गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

औरतें पर्देदारी का रखें ख्याल: असलम

सिराजुदीन 


अफजलगढ़! उ.प्र. श्रमजीवी पत्रकार यूनियन (पंजी.) के जिला मंत्री/आदर्श प्रेस क्लब सोसाइटी अफजलगढ़ के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार एस एम असलम की वालिदा मरहूमा को इसाले सवाब के लिए आयोजित औरतों के इज्तिमा को मुख्य रूप से सम्बंधित करते हुए जमीअत उलेमा-ए-हिंद जिला मुरादाबाद के जिला महासचिव/मदरसा दारुल उलूम तजवीजुल कुरान शरीफनगर के मोहतमिम/मशहूर आलिम-ए-दीन मौलाना अब्दुल खालिक कासमी ने औरतों की जिंदगी में पर्देदारी पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि औरतें बेहयाई और बेपर्दगी से बचें और घरों में दीनी माहौल कायम करें उन्होंने एंड्राइड फोन और टीवी से भी परहेज करने की नसीहत देते हुए इन्हें अधिकांश बुराइयों की जड़ बताया एस एम असलम के कासमपुर गढ़ी स्थित आवास पर मौलाना अ. खालिक कासमी की अध्यक्षता एवं मुफ्ती वसीम कासमी के संचालन में आयोजित हुए दीनी इजलास में बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं को सम्बोधित करते हुए मौलाना अ. खालिक ने आगे कहा कि दीन पर चलकर ही जिन्दगी में सुकून हासिल किया जा सकता हैं और घरों में दीनी माहौल कायम रखने में औरतें अहम रोल अदा कर सकती हैं अपने सम्बोधन में दिल्ली से आए तब्लीगी जमात के अमीर कारी अ. अलीम ने नमाज की पाबंदी पर जोर देते हुए मौत से पहले आखिरत की तैयारी कर लेने की नसीहत दी अंत में एसएम असलम की स्व. माता जी के लिए मुख्य रूप से दुआएं की गई जलसे में वरिष्ठ उर्दू पत्रकार डाँ. अल्ताफ हुसैन साबरी, कारी जाफर, कारी इकरार अहमद, हाफिज कमरुद्दीन, मौलाना याकूब कासमी, मास्टर रिजवान, हाजी नसीम अहमद, इरफान मंसूरी, कमरुद्दीन अल्वी आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे जलसे को सफल बनाने म़े अ. रशीद, मौ. अनस, एस.एम. जैद, शकील अहमद, अदनान सखावत, अ. हफीज, नईम अहमद, मुकीम अहमद, मौ. दानिश, सलीम अहमद, सद्दाम हुसैन, मौ. फैसल, मौ. फैज, नदीम अहमद, जाहिद उस्मानी, मौ. अयान, मौ. फैजान मौ. फहीम, मौ. सलमान आदि की मुख्य भूमिका रही।


आईपीएस का सीएबी के विरोध इस्तीफा

नई दिल्ली! आईपीसी ऑफिसर अब्दुर रहमान ने नागरिकता संशोधन बिल पास होने के विरोध में नौकरी से इस्तीफा दे दिया है! अब्दुर रहमान महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग में बतौर आईजीपी पोस्टेड थे!


अब्दुर रहमान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया,


'नागरिकता संशोधन बिल संविधान के मूल ढांचा के खिलाफ है! मैं इस बिल की मुखालफत करता हूं! मैंने सविनय अवज्ञा में कल से ऑफिस नहीं जाने का फैसला किया है! आखिरकार मैं अपनी सेवा से इस्तीफा दे रहा हूं!'
अधिकारी का नाम अब्दुर रहमान है! 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं! महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग में स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल के पद पर हैं!


अब्दुर रहमान ने अपने ट्वीट के साथ एक इस्तीफा भी पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने वीआरएस की मांग की थी! इस इस्तीफे में उन्होंने लिखा, 'मैंने वीआरएस के लिए एक अगस्त 2019 को आवेदन किया था! इसके बाद 25 अक्टूबर 2019 को राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को मेरे वीआरएस की सिफारिश भेजी थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने स्वीकार नहीं किया!'


अब्दुर रहमान ने यह भी कहा, 'मेरे खिलाफ कोई विभागीय जांच भी नहीं लंबित है! गृह मंत्रालय ने जल्दबाजी में मेरे वीआरएस के आवेदन को रद्द किया है!' हालांकि सूत्रों का कहना है कि अब्दुर रहमान के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है और वो पहले भी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं! अब्दुर रहमान ने अपने आवेदन में भी अंदर लिखा है कि वो निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं!


अब्दुर रहमान इस तरह पहली बार सुर्खियों में नहीं आए हैं। इससे पहले भी पुलिस भर्ती के दौरान उन पर फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं। जिसके संबंध में इसी वर्ष अप्रैल में पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने उनके ख़िलाफ़ जाँच के आदेश दिए थे। दरअसल पूरा मामला साल 2007 में हुई पुलिस भर्ती से जुड़ा है। साल 2007 में हुई पुलिस भर्ती की परीक्षा में मराठी में लिखना अनिवार्य था, लेकिन अब्दुर रहमान ने 'विशेष समुदाय' के लोगों को उर्दू में लिखने की अनुमति दी थी। साथ ही महिला अभ्यार्थियों का कोटा होने के बावजूद भी उनकी भर्ती नहीं की थी।


'टाइगर स्टेट' शेरों के स्वागत को तैयार

भोपाल! मध्यप्रदेश ने पिछले एक साल में न केवल एक बार फिर देश में टाइगर स्टेट होने का गौरव प्राप्त किया है बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के साथ वन-वन्य प्राणी संरक्षण और वनवासियों के उत्थान के सतत प्रयास भी शुरू कर दिये हैं। गुजरात के गिर में बचे हुए एशियाटिक लायन को विलुप्ति से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कूनो अभयारण्य में कुछ सिंहों की शिफ्टिंग के लिये भी राज्य सरकार लगातार सक्रिय है। प्रदेश में वनोपज का उत्पादन पिछले वर्ष से अधिक हुआ है। इस वर्ष 2.73 लाख घन मीटर इमारती लकड़ी, 1.62 लाख घन मीटर जलाऊ चट्टे और 34 हजार नोशनल टन बाँस का उत्पादन हुआ है, जो विगत वर्ष की तुलना में इमारती लकड़ी के लिये 56 प्रतिशत, जलाऊ लकड़ी के लिये 30 प्रतिशत और बाँस में 26 प्रतिशत अधिक है।
526 बाघ के साथ म.प्र. फिर देश में प्रथम-अखिल भारतीय बाघ आंकलन के 29 जुलाई 2019 को घोषित परिणाम में 526 बाघ के साथ मध्यप्रदेश पुन: देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2014 में हुई गणना में 306 बाघ आंकलित हुए थे। प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व- पेंच, कान्हा और सतपुड़ा देश में प्रबंधकीय दक्षता में प्रथम तीन स्थान पर हैं।
मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं एवं सेवाओं के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को ''मोस्ट टूरिस्ट फ्रेंडली नेशनल पार्क'' का अवार्ड मिला है। वन पर्यटन पर जोर देते हुए वन्य-प्राणी पर्यटन संबंधी निर्णयों के अमल की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। प्रदेश में दूसरी बार 12 जनवरी 2019 में की गई गिद्ध गणना में प्रदेश के 33 जिलों में 7900 गिद्ध पाए गए हैं। टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने वन्य-प्राणी अपराध में लिप्त राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है।
संग्रहण वर्ष 2019 में तेंदूपत्ता मजदूरी 2000 रूपये से बढ़ाकर 2500 रूपये प्रति मानक बोरा की दर से मजदूरी का नगद भुगतान किया गया। तेन्दूपत्ता प्रोत्साहन राशि का 15 प्रतिशत 3289.80 लाख रूपये अधोसंरचना विकास और 2365.60 लाख रूपये वन विकास और क्षमता विकास पर व्यय किये गये।
एकलव्य शिक्षा योजना में 4774 विद्यार्थियों को करीब 5 करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई। बाह्य स्थलीय संरक्षण योजना में 2182 हेक्टेयर में पौध-रोपण किया गया। क्षमता विकास योजना में 1100 तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार के युवाओं को 225 लाख 50 हजार के व्यय से मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण दिलाया गया। मुख्यमंत्री तेन्दूपत्ता संग्राहक कल्याण सहायता योजना में 483 प्रकरणों में पौने 2 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।
वन समितियाँ देंगी 7800 गौ-वंश को आश्रय-वन समितियों के माध्यम से अनाश्रित गायों के लिए 78 गौ-शालाएँ खोली जा रही हैं। प्रति गौ-शाला 7800 गौ-वंश को आश्रय दिया जाएगा। वन विभाग ई-आफिस प्रणाली लागू करने वाला प्रदेश में पहला है। जीआईएस तकनीक का प्रयोग कर वन खण्डों के मूल मानचित्र एवं राजस्व विभाग के खसरे वार उपलब्ध डेटा से नक्शे तैयार किये गये हैं। निजी भूमि पर वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना में 25.82 लाख, राष्ट्रीय बाँस मिशन में लगभग 10 करोड़ 90 लाख और ग्रीन इंडिया मिशन में 13 करोड़ की राशि का वितरण किया गया है। आरा मशीन नामांतरण-स्थानांतरण प्रक्रिया मे संशोधन से अब विक्रय/उत्तराधिकार इत्यादि केवल एसएलसी के अनुमोदन से ही हो जाएगा।
जन-सामान्य को एमपी ऑनलाइन से पौधा विक्रय की व्यवस्था के लिए नर्सरी मेनेजमेंट सिस्टम विकसित किया गया है। वनवासियों की अजीविका को केन्द्र में रखकर वन संरक्षण की योजनाएँ बनाई गई हैं। बिगड़े बाँस वनों के सुधार और वृक्षारोपण के माध्यम से वन समितियों की भागीदारी से योजना तैयार की गई है। वन एवं ग्रामीण विकास विभाग के समन्वय से 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर के बिगड़े बाँस वनों के सुधार और 50 हजार हेक्टेयर में बाँस के उन्नत वृक्षारोपण की योजना क्रियान्वित की जा रही है। पान बरेजा परिवारों को निस्तार नीति में सम्मिलित किया गया है। वन्य-प्राणी सरंक्षित क्षेत्रों से विस्थापित ग्रामीणों को विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए प्रमाण-पत्र दिए गए हैं। नर्सरी में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें सभी आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। वर्षा ऋतु में 3 करोड़ 34 लाख से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया।
वन विकास निगम-वन विकास निगम द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों के 82 किलोमीटर में 96 हजार से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया है। हेवल्स इण्डिया के सीएसआर मद से 222 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 4 लाख पौधों का रोपण किया गया है। अमरकंटक में रुद्राक्ष और झाबुआ वन मण्डल में शीशम रोपण का कार्य प्रगति पर है। लुप्तप्राय पक्षी खरमोर के संरक्षण और संवर्धन के लिये धार और नीमच में विकास कार्य किया जा रहा है। इंदौर की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में उत्तम गुणवत्ता के बाँस और संकटापन्न प्रजाति के पौधों को विकसित किया जा रहा है। सागौन पर भी प्रयोग शुरू किया गया है। वर्ष 2019 के रोपण के लिए विभागीय रोपणियों में 8.55 करोड़ विभिन्न प्रजातियों के पौधे विकसित किए गए हैं। गैर वन क्षेत्रों में लगभग 40 लाख पौधों का विक्रय किया गया। निगम द्वारा 96 लाख 64 हजार हेक्टेयर में एक करोड़ 73 लाख से ज्यादा पौधे रोपित किये गये। निगम प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख मानव दिवस रोजगार उपलब्ध करा रहा है।
वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय बाँस मिशन द्वारा प्रदेश की 4541.87 लाख रूपये की योजना को मंजूरी दी गई। इसमें केन्द्रांश और राज्यांश का अनुपात 3:2 है। बाँस की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के लिए दो उच्च तकनीक और चार छोटी बाँस रोपणी निजी क्षेत्र में स्थापित कराई गई हैं। प्रदेश के सभी 11 एग्रो क्लाईमेटिक जोन में बाँस की विभिन्न प्रजातियों की फील्ड ट्रायल के लिए 12 बेम्बू सेटम की स्थापना की गई है। कृषि क्षेत्र के 1114.50 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण कराया गया है। प्रदेश के प्रमुख बाँस क्लस्टरों में निजी क्षेत्र में 46 और 33 बाँस आधारित सूक्ष्म लघु और मध्यम इकाइयों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। परम्परागत 156 शिल्पकारों को नवीन बॉस उत्पादों के डिजाईन एवं निर्माण के लिए और 52 को अगरतला में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। बाँस उत्पाद निर्माण और विपणन को सुलभ बनाने के लिए सीएफसी का सुदृढ़ीकरण किया गया।
जैव विविधता बोर्ड-जैव विविधता बोर्ड द्वारा जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में मण्डला, बैतूल, छिन्दवाड़ा के लगभग 500 किसानों, समिति सदस्यों और संग्राहकों को अकाष्ठीय वनोपज की विनाश विहीन सतत पद्धति का प्रशिक्षण दिया गया। जन-भागीदारी से 1 करोड़ 10 लाख सीडबॉल का निर्माण किया गया। रोपणियों में दुर्लभ प्रजाति के 70 लाख पौधे तैयार किये गये।
इस वर्ष 60 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया। जीवामृत एवं नीम खली का उत्पादन भी रोपणियों में किया जा रहा है। प्रमुख स्थलों पर रोपणी को ईको-टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित कर जन-सामान्य में वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता पैदा की जा रही है।
कैम्पा में अब तक सर्वाधिक 450 करोड़ की राशि स्वीकृत
इस अवधि में पहला अवसर रहा जब निरंतर प्रयासों से राज्य कैम्पा के किसी एपीओ की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा उसी वित्तीय वर्ष के प्रथम त्रैमास में ही जारी की गई। स्वीकृत एपीओ में 450 करोड़ के कार्य होंगे। यह अभी तक की सर्वाधिक स्वीकृत राशि है। ग्रीन इण्डिया मिशन में मशरूम खेती, महिलाओं को सिलाई, सेनेटरी पेड निर्माण, बॉयोगैस डायजेस्टर, अगरबत्ती निर्माण, कम्प्यूटर, ड्रायविंग, बिजली मरम्मत आदि रोजगारमूलक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखता है चकोतरा

सर्दी के मौसम में आनेवाले प्रमुख फलों में शामिल है चकोतरा। धूप में बैठकर इस फल का लुत्फ उठानेवाले इसके स्वाद और इससे होनेवाले फ्रेश मूड का अनुभव जानते हैं। यह एक पौष्टिक फल है और आमतौर पर पहाड़ी मैदानों के साथ ही प्लेन्स में भी उतना ही लोकप्रिय है।


चकोतरा के जूस में विटमिन-ई, सी और ए पाए जाते हैं। साथ ही यह फल बैक्टीरियल इंफेक्शन से लडऩे में मददगार है।
-चकोतरा को ग्रेपफ्रूट के रूप में भी जाना जाता है। यह एक रसीला फल है और इसके सेवन से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है, जिससे सर्दियों में त्वचा में खुस्की की समस्या नहीं होती है।
— चकोतरा में फैट नहीं होता और शरीर को सिर्फ जरूरी कैलोरी ही मिलती हैं। इस कारण जो लोग अपना बढ़ता हुआ वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें भी सर्दियों में चकोतरना का उपयोग करना चाहिए।
–जिन लोगों को कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी समस्या रहती है, उन्हें एक चकोतरा रोज खाना चाहिए। जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर ऐंड फूड केमिस्ट्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, खराब कोलेस्ट्रॉल को ठीक करने में चकोतरा अहम भूमिका निभाता है।
दिल की बीमारियों का खतरा कम करने का काम भी चकोतरा करता है। कोलेस्ट्रॉल घटाकर यह रक्त को पतला करने में मदद करता है। इससे स्ट्रोक का रिस्क कम होता है।


सर्दी में लाभकारी है 'टमाटर सूप'

लाल लाल स्वादिष्ट टमाटर कई सब्जियों व डिश का अहम हिस्सा होते है। कच्चे टमाटर के अलावा उनका सूप भी बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। आमतौर पर खाने से पहले स्टार्टर के तौर पर लिए जाने वाले टमाटर सूप में विटामिन ए, ई, सी, के और एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं। जो आपको हेल्दी और फिट रखने में मदद करते हैं। 
आइए, जानते हैं टमाटर सूप पीने से सेहत को मिलने वाले 7 गजब के फायदे –
1 हड्डियों के लिए फायदेमंद –
टमाटर सूप में विटामिन के और केल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत रखता है। इसके अलावा शरीर में लाइकोपीन की कमी होने से भी हड्डियों पर तनाव बढ़ता है और टमाटर में काफी मात्रा में लाइकोपीन होता है, जो हड्डियों के लिए अच्छा होता है।
2 दिमाग को रखें दुरुस्त –
टमाटर सूप में भरपूर मात्रा में कॉपर और पोटेशियम पाया जाता है, जिससे नर्वस सिस्टम ठीक रहता है और दिमाग को मजबूती मिलती है।
3 विटामिन की कमी करे पूरी –
टमाटर सूप में विटामिन ए और सी अच्छी मात्रा में होता है। विटामिन ए, टिशू के विकास के लिए जरूरी होता है। कहते है कि शरीर में रोजाना 16 प्रतिशत विटामिन ए और 20 प्रतिशत विटामिन सी की जरूरत होती है और टमाटर सूप इसकी जरूरत को पूरा करता है।
4 वजन करे कम –
टमाटर सूप को अगर ऑलिव ऑयल से बनाया जाए तो यह वजन घटाने में सहायक होता है, क्योंकि इसमें पानी और फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे आपको काफी समय तक भूख नहीं लगती।
5 कैंसर का खतरा करे कम –
टमाटर सूप में लाइकोपीन और कैरोटोनॉयड जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जिससे कैंसर की आशंका कम हो जाती है।
6 ब्ल्ड शुगर को करे नियंत्रण –
डायबिटीज के मरीजों को डाइट में टमाटर सूप जरूर लेना चाहिए। इसमें क्रोमियम होता है, जो ब्ल्ड शुगर को नियंत्रण में रखने में सहायक होता है।
7 रक्त प्रवाह को बढ़ाएं –
टमाटर में सेलेनियम होता है, जो रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जिससे एनिमिया का खतरा कम हो जाता है।


रतनजोत के बीज खाकर बच्चे हुए बीमार

धमतरी। भखारा इलाके के एक गांव में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब आधा दर्जन से अधिक बच्चों को अचानक उल्टी होने लगी। ग्रामीणों ने आनन-फनन में बच्चों को अस्पताल पहुंचाया। फिलहाल सभी बच्चों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका उपचार जारी है। बच्चों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार बुधवार भखारा इलाके के जुनवानी गांव के 10 बच्चों ने खेलते-खेलते रतनजोत का बीज खा लिया था। रतनजोत का बीज खाने के बाद बच्चों को उल्टी होने लगी। इसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें तत्काल स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया। बताया जा रहा है कि बच्चे गौठान में खेल रहे थे, इसी दौरान उन्होंने वहां लगे रतनजोत का बीज खा लिया था।


हुंडई के शोरूम में लगी, आग 5 कार जली

जगदलपुर। शहर के बोधघाट थाना क्षेत्र में स्थित हुंडई कार शोरूम के बाहर रखी गई 05 वाहनों पर गुरुवार की सुबह अचानक आग लग गई। आगजनी की घटना के बाद वहां खड़ी 05 कारें जलकर पूरी तरह खाक हो गई है। 
हुंडई शोरूम के बाहरी हिस्से में रखी गई कारों में एक कार पर सुबह करीबन 9 बजे अचानक आग लग गई। आग को देखते हुए वहां मौजूद शोरूम के गार्ड ने घटना की जानकारी पुलिस, दमकल और हुंडई शोरूम के संचालक को दिया। कार में लगी आग देखते ही देखते नजदीक खड़ी 4 वाहनों को भी अपनी चपेट में ले लिया। इसी दौरान एनडीआरफ की टीम ने मौके पर पहुँचकर समय रहते आग पर काबू पा लिया है। यदि आग बुझाने में कुछ और देरी हुई होती तो वहां खड़े और भी वाहन आग की चपेट में आ जाती और हुंडई शोरूम का बड़ा नुकसान हो सकता था। फिलहाल मौके पर बोधघाट पुलिस पहुँचकर मामले की जांच में जुट गई है।


कौशाम्बी: 'संपूर्ण समाधान दिवस' का आयोजन

कौशाम्बी: 'संपूर्ण समाधान दिवस' का आयोजन  गणेश साहू  कौशाम्बी। जिले के सभी तहसीलों में शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन किया ग...