मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019

ग्वार का सबसे बड़ा उत्पादक

ग्वार (cluster bean) का वैज्ञानिक नाम 'साया मोटिसस टेट्रागोनोलोबस' (Cyamopsis tetragonolobus) है। इसे मध्य प्रदेश(भारत) में चतरफली के नाम से भी जाना जाता हे। को अधिकतर उपयोग जानवरों के चारे के रूप में भी होता है। पशुओं को ग्वार खिलाने से उनमें ताकत आती है तथा दूधारू पशुओं कि दूध देने की क्षमता में बढोतरी होती है। ग्वार से गोंद का निर्माण भी किया जाता है इस 'ग्वार गम' का उपयोग अनेक उत्पादों में होता है। ग्वार फली से स्वादिष्ट तरकारी बनाई जाती है। ग्वार फली को आलू के साथ प्याज में छोंक लगाकर खाने पर यह बहुत स्वाद लगती है तथा अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है जैसे दाल में, सूप बनाने में पुलाव इत्यादि में।


इसको तेलुगु में గోరు చిక్కుడు "Goruchikkudu kaya" or "Gokarakaya" कन्नड में Gorikayie तथा तमिल में கொத்தவரைக்காய் (kotthavarai) कहते हैं।


विश्व के कुल ग्वार उत्पादन का ८०% भारत में होता है। ग्वार गर्म मौसम की फसल है। यह प्रायः ज्वार या बाजरे के साथ मिलाकर बोया जाता है जिसका उपयोग ग्वार या ग्वारफली के रूप में किया जाता है और जो हरी सब्जी के रूप में इस्तेमाल कि जाती है यह भारत के कई प्रदेशों में पाई जाती है पर उतर भारत में इसका ज्यादा उपयोग देखा जा सकता है।


इस पौधे के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद प्राप्त होता है। ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम, पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।


मैंग्रोव प्राकृतिक स्थायीकारी

प्राकृतिक स्थायीकारी


मैंग्रोव वृक्षों की जडें ज्वार तथा तीव्र जल धाराओं द्वारा होने वाले मिट्टी के कटाव को कम करती हैं। मैंग्रोव वृक्ष धीरे-धीरे मिट्टी को भेदकर तथा उसका वातन (वायु-मिश्रण) कर उसे पुनरुज्जीवित करते हैं। जैसे-जैसे दलदली मिट्टी की दशा सुधरती है, उसमें दूसरे पौधे भी उगने लगते हैं। मैंग्रोव वृक्ष अपनी जड़ों द्वारा मिट्टी को बांधे रखते हैं जिससे तूफान तथा चक्रवात के समय क्षति कम होती है। उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में आने वाले चक्रवात बंगाल की खाड़ी में अधिक आते हैं। इसीलिए उनका प्रभाव भी अरब सागर की अपेक्षा दक्षिण भारतीय तट पर अधिक पड़ता है। ये चक्रवात तटीय क्षेत्रों पर बहुत तीव्र गति से टकराते हैं और तट, तेज समुद्री लहरों के जल से जलमग्न हो जाते हैं जिससे तटों पर रहने वाले जीव-जन्तुओं की भारी हानि होती है। मैंग्रोव की कुछ प्रजातियां जैसे राइजोफोरा के वृक्ष इन प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध ढाल की तरह कार्य करते हैं।


मैंग्रोव वनों की सुरक्षात्मक भूमिका का सबसे अच्छा उदाहरण तब देखने को मिला, जब 29 अक्टूबर 1999 को उड़ीसा के तट पर चक्रवात आया था। इस चक्रवात में वायु की गति 310 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इस चक्रवात ने मैंग्रोव रहित क्षेत्रों में भारी तबाही मचायी। जबकि उन क्षेत्रों में जहां मैंग्रोव वृक्षों की संख्या अधिक थी, नुकसान नगण्य था। इसी प्रकार के अधिसंख्य उदाहरण उपलब्ध है।


जान-माल की सबसे अधिक हानि, महानदी के डेल्टा में आये तूफान के बाद देखने में आयी। जहां मैंग्रोव वनों की व्यापक स्तर पर कटाई कर भूमि को दूसरे कार्यों के लिये प्रयोग में लाया गया। सन् 1970 में बांग्लादेश में आये प्रचण्ड तूफान तथा तीव्र ज्वारीय लहरों से लगभग 3 लाख व्यक्ति मारे गये थे। इस तूफान में हुई जनहानि सम्भवतः कम हुई होती यदि हजारों एकड़ भूमि से मैंग्रोव वनों को काट कर कृषि कार्य हेतु भूमि न ली गयी होती।


गुजरात के कच्छ क्षेत्र में जहां मैंग्रोव वनों की अवैध कटाई की गयी, सन् 1983 के चक्रवात में भारी जन हानि हुईं ये सारी पर्यावरण सम्बन्धी सेवाएं जो मैंग्रोव निःशुल्क प्रदान करते हैं, उन पर आश्रित प्रजातियों के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण है।


दुर्भाग्यवश, मैंग्रोव वन जो सदियों से समुद्री तूफानों और तेज हवाओं का सामना सफलतापूर्वक करते रहे हैं आज मनुष्य के क्रिया-कलापों के कारण खतरे में है। लेकिन हाल के वर्षों में घटित घटनाओं ने मनुष्य को मैंग्रोव वनों के प्रति अपने रवैये के बारे में सोचने पर विवश किया है। सन् 2004 में तटीय क्षेत्रों में सुनामी से हुई भंयकर तबाही से वे क्षेत्र बच गये जहां मैंग्रोव वन इन लहरों के रास्ते में एक ढाल की तरह खड़े थे। उस समय इन वनों ने हजारों लोगों की जान-माल की रक्षा की। इस घटना के बाद तटीय क्षेत्र के गांवों में रहने वाले लोगों ने मैंग्रोव वनों को संरक्षण देने का निश्चय किया।


रामफल के विभिन्न लाभ

रामफल के फायदे आँखों की रोशनी के लिए -
यदि आप प्राकृतिक उपचार के माध्यम से अपनी आँखों की रोशनी को बढ़ाना चाहते हैं तो आपके आँखों की रोशनी को लिए रामफल सर्वश्रेष्ठ उपाय है। ये फल विभिन्न आवश्यक विटामिन जैसे विटामिन सी और विटामिन ए से भरा हुआ है जो आपकी दृष्टि को बेहतर बनाने में आपकी सहायता करता है। इसके साथ-साथ इसमें रिबोफोलाविन और विटामिन बी 2 भी पाया जाते हैं जो हमारे शरीर में फ्री रेडिकल (free radical) से बचते हैं। इस प्रकार रामफल हमारी आँखों की विभिन्न प्रकार की समस्याओं से बचता है। 


रामफल के लाभ मधुमेह के जोखिम को करें कम -
शुगर या मधुमेह की समस्या के लिए भी रामफल बहुत अच्छा होता है। यह रक्त में शुगर के स्तर और साथ-साथ मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है। यदि आपको पहले से ही शुगर की समस्या है तो इसका एंटीहाइपरग्लिसेमिक प्रभाव शुगर की समस्या को और भी बढ़ने से रोकता है। 


रामफल खाने के फायदे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए -
इस फल में तांबा और फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरुरी होता है। इसमें मौजूद फाइबर मल त्यागने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद मैग्नीशियम अपच जैसी समस्याओं का इलाज करने और कब्ज से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। 


रामफल के गुण हैं कैंसर में उपयोगी -
रामफल के स्वास्थ्य लाभों में कैंसर की रोकथाम भी शामिल है। ये फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होता है  जो एक एंटीऑक्सिडेंट हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट हमारे शरीर में फ्री रेडिकल से लड़ते है। रामफल ऑक्सीडेटिव तनाव से हमारे शरीर की कोशिकाओं की रक्षा भी करता है। एक अध्ययन में पाया गया कि रामफल के पत्तों का रस ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं के लिए ज़हरीला होता है। वास्तव में यह स्तन कैंसर की कोशिकाओं ख़त्म करता है।


रामफल के फायदे मुँहासे के लिए - 
मुँहासे अक्सर पोर्स में बैक्टीरिया बनने के कारण होते हैं। रामफल के मजबूत एंटी-माइक्रोबियल गुण आपकी त्वचा की सहायता कर सकते हैं। यह आपकी त्वचा से बैक्टीरिया को साफ करते हैं जिससे मुँहासे होने की संभावना कम हो जाती है।


रामफल खाने के लाभ हैं अल्सर में - 
रामफल में विटामिन ए उच्च में पाया जाता है जो गूदा अल्सर और फोड़े के इलाज के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार के रूप में काम करता है। यह न केवल त्वचा को मॉइस्चराइज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि त्वचा की लालिमा और सूजन में भी राहत प्रदान करता है। मसूड़ों के दर्द और दाँत क्षय को रोकने में इस फल की बाहरी त्वचा यानि इसका छिलका बहुत अच्छा होता है!


रामफल बेनिफिट्स रखें हृदय रोगों को दूर -
कस्टर्ड एप्पल मैग्नीशियम और पोटेशियम से भरा हुआ है जो दिल की बीमारियों, मांसपेशियों में तनाव और ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित करके दिल की रक्षा में मदद करता है। इस फल में मौजूद नियासिन और फाइबर का उच्च स्तर रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन बी 6 हृदय रोग के जोखिम को कम करने के साथ-साथ दिल को स्वस्थ बनाए रखने में हमारी मदद करता है।


रामफल के गुण दिलाएं गठिया से राहत -
रामफल में मैग्नीशियम की उच्च मात्रा की उपस्थिति शरीर में सामान्य द्रव और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इसके सेवन से जोड़ों में तरल पदार्थ और एसिड को हटाकर (जिससे सूजन बढ़ जाती है) गठिया और गठिया के जोखिम को कम किया जाता है।


रामफल है गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी -
रामफल को गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत अच्छा फल माना जाता है क्योंकि यह फल मूड स्विंग, मॉर्निंग सिकनेस और सुन्नता जैसी समस्याओं से निपटने में आपकी मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान इस फल का नियमित सेवन गर्भपात और लेबर पेन के खतरे को कम करता है। इसके साथ-साथ स्तन के दूध को बढ़ाने के लिए भी इसका सेवन अच्छा होता है। इसका सेवन भ्रूण के मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली के समुचित विकास में भी मदद करता है।


द्वआधारी मशीनी भाषा

अभिकलित्र जिस भाषा को समझता है उसे द्विआधारी भाषा कहते हैं। वास्तव में यह यंत्र केवल विद्युत धारा के चालू या बंद होने को ही समझता है॥ विद्युत प्रवाह होने एवं रुकने को 0 या 1 के जरिए व्यक्त किया जाता है। इसलिए इसपर कोइ काम करने के लिए इसे इस भाषा में निर्देश या सूचना देना होता है।


यंत्र भाषा:-शुरूआती दिनों में अभिकलित्र को सीधे द्विआधारी भाषा में निर्देश या सूचना दी जाती थी। यंत्र से सीधा संपर्क रहने के कारण इसे यंत्र भाषा (मशीन लैंगुएज) भी कहा जाता था। इस तरह से निर्देश या सूचना देने की यह प्रक्रिया काफी जटिल थी।


संयोजन भाषा:-यंत्र भाषा की जटिलता को कम करने के लिए संयोजक (असेंबलर) की सहायता ली गई। यह ऐसा प्रोग्राम था जो कुछ खास शब्दों को द्विआधआरी संकेतों के समूह में बदल देता था। इस भाषा में प्रत्एक प्रक्रिया के लिए एक सरल शब्द चुन लिए गए थे। इससे द्विआधारी संकेत समूह के बजाय केवल संकेत शब्द लिखकर काम हो जाता था॥ इस संकेतों द्वारा संयोजित तथा संयोजक की सहायता से काम करने वाली भाषा को संयोजन भाषा (असेंबली लैंगुएज) कहा गया।


उच्च स्तरीय भाषाएँ (High Level Language):असेम्बली लेंगवेज के आने से संगणक प्रोग्रामर्स को सुविधा जरूर मिली, किन्तु इसके लिए प्रोग्रामर को संगणक के हार्डवेयर, तथा इसकी कार्य प्रणाली का सम्पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक होता था। अतः अब और भी सरल भाषायों का विकास किया गया, जिन्हें उच्च स्तरीय भाषा कहा गया। इनमे से कुछ प्रमुख आरंभिक भाषाए कोबोल (COBOL), बेसिक (BASIC), सी (C) थी।
उच्च स्तरीय भाषायों या हाई लेवल लेंगवेजों को मशीन भाषा में परिवर्तित करने के लिए संकलक (Compiler) और व्याख्याता (Interpreter) की जरूरत पड़ती है।
संकलक या कंपाइलर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम को स्थायी रूप से मशीन भाषा में परिवर्तित करता है, जबकि व्याख्याता या इंटरप्रेटर एक एक पंक्ति करके परिवर्तित करता है।


अंतरराष्ट्रीय बाजार में लघुतम जोखिम

प्रत्यक्ष निर्यात में एक कंपनी का प्रत्यक्षतः माल को विदेशी बाजार में भेजना शामिल होता है। अप्रत्यक्ष निर्यात नियोजित करने वाली कंपनी एक चैनल/प्रतिनिधि का उपयोग करती है, जो फिर उत्पादन का विदेशी बाजार में प्रचार करता है। एक कंपनी की दृष्टि से, निर्यात में लघुतम जोखिम होता है। ऐसा इसलिए हैं क्यूंकि, नई गैर-मौजूदा परिसंपत्तियों पर आवश्यक रूप से कोई पूंजी व्यय, या कंपनी वित्त का परिव्यय नहीं हुआ। इस प्रकार, डूबने की लागत (sunk cost), या बाहर निकलने की सामान्य बाधाओं की संभावना कम है। इसके विपरीत, एक विदेशी बाजार में निर्यात करते समय, एक कंपनी के पास कम नियंत्रण हो सकता है, यह विदेशी बाजार के भीतर माल की आपूर्ति पर नियंत्रित ना होने के कारण होता है।


संयुक्त उद्यम:-एक संयुक्त उद्यम दो या दो से अधिक व्यावसायिक संस्थाओं के बीच एक संयुक्त प्रयास है, जिसका लक्ष्य एक निर्धारित आर्थिक गतिविधि से पारस्परिक लाभ उठाना है। कुछ देश अक्सर जनादेश देते हैं कि उनके भीतर सभी विदेशी निवेश संयुक्त उद्यम के माध्यम से होने चाहिए (जैसे भारत और चीन गणराज्य (People's Republic of China)). निर्यात के साथ तुलना से, अधिक नियंत्रण होता है, लेकिन जोखिम का स्तर भी बढ़ जाता है।


प्रत्यक्ष निवेश:-इस अनुबंध के मोड में, एक कंपनी विदेशी बाजार के भीतर एक उत्पाद के उत्पादन के उद्देश्य से, एक बाहरी देश के भीतर प्रत्यक्षतः एक स्थिर/अप्रचलित परिसंपत्ति का निर्माण करती है।


संयोजन, एक सम्पूरित उत्पाद का निर्माण करने के लिए, सम्पूरित भागों के शाब्दिक संयोजन को संदर्भित करता है। इसका एक उदाहरण है, डेल संस्था (Dell Corporation). डेल के पास संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहरी देशों में संयंत्र हैं, परन्तु वह वैयक्तिक कंप्यूटर (personal computer) एकत्र (assemble) करता है, उनका शुरू से निर्माण नहीं करता है। दूसरे शब्दों में, यह अन्य कंपनियों से भाग प्राप्त करता है और अपनी फैक्ट्री में एक व्यक्तिगत कंप्यूटर के अवयव भाग एकत्र करता है (जैसे मदरबोर्ड, मॉनिटर, जीपीयू (GPU), रैम (RAM), वायरलेस कार्ड, मोडेम, साउंड कार्ड, आदि। ) निर्माण में शुरू से एक उत्पाद की वास्तविक गढ़ना करनी होती है। कार निर्माता अक्सर सभी भागों का निर्माण अपने संयंत्रों के भीतर करते हैं। प्रत्यक्ष निवेश में सबसे अधिक नियंत्रण होता है और सबसे अधिक जोखिम भी संलग्न होता है। जैसा किसी भी पूंजी व्यय में होता है, पूंजी व्यय के साथ किसी भी डूबने की लागत (sunk cost) का ठीक मूल्य निर्धारण करने के अतिरिक्त, निवेश पर प्रतिफल (मुनाफे की अवधि, असल वर्तमान मूल्य, आंतरिक प्रतिफल दर, आदि द्वारा परिभाषित) सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है।


राम का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...


मुझे भगवान राम का जीवन प्राय: स्मरण आता रहता है | उनका जीवन एक महान आदर्शवादी रहा है उनके जीवन में एक महानता की प्रतिभा रही है मुझे वह काल स्मरण आता रहता है जिस काल में भगवान राम पंचवटी में अपने समय को प्राय: व्यतीत कर रहे थे वह अपने आसन पर विद्यमान रहते | उनके समीप एक समय मगध राष्ट्र के राजा सामब्राह्म तथा और भी कुछ राजा अपनी अपनी स्थलीयों से एकत्रित हुए एक स्थल पर और विचारा गया कि राम को बन हुआ बहुत समय हो गया है परंतु चलो उनके दर्शनार्थ के लिए उनसे कुछ वार्ता प्रगट करें सब राजाओं ने इन वाक्यों को स्वीकार कर लिया | अगले दिवस प्रातः कालीन वे सब राजाधिराज भगवान राम के समीप उस पंचवटी में आ गये जहां देखो नाना ऋषिवर पहले ही विधमान थे और नाना प्रकार के भोज्यो का वहां प्रयास होता रहा | परंतु जैसे ही राजा इत्यादियों का आगमन हुआ तो ने ऋषि अपने में हर्षध्वनि की ओर हर्ष-ध्वनि करके कहा कि आइये राजन और वह विधमान हो गये, विराजमान हो गये | तो उन्होंने कहा कहो भगवन कैसे इस आसन को पवित्र किया है | तब राजाओं ने कहा है राजम् ब्रह्म: हम अपने में राजकुमार कुछ शंका लेकर के आये हैं | राम ने कहा बोलो तुम्हारी क्या शंका है ? तुम्हारी शंकाओं का निवारण करने के लिए मैं प्रयत्नशील हूं और उन्होंने कहा कि उच्चारण करो कि तुम क्या चाहते हो ? राजाओं के कहा प्रभु हम यह जानना चाहते हैं कि राजा किसे कहते हैं | अब हम अब तक यह नहीं जान पाये है कि राजा कौन होता है | हम स्वयं शासन करते हैं राजा के  संबंध में भिन्न-भिन्न उड़ान भी उड़ी गई है परंतु हमें कुछ प्रतीत नहीं हुआ भगवान राम ने कहा कि यह जो याग है यह ,,यज्ञ मानो यह दोनों प्रकार से अपने में प्रतिष्ठित रहता है राम वहां ऋषियों के वाक्यों के ऊपर कुछ विचार विनियम करने लगे | भगवान राम ने कहा कि तुम राष्ट्र को जानना चाहते हो तो राष्ट्र दो प्रकार का होता है एक राष्ट्र वह होता है जिसमें राजा का जन्म माता के गर्भ से होता है एक राष्ट्र वह होता है जिसमें राजा का निर्वाचन प्रजा द्वारा होता है तो इस प्रकार दोनों प्रकार के राज्यों पर अथवा राजाओं पर मानव को ऊंची कल्पना करनी चाहिए | राजा राम ने कहा है राजाओं तुम यह जानना चाहते हो कि राजा किसे कहते हैं राजा उसे कहते हैं जो प्रात: कालीन अपनी स्थलियों को त्याग करके अपने जीवन के क्रिया-कलापों में निहित हो जाता है और क्रियाकलापों में निहित हो करके मानो राष्ट्र में शुद्धीकरण उसके समीप होता है राजा के राष्ट्र में धर्म में एकोकी रूढ़ि नहीं रहनी चाहिए | मुझे महानंद जी ने कई काल में वर्णन कराया कि रूढ़ियो का विनाश होना चाहिए और अपने में मानव को उस पद्धति को विचारना चाहिए राम ने कहा राजा वही होता है जो प्रातः कालीन अपनी क्रियाओं से निवृत हो करके प्रभु में ध्यानावस्थित हो करके अपने अन्य क्रियाकलापों में  प्राय: हो जाता है अपने क्रियाकलापों से निवृत हो कर उसे राष्ट्र की  कृतिमा में उसे समलग्न हो जाना चाहिए वह प्राणायाम करने वाला होना चाहिए वह राजा यह विचारता कर रहे हैं कि संसार में प्राण ही नि:स्वार्थ है तो इसीलिए मुनिवरो संसार में राजा को प्राण की भांति नि:स्वार्थ होकर रहना चाहिए जैसे प्राण नि:स्वार्थ है! वह चेतना बद है! तो ऐसे ही राजा अपने में प्रतिपादित  हो करके अपने राष्ट्र और समाज में एक महानता की समदर्शिता का अपना निर्णय दें | जब इस प्रकार का राजा होता है तो उस राष्ट्र में कोई त्रुटि नहीं होती उस राजा के राष्ट्र में धर्म और मानवता का प्रसार होता है और यह मानो कि मानवता ऊंची बन रही है तो मेरे प्यारे वह जो महान वृत्तीया ब्रह्म लोकाम समिधा अगने देखो वही तो समिधा बन करके रहते हैं जो राजा के हृदय में प्रजा के मध्य में वह दीपमालिका आकृतियों में रत हो जाती है!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


हिंदी दैनिक


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 23, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-80 (साल-01)
2. बुधवार ,23 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,कृष्णपक्ष, तिथि- दशमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:20,सूर्यास्त 05:55
5. न्‍यूनतम तापमान -20 डी.सै.,अधिकतम-30+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275
 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


 


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