गतांक से...
जब ऋषि ने ऐसा वर्णन किया तो यग दत्त ब्रह्मचारी ने कहा, कहीं ऐसा हो जल ही न प्राप्त हो तो हम कैसे यज्ञ करें? उन्होंने कहा कि जब जल ही नहीं है तो पृथ्वी के रसों को ले करके उसको परो क्षण करो और जैसे यज्ञ की यज्ञशाला में सर्वत्र देवताओं का पूजन करता है, उसका अर्थ ही एक पूजन है और वह देव पूजा करता रहता है, तो हम अपने में वृवको: संभवप्रव्हे' मानो उसी में हम रात हो जाएं तो जो हूत करने वाला अग्रणीय बन रहा है! मेरे प्यारे ऋषि कहता है 'याज्ञम भू अब्रव्हे, ब्रह्म: ब्रहे कृतम् देवा:, मानो यज्ञ करना है यदि राज्य से हम यज्ञ करें तो उसे पृथ्वी में परोक्षण करते चले जाए! उन्होंने कहा यदि यह सुविधा भी नहीं प्राप्त हो, तो जल भी आपोमयी है! यह पृथ्वी के कण भी प्राप्त न हो तो तुम हृदय से यज्ञ करो, शांत मुद्रा में विद्यमान हो एकता में मंत्रों से अपने में परोक्षण करते रहो! प्राण की आहुति प्राण को प्रदान करते रहो, व्यान को आहुति व्यान में प्रविष्ट हो रही है! सामान की संपूर्ण आहुति समानता में लाने को तत्पर है! व्यानाय प्राण भी इसी में रहता है! सामान्य प्राण इसकी आभा के लिए हुए रहते हैं! बेटा यह कैसा विचित्र जगत है, यह कैसी विचित्रता? मानव एक दूसरे से कटिबद्ध है, माला है और सार्थक माला बनकर के हृदय में प्रविष्ट हो जाती है! मेरे प्यारे विचार देते हुए मानव अपना मंतव्य अवश्य प्रकट करता है! इसलिए आज मैं तुम्हें यह वाक्य प्रकट करने के लिए आया हूं कि हम अपने जीवन में एक महानता को जन्म देने वाले बने! हम एक महानता की प्रतिभा में रत हो जाए! ऐसा जब ऋषि ने वर्णन किया तो ब्रह्मचारी अपने आसनों पर निहित हो गये, तो मेरे प्यारे मुझे स्मरण आता रहता है कि यह ऐसा क्यों है,देखो इसका एक दूसरे से तारम्य लगा रहता है एक दूसरे से कटिबद्ध रहता है! इसलिए माला है और उस माला को धारण करने वाले अपने मानत्व में रत हो जाते हैं! मैं इस संदर्भ में विशेषता में ले जाना नहीं चाहता हूं! विचार केवल यह है कि हमारा जीवन महानता की वेदी पर रमण करना चाहिए! ताकि हमारे जीवन में एक महानता की उपलब्धि हो जाए! देखो हम जितना भी खादान-खादम वर्णित करते रहते हैं! उसमें कुछ न कुछ जगत की दशा परिवर्तित होती जा रही है! मैं विशेष चर्चा में प्रकट करने नहीं आया हूं! विचार केवल यह है कि मुनिवरो, देखो याज्ञिक बनना चाहिए और यज्ञ में होना चाहिए! यज्ञ अपनी आभा में सदैव रहता है और यज्ञ करने वाला मृत्युंजय ब्रव्हे कृतम देवा:, वह मृत्यु को प्राप्त नहीं होता है वह मृत्युंजय बन जाता है! वह मृत्यु को अपने में धारण करता हुआ सागर से पार होने का प्रयास करता है! यज्ञ से संबंध में तो बहुत कुछ विचार आते रहते हैं! परंतु अब मेरे प्यारे महानंद जी दो शब्द उच्चारण करेंगे!
सोमवार, 4 नवंबर 2019
असुविधा में यज्ञ का निदान
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
यूनिवर्सल एक्सप्रेस (हिंदी-दैनिक)
नवंबर 05, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254
1. अंक-91 (साल-01)
2. मंगलवार, नवंबर 05, 2019
3. शक-1941, कार्तिक-शुक्ल पक्ष, तिथि- नंवमी, संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 06:28,सूर्यास्त 05:41
5. न्यूनतम तापमान -16 डी.सै.,अधिकतम-23+ डी.सै., हवा की गति बढ़नेे की संभावना रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्ंकरण) प्रकाशित।
8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102
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शनिवार, 2 नवंबर 2019
विधानसभा के चुनाव जिस तरह से भाजपा
चण्डीगढ़ ! हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा 75 पार के नारे से 40 पर आकर अटकी है!
चण्डीगढ़ ;- हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा 75 पार के नारे से 40 पर आकर अटकी है। उसका सीधा ठिकड़ा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला की कार्यप्रणाली से जोड़ा जा रहा है!मिली जानकारी के अनुसार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सुभाष बराला के कार्य से प्रसन्न नहीं है। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि बराला की प्रदेश संगठन पर पकड़ कमजोर होती दिखाई दी थी। जिसके कारण भाजपा पूर्ण बहुमत में ना आकर अल्पमत से सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। यदि यह कहें कि आज भाजपा सरकार जेजेपी की बैसाखियों पर खड़ी हुई है। इसमें भी कोई दो राय नहीं जब भी भाजपा पार्टी ने जेजेपी पार्टी की किसी भी बात को नजरअंदाज किया तो उसी दिन हरियाणा में भाजपा की सरकार टूट सकती है। भाजपा को मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के नेतृत्व में इस बार पुर्ण बहुमत नहीं मिला। विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक जीत न मिलने के बाद अब पार्टी के प्रदेश संगठन में बदलाव तय है। चौथी बार चुनाव लड़े सुभाष बराला खुद टोहाना विधानसभा क्षेत्र से अपना चुनाव हार गए। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के नाते सुभाष बराला के प्रदर्शन से कतई खुश नहीं है, इसलिए दिसंबर में होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले हरियाणा के भाजपा संगठन में बदलाव तय माना जा रहा है। इस बार के चुनाव में भाजपा ने 75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा 40 सीटों पर आकर ठहर गई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही सार्वजनिक तौर पर प्रदेश संगठन की खिंचाई नहीं कर रहे, लेकिन दोनों शीर्ष नेताओं ने इस निराशाजनक प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की है। राष्ट्रीय नेतृत्व की नाराजगी के कारण अब नए प्रदेश अध्यक्ष पद की लाबिंग शुरू हो गई। सुभाष बराला नवंबर 2014 में हरियाणा भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। जनवरी 2015 में उन्होंने पूरी तरह से कार्यभार संभाल लिया था। गैर जाट चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और जाट अध्यक्ष के नाते सुभाष बराला की जोड़ी पूरे समय खूब जमी। मुख्यमंत्री हालांकि इस बार भी सुभाष बराला की प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पैरवी कर सकते हैं, क्योंकि जजपा संयोजक के नाते दुष्यंत चौटाला जिस तरह भाजपा सरकार में साझीदार हैं। हालांकि यह देखते हुए भाजपा इस बार जाट के बजाय किसी गैर जाट खासकर पिछड़े, दलित अथवा ब्राह्मण वर्ग से नया प्रदेश अध्यक्ष दे सकती है। भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। वह दोबारा फिर तीन साल के लिए रिपीट किया जा सकता है। सुभाष बराला का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में उन्हें बदला जाना तय है। जाट चेहरे के रूप में भाजपा के पास पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु हैं। दोनों ही चुनाव हार गए हैं। भाजपा ने यदि पिछड़ा वर्ग को संगठन में अहमियत दी तो पूर्व स्पीकर एवं जगाधरी से चुनाव जीते कंवरपाल गुर्जर को अध्यक्ष पद का ताज सौंपा जा सकता है। कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी भी मुख्यमंत्री की पसंद हैं। दोनों की कार्य प्रणाली से सीएम खुश हैं। दलित चेहरे के रूप में भाजपा के पास तेज तर्रार मंत्री रह चुके कृष्ण कुमार बेदी हैं। जाट दलित गठजोड़ में बेदी भाजपा का बड़ा चेहरा बन सकते हैं।
दक्षिण हरियाणा में पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश
दक्षिण हरियाणा में इस बार भाजपा 11 सीटें में से तीन हार गई है। यहां भाजपा के मजबूत चेहरे मनीष यादव भी चुनाव हार गए। इसलिए यदि भाजपा ने यादवों को महत्व दिया तो मौजूदा प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद यादव और प्रांतीय प्रवक्ता वीर कुमार यादव में से किसी को जिम्मेदारी मिल सकती है। भाजपा में एक वर्ग प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा का नाम सबसे ऊपर आ सकता है। इतना तय है कि नए अध्यक्ष के चयन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पसंद का पूरी तरह से ख्याल रखा जाएगा।
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उसका सीधा ठिकड़ा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला की कार्यप्रणाली से जोड़ा जा रहा है!मिली जानकारी के अनुसार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सुभाष बराला के कार्य से प्रसन्न नहीं है। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि बराला की प्रदेश संगठन पर पकड़ कमजोर होती दिखाई दी थी। जिसके कारण भाजपा पूर्ण बहुमत में ना आकर अल्पमत से सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। यदि यह कहें कि आज भाजपा सरकार जेजेपी की बैसाखियों पर खड़ी हुई है। इसमें भी कोई दो राय नहीं जब भी भाजपा पार्टी ने जेजेपी पार्टी की किसी भी बात को नजरअंदाज किया तो उसी दिन हरियाणा में भाजपा की सरकार टूट सकती है! भाजपा को मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के नेतृत्व में इस बार पुर्ण बहुमत नहीं मिला। विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक जीत न मिलने के बाद अब पार्टी के प्रदेश संगठन में बदलाव तय है। चौथी बार चुनाव लड़े सुभाष बराला खुद टोहाना विधानसभा क्षेत्र से अपना चुनाव हार गए। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के नाते सुभाष बराला के प्रदर्शन से कतई खुश नहीं है, इसलिए दिसंबर में होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले हरियाणा के भाजपा संगठन में बदलाव तय माना जा रहा है! इस बार के चुनाव में भाजपा ने 75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा 40 सीटों पर आकर ठहर गई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही सार्वजनिक तौर पर प्रदेश संगठन की खिंचाई नहीं कर रहे, लेकिन दोनों शीर्ष नेताओं ने इस निराशाजनक प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की है। राष्ट्रीय नेतृत्व की नाराजगी के कारण अब नए प्रदेश अध्यक्ष पद की लाबिंग शुरू हो गई! सुभाष बराला नवंबर 2014 में हरियाणा भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। जनवरी 2015 में उन्होंने पूरी तरह से कार्यभार संभाल लिया था। गैर जाट चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और जाट अध्यक्ष के नाते सुभाष बराला की जोड़ी पूरे समय खूब जमी। मुख्यमंत्री हालांकि इस बार भी सुभाष बराला की प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पैरवी कर सकते हैं, क्योंकि जजपा संयोजक के नाते दुष्यंत चौटाला जिस तरह भाजपा सरकार में साझीदार हैं! हालांकि यह देखते हुए भाजपा इस बार जाट के बजाय किसी गैर जाट खासकर पिछड़े, दलित अथवा ब्राह्मण वर्ग से नया प्रदेश अध्यक्ष दे सकती है! भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। वह दोबारा फिर तीन साल के लिए रिपीट किया जा सकता है! सुभाष बराला का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है! ऐसे में उन्हें बदला जाना तय है। जाट चेहरे के रूप में भाजपा के पास पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु हैं। दोनों ही चुनाव हार गए हैं। भाजपा ने यदि पिछड़ा वर्ग को संगठन में अहमियत दी तो पूर्व स्पीकर एवं जगाधरी से चुनाव जीते कंवरपाल गुर्जर को अध्यक्ष पद का ताज सौंपा जा सकता है। कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी भी मुख्यमंत्री की पसंद हैं। दोनों की कार्य प्रणाली से सीएम खुश हैं। दलित चेहरे के रूप में भाजपा के पास तेज तर्रार मंत्री रह चुके कृष्ण कुमार बेदी हैं। जाट दलित गठजोड़ में बेदी भाजपा का बड़ा चेहरा बन सकते हैं!
दक्षिण हरियाणा में पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश
दक्षिण हरियाणा में इस बार भाजपा 11 सीटें में से तीन हार गई है। यहां भाजपा के मजबूत चेहरे मनीष यादव भी चुनाव हार गए। इसलिए यदि भाजपा ने यादवों को महत्व दिया तो मौजूदा प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद यादव और प्रांतीय प्रवक्ता वीर कुमार यादव में से किसी को जिम्मेदारी मिल सकती हैै! भाजपा में एक वर्ग प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा का नाम सबसे ऊपर आ सकता है। इतना तय है कि नए अध्यक्ष के चयन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पसंद का पूरी तरह से ख्याल रखा जाएगा!
गंगा-जमुना के किनारे, पहुचा भक्त जन समूह
नई दिल्ली! छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्ध्य देने बड़ी संख्या में उपवासी महिलाओ का हुजूम नदी, तालाबों के किनारे बनाए गए घाटों पर नजर आ रहा है! सबसे ज्यादा भीड़ यमुना नदी के किनारे पर रही, गंगा पर बहुत लंबी यात्राएं की जा रही है! बालकोनगर रोड स्थित ढेंगुरनाला पल के छठ घाट में देखने को मिल रहा है! यहाँ सैकड़ो की संख्या में उपवासी महिलाये तमाम पूजा-पाठ के सामानो के साथ सूर्य को अर्ध्य देने पहुंची है! शहर का पूरा माहौल धार्मिक बना हुआ है! इसी तरह हसदेव घाट, कंकालिन मंदिर स्थित मुड़ापार तालाब में भी व्रती महिलाओ और साथ में सभी वर्गों का हुजूम नजर आ रहा है! मन को भावविभोर कर देने वाला चित्रण दृष्टिपात आ रहा है! इस दौरान लगातार आतिशबाजियां भी की जा रही है!
तरह-तरह के फूल लग रहे हैं, खुशबू न्यारी-न्यारी !
माली ने वो जगह देखकर बाग लगाया, छोटी-छोटी-क्यारी!
दो हत्या कर अलग-अलग सड़क पर फेंके
कौशाम्बी। जिले के चरवा और मंझनपुर कोतवाली क्षेत्र में दो युवकों की अलग-अलग हत्या कर लाश सडक किनारे गढढे में फेक दी गई। सडक किनारे लाश पडी होने की सूचना ग्रामीणो ने पुलिस को दी है। दोनो लाश को पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दोनो लोगो को घर से बुलाकर उनके रिश्तेदार परिचित ले गये, और दोनो युवको की हत्या करने के बाद रिश्तेदार परिचित फरार है। खबर लिखे जाने तक दोनो हत्याओ का मुकदमा पुलिस ने नही दर्ज किया है।
बता दें कि, घटनाक्रम के मुताबिक मंझनपुर कोतवाली क्षेत्र के पिपरकुण्डी गांव निवासी लालचन्द्र उम्र 28 वर्ष पुत्र सुन्दर लाल एक ठेकेदार के साथ काम करते थे, ठेकेदार से उनका लाखो का लेनदेन था। बिहार प्रान्त के रहने वाले कमलेश कुमार नामक यह ठेकेदार लालचन्द्र को उसके घर से यह कहकर बुलाकर गुरूवार को ले गया था कि, इलाहाबाद जा रहे है। वापस लौट कर घर छोड देगें। लेकिन लालचन्द्र घर नही पहुच सका और उसकी लाश चरवा थाना क्षेत्र के काजू बेरवा के बीच सडक किनारे गढढे में मिली है। इस मौत को कमलेश दुर्घटना बता रहे और कुछ देर बाद मौके से वह फरार हो गये है। जबकि कमलेश के साथ लालचन्द्र बाइक से गये थे, और यदि सडक दुर्घटना में लालचन्द्र की मौत हुयी तो कमलेश को चोट क्यों नही आई? और दुर्घटना के बाद तुरन्त मामले की सूचना पुलिस को क्यों नही दी गई? घटनास्थल पर कोई खून भी पड़ा नही मिला, और दुर्घटना के किसी प्रकार के साक्ष्य मौजूद नही है। वही इलाहाबाद से वापस आने वाली सड़क पर लाश नही मिली। जिससे लालचन्द्र की हत्या कर लाश को ठिकाने लगाने की घटना से इंकार नही किया जा सकता।
दूसरी घटना मंझनपुर कोतवाली क्षेत्र के देवखरपुर गांव की है । रघवापुर निवासी शिवकरन उम्र 30 वर्ष पुत्र ओमप्रकाश की ससुराल देवखरपुर गांव में है, और गुरूवार को शिवकरण अपनी ससुराल देवखरपुर आया था। जहॉ शिवकरण को उसके चचेरे साले मुकेश कुमार और बारातफारिक गांव का एक युवक घर से बुला कर ले गये थे, और आधी रात को शिवकरन की लाश सडक किनारे गढढे में पडी मिली थी। मौके से मृतक शिवकरन का साला और दूसरा युवक गायब है। तीन लोगो के साथ बाइक में बीच मे बैठे शिवकरन की सडक दुर्घटना में मौत की बात बताने वालो को इसी हादसे में खरोच तक नही आई है। जिससे उनकी बातो को हजम करना कठिन है। लाश भी सडक के किनारे गढढे में मिली है। यह घटना भी हत्या की ओर इशारा कर रही है। परिजनो ने हत्या का आरोप भी लगाया है। पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दोनो मामलो की यदि पुलिस आलाधिकारियो ने सूक्ष्म जॉच करायी तो हत्यारे जेल के पीछे होगे।
5 वर्षीय बच्ची से रेप,आरोपी को आजीवन कारावास
ग्वालियर। विशेष सत्र न्यायाधीश अर्चना सिंह ने 5 वर्ष की मासूम के साथ दुष्कर्म करने वाले 55 वर्षीय पड़ोसी बाबा उर्फ ईश्वर सिंह सहित पीड़िता के दीदी व जीजाजी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 75 हजार रुपए का अर्थदंड लगाते हुए राशि पीड़िता को प्रदान करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आरोपियों के कृत्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ईश्वर उर्फ बाबा की उम्र 55 वर्ष है। उसने एक असहाय नाबालिग की मजबूरी का फायदा उठाकर उसके साथ नरपिशाच समान कृत्य किया है।
इसे जो भी सजा सुनाई जाए, वह कम है। दया का कोई भाव नहीं लाया जा सकता है। कोर्ट ने उसे सजा काटने के लिए जेल भेज दिया। 20 अप्रैल 2017 को 5 वर्षीय नाबालिग ने महाराजपुरा थाने में शिकायत की। उसने बताया कि उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है। वह दीदी-जीजाजी के घर रहती है। उसके जीजाजी पीटते थे। कभी-कभी उसे छत पर खड़ा कर देते थे। पंखे से उल्टा लटका देते थे।
बाहर से लोगों को बुलाते थे। उनसे 50-50 रुपए लेकर अश्लील हरकत करने के लिए उनके सुपुर्द कर दे देते थे। इन अपराधों में दीदी भी जीजाजी का पूरा साथ देती थी। जीजाजी ने भी एक दिन अश्लील हरकत की और दुष्कर्म किया। पड़ोस में रहने वाले ईश्वर बाबा आए दिन उसके साथ दुष्कर्म करते थे। दीदी व जीजाजी गलत काम करने में बाबा की मदद करते थे। नाबालिग की शिकायत पर पुलिस ने जीजाजी, दीदी, पड़ोसी ईश्वर के खिलाफ दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया और जांच कर कोर्ट में चालान पेश किया।
अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी अनिल मिश्रा ने तर्क दिया कि आरोपित ने गंभीर अपराध किया है। इन्हें कड़ा दंड दिया जाए, जिससे समाज में एक संदेश जा सके। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि छोटी बच्ची जिसके माता-पिता जीवित नहीं रहे। उसके दीदी-जीजाजी एक मात्र पालनहार रह गए थे। उन्होंने ऐसा घिनोना कृत्य किया है, जिससे उसका पूरा जीवन प्रभावित होगा। उसके जीवन के ऊपर पड़ने वाले दुुष्प्रभाव का परिकल्पना नहीं की जा सकती है। आरोपी नरमी व क्षमा के पात्र नहीं है।
पत्नी ने सरेराह पति का गला रेत पर की हत्या
अहमदाबाद। शादी के पहले अफेयर होने की बात पति को पता लगी तो वो रोज ताने मारने लगा। पति-पत्नी के बीच अक्सर इसे लेकर झगड़े होते रहते थे। इस सब से तंज आकर पत्नी ने आखिरकार अपने ही पति का सरेराह गला रेतकर उसकी हत्या कर दी। घटना का खुलासा होने के बाद पुलिस ने महिला को गिरफ्तार किया है। मामला गुजरात के महिसागर जिले का है जहां एक अजीबोगरीब घटनाक्रम का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने पति की हत्या के आरोप में पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के अनुसार दीपावली के बाद विक्रम संवत वर्ष की शुरुआत के दिन खानपुर तहसील के लवाणा गांव के निर्जन रास्ते से 56 वर्षीय कालूभाई वालाभाई मछार का शव बरामद हुआ था। किसी धारदार शस्त्र से उसका सिर धड़ से अलग कर निर्मम हत्या कर दी गई थी। पुलिस मामले की छानबीन कर रही थी।
इस मामले की तफ्तीश पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था। हत्या के कारणों की गुत्थी सुलझ नहीं रही थी। कालूभाई इतने अमीर भी नहीं थे कि लूटने के इरादे से भी उनकी हत्या हुई हो। उनकी किसी व्यक्ति के साथ दुश्मनी भी नहीं थी। इस मामले में हत्यारे तक पहुंचने के लिए पुलिस आकाश-पाताल एक कर रही थी।
मामले की जांच के लिए पुलिस मृतक के घर गई। वहां देखा तो पुत्र और पुत्रवधू विलाप कर रहे थे। कालूभाई की बेटी का भी रो-रो कर बुरा हाल था। वहीं कालूभाई की पत्नी घर के एक कोने में बैठी थी। उसके चेहरे पर चिंता की शिकन भी नहीं थी। उसे देखकर यह मानना बहुत मुश्किल था कि उसके पति की किसी ने हत्या कर दी थी।
पुलिस ने ग्रामीणों से पूछताछ शुरू की। इससे पता चला कि कालूभाई की पत्नी शांता का गांव के एक व्यक्ति के साथ नाजायज संबंध थे। इसे लेकर कालूभाई और उनकी पत्नी के बीच आए दिन झगड़ा होता रहता था। फिर क्या था पुलिस के लिए इतना सुराग ही काफी था। पुलिस ने शांता से पूछताछ की शुरुआत की। शुरू में तो वह पुलिस को गुमराह करती रही, किन्तु सख्ती करने पर वह टूट गई। उसने कबूल कर लिया कि उसी के हाथों उसके पति की हत्या हुई है। कबूलात के आधार पर पुलिस ने शांता को गिरफ्तार कर लिया।
डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित
डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित भानु प्रताप उपाध्याय मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...
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