रायपुर। देश के जैविक खाद्य उत्पादों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में सात से नौ नवंबर तक किया जा रहा है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के जैविक उत्पादों की जबर्दस्त मांग दिख रही है। छत्तीसगढ़ के सुगंधित चावल की खुशबू अब खाड़ी के देशों में भी बिखरेगी। यहाँ छत्तीसगढ़ से आए संस्थाओं से सबसे ज्यादा माँग सुगंधित चावल की मांग दिख रही है। देश के विभिन्न राज्यों के अलावा खाड़ी के देश सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, यूएई, कतर आदि देशों से सुगंधित चावल की काफी डिमांड आई है। सुगंधित चावल में सबसे ज्यादा जवाफुल, रामजीरा, विष्णुभोग, दुबराज की खरीदारी हो रही है। इसके अलावा मेले में लैब में आर्टिफिशियल तरीके से तैयार मशरूम की काफी डिमांड दिख रही है। यह खास तरह का मशरूम हिमालय की तराई में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर उत्पादित होता है, जिसे छत्तीसगढ़ में लैब कृत्रिम तरीके से टिशू कल्चर से तैयार किया जा रहा है। इस मशरूम से शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है, वहीं हार्ट अटैक से बचाव, किडनी को स्वस्थ रखने और बीपी कंट्रोल करने में सहायक है। मशरूम के लिए वियतनाम, सिंगापुर के लोग ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। मेले में प्रदेश की जैविक चावल, दाल, हर्बल टी, मसाले, बस्तर की इमली, अलसी, मुनगा के विभिन्न उत्पाद कैप्सूल, टैबलेट, पाउडर, तेल, प्रसंस्कृत खाद्य, औषधीय पौधों समेत विभिन्न जैविक उत्पाद उपलब्ध है।
शनिवार, 9 नवंबर 2019
कांग्रेस विधायक को जिंदा जलाने का प्रयास
देहरादून। उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग से कांग्रेस के विधायक मनोज रावत को शुक्रवार को कथित असामाजिक तत्वों ने उनके विधानसभा क्षेत्र में पेट्रोल डालकर जलाने का प्रयास किया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस घटना में रावत बाल-बाल बच गए। उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा। उन्होंने बताया कि घटना के संबंध में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। एक व्यक्ति को विधायक रावत के गनर ने उन पर पेट्रोल डालने के दौरान ही पकड़ लिया था। दूसरे को बाद में गिरफ्तार किया गया।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने घटना की घोर निंदा करते हुए कहा कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था चरमरा गई है। बदमाशों के हौसले बुलंद हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच में यह पता चलना चाहिए कि इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है। प्रदेश अध्यक्ष ने रावत के लिए सुरक्षा की भी मांग की है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि प्रथम द्रष्टया यह मामला आपसी रंजिश का लग रहा है। क्योंकि विधायक का गुरुवार को कुछ लोगों के साथ झगड़ा हुआ था।
पूरा करेंगे 'बाला साहब' से किया गया वादा
पूरा करेंगे बाला साहब से किया वादा बीजेपी के आशीर्वाद की जरूरत नहीं -उद्धव ठाकरे
मुंबई। महाराष्ट्र में जारी महा नाटक के बीच कल सरकार बनाने का अंतिम दिन था। लेकिन किसी भी पार्टी की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया गया है। सरकार बनाने पर अभी भी गतिरोध जारी है। शुक्रवार को देवेंद्र फडणवीस ने राजभवन में राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
इस बीच उद्धव ठाकरे के ट्वीट ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल फैला दी है। उद्धव ने लिखा, 'मैंने शिवसेनाप्रमुख को वचन दिया था कि एक दिन शिवसैनिक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाऊंगा। इस वचन को पूरा करने के लिए अडिग हूं. इसके लिए मुझे अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस इनकी मदद या आशीर्वाद की जरूरत नहीं है।' ट्वीट मराठी भाषा में है, जिसका हिंदी अनुवाद यहां लिखा गया है।
बता दें कि शुक्रवार को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
प्रेस कांफ्रेंस में फडणवीस ने शिवसेना की तीखी आलोचना की और कहा कि बीजेपी और शिवसेना के बीच कभी भी सीएम पद को लेकर 50-50 के फॉर्मूले पर निर्णय नहीं हुआ था। मैंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, नितिन गडकरी से भी इस बारे में पूछा, लेकिन उन्होंने भी सीएम पर 50-50 फॉर्मूले पर किसी भी तरह के फैसले से इनकार किया।
शांति-व्यवस्था कायम रखने के प्रति मार्च
जेवर में उप जिलाधिकारी एवं पुलिस के अधिकारियों के द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से आयोजित किया गया फ्लैग मार्च
गौतमबुध नगर। अयोध्या के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के उपरांत जनपद में शांति व्यवस्था एवं आपसी सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से जिला मजिस्ट्रेट बीएन सिंह के निर्देशन में प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों द्वारा बड़े स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। इस क्रम में आज उप जिलाधिकारी जेवर गुंजा सिंह एवं पुलिस के आला अधिकारियों के साथ नगर क्षेत्र में फ्लैग मार्च का आयोजन किया गया। फ्लैग मार्च के दौरान उप जिलाधिकारी एवं पुलिस के अधिकारियों के द्वारा जन सामान्य से कानून व्यवस्था, शांति व्यवस्था एवं आपसी सौहार्द बनाए रखने का आह्वान किया गया। राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी।
128 फिट ऊंचा मंदिर बनाने की योजना
अयोध्या। अयोध्या नाम में अकार, यकार और धकार को क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वाचक माना जाता है। इनके किले, टीले और सरोवर पुराणों में दर्ज हैं, यहां के प्रतापी राजा पूजित हुए। 491 वर्ष पुराने विवाद का पटाक्षेप मंदिर के रूप में सुबह की ताजगी के एहसास से भर देता है। सुप्रीम कोर्ट से अब जब सबसे बड़े और लंबे मुकदमे का फैसला आ चुका है तो यहां यह जानना भी दिलचस्प है कि रामजन्मभूमि पर पांच सदी के बाद जो मंदिर बनेगा, वह कैसा होगा। हम आपको मन में उठ रहे इन सभी सवालों का जवाब देते हैं…
जिस राममंदिर का स्वप्न देखा गया है, वह दो मंजिल का होगा। प्रथम मंजिल की ऊंचाई 18 फीट एवं दूसरी मंजिल की ऊंचाई 15 फीट नौ इंच होगी। बीते 28 वर्षों से राजस्थान, गुजरात, मिर्जापुर व देश के अन्य हिस्सों से आए कारीगर कार्यशाला में करीब एक लाख घनफुट पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा कर चुके हैं। विहिप के प्रस्तावित मंदिर मॉडल के भूतल के पत्थरों की तराशी का कार्य हो चुका है। रामजन्मभूमि के पार्श्व में प्रवाहित उत्तरावाहिनी मां सरयू, आग्नेय कोण पर विराजमान हनुमानजी, अयोध्यावासी और श्रद्धावनत साधक अब जल्द अपने रामलला को ऐसे भव्य भवन में विराजमान होते देखेंगे, जिसकी कामना पांच सदी से होती रही।
लंबाई : रामजन्मभूमि पर राममंदिर बनाने के लिए विहिप ने जो नक्शा बनाया है, उसके अनुसार प्रस्तावित मंदिर 268 फीट लंबा है।
चौड़ाई : प्रस्तावित राममंदिर की चौड़ाई करीब 140 फीट है।
ऊंचाई : जन्मभूमि पर बनने वाले राममंदिर की ऊंचाई 128 फीट है।
1984 में लिया था रामजन्मभूमि मुक्ति का संकल्प
8 फीट ऊंची पीठिका : मंदिर की प्रथम पीठिका (चबूतरा) आठ फीट ऊंची होगी। इन तक प्रशस्त सीढ़ियों से पहुंचा जा सकेगा। इसी पीठिका पर मंदिर का 10 फीट चौड़ा परिक्रमा मार्ग होगा। चार फीट नौ इंच ऊंची एक आधार पीठिका पर मंदिर का निर्माण होना है।
होंगे पांच प्रखंड : अग्रभाग, सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंगमंडप और गर्भगृह के रूप में मंदिर के मुख्यतया पांच प्रखंड होंगे।
लगेंगे 212 स्तंभ : मंदिर में 212 स्तंभ लगेंगे। प्रथम मंजिल में 106 एवं इतने ही दूसरी मंजिल पर लगेंगे। प्रथम मंजिल पर लगने वाले स्तंभों की ऊंचाई 16 फीट छह इंच एवं दूसरी मंजिल पर लगने वाले स्तंभों की ऊंचाई 14 फीट छह इंच होगी।
हर स्तंभ पर यक्ष-यक्षिणियां : प्रत्येक स्तंभ पर यक्ष-यक्षिणियों की 16 मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां उत्कीर्ण होंगी। इनका व्यास चार से पांच फीट तक रहेगा।
गर्भगृह : मंदिर के जिस कक्ष में रामलला विराजेंगे, उस गर्भगृह से ठीक ऊपर 16 फीट तीन इंच का विशेष प्रकोष्ठ होगा। इसी प्रकोष्ठ पर 65 फीट तीन इंच ऊंचा शिखर निर्मित होगा।
इस्तेमाल होगा इतना पत्थर : प्रस्तावित मंदिर में एक लाख 75 हजार घन फीट लाल बलुआ पत्थर प्रयुक्त होगा।
दो से ढाई वर्ष में होगा तैयार : यदि तैयारियों पर गौर करें निर्धारित स्थल पर प्रथम तल के तराशे गए पत्थरों को शिफ्ट करने में अधिक से अधिक छह माह का समय लगेगा। इसके बाद दो से ढाई वर्ष में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। पत्थरों को ईंट-गारा की बजाय कॉपर और सफेद सीमेंट से जोड़ा जाएगा। प्रथम तल के पत्थरों की शिफ्टिंग के साथ ही गर्भगृह भी आकार लेगा, जहां रामलला की प्रतिष्ठा होगी।
वर्ष 1990 में बनी कार्यशाला : विहिप की रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला की स्थापना वर्ष 1990 के सितंबर माह में की गई। कार्यशाला के लिए मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष परमहंस रामचंद्रदास ने जमीन दान दी थी। कार्यशाला में ही प्रस्तावित मंदिर के मॉडल के साथ पूजित शिलाएं व तराशी गईं शिलाएं भी रखीं हैं।
इन्होंने की थी स्थापना : परमहंस के साथ मंदिर आंदोलन के अग्रदूत अशोक सिंहल, आचार्य गिरिराज किशोर, महंत नृत्यगोपाल दास, संघ विचारक मोरोपंत पिंगले आदि ने कार्यशाला की आधारशिला रखी थी।
28 वर्ष पूर्व बना अस्थाई मंदिर
रामजन्मभूमि पर मौजूदा अस्थाई मंदिर की नींव वर्ष छह दिसंबर वर्ष 1992 को उस वक्त पड़ी थी, जब कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इससे पहले वर्ष 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल का ताला खोलने और एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया था। वर्ष 1986 में एक फरवरी को जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दे दी थी। इसके बाद विवादित इमारत का ताला दोबारा खोला गया। वर्ष 1992 में छह दिसंबर को कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचा ढहा दिया। ढांचा ढहने के बाद वहां 80 फीट लंबा, 40 फीट चौड़ा व करीब 16 फीट ऊंचा अस्थाई मंदिर बनाया गया। वर्ष 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश जारी किया। तभी से लेकर अब तक रामजन्मभूमि पर रामलला का पूजन-अर्चन होता आ रहा है।
तीन माह में बना नक्शा
नाप आदि लेने के बाद रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर का नक्शा तैयार करने में तीन माह का समय लगा था। चंद्रकांत सोमपुरा बताते हैं कि तीन माह तक रोजाना थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर नक्शा तैयार किया। इसके बाद यह नक्शा अशोक सिंहल को सौंपा। फिर विहिप के शीर्ष नेताओं, संतों और अखाड़ों के प्रमुखों को यह नक्शा दिखाया गया। फिर तय हुआ कि इसी नक्शे के मुताबिक मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
1989 में बना था मॉडल
प्रस्तावित राममंदिर का मॉडल सबसे पहले वर्ष 1989 में प्रयागराज कुंभ में रखा गया था। इसे चंद्रकांत सोमपुरा ने तैयार किया था। कुंभ के बाद इसे कुछ दिनों तक मंदिर के शिलान्यास स्थल पर रखा गया। वर्ष 1990 में जब श्रीरामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला बनी तब मंदिर के मॉडल को भी वहां स्थापित कर किया गया। कार्यशाला आने वाले श्रद्धालु मंदिर मॉडल के सामने सिर झुकाना नहीं भूलते।
आस्था का केंद्र बनी कार्यशाला
मंदिर-मस्जिद विवाद के उभार के बाद अस्तित्व में आई श्रीरामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला श्रद्धालुओं की आस्था का भी केंद्र भी बनी। इसी कार्यशाला में पूजित शिलाएं भी रखी गईं हैं। इसी कार्यशाला को तीर्थ के समान मान रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु कार्यशाला में रखे मंदिर के मॉडल व शिलाओं का दर्शन करने भी पहुंचते रहे।
उप मुख्यमंत्री को अब तक कोई विभाग नहीं
राणा ओबरॉय
चण्डीगढ़। हरियाणा में सरकार को बने लगभग 2 सप्ताह हो गए हैं। जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शपथ ली थी। लगभग 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को किसी भी मंत्रालय की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। हरियाणा में यह पहली बार है की लगभग 2 सप्ताह तक कोई उपमुख्यमंत्री बिना किसी मंत्रालय के उप मुख्यमंत्री रहा हो! हरियाणा की जनता में और सिविल सचिवालय के अधिकारियों व कर्मचारियों में एक आम सवाल देखा जा रहा है कि ऐसे कब तक चलेगा उप मुख्यमंत्री का कार्यालय। हरियाणा प्रदेश की जनता का मानना है कि मंत्रिमंडल का विस्तार चाहे कभी भी हो। परंतु बिना किसी विभाग के उप मुख्यमंत्री पद की गरिमा नहीं बनती है?
महीनों रही मां और बहन के शव के साथ
अयोध्या। उत्तर प्रदेश के अयोध्या से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, यहां एक महिला अपनी मां और बहन के शवों के साथ दो महीने से अधिक समय से रहती मिली। देवकली पुलिस थाना क्षेत्र की आदर्श नगर कॉलोनी में पड़ोसियों द्वारा एक घर से तेज बदबू आने की शिकायत किए जाने पर गुरुवार को पुलिस को बुलाया गया। पुलिस ने दरवाजा खोलने पर दीपा को अपनी मां पुष्पा श्रीवास्तव और बहन विभा के मृत शरीर के साथ सोता पाया। सर्किल अधिकारी अरविंद चौरसिया ने संवाददाताओं को बताया कि दीपा के पिता व पूर्व सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट विजेंद्र श्रीवास्तव की 1990 में मौत हो गई थी। वह अपनी मां और तीन बहनों के साथ घर में रहती थी, जिनमें से एक रूपाली की कुछ साल बाद मौत हो गई।
इसके बाद पुष्पा श्रीवास्तव और उनकी बाकी दो बेटियां, विभा और दीपा मानसिक रूप से बीमार हो गईं। उन्होंने पड़ोसियों के साथ बातचीत करना बंद कर दिया था। पुष्पा और विभा की मौत लगभग दो महीने पहले हुई थी और दीपा उनके शवों के साथ रह रही थी।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि शव इस हद तक सड़ चुके थे कि हड्डियां दिखाई दे रही थीं, जिसका मतलब है कि दोनों की मौत करीब दो महीने पहले हुई होगी। मौत के कारण का पता लगाने के लिए शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और दीपा को मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा गया है और फिर उसकी स्थिति के आधार पर या तो पागलखाने या फिर आश्रय गृह भेज दिया जाएगा।
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