नई दिल्ली! केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करने जा रहे हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस बिल में मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता नहीं दिए जाने के प्रावधान का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं। इस बिल में छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार सिर्फ गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को ही भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। दोपहर में बिल पेश होने के बाद आज ही चर्चा भी होगी। सरकार इस विधेयक को आज ही पारित करवाना चाहेगी।
जोरदार विरोध करेगी कांग्रेसकांग्रेस संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पुरजोर विरोध करेगी क्योंकि यह विधेयक देश के संविधान और पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है। लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद यह बयान दिया। चौधरी के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्नील सुरेश और सचेतक गौरव गोगोई सहित अन्य ने बैठक में हिस्सा लिया।
चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, 'हम संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करेंगे क्योंकि यह हमारे संविधान, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और संस्कृति के विरूद्ध है।' सुरेश ने कहा, 'हम इस विधेयक का पूरी ताकत से विरोध करेंगे क्योंकि यह संविधान विरोधी और धर्मनिरपेक्षता विरोधी है।' उन्होंने कहा कि बैठक में निर्णय किया गया कि पार्टी बलात्कार के मामले और उन्नाव में महिला को जलाने की घटना को भी संसद में उठाएगी। पार्टी देश के विभिन्न हिस्से में महिलाओं पर हमले के मुद्दे को भी उठाएगी। केंद्रीय मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में विधेयक पेश करेंगे।
संशोधन लाएगी सीपीएम
उधर, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश किए जाने पर पार्टी इसमें दो संशोधन लाएगी क्योंकि वह विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध करती है। येचुरी ने रविवार को कहा कि पार्टी दो संशोधन ला कर उन सभी शर्तों को हटाने की मांग करेगी, जो धर्म को नागरिकता प्रदान करने का आधार बनाते हैं। उन्होंने कहा, 'हम धर्म के आधार पर, वह भी तीन देशों के लोगों को नागरिकता देने वाले नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पुरजोर विरोध करते हैं।' उन्होंने कहा कि भारत समान रूप से सभी धर्मों का घर है और सभी धर्मों के लोगों के साथ अवश्य ही समान व्यवहार होना चाहिए।
मुस्लिमों को भी मिले नागरिकता: अकाली दल
दूसरी तरफ पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करने के एनडीए सरकार के फैसले की सराहना की। पार्टी ने चंडीगढ़ में कहा कि लंबे समय से लंबित उनकी मांग मान ली गई है। हालांकि पार्टी ने कहा कि विधेयक में सताए गए हर व्यक्ति को शामिल किया जाना चाहिए चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। पार्टी ने कहा कि देश के धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक ढांचे के साथ ही मानवीय सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, मुस्लिमों को उनके धर्म के आधार पर विधेयक से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए था।
पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध प्रदर्शन
इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है। प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में 10 दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का चुनावी वादा था।
बीजेपी नीत एनडीए सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गई।
असम के सीएम की युवाओं से अपील
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और वरिष्ठ मंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने रविवार को दावा किया कि राज्य हित के विरोधी बल आंदोलनों के माध्यम से 'विभिन्न समुदायों के बीच कलह' पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और युवाओं से इन आंदोलनों में शामिल होने की बजाए विकास के लिए कड़ी मशक्कत करने की अपील की। सोनोवाल ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, 'राज्य की युवा पीढ़ी को कड़ी मेहनत, समर्पण, ईमानदारी एवं निष्ठा से असम को वैश्विक मंच पर लाने का प्रयास करना चाहिए तथा उन्हें अपने जीवन का बहुमूल्य समय आंदोलनों एवं प्रदर्शनों में बर्बाद नहीं करना चाहिए।' इसी कार्यक्रम में, बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने लोगों से उन बलों को सफल नहीं होने देने की अपील की जो विभिन्न समुदायों के बीच कलह पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि राज्य को पिछले 40-50 वर्षों में आंदोलनों से कुछ नहीं मिला है।
बीजेपी का अपने लोकसभा सांसदों को व्हिप
लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करने को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने सभी लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी किया कि 9 दिसम्बर से तीन दिनों तक सदन में मौजूद रहें। एक सूत्र ने बताया कि व्हिप में बीजेपी के सभी सांसदों से सदन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। विधेयक के लोकसभा में आसानी से पारित होने की संभावना है क्योंकि 545 सदस्यीय सदन में बीजेपी के 303 सांसद हैं।