएं तो छत हिलने लगती है ।
प्रधानमंत्री आवास योजना, सरकार की एक बहुउद्देशीय योजना,जिससे एक तय समय सीमा तक पूरे देश की काया कल्प बदल जाएगी।सभी के पास अपना खुद का पक्का मकान होगा। छतों से पानी नही टपकेंगे,मजबूत दीवारें होंगी,परिवार खुद को सुरक्षित महसूस कर पायेगा।थोड़ी धीमी गति से ही सहीं, पर धीरे धीरे कच्चे मकानों को पक्के में तब्दील किया जा रहा।लेकिन कहीं न कहीं ये आवास भी अब कुछ लोगों के पेट भरने का जरिया बनता जा रहा।अब अगर पूरी ईमानदारी से आवास निर्माण में स्तर का ध्यान न रखा जाये तो, यह उन कच्चे मकानों से भी ज्यादा असुरक्षित होगा।
मामला एक नजर में
मरवाही जनपद पंचायत के अंतर्गत मगुरदा पंचायत,व उस पंचायत के अंतर्गत एक आवास मोहल्ला है,जो मुख्य सड़क से काफी अंदर है,व जंगलों के रास्ते वहां तक पहुंचा जा सकता है।वहां के बुधसिंह अपने परिवार समेत अपने परिवार के अन्य सदस्य के कल्याणसिंह के नाम से बने आवास में रहते हैं,जिनकी मृत्यु हो चुकी है।अब बुधसिंह का कहना है,की इस आवास को बने अभी एक वर्ष भी नही हुआ है,और इसमें से पानी लीकेज होने लगा है,दीवारों से छतें अलग हो गयी है,दरारे आ गयी है,ऊपर छत में जाने पर यह अहसास होता है,जैसे वो हिल रही हो।अब ऐसे असुरक्षा के बीच बुधसिंह अपने बच्चों सहित पूरा परिवार लेकर कैसे रहतें हैं,ये तो उन्हीं को पता है।
आखिर कौन जिम्मेदार
सरकार की ये बहुआयामी व अच्छे भविष्य की दूरवर्ती सोच वाली योजना का जमीनी स्तर पर क्या हाल है,ये तो उनके घरों का हाल व परिवार वालों की असुरक्षित व कंपकपाती बातों से बयान होता है।अब बड़ा प्रश्न यह है की आखिर ऐसी बड़ी योजना को कागजों में भरा पूरा करते व पीछे लोगों के सपनों को तोड़ते इन निर्माणों का असल जिम्मेदार कौन है।चूंकि गरीबी रेखा से नीचे के ये छोटे कृषक स्वयं इन आवास को बनाने में सक्षम नही हैं,तो पंचायतों पर इन निर्माण कराने की जिम्मेदारी आती है,अब पंचायत कर्मचारी निर्माण किनसे व कैसे कराते हैं व किस स्तर का निर्माण होता है,यह भी उनके जांच का विषय है।आखिर ऐसे गैरजिम्मेदाराना व स्तरहीन आवास निर्माण की जिम्मेदारी कौन लेगा।
ब्लॉक में ऐसे सैकड़ों मामले
यह केवल अकेला एक मामला नहीं है, ऐसे अनेकों मामले हैं,जो प्रधानमंत्री आवास योजना को फैल करते दिखते हैं। मामलों में कुछ ऐसे भी हैं जिनका आवास 4 सालों से आज तक अधूरा पड़ा है, स्तर हीन आवास की जांच आवश्यक रूप से होनी चाहिए।ताकि लोगों को एक सुरक्षित घर व उनका अधिकार मिल सके।