सोमवार, 11 नवंबर 2019

शिवसेना सांसद, केंद्रीय मंत्री का इस्तीफा

नई दिल्ली। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की पार्टी के मोदी सरकार में मंत्री अरविंद सांवत ने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफ दे दिया है। बता दें कि भाजपा ने रविवार को राज्यपाल से मिलकर कहा कि वह राज्य में अकेले सरकार नहीं बना सकती। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया है। ऐसे में अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने मौका देखते हुए शिवसेना को समर्थन देने पर अपनी शर्त रख दी है। एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने कहा है कि हमारे समर्थन के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को पहले केंद्रीय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होना होगा। अब सबकी नजर शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस पर टिकी हुई है। सरकार गठन का न्योता मिलने के बाद शिवसेना नेता एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात कर सकते हैं।


केंद्रीय भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री और शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने ट्वीट करके कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले दोनों में सीट शेयरिंग को लेकर एक फॉर्मुला तय हुआ था, दोनों की उस पर सहमति हुई थी। उस फॉर्मुले को नकार कर शिवसेना को झूठा ठहराकर महाराष्ट्र के स्वाभिमान पर कलंक लगाने की कोशिश की गई है। शिवसेना का पक्ष सच्चाई है। इतने झूठे माहौल में दिल्ली में क्यों रहें? इसीलिए मैं केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। । अब, एक पक्ष का खंडन करना शिवसेना के लिए एक गंभीर खतरा है। भाजपा ने झूठ की खोज में महाराष्ट्र में काफी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि शिवसेना का पक्ष सच्चाई है। इतने झूठे माहौल में दिल्ली में क्यों रहूं? और इसीलिए मैं केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे रहा हूं।


गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो गया है और भाजपा-शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर गतिरोध जारी है। इसी बीच खरीद-फरोख्त की आशंका के मद्देनजर महाराष्ट्र कांग्रेस के 34 विधायकों को पार्टी शासित राजस्थान भेज दिया गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- हमें कांग्रेस विधायकों को राजस्थान लाना पड़ा है, क्योंकि वहां बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त का खतरा था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को अनुसार भाजपा के पास 105 विधायक हैं और उसका दावा है कि उसे कुछ निर्दलीय तथा छोटी पार्टियों के विधायकों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि 288 सीटों वाली विधानसभा में क्या वह बहुमत के 145 के आंकड़े पर पहुंच सकती है या नहीं। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 105 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई। दोनों को मिलाकर 161 सीटें हैं जो जरूरी बहुमत के आंकड़े 145 से बहुत ज्यादा हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर खींतचान की वजह से अब तक सरकार का गठन नहीं हो सका। हालांकि अब बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वह राज्य में अकेले सरकार नहीं बना सकती और शिवसेना उसका साथ नहीं दे रही।


सिग्नल फेल: ट्रेन ने मारी ट्रेन को टक्कर

हैदराबाद। सिग्नल फेल होने के कारण तेलंगाना के काचीगुडा रेलवे स्टेशन पर के प्लेटफार्म पर खड़ी कोंगु एक्सप्रेस को एक दूसरी ट्रेन ने टक्कर मार दी। इस हादसे में कई यात्री घायल हो गए हैं।


राहत और बचाव कार्य के लिए रेलवे के कई कर्मचारी दुर्घटना स्थल पर पहुंच गए हैं। बताया जा रहा है कि यह हादसा सिग्नल फेल होने के कारण हुआ जब । इस दुर्घटना के कारण रेल ट्रैक पर यातायात प्रभावित हो गया है। रेलवे ने कई ट्रेनों के समय में बदलाव भी किया है।


खफा 'जैस-ए-मोहम्मद' कर सकता है हमला

नई दिल्ली। पिछले 10 दिनों से जहां राज्य सरकारों से कहा गया है कि वह उच्चतम न्यायालय के अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम करें। वहीं डार्क वेब से पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संभावित आतंकी हमलों के संदेश मिल रहे हैं। कई खुफिया एजेंसियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि जैश कई आतंकी हमलों को अंजाम दे सकता है। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। मिलिट्री इंटेलिजेंस, द रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने सरकार को संभावित आतंकी हमलों को लेकर चेताया है। 


एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह खतरे की गंभीरता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि इनमें से प्रत्येक एजेंसी व्यक्तिगत रूप से एक ही निष्कर्ष पर पहुंची है। अयोध्या पर शीर्ष अदालत का फैसला आ चुका है जिससे पाकिस्तान के आतंकी समूहों द्वारा आतंकी हमलों की संभावना बहुत ज्यादा है। दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकी सांप्रदायिक सौहार्द को खराब करना चाहते हैं। आतंकियों के डार्क वेब में कोडेड संचार को जब अन्य एजेंसियों से मिलाया गया तो सुरक्षा एजेंसियां इस निष्कर्ष पर पहुंची कि संभावित हमलों से निपटने के लिए किस तरह की तैयारी की जाए।


आतंकी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को टारगेट कर सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों पांच अगस्त से ही हाई अलर्ट पर हैं। इस तारीख को भारतीय संसद ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था। अधिकारी ने कहा कि आतंकियों के हमले को अंजाम देने की कोशिश पहले से अलग और पक्की लग रही है।


रिपोर्ट-आदेश शर्मा


नर्सो का सरकार के विरुद्ध विरोध-प्रदर्शन

ज्ञान प्रकाश


नई दिल्ली। नियुक्ति, प्रोन्नति, वेतन विसंगतियों समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार से दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में नर्सो का विरोध प्रदर्शन शुरू होगा। आगामी 15 नवंबर को 24 घंटे के लिए नर्सो की हड़ताल रहेगी। रविवार को दिल्ली नर्सेज फेडरेशन (डीएनएफ) की ओर से ये जानकारी देते हुए बताया गया कि पिछले काफी समय से विविध मांगों को लेकर सरकार तक प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। इसलिए 11 व 12 नवंबर को सभी अस्पतालों में र्नसंिग कर्मचारी काली पट्टी बांधकर विरोध जताएंगे। वहीं 13 और 14 नवंबर को सुबह दो घंटे 9 से 11 बजे तक काम बंद कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद 15 नवंबर को हड़ताल होगी। इस प्रदर्शन के बाद भी अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो आने वाले दिनों में सभी र्नसंिग कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे।
अब तक की बैठकें रही बेनतीजा: महासचिव लीलाधर ने बताया कि र्नसंिग कर्मचारियों के नए पदों पर नियुक्ति छठवें वेतन की सिफारिशें लागू कराने, नसरे का कैडर सी से बी ग्रुप में करने, सभी पदों पर पूर्व नसरे को नियुक्त नहीं करने इत्यादि मांगों को लेकर लंबे समय से बातचीत चली आ रही हैए लेकिन अब तक इन पर संज्ञान नहीं लिया है। इसलिए फेडरेशन के पास विरोध प्रदर्शन का ही एकमात्र रास्ता बचा हुआ है। उन्होंने बताया कि अगर इस प्रदशर्न के बाद भी उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो बगैर नोटिस दिए सभी र्नसंिग कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इसीलिए उन्होंने अंतिम बार संबंधित विभाग को सूचित करते हुए अपनी मांगों से अवगत कराया है। र्नसंिग कर्मचारियों के प्रदर्शन से आम मरीजों को परेशानी नहीं होगी। लेकिन 15 नवंबर को हड़ताल होने के कारण अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों को जरूर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल इसे लेकर फेडरेशन की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है।


राजधानी में जारी है डेंगू का प्रकोप

ज्ञान प्रकाश


नई दिल्ली। राजधानी में तमाम कवायदों के बावजूद अब डेंगू डेंजर होता नजर आ रहा है। बीते चौबीस घंटे के दौरान एक बच्ची की डेंगू से मौत होने का मामला सामने आया है। बता दें कि बीते सप्ताह रोहणी के एक अस्पताल में एक महलिा की भी डेंगू फीवर वार्ड में मौत का मामला आया था। फिलहाल प्रशासन इस मामले को संदिग्ध श्रेणी में रखा है। रविवार को आए दूसरे मामले में पूर्वी किदवई नगर के ई1 टाइफ 3 में रहने वाली इस बच्ची का इलाज मैक्स पटपडगंज में चल रहा था। इसके पहले उसे केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के क्लीनिक में चल रहा था। माना जा रहा है कि राजधानी में इस मौसम में डेंगू से यह पहली मौत है। हालांकि मैक्स अस्पताल प्रशासन ने इस मामले को फिलहाल डेंगू संदिग्ध श्रेणी में रखा गया है। उनका तर्क है कि मृत्यु की वजह डेंगू फीवर था या फिर बच्ची को कोई अन्य बीमारी थी। इस विषय में कुछ जांच रिपोर्ट्स के आने का हमें इंतजार है।
सरकार ने नकारा:
हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद के जरीवाल ने ट्वीट के जरिया दावा किया है कि अभी दिल्ली में किसी भी पीड़ित की डेंगू पोजिटिव की मृत्यु की पुष्टि नहीं हुई है। दरअसल, पीड़ित के रिश्तेदार ने इस खबर को श्री केजरीवाल को टैग कर यह जानकारी दी थी। इसके जबाव में उन्होंने इस आश्य की पुष्टि की।
डेंगू फीवर से ही हुई मौत:
मृतक बच्ची 12वीं कक्षा की छात्रा थी। उसके पिता गोपाल रक्षा मंत्रालय में कार्यरत है। वह अपने परिवार के साथ किदवई नगर में रहती थी। इस कालोनी का निर्माण हाल ही एनबीसीसी ने किया था। इसके बाद लंबे समय यहां रहने वाले कें द्रीय कर्मचारियों को फ्लैट अलाट किया है। उधर, मैक्स हास्पिटल, पटपड़गंज के अधिकारी ने कहा कि बच्ची को यहां 8 नवम्बर को भर्ती कराया गया था। उसे डेंगू फीवर था जांच में पोजिटिव पाई गई थी। उसे तेज बुखार के साथ ही प्लेटलेट्स संख्या कम हो गई थी। जो समान्य थी। उसे सां लेने में भी तकलीफ हो रही थी। अन्तिम जांच के लिए रिपरेट दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को भेजी गई है। फिलहाल इसे संदिग्ध कैटेगरी में रखा गया है।
परिजनों ने किया हंगामा:
बालिका की मौत से क्रोधित हो कर कॉलोनी वासियों ने एनबीसीसी के अधिकारी का घेराव किया और धरना दिया।
ईस्ट किदवई नगर में निर्माण कार्य पूरा करने से पहले ही इस्टेट्स आफिस ने सरकारी कर्मचारियों की जबरन यहां शिफ्ट जार दिया। यहां जगह पानी भरा हुआ है जिसके कारण याब तक 79 से अधिक लोग डेंगू की चपेट में आ गए है और कल रात एक बालिका की मौत भी हो गयी रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष निरंजन सिह के अनुसार, कॉलोनी में कोई सुविधा नहीं है। लेने का पानी साफ नहीं है, सफाई नहीं होती, जलभराव की संभावना रहती है। आरोप है कि केंद्रीय कर्मियों के लिए यहां एक भी सीजीएचएस डिस्पेंसरी तक नही खोली गई है। कॉलोनी वासियों ने रोष जताने के कजये आज धरना दिया और एनबीसीसी के परियोजना प्रबंधक आकाश सक्सेना का घेराव किया। लोगों ने एस्टेट्स आफिस में तैंनात कर्मचारियों के खिलाफ नारेबाजी की। इस मामले में श्री सक्सेना ने दावा किया कि स्वच्छ पानी आज से ही सामान्य कर दिया गया है। अन्य समस्याओं के लिए वे युद्धस्तर पर कार्रवाई करने का भी भरोसा दिलाया। दरअसल, यहां पर सरोजिनीनगर तो तोड़ने के लिए वहां के लोगों को अनिवार्य रूप से शिफ्ट किया गया है।


एक्सरसाइज से फ्रैक्चर का खतरा कम

अच्छी सेहत के लिए फिजिकल एक्सरसाइज के फायदे तो आपने खूब सुने होंगे। आपको बता दें कि फिजिकल ऐक्टिविटी बुजुर्गों महिलाओं में फ्रैक्चर के खतरे को भी दूर करता है। एक स्टडी में फिजिकल ऐक्टिविटी और मेनोपॉज के बाद महिलाओं में होने वाले फ्रैक्चर का संबंध देखा गया। बता दें कि यह रिसर्च अमेरीका के बफेलो स्कूल ऑफ हेल्थ में की गई है। इस स्टडी में रिसर्चर्स ने 77 हजार माहिलाओं को शामिल किया था। 14 सालों तक इनकी निगरानी की गई।


इस स्टडी में पाया गया कि जो महिलाएं फिजिकली ऐक्टिव थीं या घर के काम करती थीं, उनमें हिप फ्रैक्चर का खतरा 18 प्रतिशत तक कम था। वहीं, टोटल फ्रेक्चर का खतरा 6 प्रतिशत कम था। इस स्टडी के लीड ऑथर का कहना है कि इससे पता चलता है कि फिजिकल एक्सरसाइज के कई फायदों में से एक फ्रैक्चर का कम खतरा होना भी है।बता दें कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में फ्रैक्चर काफी आम समस्या है। इससे उनकी आत्मनिर्भरता कम हो जाती है, उनकी शारीरिक क्षमता सीमित हो जाती है और मृत्यु दर भी बढ़ जाता है। ऐसे में इस स्टडी के परिणामों से कई महिलाओं को काफी फायदा मिल सकता है। पब्लिक हेल्थ के लिए यह एक महत्वपूर्ण रिसर्च है।


नई तकनीक से यमुना बनेगी स्वच्छ

ज्ञानप्रकाश


नई दिल्ली। यमुना नदी की गंदगी को लेकर उठ रहे सवाल के बीच दिल्ली सरकार एक नई तकनीक पर काम करने की फुल प्रूप तैयारी की है। दरअसल, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) का काम अब तक सिरे नहीं चढ़ सका है। इसकी शुरुआत हालांकि तीन साल पहले ही की गई थी। लेकिन कानूनी अड़चनों और वित्तीय अड़चन के चलते इस योजना का अब तक गति नहीं मिल सकी है। ऐसे में सरकार बैक्टीरियल बायॉरेमेडिएशन तकनीक के जरिए दिल्ली से बहने वाले यमुनानदी के पानी को स्वच्छ बनाना चाहती है। नई योजना के तहत सीवेज-इटिंग माइक्रोब्स का प्रयोग किया जाएगा। यह एसटीपी योजना से कम खर्चीली और अत्यंत आसान है।
योजना तैयार, खास बातें: बाढ़ नियंतण्रविभाग द्वारा तैयार इस योजना को अंजाम दे रहे एक अधिकारी ने बताया कि गंदगी खाने वाले जीवाणुओं (सीवेज-इटिंग माइक्रोब्स) के इस्तेमाल से बड़े पैमाने पर जैविक उपचार (बायॉरेमेडिएशन) कर कुछ हद तक यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है। इस बायॉरेमेडिएशन टेक्नीक के तहत ऐक्टिवेटेड माइक्रोब्स नदी के पानी में मौजूद प्रदूषकों जैसे तेल और ऑर्गनीक मैटर को खा लेते हैं। सीवेज के ट्रीटमेंट में ये बैक्टीरिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खास बात यह है कि ये बैक्टीरिया किसी प्रकार की गंध नहीं छोड़ते हैं। इस प्रक्रिया में नाले से आ रही बदबू भी घटती है।
एम्स के एक्सर्ट्स भी है शामिल: यमुना की सफाई योजना में शामिल एम्स फैकल्टी वैज्ञानिक कमेटी के सदस्य शोधार्थी डा. विवेक दीक्षित ने कहा कि ट्रीटमेंट की प्रक्रिया के दौरान भारी धातु और जहरीले रसायन जैसे प्रदूषक कम हो जाते हैं। इस तकनीक के तहत माइक्रोब्स की डोज सीवेज में मौजूद ऑर्गनिक प्रदूषकों की मौजूदगी के आधार पर निर्धारित की जाती है। ओखला बैराज, लोकनायक सेतु, मजनू का टीला, गीता घाट, वजीराबाद स्थित यमुनानदी के घाटों पर इस तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनसीजीएम) की ओर से हाल ही में दो और पायलट प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है। एक एनसीआर उत्तर प्रदेश की ओर दिल्ली से निकलने वाली जगह में दूसरा हरियाणा से दिल्ली की ओर आने वाले हिस्से में होगा।
प्रदूषित अवयव छोडने वाले नालों की पहचान: सिचाई एवं बाढ नियंतण्रविभाग ने 154 नालों की पहचान की है, जिस पर आगे काम शुरू किया जाएगा। इनमें से पहले चरण में 54 स्थानों पर बायॉरेमेडिएशन तकनीक के जरिए सीधे नदी में मिल रहे गंदे पानी को रोका जा सकता है। ऐसे में प्रदूषक तत्वों को रोकने की जरूरत है। दुनिया में कई नई तकनीक मौजूद हैं। वास्तविक स्थान पर होने वाला यह ट्रीटमेंट काफी सरल होता है और इसे आसानी से संचालित किया जा सकता है। इसके लिए ड्रेन में किसी बड़े बदलाव की भी जरूरत नहीं होती है।
तकनीक है कम खर्चीली: स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार ने कहा कि बायॉरेमेडिएशन तकनीक काफी कम खर्चीली है और इसके शुरू होने में महज 6 से 8 महीने का ही समय लगता है। निर्धारित किए गए प्रॉजेक्ट्स की लागत 7 लाख से 7 करोड़ रु पये के मध्य आने का अनुमान है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के निर्देशन में यह कार्य होगा। 'इन लो-कॉस्ट प्रॉजेक्ट्स को प्राइवेट/पब्लिक कंपनियों की कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी से जुड़ी गतिविधियों के जरिए शुरू किया जाएगा।


डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...