नई दिल्ली। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल तय है। आगामी दिनों में एलजी गिरीश चंद्र मुर्मू इस संबंध में आदेश जारी कर सकते हैं। कई प्रशासनिक विभागों के सचिवों के अलावा विभागाध्यक्षों को इधर से उधर करने के अलावा सलाहकारों को विभागों को बंटवारा होगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नए केंद्र शासित प्रदेश में एलजी नई टीम के साथ सुशासन के एजेंडे पर आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके लिए पिछले कुछ दिनों से एलजी विभिन्न स्तर पर चर्चा कर चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी वह अपनी मंशा बता चुके हैं। प्रथम चरण में कई प्रशासनिक सचिवों व विभागाध्यक्षों के विभागों को बदला जाएगा। इसमें प्रशासनिक सचिव स्तर के तबादले करने की तैयारी है। वहीं फेरबदल के दूसरे चरण में डीसी स्तर के अधिकारियों को इधर से उधर किया जाएगा। दरअसल केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर जनता को सुशासन का अहसास दिलाना चाहती है। इसके लिए उपराज्यपाल जीसी मुर्मू को नई टीम का साथ देने की व्यवस्था की जा रही है। उधर, उपराज्यपाल अपने सलाहकारों फारूक खान और केके शर्मा के लिए विभागों पर भी गृह मंत्रालय से चर्चा कर चुके हैं। दोनों सलाहकारों को दो दिन तक विभागों की कमान भी सौंपी जा सकती है।
सोमवार, 18 नवंबर 2019
बोबडे ने 47 वें प्रधान न्यायाधीश की शपथ ली
नई दिल्ली। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने सोमवार को देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने न्यायमूर्ति बोबड़े (63) को शपथ ग्रहण कराई। जस्टिस रंजन गोगोई रविवार को सेवानिवृत्त हुए जिसके बाद न्यायमूर्ति बोबडे ने प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। प्रधान न्यायाधीश को तौर पर जस्टिस बोबडे का कार्यकाल करीब 17 महीने का होगा और वह 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे। इस मौके पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। शपथ लेने के बाद जस्टिस बोबड़े ने अपनी मां का आशीर्वाद लिया।
जस्टिस बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ। उनके पिता मशहूर वकील थे। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कला व कानून में स्नातक किया। 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले जस्टिस बोबड़े ने मार्च, 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में शपथ ली। 16 अक्तूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई।
अयोध्या के अलावा जस्टिस बोबड़े और भी कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। अगस्त, 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस बोबड़े ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था। वह 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता। हाल ही में उनकी अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने बीसीसीआई का प्रशासन देखने के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अध्यक्षता में बनाई गई प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया कि वे निर्वाचित सदस्यों के लिए कार्यभार छोड़ें।
दोकलाम विवाद संबंधों को प्रभावित करेगा
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच दो सफल अनौपचारिक वार्ता हुई हैं। इसके जरिए दोनों देशों ने कई मुद्दों पर बात की है और उन्हें सुलझाने पर सहमति बनाई है लेकिन फिर भी कुछ मुद्दों को लेकर दोनों में विवाद हो सकता है। दोकलाम के बाद उपजा यह विवाद दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकता है। जहां एक तरफ चीन भारत सरकार के जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने का विरोध कर रहा है वहीं अब दलाई लामा और तिब्बत मामला दोनों देशों के संबंधों को और प्रभावित कर सकता है। इस महीने चीन ने भारत से आधिकारिक तौर पर कहा है कि कोई भी वरिष्ठ भारतीय नेता या सरकारी अधिकारी का दलाई लामा से मिलना दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को प्रभावित कर सकता है। यह बात चीन ने भारतीय अधिकारियों को हाल ही में धर्मशाला में हुई राइजिंग हिमाचल ग्लोबल इंनवेस्टर्स समिट से पहले कही। बता दें कि धर्मशाला को शरणार्थी तिब्बत सरकार का स्थान भी माना जाता है। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। चीन कई बार इस बात की संभावना जता चुका है कि केंद्र और राज्य सरकारों के भारतीय नेता और अधिकारी धार्मिक नेता से मुलाकात करते रहते हैं।
चीन को जवाब देते हुए भारत ने कहा कि दलाई लामा को कोई भी राजनीतिक गतिविधि करने की इजाजत नहीं है और यह समिट भी एक गैर-राजनीतिक कार्यक्रम है। धार्मिक स्वंत्रता मामले में अमेरिकी राजदूत सैम ब्राउनबैक ने धर्मशाला में कुछ हफ्ते पहले दलाई लामा से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि यह बात चीन के दिमाग में है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई जिसके बाद मामले को सुलझा लिया गया। यह काफी संवेदनशील समय है क्योंकि कुछ हफ्तों से दलाई लामा के पुनर्जन्म की सुर्खिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाई हुई हैं। 84 साल के 14वें दलाई लामा और अमेरिका इस बात को सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि चीन को उनका उत्तराधिकारी चुनने की इजाजत न दी जाए। यहां तक कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।
मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति को दी बधाई
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे से रविवार की शाम टेलीफोन पर बातचीत की तथा चुनाव में विजय पर उन्हें अपनी और भारत की जनता की ओर से बधाई दी।पड़ोसी देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोतबया ने मोदी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ विकास एवं सुरक्षा संबंधी सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।
श्रीलंका में शनिवार को संपन्न चुनावों में विपक्षी दल श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) के उम्मीदवार गोतबया राजपक्षे ने जीत हासिल की। चुनाव नतीजे आने के बाद मोदी ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को दिन में बधाई दी थी तथा शाम को टेलीफोन पर उनसे बातचीत की।
मोदी ने पड़ोसी देश के नेता से कहा कि दोनों देशों के बीच पुराने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सभ्यतागत रिश्ते हैं। उन्होंने इन मैत्रीपूर्ण संबंधों के और मजबूत होने का विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राजपक्षे के कुशल नेतृत्व में श्रीलंका विकास, समृद्धि और शांति के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।मोदी ने गोतबया राजपक्षे को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
पाकिस्तानी नेता ने लगाई, मदद की गुहार
लंदन। इंग्लैंड में रह रहे पाकिस्तानी नेता और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के प्रमुख अल्ताफ हुसैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि वह उन्हें भारत में शरण दें या फिर आर्थिक मदद करें।
विदित हो कि अल्ताफ 27 साल पहले लंदन चले गए थे, क्योंकि उन्हें पाकिस्तान में अपना जीवन सुरक्षित नहीं लग रहा था और तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो एमक्यूएम के कार्यकर्ताओं पर कहर बरपा रही थीं। पाकिस्तान में वह आतंकवाद के आरोपित हैं।पाकिस्तानी समाचार चैनल जियो टीवी के मुताबिक, जमानत में छूट मिलने के बाद पहली बार भाषण देने पहुंचे अल्ताफ हुसैन ने कहा कि वह भारत जाना चाहते हैं, जहां उनके पूर्वज रहे हैं। उन्होंने कहा, ''अगर प्रधानमंत्री मोदी मुझे भारत आने की इजाजत देते हैं और वहां शरण मिलती है तो फिर मैं अपने साथियों के साथ वहां पहुंच जाऊंगा, क्योंकि मेरे दादा को वहीं दफनाया गया है। इसके अलावा मेरे हजारों रिश्तेदारों को भी वहीं दफनाया गया है। मैं भारत में उनके मजार पर जाना चाहता हूं।''
हुसैन ने यह भी कहा कि अगर मोदी उन्हें भारत में शरण देने का खतरा नहीं मोल सकते हैं तो फिर कम से कम वह उन्हें पैसों से मदद कर दे। उन्होंने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर भी निशाना साधा और कहा कि अगर उन्हें भारत पसंद नहीं है तो फिर वह पाकिस्तान चले जाएं।
रूसी कंपनी ने लगाया देरी का आरोप
दुबई। रूस की सरकारी कंपनी रॉस्टेक ने 140 हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए भारत पर समझौता में देर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में सारी सूचनाएं मुहैया करा दी गई है।समाचार एजेंसी रॉटर्स के मुताबिक, मुख्य कार्यकारी आंद्रे बोगिंस्की ने कहा कि अगर भारत नौसेना के के लिए खरीदे जाने वाले सौ हेलीकॉप्टर्स के ऑर्डर को इसके साथ जोड़ता है तो उसे काफी फायदा होगा।
विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत केए 226 टी हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए रूस के साथ साल 2015 में एक करार किया था जिसे रॉस्टेक कंपनी बनाएगी। इस करार के मुताबिक, रूस 40 हेलीकॉप्टर बना बनाया देगा, जबकि शेष सौ भारत में बनेगा।
इस बीच दोनों देशों के बीच नौसेना के लिए भी सौ हेलीकॉप्टर की खरीद को लेकर बातचीत आरंभिक चरण में है। दुबई एयर शो के दौरान बोगिंस्की ने रॉयटर्स से कहा कि सभी सूचनाएं उपलब्ध कराए जाने के बावजूद भारत ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। लेकिन कोई कारण समझ में नहीं आ रहा है। उन्होंने इस बात को दोहराया कि अगर सेना और नौसेना के आर्डर एक साथ कर दिए जाते हैं तो भारत को बड़ा फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि नए वीआरटी -500 हेलीकॉप्टर अपनी पहली उड़ान साल 2021 में भरेगा और उन्हें यकीन है कि भारत और मध्यपूर्व देश इसमें दिलचस्पी लेंगे। रूस ने साल 2035 तक एक हजार वीआरटी हेलीकॉप्टर बेचने का लक्ष्य रखा है।
संसद तक पैदल मार्च करेंगे जेएनयू छात्र
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने थोड़ी नर्मी जरूर दिखाई, लेकिन छात्र अब भी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। छात्रसंघ के सदस्य और अन्य विद्यार्थी प्रशासन द्वारा फीस बढ़ाए जाने के फैसले को पूरी तरह वापस लेने की मांग करते हुए सोमवार को संसद तक मार्च करने वाले हैं। इसी के मद्देनजर आज सुबह से ही जेएनयू परिसर के बाहर भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती नजर आई। वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने विरोध और हड़ताल पर उतरे छात्रों को सख्त चेतावनी दी है। विवि का कहना है कि यदि विद्यार्थी हड़ताल से वापस नहीं लौटे तो उनका दाखिला रद्द कर दिया जाएगा। रविवार को विवि प्रबंधन ने इस संबंध में एक सर्कुलर भी जारी किया। इसमें विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों से वापस अपनी कक्षाओं में जाकर पढ़ाई करने की अपील की गई थी। सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि विवि शैक्षणिक कार्यक्रम के तहत आगामी 12 दिसंबर से परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। ऐसे में छात्रों के पास परीक्षाओं की तैयारियां करने के लिए कुछ ही समय बचा है। इसके अलावा एमफिल और पीएचडी के शोध आदि जमा करने और उसे मूल्यांकन शाखा को भेजने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर निर्धारित है। विवि ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस अवधि को लेकर छात्रों को किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिलेगी।
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