गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

गुजरात सरकार ने एलिमेंट का नियम हटाया

गांधीनगर! गुजरात सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए शहरी इलाकों में दोपहिया वाहनचालकों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता का नियम को खत्म कर दिया। कैबिनेट की बैठक में महानगर पालिका और नगर पालिका के सीमावर्ती इलाकों में हेलमेट की अनिवार्यता खत्म कर दी। हालांकि, नेशनल-स्टेट हाईवे और पंचायत के रास्तों पर हेलमेट पहनना अनिवार्य है। नया नियम बुधवार से लागू हो गया है। गुजरात पहला राज्य था जहां हेलमेट न पहनने पर जुर्माना घटाकर 500 रुपए कर दिया गया था। अब लोगों की परेशानी का हवाला देकर शहरी क्षेत्रों में अनिवार्यता ही खत्म कर दी गई है। हेलमेट से प्रतिबंध हटाने का निर्णय भले सरकार का है, पर सिर तो अपना है। इसलिए संभालने में भले थोड़ी बहुत मुश्किल हो, पर भूले बगैर इसे पहनना चाहिए। कारण गायब हेलमेट फिर से मिल सकता है, पर जान वापस नहीं आ सकती है। याद रखें कि हेलमेट से प्रतिबंध हटाते समय सरकार ने भी माना है कि सड़क दुर्घटना में हेलमेट सिर की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।


बस-ट्रक की टक्कर, 9 लोगों की मौत

रीवा! मध्य प्रदेश के रीवा में बस और ट्रक की टक्कर में 9 यात्रियों की मौत हो गई। वहीं, 23 घायल हैं। पुलिस के मुताबिक, हादसा गुढ़ रोड के नजदीक हुआ। बस ने रास्ते में खड़े ट्रक को पीछे से टक्कर मारी।


रीवा के एसपी अबिद खान ने बताया कि बस सीधी से रीवा जा रही थी। घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है!


सलाह मांग लेते तो रुक जाते दंगे

नई दिल्ली! पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 सिख दंगों को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर तत्कालीन गृह मंत्री पीवी नरसिम्हा राव 1984 में इंद्र कुमार गुजराल की सलाह मान लेते, तो दंगे नहीं होते। मनमोहन सिंह ने यह बात गुजराल की 100वीं जयंती पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कही।


मनमोहन ने कहा, ''जब 1984 के दंगे हुए थे, तब गुजराल गृह मंत्री नरसिम्हा राव के पास गए थे। गुजराल ने उनसे कहा कि स्थिति बहुत नाजुक है। ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द सेना को बुला लेना चाहिए, यही ठीक होगा। यदि गुजराल की वह सलाह मान ली गई होती तो नरसंहार को रोका जा सकता था।'' 1980 के दशक में गुजराल कांग्रेस छोड़कर जनता दल में चले गए थे। 1984 के दंगों के दौरान उन्होंने नरसिम्हा राव को मित्रवत सलाह दी थी।


गुजराल अप्रैल 1997 से मार्च 1998 तक देश के 12वें प्रधानमंत्री रहे थे। वे इंदिरा गांधी और एचडी देवेगौड़ा के बाद राज्यसभा से प्रधानमंत्री बनने वाले तीसरे व्यक्ति थे। वे इंदिरा सरकार में 1975 में आपातकाल के समय सूचना और प्रसारण मंत्री भी रहे थे।


महासागर में नाव पलटने से 58 लोगों की मौत

अटलांटिक महासागर में शरणार्थियों से भरी एक नाव पलटने से 58 लोगों की  मौत हो गई है। शरणार्थी नाव में सवार होकर यूरोप में शरण लेने के लिए निकले थे। सभी शरणार्थी  पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया के रहने वाले थे।


न्यूज एजेंसी एपी ने यूएन माइग्रेशन एजेंसी के हवाले से बताया कि खबर है कि हादसे का शिकार होने वाली नाव में दर्जनों की संख्या में शरणार्थी थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि नाव में लगभग 150 शरणार्थी सवार थे। इनमें से 83 लोगों ने नाव डूबने के बाद तैरकर किसी तरह अपनी जान बचा ली। हादसे की सूचना मिलते ही अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। बताया जा रहा है कि अब तक 58 शरणार्थियों के शव समुद्र से बरामद किए जा चुके हैं। आशंका व्यक्त की जा रही है कि मृतकों की संख्या इससे ज्यादा हो सकती है। यूएन माइग्रेशन एजेंसी ने बुधवार को हादसे की रिपोर्ट जारी की है।


सर्वाधिक छक्के लगाने वाले 5 बल्लेबाज

नई दिल्ली। एक तो टेस्ट क्रिकेट, उसमें भी छक्कों की बात जिसपर वीरेंद्र सहवाग का क्रम पांचवें नंबर पर, है ना थोड़े हैरत की बात! इसमें कोई शक नहीं कि टेस्ट क्रिकेट के जायके में तड़का लगाने का जो पहल वीरेंद्र सहवाग और उनके समय के कुछ खिलाड़ियों ने किया था उसका असर अब इस प्रारूप में दिखने लगा है। जो थोड़ी बहुत कसर बची हुई थी उसे क्रिकेट के विभिन्न फॉर्मेट और इसे रोचक बनाने के लिए किए गए प्रयोगों ने पूरा कर दिया है। टेस्ट क्रिकेट अब पहले के अमूमन अपने 'ड्रॉ' वाले रिजल्ट से आगे बढ़ चुका है। क्रिकेट के नए स्वरूप में हर टीम रिजल्ट के लिए खेलने लगी है। वर्तमान में रोहित शर्मा, विराट कोहली, डेविड वार्नर, आरोन फिंच, बेन स्टोक्स आदि जैसे बल्लेबाज हैं जो टेस्ट में भी आक्रामक होकर खेलते हैं। हो सकता है आगे आने वाले दिनों में इन 5 बल्लेबाजों के क्रम से ऊपर वर्तमान का कोई खिलाड़ी निकल कर क्रिकेट के इस प्रारूप में छक्कों का बादशाह बन जाए। वैसे भी क्रिकेट तो रिकॉर्ड बनने और उसके टूटने का गवाह है ही। खैर फिलहाल जो 5 खिलाड़ी छक्कों के मामले में फिलहाल आगे हैं, वो ये हैं।


न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान और बल्लेबाज ब्रैंडन मैकुलम ना केवल एकदिवसीय मैच और टी-20 प्रारूप में विस्फोटक रहे हैं बल्कि टेस्ट क्रिकेट में भी उन्होंने अपने खेलने का तरीका नहीं बदला था और वह इसमें सफल भी रहे। मैकुलम न्यूजीलैंड क्रिकेट में अबतक के सबसे सफल बल्लेबाज और कप्तान हैं। टेस्ट क्रिकेट में आज भी सबसे तेज शतक लगाने का रिकॉर्ड मैकुलम के ही नाम है जिसे उन्होंने अपने अंतिम टेस्ट मैच में मात्र 54 गेंदों में पूरा किया था। लंबे समय से खेलते हुए किसी खिलाड़ी का अपने अंतिम मैच में ऐसा प्रदर्शन यह बताने के लिए काफी है कि वह किस स्तर का खिलाड़ी रहा होगा। उनके खेलने के इसी विस्फोटक तरीके से टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा छक्के मारने का रिकॉर्ड अभी तक उनके नाम है। मैकुलम ने अपने करियर में खेले गए 101 टेस्ट मैचों की 176 पारियों में 107 छक्के मारे हैं।


चीजों को फ्रिज में स्टोर करने का रखे ध्यान

कितना बुरा होता है जब आप अपने लिए कुछ बनाने चलें और फ्रिज खोलकर देखें तो इनग्रेडिएंट्स खराब मिले! आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि हर चीज फ्रिज में रखना जरूरी नहीं है। कुछ फूड आइटम्स को खास तरह से स्टोर करने की जरूरत होती है। यहां है कुछ ग्रॉसरी आइटम्स की लिस्ट और इनको स्टोर करने का तरीका।
मुलायम पत्ती वाले हर्ब्स:किसी भी खाने में आप सिर्फ महक के लिए कुछ पत्तियां डालते हैं। बाकी को अगर ठीक से स्टोर न किया जाए तो ये मुरझा सकती हैं। ऐसी हर्ब्स को बुके की तरह फ्रेश रखा जा सकता है। इन पत्तियों के डंठलों को काटकर किसी जार में पानी भरकर इसमें डाल लें।
ब्रेड:अगर आपको लगता है कि ब्रेड को फ्रिज में रखने से ये लंबे वक्त तक चल सकती है तो आप गलत हैं। ऐसा करने से आपकी ब्रेड ठंडक से जल्दी ड्राई हो जाएगी। इसको कमरे के तापमान पर रखें और एक-दो दिन में ही खत्म कर लें।
पत्ता गोभी:पहली बात तो स्टोर से कभी भी कटा पत्ता गोभी न लें। साबित गोभी लाने के बाद अगर आपने इसे काटा है तो इसके कटे हिस्से को ऐसा ही न छोड़ें। इससे तुरंत ऑक्सिडेशन हो सकता है। इसके खुले हिस्से पर आप नींबू रगड़ दें। इससे यह लंबे वक्त तक ताजी रहेगी।
दूध:अगर आप ऐसा सोचते हैं कि फ्रिज में दूध रखने से यह खराब नहीं होगा तो आप गलत हैं। अगर आप दूध फ्रिज के डोर में स्टोर करते हैं तो गलत कर रहे हैं। जो भी चीजें फ्रिज के डोर में स्टोर की जाती हैं! उनमें गर्म हवा ज्यादा लगती है। इससे दूध जल्दी खराब हो सकता है।
नींबू:संतरे जैसे सिट्रस फ्रूट को आप फ्रिज में स्टोर कर सकते हैं लेकिन जब बात आती है! नींबू की तो इनहें फ्रिज के बजाय प्लास्टिक बैग में स्टोर करें ये लंबे वक्त तक चलेंगे।
फ्रूट सलाद:फ्रूट सलाद को अगर ऐसे ही रख दिया जाए तो कुछ घंटों में इसका स्वाद बिगड़ जाता है। अगर इसमें नींबू की कुछ बूंदें डाल दी जाएं तो यह लंबे वक्त तक सही रहेगी। अंगूर को फ्रिज में स्टोर कर रहे हैं तो इसे फ्रिज में बैक साइड रखें जहां टेंपरेचर कम होता है।


डिओडरेंट का उपयोग हानिकारक

ठंड का मौसम आया नहीं कि बहुत से लोग पानी से दूरी बना लेते हैं, और सबसे पहले नहाना बंद कर देते हैं। अब अगर आप 1-2 दिन बिना नहाएं रहेंगे तो शरीर से बदबू आना तो लाजिमी है! लेकिन इसका सबसे कारगर उपाय है डियोड्रेंट। बहुत से ऐसे लोग हैं जो सर्दी के मौसम में नहाने की बजाए खूब सारा डियोड्रेंट शरीर पर लगाकर काम चला लेते हैं। लेकिन बहुत ज्यादा डियोड्रेंट यूज करना भी आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। कैसे, यहां जानें…
रेडनेस, इरिटेशन और खुजली की समस्या
साइंटिफिक स्टडीज में यह बात साबित हो चुकी है कि डियोड्रेंट और पसीने की बदबू रोकने वाले ऐंटीपर्सपिरेंट्स में मौजूद इन्ग्रीडिएंट्स हमारे शरीर और स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं। डियो में मौजूद ऐल्कॉहॉल की वजह से स्किन पर रेडनेस और इरिटेशन होने लगती है जिससे खुजली और पिग्मेंटेशन की समस्या भी हो सकती है।
पसीने की ग्रंथी हो सकती है ब्लॉक
डियोड्रेंट और ऐंटीपर्सपिरेंट्स में मौजूद ऐल्युमिनियम कंपाउंड स्वेट ग्लैन्ड्स यानी पसीने की ग्रंथी को ब्लॉक कर देते हैं जिस वजह से पसीना शरीर से बाहर नहीं निकल पाता और ऐलर्जी के साथ-साथ डर्मेटाइटिस होने का खतरा रहता है। पसीने की ग्रंथी में रुकावट आने से शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स और हानिकारक तत्व बाहर नहीं निकल पाते और यह भी शरीर के लिए अच्छा नहीं है।
ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
डर्मेटॉलजिस्ट डॉ सुनीता मोरे की मानें तो डियोड्रेंट में मौजूद ऐल्युमिनियम और पैराबीन्स जैसे इन्ग्रीडिएंट ब्रेस्ट टीशू को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और अगर किसी के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री है तो ऐसे व्यक्ति को डियो या ऐंटीपर्सपिरेंट्स यूज नहीं करना चाहिए। खासकर वैसा डियो या ऐंटीपर्सपिरेंट जिसमें ऐल्युमिनियम हो।
स्प्रे की जगह डियो स्टिक यूज करें
डर्मेटॉलजिस्ट श्रेयस कामथ कहते हैं, डियोड्रेंट स्टिक, स्प्रे की तुलना में बेहतर होता है। लंबे समय तक सुगंध बरकरार रहे इसके लिए डियोड्रेंट स्प्रे में ज्यादा केमिकल मिलाया जाता है और इसलिए आपकी स्किन पर इन स्प्रेज का ज्यादा गहरा नुकसान देखने को मिलता है जबकी डियो स्टिक के साथ ऐसा नहीं होता। डियोड्रेंट स्टिक को माइल्ड केमिकल के साथ तैयार किया जाता है और इसलिए वे स्किन को उतना नुकसान नहीं पहुंचाते।
डियो की जगह ये चीजें करें यूज
1.पसीना नहीं बैक्टीरिया से बदबू आती है इसलिए बेन्जोयल पेरॉक्साइड युक्त ऐंटीबैक्टीरियल बॉडी वॉश का इस्तेमाल करें।2. स्किन के पीएच लेवल को बैलेंस कर पसीने की बदबू और बैक्टीरिया से लडऩे में मदद कर सकता है ऐपल साइडर विनिगर।


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