गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

योगी का पुराना नाम लेने पर एफआईआर दर्ज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का पुराना नाम लेने पर समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। यह मामला अधिवक्‍ता कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने वाराणसी के शिवपुर थाने में दर्ज करवाई है। उनपर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगा है। आपको बता दें कि आईपी सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर योगी आदित्‍यनाथ का पुराना नाम 'अजय सिंह बिष्‍ट' लिखा था।


अधिवक्ता कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने अपनी तहरीर में कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संत परंपरा के अनुसार जीवन जीते हैं। गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर होने के बावजूद आईपी सिंह सोशल मीडिया पर योगी आदित्यनाथ की जगह अजय सिंह बिष्ट लिखते हैं। इस तरह वह संतों और उनकी परंपराओं के साथ सनातन धर्म में आस्था रखने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। आई पी सिंह पर आईटी एक्ट की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक तरीके से घृणित वस्तु को प्रचारित करना) के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक यह एफआईआर बीते सोमवार को शिवपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है। कैनटॉनमेन्ट के सर्किल ऑफिसर मोहम्मद मुश्ताक ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि 'थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि आई पी सिंह ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है जिसके आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री का पुराना नाम लिया था...हमलोग इस मामले की तफ्तीश कर रहे हैं और जांच के बाद ही आगे की जानकारी दी जाएगी।'


सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने मुकदमा कायम होने की सूचना पर बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टैग किए ट्वीट में लिखा कि असली नाम लेना अगर गुनाह है तो भेजिए पुलिस और गिरफ्तार करवा लीजिए मुझे। उत्तर प्रदेश पुलिस ने सीरिया को भी कहीं पीछे छोड़ दिया है।


इधर इस पूरे मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता आई पी सिंह का दावा है कि उन्हें इस एफआईआर के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है। समाजवादी पार्टी के नेता के मुताबिक 'पुलिस ने उन्हें इस मामले में अभी तक कुछ भी नहीं कहा है। उनका आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में बिना उनका पक्ष जाने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया मैंने यूपी के सीएम आदित्यनाथ का पुराना नाम लेकर कुछ गलत नहीं किया है।' एसपी नेता ने बीते बुधवार को ट्वीट कर कहा कि वो हाईकोर्ट जाएंगे और इस एफआईआर को चुनौती देंगे।


निर्भया-कांड के दोषियों को फांसी देगा 'पवन'

नई दिल्ली! देश में इस समय गैंगरेप और हत्या की घटनाओं से लोगों का गुस्सा एक बार फिर फूटने लगा है। निर्भया कांड के लंबे समय के बाद एक बार फिर पूरा देश इस तरह की जघन्य घटनाओं में दोषियों को फांसी की मांग को लेकर सड़क पर उतर गया है।


उन्नाव, हैदराबाद, रांची और बक्सर के अलावा कई घटनाएं सामने आने के बाद अब यह गुस्सा पूरे उफान पर है। ऐसे में निर्भया के दोषियों को फांसी देने की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। लेकिन उनको फांसी पर लटकाने का जिम्मा जिस जल्लाद को दिया गया है, उसके बारे में जानना ज़रुरी है।


कौन है पवन जल्लाद


निर्भया कांड के चारों गुनहगारों को फांसी देने के लिए मेरठ से पवन जल्लाद को बुलाया जा रहा है। उसकी चार पीढियां जल्लाद का काम करती रही हैं। उसके पिता कालू जल्लाद देश के जाने माने जल्लाद थे। इंदिरा गांधी के हत्यारों को सूली पर फंदे से लटकाने का काम उन्होंने किया था। पवन जल्लाद उन्हीं के बेटे हैं।


माना जा रहा है कि दिसंबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते में निर्भया गैंगरेप के चारों गुनहगारों को फांसी की सजा दे दी जाएगी। यह फांसी पवन जल्लाद देगा, जिसकी चार पीढ़ियां यही काम करती रही हैं। पवन उत्तरप्रदेश सरकार की मेरठ जेल से जुड़े अधिकृत जल्लाद हैं। उसे हर महीने 5000 रुपये वेतन के रूप में भी मिलती है। इसके अलावा उन्हें हर फांसी के बदले 25 हज़ार रुपये भी दिये जाते हैं।


फांसी देने के अलावा क्या करते हैं पवन जल्लाद


पवन मेरठ के ही रहने वाले भी हैं। कई पीढ़ियों से ये लोग इसी शहर में रह रहे हैं। हालांकि इस शहर में उन्हें शायद ही कोई पहचानता हो। पार्ट टाइम में वह इस शहर में साइकिल पर कपड़ा बेचने का का काम करते हैं। करीब दो तीन साल पहले जब निठारी हत्याकांड के दोषी ठहराए सुरेंद्र कोली को फांसी दी जाने वाली थी, तब इसके लिए भी पवन को ही मुकर्रर किया गया था। बाद में वो फांसी टल गई।


भारतीय महिला (मूल्यांकन)

भारत को आजाद हुए अरसा गुज़र गया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद महिलाओं की दशा और दिशा में काफी बदलाव आया है। महिलाओं को अब पुरुषों के बराबर अधिकार भी मिलने लगे हैं। महिलाएं आज वह सब काम आजादी से कर सकती है जिन्हें वे पहले करने में अपने आप को असमर्थ और असहज महसूस करती थी। स्वतंत्रता के बाद बने भारत के संविधान में महिलाओं को वे सब लाभ, अधिकार और काम करने की स्वतंत्रता दी गयी जिसकी वह हकदार थीं। सदियों से अपने साथ होते बुरे सुलूक और बेहूदा हरकतों के बावजूद महिलाएं आज अपने आप को सामाजिक बेड़ियों से मुक्त पाकर, आजाद महसूस करके और भी ज्यादा आत्मविश्वास और भरोसे के साथ परिवार, समाज और देश को आगे बढ़ाने के लिए लगातार कार्य कर रही है। आज राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री पद से लेकर हर जगह महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
यदि देखा जाए तो हमारे देश की आधी जनसँख्या का प्रतिनिधित्व महिलाएं करती है। महिला सशक्तिकरण के बाद स्थिति बदल गई है।  हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते उस समय का जब उन्हें अपनी जिंदगी अपनी ख़ुशी से जीने की भी आजादी नहीं थी। परन्तु बदलते वक़्त और हालात के साथ इस नए ज़माने की नारी ने समाज में वो स्थान हासिल किया जिसे देखकर कोई भी गर्व करेगा। आज महिलाएं समाज सुधार, उधमी, प्रशासनिक सेवा, राजनयिक सेवा जैसे हर क्षेत्र में दिखाई दे रही हैं।
महिलाओं की स्थिति में सुधार ने देश के आर्थिक और सामाजिक सुधार की तस्वीर बदल दी। हम यह तो नहीं कह सकते कि महिलाओं के हालात पूरी तरह बदल गए है पर पहले की तुलना मे तरक्की हुई है।  महिलाएं अब  सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक क्षेत्रों को लेकर बहुत ज्यादा जागरूक है जिससे उनको परिवार तथा रोजमर्रा की दिनचर्या से संबंधित खर्चों का निर्वाह करने का मौका आसानी से मिल जाता है। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है।   विजयलक्ष्मी पंडित, एनी बेसंट, महादेवी वर्मा,  पी.टी उषा, अमृता प्रीतम, पदमजा नायडू, कल्पना चावला, मदर टेरेसा, इंदिरा गांधी, और न जाने कितने ऐसे नाम जिन्होंने महिलाओं की जिंदगी के मायने बदल दिए हैं। आज महिलाएं हर रूप में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शिक्षा, विज्ञान तथा अन्य विभागों में अपनी सेवाएं दे रही है। वे अपनी पेशेवर जिंदगी के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बख़ूबी निभा रही है। इतना सब हो जाने के बाद भी प्रतिदिन हमें मानसिक तथा शारीरिक उत्पीड़न से जुडी ख़बरें सुनने को मिल जाती है।
भारत में महिलाएं हर तरह की हिंसा का शिकार हुई हैं। भारतीय समाज के द्वारा दी गई क्रूरता को महिला को सहन करना पड़ता है चाहे वह घरेलू हो या फिर शारीरिक, सामाजिक अथवा मानसिक हो।  समय के बदलने के साथ-साथ महिलाओं की स्थितियों में भी काफी बदलाव आता चला गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि हिंसा के कारण महिलाओं ने अपने शिक्षा के साथ सामाजिक, राजनीतिक तथा अन्य क्षेत्रों में भागीदारी के अवसर भी खो दिए। इसके जिम्मेदार भी हम हैं। हमारी सोच जिम्मेदार है।
महिलाओं को भरपेट भोजन नहीं दिया जाता था, मनपसंद कपड़े पहनने की अनुमति नहीं थी, जबरदस्ती विवाह होता था,     भारतीय समाज में ऐसा माना जाता है की हर महिला का पति उसके लिए भगवान की तरह है।  हर चीज़ के लिए उन्हें अपने पति पर निर्भर रहना चाहिए। 
 नववधू की हत्या, कन्या भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा महिलाओं पर होती बड़ी हिंसा का उदाहरण है। इसके अलावा महिलाओं को भरपेट खाना न मिलना, सही स्वास्थ्य सुविधा की कमी, शिक्षा के प्रयाप्त अवसर न होना, नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न, दुल्हन को जिन्दा जला देना, पत्नी से मारपीट, परिवार में वृद्ध महिला की अनदेखी आदि समस्याएँ आज भी महिलाओं की कहानी बयान करती हैं। इंसान होने के कारण हमें इंसान का सम्मान करना चाहिए चाहे वह स्त्री हो या पुरुष।


सैय्यद एम. अली तक़वी
निदेशक- यूरिट एजुकेशन इंस्टीट्यूट, लखनऊ


कैंप में मारे गए 6 जवानों को आखरी सलामी

रायपुर। कटेनार ITBP कैंप में मारे गए 6 जवानों को अंतिम सलामी दी गई। निर्धारित समय से पूर्व और तय स्थान से अलग एयरपोर्ट पर जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है। दिल्ली से आए ITBP के ADG अरविंद कुमार भी जवानों के अंतिम विदाई में शामिल हुए। ITBP के IG एके गौतम समेत राज्य पुलिस के अधिकारियों ने भी जवानों को अंतिम सलामी दी। बता दें आगे की फ्लाइटों की टाइमिंग की वजह से अंतिम सलामी का समय और स्थान बदला गया। सलामी के बाद 3 शव कोलकत्ता, 2 दिल्ली और एक कोच्चि रवाना कर दिया गया!


'वित्त मंत्री' के जवाब पर संसद में ठहाके लगे

नई दिल्ली! देश में प्याज की कीमतों ने आम आदमी के बजट को बिगाड़ कर रख दिया है। इसकी कीमतों पर अंकुश लगाने के सरकारी प्रयास विफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है।


वहीं बुधवार को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह इतना लहसुन, प्याज नहीं खाती हैं। वह इस तरह के परिवार से आती हैं जहां ज्यादा प्याज-लहुसन का मतलब नहीं है। उनके इस बयान पर सदन में काफी ठहाके लगे।लोकसभा में प्याज खाने को लेकर कुछ सदस्यों के सवालों के जवाब में निर्मला ने कहा, मैं इतना लहुसन, प्याज नहीं खाती हूं जी। मैं ऐसे परिवार से आती हूं जहां प्याज से मतलब नहीं रखते। महाराष्ट्र के बारामती से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले के सवालों का जवाब देने के लिए वित्त मंत्री खड़ी हुई थीं। उसी दौरान कुछ सदस्यों ने सवाल किया कि क्या आप प्याज खाती हैं। सदस्यों के इस सवाल पर उन्होंने यह जवाब दिया।


इससे पहले सांसद सुले ने एनपीए और प्याज के किसानों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा, मैं सरकार से प्याज को लेकर एक छोटा सा सवाल करना चाहती हूं। सरकार मिस्र से प्याज मंगवा रही है, प्याज की व्यवस्था कर रही है। मैं सरकार के इस कदम की सराहना करती हूं। मैं महाराष्ट्र से आती हूं जहां बड़े पैमाने पर प्याज की पैदावार होती है लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि आखिर प्याज का उत्पादन क्यों गिरा? छोटे किसान प्याज का उत्पादन करते हैं और उन्हें बचाने की जरुरत है।


कांग्रेस: संसद परिसर में प्याज को लेकर धरना

नई दिल्ली! देश भर में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं और विपक्षी दल इस मुद्दे पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस ने आज संसद परिसर में प्याज की कीमतों को लेकर प्रदर्शन किया। जमानत मिलने के बाद आज संसद पहुंचे पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। कांग्रेस सांसदों के साथ चिदंबरम ने पोस्टर लेकर बढ़ती कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन किया।
संसद परिसर में कांग्रेस सांसदों का प्रदर्शन
प्याज की कीमतों को लेकर कांग्रेस सांसदों ने संसद में प्रदर्शन किया। उनके हाथों में 'महंगाई पर प्याज की मार, चुप क्यों है मोदी सरकार', 'कैसा है ये मोदी राज, महंगा राशन, महंगा प्याज' जैसे पोस्टर लेकर पहुंचे थे। पी. चिदंबरम भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। चिर-परिचित अंदाज में पूर्व वित्त मंत्री पारंपरिक परिधान में संसद पहुंचे और एक पोस्टर लेकर कांग्रेस सांसदों के साथ खड़े हुए। अन्य सांसद इस दौरान नारे भी लगा रहे थे, लेकिन पूर्व वित्त मंत्री मुस्कुराते हुए पोस्टर लेकर खड़े रहे।
आप सांसद भी संसद में प्याज की माला पहन कर चुके प्रदर्शन
इससे पहले प्याज कीमतों को लेकर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद भी प्रदर्शन कर चुके हैं। आप सांसद संजय सिंह और सुशील गुप्ता ने केंद्र सरकार को प्याज की बढ़ती कीमतों के लिए जिम्मेदार ठहराया। आप सांसदों ने आरोप लगाया था कि गोदाम में प्याज सड़ गया, लेकिन केंद्र सरकार ने उसे कम कीमत पर लोगों तक पहुंचाने का काम नहीं किया।
100 रुपये के करीब है प्याज की कीमतें
दिल्ली समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में प्याज की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। दिल्ली और एनसीआर में प्याज 80 रुपये से लेकर 100 रुपये तक मिल रहा है। केंद्र सरकार का कहना है कि प्याज की ज्यादातर फसल इस बार कई राज्यों में अतिवृष्टि के कारण खत्म हो गई, इस कारण कीमतें बढ़ी हैं।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


दिसंबर 06, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-122 (साल-01)
2.  शुक्रवार, दिसंबर 06, 2019
3. शक-1941, मार्गशीर्ष- शुक्लपक्ष, तिथि- दसमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:50,सूर्यास्त 05:46
5. न्‍यूनतम तापमान -11 डी.सै.,अधिकतम-24+ डी.सै., आसमान साफ रहेगा।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...