नई दिल्ली। पूरा देश टीवी के आगे बैठा टकटकी लगाए हुए ऐतिहासिक फैसले का इंतजार कर रहा था। पांच सदस्यों की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। एक-एक कर फैसला सामने आते गए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सबसे पहले शिया वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज किया। उसके बाद निर्मोही अखाड़ा के याचिका को भी खारिज करते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को इस मामले में दावा करने का अधिकार ही नहीं है। पांच लिफाफे में बंद फैसले एक-एक कर सामने आते गए और सस्पेंस खुलता चला गया। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि विवादित भूमि नजूल भूमि है और यहां 1949 से मूर्तियां रखी गई है। अदालत ने एएसआई रिपोर्ट को आधार मानते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद किसी खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। उसके नीचे मंदिर के अंश पाए गए थे। वह मंदिर 12 वीं सदी में बना हुआ मंदिर था। वहीं अदालत ने यह भी माना कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, इसे लेकर कोई संशय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को गलत बताते हुए विवादित जमीन के तीन हिस्से करने के फैसले को पलट दिया। वही अंत में सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया गया कि विवादित जमीन रामलला को सौंपी जाएगी। जहां आगामी 3 महीने में केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाकर मंदिर का निर्माण करेगी। वहीं मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ की जमीन कहीं और दी जाएगी। दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।