सोमवार, 9 दिसंबर 2019

'फाँसी के फंदे' तैयार करने का निर्देश

10 फांसी के फंदे तैयार करने के जो निर्देश प्राप्त हुए क्या


रवि ठाकुर


पटना! बिहार की बक्सर जेल को इस सप्ताह के अंत तक फांसी के दस फंदे तैयार रखने का निर्देश दिया गया है, जिससे यह कयास लगाया जा रहा है कि ये दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया मामले के दोषियों के लिए हो सकते हैं। बिहार की बक्सर जेल, राज्य की एकमात्र ऐसी जेल है जिसे फांसी के फंदा बनाने में महारत हासिल है। इस आशय का निर्देश पिछले सप्ताह प्राप्त हुआ था, हालांकि जेल प्रशासन को यह नहीं पता है कि फांसी के इन फंदों के लिए मांग कहां से और किस उद्देश्य से की गई है। बक्सर जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि हमें पिछले सप्ताह जेल निदेशालय से 14 दिसंबर तक 10 फांसी का फंदा तैयार करने के निर्देश मिले थे। हमें नहीं पता कि ये कहां इस्तेमाल होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए इस जेल में तैयार किए गए फांसी के फंदे का इस्तेमाल किया गया था। 2016-17 में हमें पटियाला जेल से आदेश मिले थे, हालांकि हम यह नहीं जानते कि किस उद्देश्य के लिए वे फंदे तैयार कराए गए थे।
अरोड़ा ने कहा कि बक्सर जेल में लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते हैं और एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। उसे तैयार करने में दो से तीन दिन लग जाते हैं जिस पर पांच-छह कैदी काम करते हैं तथा इसकी लट तैयार करने में मोटर चालित मशीन का भी थोड़ा उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि पिछली बार जब यहां से फांसी के फंदे की आपूर्ति की गई थी, तो एक की कीमत 1725 रुपए रही थी, पर इस बार 10 फांसी के फंदे तैयार करने के जो निर्देश प्राप्त हुए हैं, उसमें पीतल के बुश जो कि गर्दन में फंसती है, की कीमत में हुए इजाफा के कारण फांसी के फंदे की कीमत में थोड़ी बढोतरी हो सकती है।
यह कयास लगाया जा रहा है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक चलती बस में एक युवती से बलात्कार के चार दोषियों को इस महीने के अंत में फांसी दी जा सकती है। संयोग से, निर्भया मामले के दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर बिहार के औरंगाबाद जिले का निवासी है। हैदराबाद में एक महिला के बलात्कार और उसकी हत्या के चार आरोपियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद निर्भया मामले के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग ने और जोर पकड़ लिया है।


पुलिस छापेमारी में सेक्स रैकेट का खुलासा

औरंगाबाद! शहर के राजेश नगर और यशवंत नगर क्षेत्र में क्राइम ब्रांच की टीम ने छापेमार कर सेक्स रैकेट का खुलासा किया है। इस दौरान पुलिस ने 4 युवतियों सहित 8 लोगों को संदिग्ध अवस्था में रंगेहाथों पकड़ा है। छापेमार कार्रवाई के दौरान पुलिस ने मौके से शराब की 480 बोतलें भी बारामद की है। हालांकि पुलिस ने प्रारंभिक पूछताछ के बाद सभी को छोड़ दिया था।


मिली जानकारी के अनुसार शहर के राजेश नगर और यशवंत नगर के होटलों में सेक्स रैकेट चलाए जाने की सूचना पुलिस को लंबे समय से मिल रही थी। क्राइम ब्रांच की टीम को शनिवार को भी ऐसी ही सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच की टीम ने दो अलग—अलग होटलों में दबिश देकर 4 युवतियों सहित 8 लोगों को रंगेहाथों गिरफ्तार किया है। पूछताछ के बाद पुलिस ने बताया कि मौके पर पकड़ाई अधिकतर युवतियों ने बताया कि वे घर से कोचिंग जाने के बहाने निकली थी। 18 वर्षीय छात्रा अपने बैग के साथ पकड़ी गई जो कोचिंग के लिए घर से निकली थी। एक अन्य छात्रा भी कोचिंग के लिए निकली थी जिसके हाथ में किताब और डायरी थी।


बताया गया कि इन होटलों में पहले भी छापेमारी कर पुलिस ने सेक्स रैकेट का खुलासा किया था। यहां पिछले बार एक जोड़े को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बाद में यहां से बरामद युवती की मौत हो गई थी। युवती के आत्महत्या करने का मामला सामने आया था, जबकि कई लोगों ने परिजनों द्वारा उसे मार देने की बात कही थी।


केवल 1 घंटे में 10 हजार कमा सकते हैं

नई दिल्ली। आज की जिंदगी में सर्वाइव करने के लिए हर कोई पैसे कमाना चाहता है। ऐसे में हम आपको एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं जिससे आप केवल 1 घंटे भी 10 हजार तक पैसे कमा सकते हैं। दरअसल, डाटा माइनिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और क्लाउड सिक्योरिटी की मांग सबसे तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में हर जगह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial intelligence) की जरूरत है। कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को इस स्किल्स की ट्रेनिंग देना चाहती हैं। इसके लिए 50,000 रुपए से लेकर 7 लाख रुपए तक दिए जाएंगे। जानें इसके लिए आपको करना क्या होगा।


बता दें, लर्निंग एंड डेवलपमेंट प्रोग्राम (Learning and Development Program) के तहत कंपनियां ऐसे टीचर्स को छोटी अवधि के लिए हायर करती हैं। इसमें खासतौर पर वो लोग होते हैं, जिन्होंने पहले इस क्षेत्र में काम कर लिया या फिर इसी थ्योरी के बारे में उन्हें पूरी जानकारी है। इस तरह के स्किल्स को सीखने के लिए 30-60 घंटों की जरूरत होती है। इसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल की ट्रेनिंग दी जाती है। आईटी, ई-कॉमर्स, बैंकिंग, एफएमसीजी और ई-लर्निंग के सेक्टर की कंपनियां इस तरह के लोगों की हायरिंग करती हैं।


मिस यूनिवर्स 2019 का खिताब 'टुंज़ी' ने जीता

अटलांटा। अमेरिका के अटलांटा में आयोजित हुई मिस यूनिवर्स 2019 (Miss Universe 2019) प्रतियोगिता का खिताब दक्षिण अफ्रीका की ज़ोज़िबिनी टुन्ज़ी (Zozibini Tunzi) ने जीत लिया है। प्यूर्टो रिको की मैडिसन एंडरसन फर्स्ट रनर-अप जबकि मेक्सिको की सोफिया अरागॉन सेकेंड रनर-अप रहीं। गौरतलब है कि मिस यूनिवर्स 2019 प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं 26 वर्षीय वर्तिका सिंह टॉप 10 में भी जगह नहीं बना सकी थीं।मिस यूनिवर्स 2019 ज़ोज़िबिनी टुन्ज़ी दक्षिण अफ्रीका के सोलो की रहने वाली हैं और महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं। 26 वर्षीय टुन्ज़ी के पास पब्लिक रिलेशन्स व इमेज मैनेजमेंट की बैचलर डिग्री है और उन्होंने पब्लिक रिलेशन्स में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री भी पूरी की है। टुन्ज़ी ने ओगिल्वी केप टाउन के जनसंपर्क विभाग में इंटर्नशिप भी किया है।मिस यूनिवर्स 2019 प्रतियोगिता के आखिरी राउंड में तीनों प्रतिभागियों से पूछा गया था, 'वह कौनसी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है जो आज की तारीख में हमें युवा लड़कियों को सिखानी चाहिए?' इसपर विजेता ज़ोज़िबिनी टुन्ज़ी ने कहा, 'सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो लड़कियों को सिखानी चाहिए वह है नेतृत्व करना, समाज में अपनी जगह बनाने से ज़्यादा ज़रूरी कुछ भी नहीं हैं।'


उड़ने वाली कार लॉन्च, कीमत 4.3 करोड़

फ्लोरिडा। कुछ लोगों को यह मजाक लग रहा होगा लेकिन टेक्नोलॉजी (Technology) ने इतनी बढ़त कर ली है कि अब दुनिया में उड़ने वाली कार भी लॉन्च हो चुकी है। इस कार की स्पीड (Speed) भी हैरान कर देने वाली है। कार की सबसे बड़ी खासियत ये है की इससे उन शहरों में फायदा होगा जहां ट्रैफिक की दिक्कत रहती है। ये कार उड़ने के साथ चल भी सकती है। इस कार को फ्लोरिडा (Florida) में लॉन्च किया गया है। इसका नाम पर्सनल एयर लैंडिंग व्हीकल रखा गया है। जानें गाड़ी की कामत और इसकी खासियत के बारे में,


इस गाड़ी को चलाने के लिए गैसोलीन की जरूरत पड़ती है और हवा में इसकी सबसे तेज गति 200 मील प्रति घंटा है। वहीं, सड़क पर इसकी गति 100 मील प्रति घंटा है। हॉलैंड में बनी इस गाड़ी का तेजी से उत्पादन किया जा रहा है। इस गाड़ी को खरीदने के लिए पहले ही 70 लोगों ने बुकिंग कर दी है। इसकी कीमत लगभग 4.3 करोड़ रुपए रखी गई है। इस गाड़ी की पहली डिलीवरी 2021 तक किए जाने की संभावना है। मियामी 2020 एंड बियॉन्ड नामक कार्यक्रम में पाल-वी को प्रदर्शित किया गया।


इसमें 230 हॉर्सपावर के चार सिलेंडर इंजन लगाए गए हैं। यह गाड़ी तीन सीट वाली कार से दो सीट वाले गायरोकॉप्टर में सिर्फ 10 मिनट में बदल जाती है। गाड़ी आठ सेकेंड के अंदर शून्य से 60 मील प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है। इस उड़ने वाली गाड़ी में दो लोगों के बैठने की जगह है और इसमें 230 हॉर्सपावर के चार सिलेंडर इंजन दिए गए हैं। इस कार को कॉर्बन फाइबर, टाइटेनियम और एल्युमिनियम से बनाया गया है और इसका वजन 680 किलोग्राम है। इस कार को कॉर्बन फाइबर, टाइटेनियम और एल्युमिनियम से बनाया गया है।


शाहिदा महाराष्ट्र महिला सेल की अध्यक्ष

मुंबई! भारतीय मानव समाज सेवक संस्थान के द्वारा समाज सेविका कुमारी शेरबानो शाहिदा दरबार को महाराष्ट्र महिला सेल( इंडिया वर्किंग मैनेजमेंट) का अध्यक्ष नियुक्त किया है! शेर बानो शाहिदा को सभी ने बधाई दी, उनकी लंबी उम्र की कामना की गई! ऊंच-नीच को त्याग कर, सबका साथ, सहयोग, सहायता के साथ-साथ राजधर्म का पालन करने की अपेक्षा की गई है! जनता की मूल समस्याओं का विरोध करना, जनविकास ही हमारी प्राथमिकता है!
शिक्षा-स्वच्छता, योजनाओं का प्रचार-प्रसार समाज और एवं सुरक्षा के साथ, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु स्वरोजगार एवं परीक्षण का कार्य संस्था का मूल उद्देश्य्य है!


औद्योगिक इमारत निर्माण में रखे ध्यान

औद्योगिक इमारतों के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक हैं : विद्युत्शक्ति और जल सस्ता और पर्याप्त मात्रा में मिल सके। आवश्यक मात्रा और संतोषजनक रूप में श्रम सुलभ हो। कच्चे माल और आवश्यक उपकरण को उचित व्यय और सुविधाजनक रीति से प्राप्त करने तथा प्रस्तुत माल को बाहर भेजने के लिए समुद्र या नौसंवहन योग्य नदी, रेल लाइन और पक्की सड़क हो। व्यवसायजन्य रद्दी सामानों के उचित विक्रय की सुविधा हो। भूमि भवननिर्माण योग्य हो और पड़ोस ऐसा हो जिससे भविष्य में उद्योग का कम खर्च से सुविधाजनक एवं संतोषजनक रूप से विस्तार संभव हो सके। युद्धकालीन बमबारी जैसे जोखिमों से बचने के लिए यथासंभव जनाकीर्ण एंव सामरिक महत्व के क्षेत्रों को नहीं चुनना चाहिए।


स्थान की आवश्यकता पर सावधानी से विचार करना चाहिए। विभिन्न एककों की रचना बड़ी सतर्कता से करनी चाहिए जिससे दैनिक कार्यसंचालन में शक्ति का अपव्यय न हो और न स्थान, सामग्री, श्रम या धन की बरबादी हो। आयोजन सरल होना चाहिए जिससे कम से कम खर्च में प्रतिष्ठान में कार्य करनेवालों की कार्यक्षमता अधिक से अधिक बढ़ाई जा सके और उन्हें अधिकतम सुख सुविधा प्राप्त हो सके। जलवायु की स्थिति, वायुप्रवाह की दिशा, वर्षा की मात्रा आदि पर भी उचित ध्यान देना आवश्यक है। इमारतें एकमंजिली हों या कई मंजिलों की, यह उद्योगविशेष की अपनी आवश्यकताओं, भूमि के आपेक्षिक मूल्य, भूमि की स्थिति तथा क्षेत्रफल आदि पर निर्भर है। कई मंजिलोंवाली इमारतों में अग्नि के नियंत्रण के लिए स्वचालित व्यवस्था होनी चाहिए जिससे बीमे का खर्च कम हो। अग्निकांड और संकट के समय निकल भागने का भी उचित प्रबंध आवश्यक है। लिफ़्ट और स्वचालित सोपानों की व्यवस्था भी हो सके तो अच्छा है।


यह ध्यान रखना आवश्यक है कि प्रत्येक विभाग का विस्तार समय आने पर उचित रीति और कम व्यय से किया जा सके और इससे उत्पादन में कोई ह्रास न हो। प्रतिष्ठान के विस्तार के अनुरूप जलपान एवं भोजनगृह, विश्रामकक्ष, शौचालय, बहुमूल्य वस्तुओं को रखने के लिए सुरक्षित स्थान, चिकित्सालय एवं क्रीड़ांगण आदि कल्याणकारी सुविधाएँ भी नितांत अपेक्षित हैं। वास्तु को प्रभावशाली बनाने के लिए भवन के आकार प्रकार, बनावट, सौष्ठव और सम्यक् अनुपात का ध्यान रखना चाहिए। कर्मचारियों की मनोदशा और मानसिक वृत्तियों पर रंगों के आयोजन का बड़ा प्रभाव पड़ता है, जिससे अंतत: उत्पादन के परिमाण और अच्छाई दोनों प्रभावित होते हैं। प्रतिष्ठान की भीतरी दीवालों की रँगाई हल्के रंगों से या सफेद होनी चाहिए। इमारतों में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए जिससे निरंतर एकरूप प्रकाश मिल सके, किंतु चकाचौंध न उत्पन्न हो। प्राकृतिक प्रकाश का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। रात के समय कृत्रिम प्रकाश के रूप में बिखरकर आया बिजली का श्वेत प्रकाश अपेक्षित होता है। प्राय: विद्युन्नलिकाएँ (फ़्लुओरेसेंट ट्यूब लाइट) सर्वाधिक सुविधाजनक होती हैं। इसके लिए प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार की व्यवस्थाएँ की जा सकती हैं। तंबाकू, औषध और वस्त्रोद्योग जैसे प्रतिष्ठानों में, जहाँ ताप एवं आर्द्रता का नियंत्रण और धूलिकणों का दूर रखना बहुत आवश्यक होता है, वायु अनुकूलन की भी व्यवस्था करनी पड़ती है। औद्योगिक इमारतों का निर्माण अग्निसह होना चाहिए।


कुछ देशों में कारखानों की वृद्धि इतनी अधिक हुई है कि शहरों में उनका बनाना असंभव हो गया है। इसलिए बड़े कारखाने शहर से दूर बनाए जाते हैं और पास में ही कार्यकर्ताओं के लिए गृह, पाठशाला, उद्यान, अस्पताल, बाजार, सिनेमा आदि सभी विशेष रूप से बनाए जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक कारखाना एक छोटा सा नगर ही हो जाता है!


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...