मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

'बोनसाई' मतलब बोने पौधे

बोनसाई का मतलब है "बौने पौधे"। यह काष्ठीय पौधों को लघु आकार किन्तु आकर्षक रूप प्रदान करने की एक जापानी कला या तकनीक है। इन लघुकृत पौधों को गमलों में उगाया जा सकता है। इस कला के अन्तर्गत पौधों को सुन्दर आकार देना, सींचने की विशिष्ट विधि तथा एक गमले से निकालकर दूसरे गमले में रोपित करने की विधिया शामिल हैं। इन बौने पौधों को समूह में रखकर घर को एक हरी-भरी बगिया बनाया जा सकता है। बोनसाई पौधों को गमले में इस प्रकार उगाया जाता है कि उनका प्राकृतिक रूप तो बना रहे लेकिन वे आकार में बौने रह जाएं। बोनसाई को पूरे घर में कहीं भी रखा जा सकता है।


'बोनसाई' शब्द मूल चीनी शब्द पेन्जाई (盆栽) का जापानी उच्चारण है। 'बोन' उस पात्र को कहते हैं जिसमें ये पौधे प्राय: उगाये जाते हैं। यह ट्रे के आकार का होता है।


बोनसाई बनाना 
बोनसाई की शैलियाँ:-जापान के बोनसाई विशेषज्ञों के अनुसार बोनसाई को लगभग तेरह तरह से उगाया जा सकता है।


1. सीधे वृक्ष: इसमें तने सीधे ऊपर की ओर पतले, मुख्य तने में चारों ओर की शाखाएं तने से 90 डिग्री का कोण बनाते हुए ऊपर बढ़ती हैं। चीड़, सिल्वर ओक, फर आदि के लिए यह शैली उपयुक्त है।


2. दो तने वाले वृक्ष: पौधों में मिट्टी की सतह से ही प्रति वृक्ष के दो तने बढ़ने दिए जाते हैं। तनों की ऊंचाई अलग-अलग होती है। इसे जापानी भाषा में सोकन कहते हैं।


3. अनेक तने वाले वृक्ष: एक जड़ से 6 या अधिक तने ऊपर सीधे बढ़ने दिए जाते हैं।


4. सिनुअस: अनेक तने विकसित होने दिए जाते हैं।


5. तिरछा बोनसाई: मुख्य तना जमीन से 45 डिग्री कोण पर झुका हुआ सीधा बढ़ता है।


6. ब्रूम: तना सीधा पर मध्य तने से निकलने वाली दूसरी शाखाएं केवल दो विपरीत दिशाओं में बढ़ने दी जाती हैं। इससे वृक्ष का रूप पंखे के समान हो जाता है।


7. खुली जड़ वाले वृक्ष: तना जमीन की सतह से 90 डिग्री या 45 डिग्री के कोण पर ऊपर की ओर बढ़ता है, साथ ही जड़ें भी मिट्टी के ऊपर बढ़ती हुई दिखाई देती हैं। इस शैली में पौधा लगाते समय पौधे की जड़ों को मिट्टी के अंदर ना डालकर ऊपर की ओर खुला रखकर चारों ओर बालू रख देते हैं।


8. कैस्केड: मुख्य तने को आधा झुका दिया जाता है। इसे गमले के पैंदे से नीचे तक झुकाया जाता है।


9. इकाडा वृक्ष: मुख्य तने को मिट्टी की सतह तक झुकाकर दो-तीन स्थानों पर शाखाओं को विकसित होने दिया जाता है।


10. विण्ड स्वेप्ट: वृक्ष भूमि की सतह से 90 डिग्री कोण का निर्माण करता है और साथ ही मुख्य तने से निकलने वाली शाखाओं को एक ही दिशा में बढ़ने दिया जाता है ताकि ऎसा प्रतीत हो कि शाखाएं वायु के झौके से प्रभावित हो गई हैं।


11. वृक्ष समूह: एक गमले में अनेक वृक्ष उगाए जाते हैं। इसके लिए चपटे, उथले व बड़े गमले प्रयोग में लाए जाते हैं।


12. लहराता बोनसाई: एक या दो मुख्य शाखाएं गमले की मिट्टी की सतह से तिरछी निकली हुई होती हैं।


13. चट्टानी बोनसाई: गमले की मिट्टी की सतह पर पुराने पत्थर अथवा चट्टान के टुकड़े रख दिए जाते हैं ताकि उन पर वृक्ष की जड़ें फैल जाएं।


बंद गोभी की 500 जातियां

बंद गोभी (पात गोभी या करमकल्ला ; अंग्रेजी : कैबेज) एक प्रकार का शाक (सब्जी) है, जिसमें केवल कोमल पत्तों का बँधा हुआ संपुट होता है। इसे बंदगोभी और पातगोभी भी कहते हैं। यह जंगली करमकल्ले (ब्रेसिका ओलेरेसिया, Brassica oleracea) से विकसित किया गया है। शाक के लिए उगाया जानेवाला करमकल्ला मूल प्रारूप से बहुत भिन्न हो गया, यद्यपि फूल और बीज में विशेष अंतर नहीं पड़ा है!


करमकल्ले के लिए पानी और ठंडे वातावरण की आवश्यकता है। इसको खाद भी खूब चाहिए। बीच में दो चार दिन गर्मी पड़ जाने से भी करमकल्ले का संपुट अच्छा नहीं बन पाता। संपुट बनने के बदले इसमें से शाखाएँ निकल पड़ती हैं, जिनमें फूल तथा बीज उगने लगते हैं। करमकल्ला पाला नहीं सहन कर सकता। पाले से यह मर जाता है। यद्यपि ऋतु ठंडी होनी चाहिए, तो भी करमकल्ले के पौधों को दिन में धूप मिलना आवश्यक है। छाँह में अच्छे पौधे नहीं उगते।


जैसा ऊपर कहा गया है, करमकल्ले के लिए खूब खाद चाहिए, परंतु किसी विशेष प्रकार की खाद की आवश्यकता नहीं है; यहाँ तक कि ताजे गोबर से भी यह काम चला लेता है, किंतु सड़ा गोबर और रासायनिक खाद इसके लिए अधिक उपयोगी है। अन्य पौधों में अधिक खाद देने से फूल अथवा फल देर में तैयार होते हैं। इसके विपरीत करमकल्ला अधिक खाद पाने पर कम समय में ही खाने योग्य हो जाता है। पानी में थोड़ी भी कमी होने से पौधा मुरझाने लगता है और उसकी वृद्धि रुक जाती है। पर इसकी जड़ में पानी लगने से पौध सड़ने लगता है। भूमि से पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए। जिसमें पानी जड़ों के पास एकत्र न होने पाए। भूमि दोरसी हो, अर्थात् उसमें चिकनी मिट्टी की भाँति बँधने की प्रवृत्ति न हो। जो भूमि पानी मिलने के पश्चात् बँधकर कड़ी हो जाती है वह करमकल्ले के लिए उपयुक्त नहीं होती। मिट्टी कुछ बलुई हो। इतने पर भी भूमि की गुड़ाई बार-बार करनी चाहिए, परंतु गुड़ाई इतनी गहरी न की जाए जड़ ही कट जाए।


करमकल्ले की गई जातियाँ हैं। कुछ तो लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती हें और कुछ के तैयार होने में छह महीने तक समय लग सकता है। भारत के मैदानों के लिए शीघ्र तैयार होनेवाली जातियाँ ही उपयुक्त होती हैं, क्योंकि यहाँ जाड़ा अधिक दिनों तक नहीं पड़ता। आकृतियों में भी बहुत अंतर होता है। कुछ का पत्ता इतना छोटा और सिर इतना चपटा रहता है कि वे भूमि पर बिठे हुए जान पड़ते हैं। कुछ के तने १६ से २० इंच तक लंबे होते हैं। इनका सिर गोल, अंडाकार या शंक्वाकार हो सकता है। पत्तियों का रंग पिलछाँव, हरा, धानी (गाढ़ा हरा), अथवा इतना गहरा लाल होता है कि वे काली दिखाई पड़ती हैं। भारत के मैदानों में हलके रंग के करमकल्ले ही उगाए जाते हैं। कुछ के पत्ते चिकने और कुछ के झालरदार होते हैं। अमरीका के बीज बेचनेवाले पाँच सौ से अधिक जातियों के बीज बेचते हैं।


राम का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...
 जब राजा इस प्रकार का बन जाता है, तो प्रजा में संग्रह की प्रवृत्ति मानो समाप्त हो जाती है! वितरण प्रणाली पवित्र बन जाती है! जब वितरण प्रणाली पवित्र बन जाती है तो मानो राजा के राष्ट्र में रक्त भरी क्रांति कहां से आएगी? तो भगवान राम की उपदेश मंजरी प्रारंभ रहती थी! तो देखो सुबाहु राजा ने यह वाक्य स्वीकार कर लिया और चरणों की वंदना की! प्रभु वाक्य में यथार्थ है! परंतु मैं क्या करूं? जाओ तुम सबसे पहले धर्म के नाम पर रूढ़ि समाप्त करो! राजा एकाकी धर्म वाला रहना चाहिए! परमात्मा सर्वज्ञ है, परमात्मा सर्वशक्तिमान रहता है, सबके हृदय में वास करने वाला है! उस परमपिता को स्वीकार करते हुए नाना रूढियों में समाज नहीं रहना चाहिए! विद्यालयों में तपे हुए आचार्य होनी चाहिए! रूडी का निराकरण विद्यालय में हुआ करता है! तुम्हारे विद्यालय में जब तपे हुए आचार्य होंगे तो मानो ब्रह्मचारी उसके अनुसार बरतने वाले होंगे, तो रूढिया विद्यालयों में समाप्त होती है और जब रूढि विद्यालय में नहीं रहेगी तो देखो राजा के राष्ट्र में भी नहीं रहेगी और राजा के राष्ट्र में नहीं रहेगी तो प्रजा में नहीं रहेगी! क्योंकि विद्यालयों में यज्ञ करना, प्रातः कालीन अपनी क्रियाओं से निवृत्त होकर के, यज्ञ करना उसके ऊपर वेद के मंत्रों का भावार्थ करना, मानव देखो उसके अनुकूल, हमें अपने विचारों को बनाना है और बना करके अगर धन्य बनना है, अगर नियत बनना है! मेरे पुत्रों यह कार्य करना है तो राष्ट्र की प्रतिभा ऊंची बनेगी! मुनिवर देखो, राजा ने स्वीकार कर लिया राम को धन्यवाद देकर के, उनके चरणों की वंदना करके, उन्होंने वहां से गमन किया! बेटा उच्चारण करने का हमारा अभिप्राय क्या है? देखो तुम्हें यह वाक्य प्रकट कर रहे हैं कि हमारे जीवन में एकीकरण होना चाहिए! नाना रूढ़िया नहीं होनी चाहिए! जैसे मुझे मेरे प्यारे महानंद जी ने प्रकट कराई थी कई काल में, उनके लिए आज इतना समय आज्ञा नहीं दे रहा है! क्योंकि भगवान राम के जीवन को विद्यालयों से लेकर अंत तक की झलकियां आती है! उनका वही क्रियाकलाप प्रारंभ रहता है, दृष्टिपात आता है! आज का हमारा यह वाक्य कह रहा है कि हम परमपिता परमात्मा की आराधना करते हुए यज्ञ में रत रहते हुए, अपने जीवन को ऊंचा बनाते चले जाएं! मान-अपमान वाले सागर से पार हो जाए! बेटा आज का वाक्य समय मिलेगा ये चर्चा करेंगे! आज के वाक्य देखो वह परमपिता परमात्मा है, आदरणीय है और उसको जो भी मान लेता है उसी को प्राप्त हो जाता है! देखो चाहे राष्ट्र समाज हो, योगेश्वर हो, परंतु इनकी चर्चा तो मैं कल करूंगा, आज का वाक्य समाप्त होता है! अब वेदो का पठन पाठन होगा!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


October 30, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-87 (साल-01)
2. बुधवार ,30 अक्टूबर 2019
3. शक-1941, कार्तिक-शुक्ल पक्ष, तिथि-तीज, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:23,सूर्यास्त 05:53
5. न्‍यूनतम तापमान -20 डी.सै.,अधिकतम-29+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


https://universalexpress.page/
email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275
 (सर्वाधिकार सुरक्षित


सोमवार, 28 अक्टूबर 2019

कोतवाल ने गरीबों के साथ मनाई दिवाली

आदर्श श्रीवास्तव


लखीमपुर खीरी! आपको बताते चलें कि जब कोई व्यकित गरीब की मदद करने के लिए खड़ा होता है तो उसकी सबसे अहम भूमिका वहीं अपने राष्ट्र के लिए होती है । आज दीपावली के इस पावन पर्व पर निघासन कोतवाल दीपक शुक्ला ने गरीबो संग मिलकर दीपावली मनाई। कोतवाली प्रभारी ने मिठाई, पटाखे, वस्त्र आदि गरीब परिवार को भेंट किये। कोतवाली प्रभारी सहित समस्त स्टाफ मौजूद रहा।कोतवाली प्रभारी ने गरीब के बच्चे की पढाई की जिम्मेदारी ली । इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चे का दाखिला लिया जाएगा। गरीब बच्चे की शिक्षा की सम्पूर्ण जिम्मेदारी कोतवाली प्रभारी निभाएंगे।


वायदो पर गौर करें भाजपा और जेजेपी

चंडीगढ़! हरियाणा की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने प्रदेश में नवगठित भाजपा-जजपा सरकार से दोनों दलों के चुनाव पूर्व आरोपों और घोषणा पत्र पर कार्रवाई करने की समय सीमा बताने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा व दुष्यंत चौटाला ने चुनाव से पहले अनेक चुनावी वायदे किए थे और एक-दूसरे पर अनेक गंभीर आरोप लगाए थे। प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि इन दोनों पार्टियों द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच कब होगी और उन चुनावी वायदों को कब तक पूरा किया जाएगा।
कुमारी सैलजा ने कहा कि जनता से विश्वासघात कर भाजपा और JJP ने जो सरकार को बनाई है, उसके बाद अब कई सवाल उठ खड़े होने लगे हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा ने पिछ्ले चुनाव में कई वायदे किए थे जो कि पिछ्ले पांच वर्ष मे पूरे करने में वह विफल रही, वहीं इस चुनाव से पूर्व भी भाजपा ने अनेक वायदे जनता से किए हैं। भाजपा सरकार को इस चुनाव के वायदों के साथ वर्ष 2014 के चुनावों के पूर्व किए गए वायदे भी तुरंत पूरे करने चाहिए।
कुमारी सैलजा ने कहा कि JJP ने भी विपक्ष में  आरोप लगाया था कि सरकारी नौकरियों में जमकर धांधली की जा रही है और लाखों में पेपर बचे जा रहे हैं। इसके अलावा करोड़ों के दवा घोटाले, अवैध खनन, ओवरलोडिंग घोटाला, एससी एसटी छात्रों की छात्रवृत्ति घोटाला, रोडवेज में किलोमीटर स्कीम घोटाले समेत कई बड़े-बड़े घोटालों के आरोप भाजपा सरकार पर लगाए थे।
कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की जनता समझदार है और वो सारा खेल समझती है। यदि दोनों दल जनता का सम्मान करते हैं तो इन्हें सार्वजनिक रूप से सभी चुनावी वायदों और एक दूसरे पर लगाए गए आरोपों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।


दिल्ली के मुख्य बाजार में मचा हड़कंप

नई दिल्ली! दीपावली की रात को सितारगंज के किच्छा रोड पर अचानक मुख्य बाजार में हड़कंप मच गया। जहां एक तरफ लोग दीपावली पर दीए जलाकर दीपाली मना रहे थे। तभी किच्छा रोड चौधरी मार्केट के बगल में केक बेकरी में अचानक आग लग गई आग इतनी भीषण थी कि रात के समय दूर-दूर तक आग की लपटें दिखाई दे रही थी। आग को देखकर पड़ोसियों द्वारा फायर ब्रिगेड को सुचना दी गयी। जब तक अड़ोस पड़ोस के दुकानदार पानी से ही आग बुझाने में लगे रहे लेकिन आग पर काबू नहीं पाया गया कुछ देर बाद फायर ब्रिगेड पहुंचने पर दमकल कर्मचारियों ने आग पर काबू पाया। दुकान स्वामी का कहना है कि आग से लाखों रुपए की क्षति हुई है। आसपास के लोगों में हड़कंप मच गया!


डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...