सोमवार, 18 नवंबर 2019

संसद का 250 वां शीतकालीन सत्र प्रारंभ

नई दिल्ली। लोकसभा और राज्यसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया। यह संसद का 250वां सत्र है। इसी सत्र के दरमियान 26 नवंबर को संविधान सत्र पड़ेगा। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को बधाई दी और कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि संवाद और चर्चा होनी चाहिए, सभी को संसद में चर्चा को समृद्ध बनाने में योगदान देना चाहिए। वहीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि संसद बहस, चर्चा और वार्ता के लिए होती है।


सुषमा-जेटली समेत दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि


लोकसभा और राज्यसभा में सुषमा स्वराज और अरुण जेटली समेत दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'मैं अरुण जेटली को निजी तौर पर जानता था। हमारे बीच की राजनीतिक खटास हमारे निजी संबंधों के कारण मिठास में बदल जाती थी। छात्र जीवन से लेकर मृत्यु तक, उनका जीवन बहुत सक्रिय रहा। वह एक अच्छे छात्र, वक्ता और नेता थे। जेटली जी जैसे लोगों के जाने से अकेले किसी पार्टी को नहीं बल्कि पूरे देश को नुकसान हुआ है। मैं उनकी आत्मा की शांति की दुआ करता हूं।'


इलेक्ट्रिक कार से संसद पहुंचे जावड़ेकर


केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर संसद के सत्र में हिस्सा लेने के लिए इलेक्ट्रिक कार से पहुंचे। उन्होंने कहा, 'सरकार धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक कारों की ओर जा रही है क्योंकि वे प्रदूषण मुक्त हैं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वह प्रदूषण से लड़ाई में योगदान दें। वह सार्वजनिक परिवहन, इलेक्ट्रिक वाहनों आदि का इस्तेमाल करें।'


बहस, चर्चा और वार्ता के लिए होती है संसद


लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी से उम्मीद करते हैं कि आम जनता के हित से जुड़े सभी मुद्दों पर संसद के अंदर चर्चा की अनुमति दी जानी चाहिए। संसद बहस, चर्चा और वार्ता के लिए होती है। सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह विपक्षी दलों को अपने विचार व्यक्त करने, अपनी राय को उचित तरीके से रखने दे। यह संसदीय लोकतंत्र का सार है।'


संवाद और चर्चा होने चाहिए: प्रधानमंत्री


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद का सत्र शुरू होने से पहले कहा, 'यह 2019 का अंतिम सत्र है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्यसभा का 250वां सत्र है। इस सत्र के दरमियान 26 नवंबर को हमारा संविधान दिवस पड़ेगा। इस दिन हमारे संविधान को 70 वर्ष पूरे हो जाएंगे। पिछले कुछ दिनों में मुझे लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलने का अवसर मिला। पिछला सत्र सभी सांसदों के समर्थन और सक्रिय भागीदारी के कारण अभूतपूर्व था, जो न केवल सरकार या कोष पीठ (ट्रेजरी बेंच) की ही नहीं बल्कि संपूर्ण संसद की उपलब्धि है। हम सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा चाहते हैं। यह जरूरी है कि गुणवत्ता वाली बहस हो, संवाद और चर्चा होनी चाहिए, सभी को संसद में चर्चा को समृद्ध बनाने में योगदान देना चाहिए।'


बीकानेर सड़क हादसे में 10 लोगों की मौत

बीकानेर। राजस्थान के बीकानेर जिले के सेरूणा थानांतर्गत सेरूणा-झंझेऊ मार्ग पर सोमवार सुबह बस व ट्रक में जबरदस्त टक्कर के बाद आग लग गई। इस भयावह हादसे में दस लोगों की मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलने के बाद सेरूणा पुलिस व ग्रामीणों ने 18 से अधिक घायलों को पीबीएम अस्पताल के लिए रवाना किया है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार बीकानेर के सेरूणा थाना अंतर्गत के नेशनल हाईवे-11 पर सोमवार सुबह ट्रक एवं बस के बीच जबरदस्त भिड़ंत होने के बाद दोनों ही वाहनों में आग लग गई। इस भयानक हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई। साथ ही करीब 18 लोग घायल हो गए। घायलों में कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। समाचार लिखे जाने तक मौके पर राहत कार्य जारी है।


सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक बीकानेर से रवाना हुई एक स्लीपर बस की झंझेऊ गांव के पास सामने से आ रहे ट्रक से जबरदस्त टक्कर हो गई। जिससे दोनों वाहनों में आग लग गई। आसपास के ट्यूबवेल से पाईप लगाकर दोनों वाहनों में लगी आग पर काबू पाया गया। तब तक 10 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि अन्य घायलों को सेरूणा पुलिस व ग्रामीणों के माध्यम से बीकानेर के पीबीएम अस्पताल पहुंचाया गया है। मृतकों की संख्या के बारे में अधिकारिक पुष्टि पुलिस द्वारा नहीं की गई है। उल्लेखनीय है कि इसी मार्ग पर एक दिन पहले बस स्टैंड पर बस का इंतजार कर रहे चार लोगों को अनियंत्रित हुई कार ने कुचल दिया था।


जम्मू-कश्मीर में होंगे तबादले, फेरबदल

नई दिल्ली। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल तय है। आगामी दिनों में एलजी गिरीश चंद्र मुर्मू इस संबंध में आदेश जारी कर सकते हैं। कई प्रशासनिक विभागों के सचिवों के अलावा विभागाध्यक्षों को इधर से उधर करने के अलावा सलाहकारों को विभागों को बंटवारा होगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नए केंद्र शासित प्रदेश में एलजी नई टीम के साथ सुशासन के एजेंडे पर आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके लिए पिछले कुछ दिनों से एलजी विभिन्न स्तर पर चर्चा कर चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी वह अपनी मंशा बता चुके हैं। प्रथम चरण में कई प्रशासनिक सचिवों व विभागाध्यक्षों के विभागों को बदला जाएगा। इसमें प्रशासनिक सचिव स्तर के तबादले करने की तैयारी है। वहीं फेरबदल के दूसरे चरण में डीसी स्तर के अधिकारियों को इधर से उधर किया जाएगा। दरअसल केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर जनता को सुशासन का अहसास दिलाना चाहती है। इसके लिए उपराज्यपाल जीसी मुर्मू को नई टीम का साथ देने की व्यवस्था की जा रही है। उधर, उपराज्यपाल अपने सलाहकारों फारूक खान और केके शर्मा के लिए विभागों पर भी गृह मंत्रालय से चर्चा कर चुके हैं। दोनों सलाहकारों को दो दिन तक विभागों की कमान भी सौंपी जा सकती है।


बोबडे ने 47 वें प्रधान न्यायाधीश की शपथ ली

नई दिल्ली। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने सोमवार को देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने न्यायमूर्ति बोबड़े (63) को शपथ ग्रहण कराई। जस्टिस रंजन गोगोई रविवार को सेवानिवृत्त हुए जिसके बाद न्यायमूर्ति बोबडे ने प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। प्रधान न्यायाधीश को तौर पर जस्टिस बोबडे का कार्यकाल करीब 17 महीने का होगा और वह 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे। इस मौके पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। शपथ लेने के बाद जस्टिस बोबड़े ने अपनी मां का आशीर्वाद लिया।


जस्टिस बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ। उनके पिता मशहूर वकील थे। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कला व कानून में स्नातक किया। 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले जस्टिस बोबड़े ने मार्च, 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में शपथ ली। 16 अक्तूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई।


अयोध्या के अलावा जस्टिस बोबड़े और भी कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। अगस्त, 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस बोबड़े ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था। वह 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता। हाल ही में उनकी अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने बीसीसीआई का प्रशासन देखने के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अध्यक्षता में बनाई गई प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया कि वे निर्वाचित सदस्यों के लिए कार्यभार छोड़ें।


दोकलाम विवाद संबंधों को प्रभावित करेगा

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच दो सफल अनौपचारिक वार्ता हुई हैं। इसके जरिए दोनों देशों ने कई मुद्दों पर बात की है और उन्हें सुलझाने पर सहमति बनाई है लेकिन फिर भी कुछ मुद्दों को लेकर दोनों में विवाद हो सकता है। दोकलाम के बाद उपजा यह विवाद दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकता है। जहां एक तरफ चीन भारत सरकार के जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने का विरोध कर रहा है वहीं अब दलाई लामा और तिब्बत मामला दोनों देशों के संबंधों को और प्रभावित कर सकता है। इस महीने चीन ने भारत से आधिकारिक तौर पर कहा है कि कोई भी वरिष्ठ भारतीय नेता या सरकारी अधिकारी का दलाई लामा से मिलना दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को प्रभावित कर सकता है। यह बात चीन ने भारतीय अधिकारियों को हाल ही में धर्मशाला में हुई राइजिंग हिमाचल ग्लोबल इंनवेस्टर्स समिट से पहले कही। बता दें कि धर्मशाला को शरणार्थी तिब्बत सरकार का स्थान भी माना जाता है। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। चीन कई बार इस बात की संभावना जता चुका है कि केंद्र और राज्य सरकारों के भारतीय नेता और अधिकारी धार्मिक नेता से मुलाकात करते रहते हैं।


चीन को जवाब देते हुए भारत ने कहा कि दलाई लामा को कोई भी राजनीतिक गतिविधि करने की इजाजत नहीं है और यह समिट भी एक गैर-राजनीतिक कार्यक्रम है। धार्मिक स्वंत्रता मामले में अमेरिकी राजदूत सैम ब्राउनबैक ने धर्मशाला में कुछ हफ्ते पहले दलाई लामा से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि यह बात चीन के दिमाग में है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई जिसके बाद मामले को सुलझा लिया गया। यह काफी संवेदनशील समय है क्योंकि कुछ हफ्तों से दलाई लामा के पुनर्जन्म की सुर्खिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाई हुई हैं। 84 साल के 14वें दलाई लामा और अमेरिका इस बात को सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि चीन को उनका उत्तराधिकारी चुनने की इजाजत न दी जाए। यहां तक कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।


मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति को दी बधाई

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे से रविवार की शाम टेलीफोन पर बातचीत की तथा चुनाव में विजय पर उन्हें अपनी और भारत की जनता की ओर से बधाई दी।पड़ोसी देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोतबया ने मोदी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ विकास एवं सुरक्षा संबंधी सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।


श्रीलंका में शनिवार को संपन्न चुनावों में विपक्षी दल श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) के उम्मीदवार गोतबया राजपक्षे ने जीत हासिल की। चुनाव नतीजे आने के बाद मोदी ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को दिन में बधाई दी थी तथा शाम को टेलीफोन पर उनसे बातचीत की।


मोदी ने पड़ोसी देश के नेता से कहा कि दोनों देशों के बीच पुराने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सभ्यतागत रिश्ते हैं। उन्होंने इन मैत्रीपूर्ण संबंधों के और मजबूत होने का विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राजपक्षे के कुशल नेतृत्व में श्रीलंका विकास, समृद्धि और शांति के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।मोदी ने गोतबया राजपक्षे को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।


पाकिस्तानी नेता ने लगाई, मदद की गुहार

लंदन। इंग्लैंड में रह रहे पाकिस्तानी नेता और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के प्रमुख अल्ताफ हुसैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि वह उन्हें भारत में शरण दें या फिर आर्थिक मदद करें।


विदित हो कि अल्ताफ 27 साल पहले लंदन चले गए थे, क्योंकि उन्हें पाकिस्तान में अपना जीवन सुरक्षित नहीं लग रहा था और तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो एमक्यूएम के कार्यकर्ताओं पर कहर बरपा रही थीं। पाकिस्तान में वह आतंकवाद के आरोपित हैं।पाकिस्तानी समाचार चैनल जियो टीवी के मुताबिक, जमानत में छूट मिलने के बाद पहली बार भाषण देने पहुंचे अल्ताफ हुसैन ने कहा कि वह भारत जाना चाहते हैं, जहां उनके पूर्वज रहे हैं। उन्होंने कहा, ''अगर प्रधानमंत्री मोदी मुझे भारत आने की इजाजत देते हैं और वहां शरण मिलती है तो फिर मैं अपने साथियों के साथ वहां पहुंच जाऊंगा, क्योंकि मेरे दादा को वहीं दफनाया गया है। इसके अलावा मेरे हजारों रिश्तेदारों को भी वहीं दफनाया गया है। मैं भारत में उनके मजार पर जाना चाहता हूं।''


हुसैन ने यह भी कहा कि अगर मोदी उन्हें भारत में शरण देने का खतरा नहीं मोल सकते हैं तो फिर कम से कम वह उन्हें पैसों से मदद कर दे। उन्होंने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर भी निशाना साधा और कहा कि अगर उन्हें भारत पसंद नहीं है तो फिर वह पाकिस्तान चले जाएं।


न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जनपद के टाउन हॉल में मंगलवार को सामाजिक न्याय क्रांति मोर्चा ...