सोमवार, 2 दिसंबर 2019

महाराष्ट्र राजनीतिक ड्रामे का जिन्न बाहर आया

नई दिल्ली! भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े का दावा है कि महाराष्ट्र में बीजेपी ने फडणवीस को 40 हजार करोड़ का फंड बचाने के लिए मुख्यमंत्री बनाकर ड्रामा किया!


अनंत कुमार हेगड़े ने कहा, 'आप सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में हमारा आदमी (फडणवीस) 80 घंटे के लिए मुख्यमंत्री बना और उसके बाद इस्तीफा दे दिया! उन्होंने यह नाटक क्यों किया? क्या हमें नहीं पता था कि हमारे पास बहुमत नहीं था और फिर भी वह सीएम बन गए. यह वह सवाल है जो हर कोई पूछता है!'


हेगड़े ने कहा, 'सीएम के पास करीब 40 हजार करोड़ की केंद्र की राशि थी! अगर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना सत्ता में आते तो वे 40 हजार करोड़ का दुरुपयोग करते! यही कारण है कि केंद्र सरकार के इस पैसे को विकास के लिए इस्तेमाल में नहीं लाया जा सके, इसके लिए ड्रामा किया गया!'


उन्होंने कहा, 'बहुत पहले से बीजेपी की यह योजना थी! इसलिए यह तय किया गया कि एक नाटक होना चाहिए और इसी के तहत फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली! शपथ लेने के 15 घंटे के अंदर फडणवीस ने सभी 40 हजार करोड़ रुपयों को उस जगह पर पहुंचा दिया जहां से वो आए थे! इस तरह फडणवीस ने सारा पैसा वापस केंद्र सरकार को देकर बचा लिया! महाराष्ट्र में राजनैतिक नाटक का यह असली जिन्न था!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


दिसंबर 03, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-119 (साल-01)
2. मंगलवार, दिसंबर 03, 2019
3. शक-1941, मार्गशीर्ष- शुक्लपक्ष, तिथि- सप्तमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:48,सूर्यास्त 05:46
5. न्‍यूनतम तापमान -12 डी.सै.,अधिकतम-24+ डी.सै., आसमान साफ रहेगा।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


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रविवार, 1 दिसंबर 2019

पटाखा फैक्ट्री में आग, मजदूर झुलसे,दो गंभीर

एसएल कश्यप। 
सहारनपुर। देहात कोतवाली के ग्राम पुंवारका स्थित पटाखे की एक फैक्टरी में संदिग्ध परिस्थतियों मंे आग लग गई। आग लगने के बाद एक के बाद एक कई धमाके हुए और फैक्टरी में भयंकर आग लग गई। बताया गया कि फैक्टरी में लगभग 25 से 30 लोग काम कर रहे थे। आग लगते ही फैक्टरी में अफरा-तफरी मच गई। लोग भागने लगे।आग की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की टीम और देहात कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस और दमकल कर्मियों ने आग में फंसे लोगों को बाहर निकालना शुरू किया। इस दौरान आग में घिरकर झुलसे करीब आधा दर्जन लोगों को निकाला गया। झुलसे मजदूरों में से दो की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। इन्हें जिला अस्पताल भर्ती कराया गया। जहां उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। बताया जा रहा है कि अभी एक मजदूर लापता है। जिसकी पुलिस फैक्टरी में तलाश की जा रही है। एसपी सिटी विनीत भटनागर ने बताया कि फैक्ट्री में संभवतः शाॅर्ट सर्किट से आग लगी होगी।


बर्फ की चोटी पर बाबा का 'नंगे बदन' डांस

बर्फ की चोटी पर बाबा का डांस वायरल बर्फबारी में शिरगुल महाराज का गुणगान
सिरमौर! हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की सबसे ऊंची चोटी पर एक बाबा का डांस सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है! ये बाबा बर्फबारी के बीच शिरगुल महाराज का गुणगान कर रहे हैं! चोटी पर करीब 5 फीट बर्फ जमी हुई है!
शरीर को जमा देने वाली बर्फ के बीच बाबा नंगे पांव और नंगे बदन शिरगुल महाराज भजन करते हुए डांस कर रहे हैं! दरअसल, इन दिनों चोटी पर भारी बर्फबारी हुई है! लिहाजा प्रशासन ने भी चोटी पर यात्रा के लिए प्रतिबंध लगाया हुआ है. ऐसे में बाबा बर्फ की पहाड़ियों में शिरगुल महाराज का भजन गाते हुए भक्ति में झूम रहे हैंं!
पहाड़ों पर बर्फ की चादर
हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत पर्यटन स्थल कल्पा बर्फ की चादर में लिपट गया है, इससे पर्यटकों के बीच खुशी की लहर है. वहीं मौसम विभाग ने कहा है कि अभी और बर्फबारी होने के आसार हैं! सरकार ने मोटर चालकों को सलाह दी है कि वे ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में यात्रा करने से पहले सड़क की स्थिति के बारे में पता कर लें!
तापमान में भारी गिरावट
मनाली में तापमान 3.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है. वहीं राज्य में केलांग में तापमान शून्य से 6 डिग्री सेल्सियस नीचे है. शिमला से लगभग 250 किलोमीटर दूर किन्नौर जिले के कल्पा में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज होने के साथ 32 सेंटीमीटर की बर्फबारी हुई!


हाफ बिल करने से भाजपा को हो रही पीड़ा

रायपुर! भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने के बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि बिजली बिल हाफ योजना का जनता को लाभ मिल रहा है! इससे भाजपा को पीड़ा हो रही है। भाजपा के नेता बिजली के दरों में हुई मूल्य वृद्धि के लिए जिम्मेदार मोदी सरकार से कोयला और डीजल के दामों में हुई वृद्धि को वापस लेने की मांग करें।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार ने 11 महीने में जनहितेषी कार्य किए हैं। इसके बाद भाजपा नेताओं को नगरीय निकाय चुनाव में करारी हार का एहसास हो चुका है। भाजपा के नेता जिस प्रकार से किसानों के धान का 2500 रू. दाम देने का विरोध कर रहे हैं। ठीक उसी तरह ही बिजली बिल हाफ योजना का भी विरोध कर रहे है। बिजली बिल हाफ योजना के कारण जनता का झुकाव कांग्रेस की ओर है, इससे भाजपा के नेता भयभीत है। भाजपा के नेता छत्तीसगढ़ की जनता को गुमराह करना बंद करें। छत्तीसगढ़ की जनता जानती है कि बिजली उत्पादन में लगने वाले कोयला और डीजल के दामों पर नियंत्रण केंद्र सरकार करती है! और केंद्र में बैठी मोदी भाजपा की सरकार लगातार छत्तीसगढ़ के हित को बाधित करने का अन्याय पूर्ण कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ भाजपा के 9 सांसद छत्तीसगढ़ की जनता को बिजली के दामों में हुई वृद्धि से राहत दिलाने तत्काल केंद्र सरकार से मांग करें कि कोयले और डीजल के दामों में वृद्धि को जनहित में तत्काल वापस ले।


दशरथ-कौशल्या विवाह पर उमड़ी भीड़

दशरथ कौशल्या विवाह प्रसंग पर उमड़ी भक्तों की भीड़


साई धाम में चार दिन से कथा वाचक अखिलेश जी महाराज के मुखार बिन्दु से बरस रही ज्ञानामृत का रसपान करने एकत्रित हो रहे नर नारी


कौशांबी! साईं महोत्सव आयोजन समिति मंझनपुर कौशांबी द्वारा श्री राम जन्म कथा दशरथ कौशल्या विवाह प्रसंग पर कीर्तन भजन प्रवचन का आयोजन साईं धाम में किया गया है!


साईधाम में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिदिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है! रविवार को प्रवचन का चौथा दिन है! आयोजन के कथावाचक अखिलेश जी महाराज ने दशरथ कौशल्या विवाह का प्रसंग छेड़ दिया! पुत्रयज्ञ और श्रीराम जन्म की कथा को आगे बढ़ाते हुए, अपने मुखारविंद से कथा वाचक अखिलेश जी महाराज ने राम-कथा, ज्ञान-यज्ञ का ज्ञान अमृत भक्तों को पिलाते हुए, लोगों का मन मोह लिया है! इस मौके पर एडवोकेट केडी द्विवेदी सुशीला द्विवेदी, महेश लाल श्रीवास्तव, गोरखनाथ शुक्ला, धर्मेंद्र शुक्ला, कैलाश बिहारी श्रीवास्तव, सुमन श्रीवास्तव, दिनेश शुक्ला, अमरीश मिश्रा, गोलू, मुन्ना, विपलव समेत हजारों लोग कार्यक्रम में प्रतिदिन पधार रहे हैं!


सुशील केसरवानी


पत्रकारिता का उद्देश्य, राष्ट्र का निर्माण

 सलीम रजा
देहरादून। सर्वप्रथम सभी पत्रकार बन्धुओं को जो पत्रकारिता को शौकिया, जुनून और फर्ज के तौर पर कर रहे हैं। प्रेस या अखबार और इलैक्ट्रानिक मीडिया प्रजातंत्रीय शासन के तहत आजादी से अपना काम करते हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि, क्या प्रेस पूरी तरह से आजाद हो सकती है?इसका जवाब शायद देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों से पूछा जाये तो वो भी बगलें झांकने लगेंगे, वो अपनी राय देने में हिचकिचायेंगे जरूर, उनके मुंह से न तो हां निकलेगी और न ही वो नहीं कर पायेंगे। कहने को तो सोचने-विचार करने और चिंतन करने के लिए सब स्वतंत्र है। लेकिन उन विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी नितश्चित रूप से कुछ सीमाओं के दायरे में बंधी हुई है। प्रेस की आजादी एक प्रकार से विशेषाधिकार है। इसका सही तरह से इस्तेमाल करने के लिए बहुत ही विवेक और धैर्य के साथ व्यवहार कुशलता की जरूरत होती है। प्रेस आयेग ने भारत में प्रेस की आजादी और उनकी हिफाजत के साथ पत्रकारों में ऊंचे विचारों को कायम करने के मकसद से प्रेस परिषद की कल्पना की थी, और जुलाई 1966 में परिषद की स्थापना की गई, फिर 16 नवम्बर 1966 से परिषद ने विधिमान्य तरीके से अपना विधिवत काम करना शुरू कर दिया था।


आज पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत व्यापक हो गया है। पत्रकारिता ही एक ऐसी विधा है, तो शिक्षाप्रद, सूचनात्मक और मनोरंजन से भरपूर चीजे आम जनता तक पहुंचाने में एक सेतु का काम करती है। हम आप सभी जानते हैं कि, पत्रकारिता के अन्दर तथ्यपरकता होनी जरूरी है, लेकिन तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर, मिर्च-मसाला लगाकर सनसनी फैला देने की आदत आज की पत्रकारिता में नजर आने लगी है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि, पत्रकारिता में पक्ष्पात और असंतुलन की अधिकता बहुत ज्यादा है। जिसमें स्वार्थ साफ झलकता है। आज के युग और आधुनिक पत्रकारिता में विचारों पर आधारित समाचार पत्रों की बाढ़ सी आ गई है।जिसकी वजह से पत्रकारिता में एक नाजुक और अस्वस्थ प्रवृति ईजाद हुई है। कहा जाता है कि, समाचार विचारों की जननी है। जिसका अभिवादन जरूर होना चाहिए, लेकिन विचारों पर आधारित समाचार एक अभिशाप की तरह है। मैंने सुना-पढ़ा है कि, समतल, उत्तल और अवतल भी कुछ होता है, इसको मैं सीधे और सरल तरीके से आपके सामने रखता हूँ। मीडिया समाज का दर्पण है, और दर्पण का काम समतल दर्पण की तरह काम करना होता है, जिससे वो समाज की सच्ची बातों को उजागर कर समाज के सामने लाने में अपनी भूमिका निभाता है, लेकिन अक्सर देखा गया है कि, अपने निहित स्वार्थों के चलते मीडिया उत्तल या अवतल दर्पण की तरह काम करने लगती है। जिससे हमें समाज की उल्टी तस्वीर दिखलाई जाती है, जो अकाल्पनिक, और विकृत तस्वीर का रूप लेकर समाज के वर्ग विशेष, धर्म विशेष पर चोट पहुंचाकर सनसनी फैलाने का काम करती है।


मुझे कहने में तो अच्छा नहीं लग रहा है, लेकिन अपने 25 साल के सफर में मैंने ये महसूस किया कि, वो किस श्रेणी के लोग हैं जो कल कहां और आज कहां हैं। शायद ऐसे लोगों की जरूरतें और महत्वाकांक्षायें ज्यादा होती है, और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ये विचार मंथन करते हैं। कहते हैं जरूरत की कोख से निकला हुआ शब्द ईजाद है। और अपने जीवन को गुलाबी बनाने के लिए खोजी पत्रकारिता के ईजाद ने एक बाजार बनाया जहां ये लोग नीली-पीली और भ्रामक खबरों से कैश करने की जुगत में लग जाते हैं। ऐसीे ही खबरों का चलन बढ़ता जा रहा है।जिससे पत्रकारिता की विश्वसनीयता और पत्रकार की मंशा दोनों ही सस्पैक्टेड हो गईं। दरअसल आज का जो दौर चल रहा है। उसमें देखा जा रहा है कि, पत्रकार अलग-अलग धड़ों में बंटकर राजनीतिक दलों के साथ जुड़ गये हैं। जिससे उनकी विचारधारा चाटुकारिता में बदल कर रह गई, अब समाज को वो तस्वीर दिखाई जाती है। जो जनता का माइन्ड डायवर्ट करने में सत्तासीन सरकार का सहयोग करती है।जिसके नीचे दबकर वो सारे सच दफन हो जाते हैं। जो समाज को मजबूती और दिशा देने में सहायक होते हैं।


बहरहाल, पत्रकारिता एक मिशन है लेकिन कितना दुर्भाग्य है कि, जब हम आजाद हुवे तो पत्रकारिता के मापदण्ड ही भूल गये। अब पत्रकारिता मिशन न होकर प्रोडक्शन हाउस में बदल गई। कभी-कभी ये देखने को मिलता है कि, पत्रकारिता जब मिशन के तौर पर भ्रष्टाचार पर प्रहार करने लगती है, तब उनकी मंशा पर भी शक और गहरा जाता है कि, आखिर समन्वय में कमी होने की वजह क्या है? आज कुछ ऐसे हालात पैदा हो गये जिसने पत्रकार को गुलाम और पत्रकारिता को दलाल की संज्ञा देकर उनकी आजादी पर पहरा बैठा दिया गया। साफ है जब भी दलगत पत्रकारिता होगी तब-तब प्रेस की आजादी का चीरहरण होता रहेगा, पत्रकार अपने हक को यूं ही भटकता रहेगा और पत्रकारिता अपने आस्तित्व को सिसकेगी। मुझे ये कहने में तकलीफ भी हो रही है कि, समाचार पत्रों या न्यूज चैनलों का सवामित्व अधिकार या तो राजनीतिज्ञों के पास हैं या फिर कॉर्पोरेट के लोगों के पास, जिन्होंने पत्रकारिता को दिशाहीन बना कर रख दिया और पत्रकार को गुलाम, कभी पहले पत्रकारिता मिशन हुआ करती थी, लेकिन इन लोगों के हाथों में आने के बाद पत्रकारिता सेन्सेशन हुई और अब ये कमीशन बनकर रह गई।


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...