रविवार, 8 दिसंबर 2019

सूचना के अधिकार को चाट रहा 'भ्रष्टाचार'

नई दिल्ली! जनसूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का गला घोंटने पर तुले हैं, जनसूचना अधिकारी और जनसूचना आयुक्त”जनसूचना आवेदकों में निराशा छाई”:-
जनसूचना का अधिकार अधिनियम 12अक्तूबर 2005ई0में लागू किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य रहा, भ्रष्टाचार को रोकना और आमजन की समस्याओं का सरलता से निदान करना।
लेकिन अफसोस इस बात का है कि वर्तमान समय में अधिकांश विभागीय जनसूचना अधिकारी लापरवाही और तानाशाही करते हुए मांगे गए किसी भी बिन्दु की सूचना नहीं देते हैं।
बल्कि मांगी गई सूचना के साथ जमा शुल्क पोस्टल आर्डर रूपये दस /नगद को भी मज़े से हड़प ले रहे हैं।
इन लोगों का ऐसा रवैया बेहद शर्मनाक और निंदनीय है।
इनके द्वारा न तो अधिनियम की धारा 6(1)का पालन किया जाता है न ही 6(3) का, बल्कि धारा 8जे का हवाला देकर हर बिन्दु की सूचना से बचने का घिनावना प्रयास किया जाता है


मज़े की बात यह है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी भी अपनी महाभ्रषटतम शैली को अपनाते हुए, अधिनियम की धारा 19(1) का पालन न करते हुए कुछ भी निर्देश जनसूचना अधिकारी को देना उचित न समझते हुए , उन्हीं की गोद में जा बैठते हैं।
और इससे भी बड़ी और जटिल समस्या यह है कि धारा 19 के अन्तर्गत प्रस्तुत अपील ,समक्ष माननीय राज्य आयुक्त के द्वारा भी तारीख पर तारीख का खेल करते हुए जनसूचना के अधिकार को छीनने का पूरा प्रयास किया जाने लगा है, सबसे ज़्यादा खेदजनक बात यह है कि इस अधिनियम की खुलेआम उड़ती हुई धज्जियों को देखते हुए सरकार अपनी आंखें बंद क्यों की है ?


ऐसा रवैया देश,प्रदेश और जन हित के लिए हानिकर है।
जनसूचना अधिकारियों, अपीलीय अधिकारियों, जनसूचना आयुक्तों के द्वारा अधिनियम की धाराओं का खुलेआम उल्लंघन करते रहना, सरकार का भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का सपना अधूरा रह जाएगा।


राजनीति में लगता है दो नंबर का पैसा

जोधपुर। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए कहा कि राजनीति में दो नंबर का पैसा लगता है। ऐसे में भ्रष्टचार कैसे कम हो सकता है, इस पर सभी को प्रयास करना चाहिए। वे जोधपुर में हाईकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जब तब दलों को दो नंबर का पैसा मिलता रहेगा भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। उन्होनें राजनीति को दो नंबर का खेल तक बता दिया।
चंदे में लाए पारदर्शिता  गहलोत ने कहा कि आज बेहतरीन अवसर है, जब यहां देश के राष्‍ट्रपति, देश के मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के बड़ी संख्या में न्यायाधीश सहित देश के कानून मंत्री यहां उपस्थित है। ऐसे में मेरा सभी से अनुरोध है कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता कैसे लाई जा सकती है इस पर विचार किया जाना चाहिये। गहलोत ने कहा कि वे 45 साल से राजनीति में है और अच्छी तरह से जानते है कि राजनीति की शुरुआत कैसे होती है। चुनाव की शुरुआत ही ब्लैकमनी से होती है। ऐसे में ब्लैक मनी लेकर चुनाव जीतने वालों से कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वे देश से भ्रष्टाचार को समाप्त करेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से आग्रह किया कि वे इस मामले में स्वप्रेरणा से एक अपील कर उसकी सुनवाई करें। इस मौके पर गहलोत ने कहा कि हाईकोर्ट के नए भवन के समीप ही राज्य सरकार लोअर कोर्ट के लिए जमीन देने को तैयार है।
वकील हड़ताल करना छोड़ें  सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि वकीलों में बहुत एकता है और उनकी इस एकता को सलाम है, लेकिन यह कहना चाहूंगा कि वे हड़ताल करना छोड़ दे। बार-बार हड़ताल करने से वकीलों की बदनामी होती है। अपनी एकता अवश्य प्रदर्शित करो, लेकिन तरीके से। ताकि वकीलों का काम भी हो जाए। जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के वकील एक बैंच जयपुर में स्थापित करने के विरोध में चालीस साल से माह के अंतिम कार्य दिवस को हड़ताल कर रहे है। उन्हें इस हड़ताल को समाप्त करने के बारे में सोचना चाहिये, और नया कदम उठाया जाना चाहिए ताकि आमजन को न्याय में देरी ना हो।


नागरिकता विधेयक को नहीं करेंगे मंजूर

चंडीगढ़! पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया है! कैप्टन का कहना है कि नागरिकता संसोधन विधेयक भारत की लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है इसलिए वह इसका विरोध करते हैं! बता दें, वह शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए जहां उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अपना यह विरोध जताया! कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नागरिकता संशोधन विधेयक और नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन यानी एनआरसी (NRC) दोनों को ही गलत बताया! कैप्टन ने कहा कि पंजाब किसी हालत में नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूर नहीं करेगा, क्योंकि यह भी एनआरसी की तरह लोकतंत्र की भावना के विपरीत है! उन्होंने कहा कि पंजाब में इसे लागू नहीं किया जाएगा!


गौरतलब है कि पंजाब देश के सीमावर्ती राज्यों में शामिल है! भारत पाकिस्तान सीमा का एक लंबा हिस्सा पंजाब से लगता है और पाकिस्तान जाने का सबसे प्रमुख रास्ता भी पंजाब में ही है! कैप्टन अमरिंदर ने जहां एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया वहीं उन्होंने पुलिस एनकाउंटर पर सीधा जवाब नहीं दिया! उनका कहना कि कानून के दायरे से बाहर जाकर पुलिस को कार्रवाई नहीं करनी चाहिए!


उन्होंने कहा, 'मैं कानून के दायरे से बाहर पुलिस कार्रवाई का विरोध करता हूं!' हालांकि दबे शब्दों में उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस आत्मरक्षा में एनकाउंटर कर सकती है! उन्होंने कहा कि यदि पुलिस पर हमला होता है तो पुलिस को उसका जवाब देने का हक है! बता दें, हैदराबाद में दुष्कर्म के चार आरोपियों को पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया, जिसके बाद से देश के कई मुख्यमंत्री और नेता पुलिस की इस कार्रवाई के समर्थन और विरोध में आ खड़े हुए हैं!


शरद की रणनीति का शिकार बनी भाजपा

मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ अचानक सरकार बनाने पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने खुलासा किया कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार की रजामंदी से अजित ने सरकार बनाने के लिए हमसे संपर्क किया था। उन्होंने 54 विधायकों के समर्थन की भी बात कही थी और कई से बात भी कराई थी। साथ ही भाजपा नेता ने स्वीकार किया कि हमारा यह दांव उल्टा पड़ गया। फडणवीस ने कहा कि अजित पवार ने कहा था कि हम शिवसेना और कांग्रेस साथ तीन पार्टियों की सरकार नहीं चला सकते हैं। इसलिए हमें मिलकर सरकार बनानी चाहिए। अजित ने यह भी कहा था कि शरद पवार से सरकार बनाने को लेकर पूरी बात हो गई है और उनकी इजाजत है। भाजपा नेता ने दावा किया कि अजित ने एनसीपी के कई विधायकों से उनकी बात भी कराई थी। इसी भरोसे पर हमने सरकार बनाई थी लेकिन हमारा यह कदम गलत साबित हुआ। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि इस बारे में हम वक्त आने पर जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा किसी से डील नहीं करती है। अगर करती तो किसी भी पार्टी के साथ ढाई साल के फार्मूले पर राजी हो जाते और हमारी सरकार बन जाती। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के साथ रिश्तों पर उन्होंने कहा कि उनसे निजी संबंध जैसे पहले थे, वैसे ही अब भी हैं।


गैंगरेप के बाद, मां के साथ मिलकर जलाया

त्रिपुरा! 17 साल की लड़की को कथित तौर पर उसके ब्वॉयफ्रेंड और दोस्तों ने अगवा करके पहले कई दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म किया। इसके बाद उसे जिंदा जला दिया गया। शनिवार को 90 प्रतिशत तक जलने की वजह से उसकी मौत हो गई। लड़की पर उसके ब्वॉयफ्रेंड और उसकी मां ने कथित तौर पर आग लगाई थी। यह घटना दक्षिणी त्रिपुरा के शांतिरबजार में शुक्रवार को घटित हुई। पुलिस का कहना है कि लड़की को आरोपी के पड़ोसियों ने बचाया और उसे जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया। उन्होंने बताया कि ब्वॉयफ्रेंड ने लड़की को पिछले दो महीने से फिरौती के लिए बंदी बनाकर रखा था। जैसे ही लड़की की मौत की खबर फैली, अस्पताल के बाहर लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और उन्होंने आरोपी लड़के और उसकी मां पर हमला किया।


लड़की के परिवार ने आरोप लगाया कि आरोपी जिसकी पहचान अजॉय रुद्रपाल के तौर पर हुई है, उसने लड़की की रिहाई के लिए 50,000 रुपयों की मांग की लेकिन वह शुक्रवार तक केवल 17,000 रुपये ही दे पाए। जिससे अजॉय नाराज हो गया और उसने लड़की पर आग लगा दी। दक्षिणी त्रिपुरा के पुलिस अधीक्षक जल सिंह मीणा ने कहा, 'मामले के मुख्य आरोपी अजॉय को अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में शांतिरबाजार पुलिस स्टेशन लाया गया। लड़की पर शुक्रवार शाम को आग लगाई गई। जांच जारी है।'


पुलिस का कहना है कि लड़की सोशल मीडिया के जरिए आरोपी से मिली थी। वह दिवाली के बाद उसके साथ भाग गई जब उसने उसे शादी के लिए प्रपोज किया। इसके बाद आरोपी ने फिरौती के लिए कथित तौर पर उसे बंदी बना लिया और अपने दोस्तों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता की मां का कहना है कि उन्होंने लड़की के गायब होने के बाद पुलिस में शिकायत की थी। जब आरोपी ने पैसों की मांग की तो उन्होंने पुलिस से मदद मांगी लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। लड़की की मां ने आरोप लगाया, 'शुक्रवार की रात को उन्होंने अजॉय की मां को चंद्रपुर आईएसबीटी पर 17,000 रुपये दिए लेकिन वह इससे खुश नहीं हुईं और चेतावनी दी कि यदि पूरी राशि नहीं मिली तो लड़की वापस नहीं मिलेगी। इसी बीच हमें उसका पता मिल गया और हम उस तक पहुंचने वाले थे। हमें सुबह जानकारी मिली की उसपर आग लगा दी गई है और वह अस्पताल में भर्ती है।'


निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की तैयारी

नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति के पास पहुंचते ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने फांसी की तैयारी शुरू कर दी है। याचिका खारिज होते ही अदालत से डेथ वारंट लिया जाएगा, जिससे फांसी देने का रास्ता साफ हो जाएगा। तिहाड़ जेल के पास अपना जल्लाद नहीं है। इसलिए जेल प्रशासन ने दक्षिण भारत और उत्तर प्रदेश की कई जेलों के अधिकारियों ने बातचीत शुरू कर दी है। जेल सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका खारिज होते ही फांसी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। अदालत के डेथ वारंट के बाद तिहाड़ में दोषियों को फांसी दी जाएगी।


इससे पहले, अफजल गुरु को फांसी देने के समय भी तिहाड़ जेल के पास कोई जल्लाद नहीं था। उस समय जेल अधिकारियों में से किसी एक ने फांसी दी थी। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा हालात में जेल प्रशासन किसी भी जल्लाद की नियुक्ति नहीं कर सकता। फांसी के लिए उसे किसी अन्य जेल से ही जल्लाद को बुलाना पड़ेगा। जेल के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि फांसी कभी-कभार दी जाती है। ऐसे में जल्लाद की स्थायी नियुक्ति की जरूरत नहीं पड़ती। तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया कि जरूरत पड़ने पर दूसरे राज्यों के जेलों से जल्लाद को बुलाया जाएगा। दया याचिका खारिज होने के बाद ही इस पर कोई बातचीत होगी।


दोषियों पर सीसीटीवी कैमरे से रखी जा रही है नजर


जेल सूत्रों का कहना है कि दया याचिका भेजे जाने के बाद से ही निर्भयाभेजने के मामले में जेल अधिकारियों से लगा सामूहिक दुष्कर्म मामले के चारों दोषियों पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है। जेल के कर्मचारी उनके पास जाकर उनसे बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि दोषियों अक्षय, विनय, पवन और मुकेश के चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा है। हालांकि विनय राष्ट्रपति के पास दया याचिका तार बातचीत कर रहा है।


बेकरी में लगी आग ने 31 की जान ली

रायपुर। दिल्ली के संकरे इलाके की बेकरी में लगी आग ने 31 लोगों की जान ले ली। 50 लोगों को बचाया जा चुका है और कई लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। संकरे व रिहायशी इलाके में बनी बेकरी की आग ने अन्य शहरों के रिहायशी इलाकों में बने कारखानों,व संकरे इलाकों में चल रहे कारखानों के लिए फिर एक बार खतरे की घंटी बजाई है। ऐसा नहीं है कि छोटे शहरों में संकरे इलाकों में आगजनी से कभी मौत नहीं हुई है। रायपुर शहर में भी सकरे इलाके में बने एक होटल में लगी आग ने कई लोगों की जान ले ली थी। तब सारा प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जगा था और तत्काल ऐसे होटलों/कारखानों के खिलाफ कार्रवाई करने का अभियान शुरू हुआ था जो कुछ दिन की खानापूर्ति के बाद बंद हो गया। आज भी राजधानी रायपुर के संकरे इलाकों में कारखाने चल रहे हैं जो कभी भी किसी भी समय मौत की घण्टी बजा सकते हैं। दिल्ली की आगजनी की घटना सारे देश के शहरों के लिए खतरे का अलार्म है। समय रहते अगर नहीं जागे तो ऐसी दुर्घटना गंभीर दुष्परिणाम दे सकती है,जिस पर रोने और अलावा कुछ नही किया जा सकेगा।


कौशाम्बी: 'पीएम' नेहरू की जयंती मनाई गई

कौशाम्बी: 'पीएम' नेहरू की जयंती मनाई गई  गणेश साहू  कौशाम्बी। जिला कांग्रेस कार्यालय में कौशाम्बी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष गौरव पाण्डे...