मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

द्वआधारी मशीनी भाषा

अभिकलित्र जिस भाषा को समझता है उसे द्विआधारी भाषा कहते हैं। वास्तव में यह यंत्र केवल विद्युत धारा के चालू या बंद होने को ही समझता है॥ विद्युत प्रवाह होने एवं रुकने को 0 या 1 के जरिए व्यक्त किया जाता है। इसलिए इसपर कोइ काम करने के लिए इसे इस भाषा में निर्देश या सूचना देना होता है।


यंत्र भाषा:-शुरूआती दिनों में अभिकलित्र को सीधे द्विआधारी भाषा में निर्देश या सूचना दी जाती थी। यंत्र से सीधा संपर्क रहने के कारण इसे यंत्र भाषा (मशीन लैंगुएज) भी कहा जाता था। इस तरह से निर्देश या सूचना देने की यह प्रक्रिया काफी जटिल थी।


संयोजन भाषा:-यंत्र भाषा की जटिलता को कम करने के लिए संयोजक (असेंबलर) की सहायता ली गई। यह ऐसा प्रोग्राम था जो कुछ खास शब्दों को द्विआधआरी संकेतों के समूह में बदल देता था। इस भाषा में प्रत्एक प्रक्रिया के लिए एक सरल शब्द चुन लिए गए थे। इससे द्विआधारी संकेत समूह के बजाय केवल संकेत शब्द लिखकर काम हो जाता था॥ इस संकेतों द्वारा संयोजित तथा संयोजक की सहायता से काम करने वाली भाषा को संयोजन भाषा (असेंबली लैंगुएज) कहा गया।


उच्च स्तरीय भाषाएँ (High Level Language):असेम्बली लेंगवेज के आने से संगणक प्रोग्रामर्स को सुविधा जरूर मिली, किन्तु इसके लिए प्रोग्रामर को संगणक के हार्डवेयर, तथा इसकी कार्य प्रणाली का सम्पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक होता था। अतः अब और भी सरल भाषायों का विकास किया गया, जिन्हें उच्च स्तरीय भाषा कहा गया। इनमे से कुछ प्रमुख आरंभिक भाषाए कोबोल (COBOL), बेसिक (BASIC), सी (C) थी।
उच्च स्तरीय भाषायों या हाई लेवल लेंगवेजों को मशीन भाषा में परिवर्तित करने के लिए संकलक (Compiler) और व्याख्याता (Interpreter) की जरूरत पड़ती है।
संकलक या कंपाइलर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम को स्थायी रूप से मशीन भाषा में परिवर्तित करता है, जबकि व्याख्याता या इंटरप्रेटर एक एक पंक्ति करके परिवर्तित करता है।


अंतरराष्ट्रीय बाजार में लघुतम जोखिम

प्रत्यक्ष निर्यात में एक कंपनी का प्रत्यक्षतः माल को विदेशी बाजार में भेजना शामिल होता है। अप्रत्यक्ष निर्यात नियोजित करने वाली कंपनी एक चैनल/प्रतिनिधि का उपयोग करती है, जो फिर उत्पादन का विदेशी बाजार में प्रचार करता है। एक कंपनी की दृष्टि से, निर्यात में लघुतम जोखिम होता है। ऐसा इसलिए हैं क्यूंकि, नई गैर-मौजूदा परिसंपत्तियों पर आवश्यक रूप से कोई पूंजी व्यय, या कंपनी वित्त का परिव्यय नहीं हुआ। इस प्रकार, डूबने की लागत (sunk cost), या बाहर निकलने की सामान्य बाधाओं की संभावना कम है। इसके विपरीत, एक विदेशी बाजार में निर्यात करते समय, एक कंपनी के पास कम नियंत्रण हो सकता है, यह विदेशी बाजार के भीतर माल की आपूर्ति पर नियंत्रित ना होने के कारण होता है।


संयुक्त उद्यम:-एक संयुक्त उद्यम दो या दो से अधिक व्यावसायिक संस्थाओं के बीच एक संयुक्त प्रयास है, जिसका लक्ष्य एक निर्धारित आर्थिक गतिविधि से पारस्परिक लाभ उठाना है। कुछ देश अक्सर जनादेश देते हैं कि उनके भीतर सभी विदेशी निवेश संयुक्त उद्यम के माध्यम से होने चाहिए (जैसे भारत और चीन गणराज्य (People's Republic of China)). निर्यात के साथ तुलना से, अधिक नियंत्रण होता है, लेकिन जोखिम का स्तर भी बढ़ जाता है।


प्रत्यक्ष निवेश:-इस अनुबंध के मोड में, एक कंपनी विदेशी बाजार के भीतर एक उत्पाद के उत्पादन के उद्देश्य से, एक बाहरी देश के भीतर प्रत्यक्षतः एक स्थिर/अप्रचलित परिसंपत्ति का निर्माण करती है।


संयोजन, एक सम्पूरित उत्पाद का निर्माण करने के लिए, सम्पूरित भागों के शाब्दिक संयोजन को संदर्भित करता है। इसका एक उदाहरण है, डेल संस्था (Dell Corporation). डेल के पास संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहरी देशों में संयंत्र हैं, परन्तु वह वैयक्तिक कंप्यूटर (personal computer) एकत्र (assemble) करता है, उनका शुरू से निर्माण नहीं करता है। दूसरे शब्दों में, यह अन्य कंपनियों से भाग प्राप्त करता है और अपनी फैक्ट्री में एक व्यक्तिगत कंप्यूटर के अवयव भाग एकत्र करता है (जैसे मदरबोर्ड, मॉनिटर, जीपीयू (GPU), रैम (RAM), वायरलेस कार्ड, मोडेम, साउंड कार्ड, आदि। ) निर्माण में शुरू से एक उत्पाद की वास्तविक गढ़ना करनी होती है। कार निर्माता अक्सर सभी भागों का निर्माण अपने संयंत्रों के भीतर करते हैं। प्रत्यक्ष निवेश में सबसे अधिक नियंत्रण होता है और सबसे अधिक जोखिम भी संलग्न होता है। जैसा किसी भी पूंजी व्यय में होता है, पूंजी व्यय के साथ किसी भी डूबने की लागत (sunk cost) का ठीक मूल्य निर्धारण करने के अतिरिक्त, निवेश पर प्रतिफल (मुनाफे की अवधि, असल वर्तमान मूल्य, आंतरिक प्रतिफल दर, आदि द्वारा परिभाषित) सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है।


राम का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...


मुझे भगवान राम का जीवन प्राय: स्मरण आता रहता है | उनका जीवन एक महान आदर्शवादी रहा है उनके जीवन में एक महानता की प्रतिभा रही है मुझे वह काल स्मरण आता रहता है जिस काल में भगवान राम पंचवटी में अपने समय को प्राय: व्यतीत कर रहे थे वह अपने आसन पर विद्यमान रहते | उनके समीप एक समय मगध राष्ट्र के राजा सामब्राह्म तथा और भी कुछ राजा अपनी अपनी स्थलीयों से एकत्रित हुए एक स्थल पर और विचारा गया कि राम को बन हुआ बहुत समय हो गया है परंतु चलो उनके दर्शनार्थ के लिए उनसे कुछ वार्ता प्रगट करें सब राजाओं ने इन वाक्यों को स्वीकार कर लिया | अगले दिवस प्रातः कालीन वे सब राजाधिराज भगवान राम के समीप उस पंचवटी में आ गये जहां देखो नाना ऋषिवर पहले ही विधमान थे और नाना प्रकार के भोज्यो का वहां प्रयास होता रहा | परंतु जैसे ही राजा इत्यादियों का आगमन हुआ तो ने ऋषि अपने में हर्षध्वनि की ओर हर्ष-ध्वनि करके कहा कि आइये राजन और वह विधमान हो गये, विराजमान हो गये | तो उन्होंने कहा कहो भगवन कैसे इस आसन को पवित्र किया है | तब राजाओं ने कहा है राजम् ब्रह्म: हम अपने में राजकुमार कुछ शंका लेकर के आये हैं | राम ने कहा बोलो तुम्हारी क्या शंका है ? तुम्हारी शंकाओं का निवारण करने के लिए मैं प्रयत्नशील हूं और उन्होंने कहा कि उच्चारण करो कि तुम क्या चाहते हो ? राजाओं के कहा प्रभु हम यह जानना चाहते हैं कि राजा किसे कहते हैं | अब हम अब तक यह नहीं जान पाये है कि राजा कौन होता है | हम स्वयं शासन करते हैं राजा के  संबंध में भिन्न-भिन्न उड़ान भी उड़ी गई है परंतु हमें कुछ प्रतीत नहीं हुआ भगवान राम ने कहा कि यह जो याग है यह ,,यज्ञ मानो यह दोनों प्रकार से अपने में प्रतिष्ठित रहता है राम वहां ऋषियों के वाक्यों के ऊपर कुछ विचार विनियम करने लगे | भगवान राम ने कहा कि तुम राष्ट्र को जानना चाहते हो तो राष्ट्र दो प्रकार का होता है एक राष्ट्र वह होता है जिसमें राजा का जन्म माता के गर्भ से होता है एक राष्ट्र वह होता है जिसमें राजा का निर्वाचन प्रजा द्वारा होता है तो इस प्रकार दोनों प्रकार के राज्यों पर अथवा राजाओं पर मानव को ऊंची कल्पना करनी चाहिए | राजा राम ने कहा है राजाओं तुम यह जानना चाहते हो कि राजा किसे कहते हैं राजा उसे कहते हैं जो प्रात: कालीन अपनी स्थलियों को त्याग करके अपने जीवन के क्रिया-कलापों में निहित हो जाता है और क्रियाकलापों में निहित हो करके मानो राष्ट्र में शुद्धीकरण उसके समीप होता है राजा के राष्ट्र में धर्म में एकोकी रूढ़ि नहीं रहनी चाहिए | मुझे महानंद जी ने कई काल में वर्णन कराया कि रूढ़ियो का विनाश होना चाहिए और अपने में मानव को उस पद्धति को विचारना चाहिए राम ने कहा राजा वही होता है जो प्रातः कालीन अपनी क्रियाओं से निवृत हो करके प्रभु में ध्यानावस्थित हो करके अपने अन्य क्रियाकलापों में  प्राय: हो जाता है अपने क्रियाकलापों से निवृत हो कर उसे राष्ट्र की  कृतिमा में उसे समलग्न हो जाना चाहिए वह प्राणायाम करने वाला होना चाहिए वह राजा यह विचारता कर रहे हैं कि संसार में प्राण ही नि:स्वार्थ है तो इसीलिए मुनिवरो संसार में राजा को प्राण की भांति नि:स्वार्थ होकर रहना चाहिए जैसे प्राण नि:स्वार्थ है! वह चेतना बद है! तो ऐसे ही राजा अपने में प्रतिपादित  हो करके अपने राष्ट्र और समाज में एक महानता की समदर्शिता का अपना निर्णय दें | जब इस प्रकार का राजा होता है तो उस राष्ट्र में कोई त्रुटि नहीं होती उस राजा के राष्ट्र में धर्म और मानवता का प्रसार होता है और यह मानो कि मानवता ऊंची बन रही है तो मेरे प्यारे वह जो महान वृत्तीया ब्रह्म लोकाम समिधा अगने देखो वही तो समिधा बन करके रहते हैं जो राजा के हृदय में प्रजा के मध्य में वह दीपमालिका आकृतियों में रत हो जाती है!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


हिंदी दैनिक


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 23, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-80 (साल-01)
2. बुधवार ,23 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,कृष्णपक्ष, तिथि- दशमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:20,सूर्यास्त 05:55
5. न्‍यूनतम तापमान -20 डी.सै.,अधिकतम-30+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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cont.935030275
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सोमवार, 21 अक्टूबर 2019

हरियाणा में भाजपा की जोरदार वापसी

एक्जिट पोल 2019: हरियाणा में भाजपा की जोरदार वापसी


चंडीगढ़! हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर मतदान पूरा हो चुका है। वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं और अब नतीजों के लिए 24 अक्तूबर का इंतजार है। मतदाताओं से लेकर राजनीतिक पार्टियों और नेताओं तक की नजर फिलहाल नतीजों से पहले आने वाले रुझानों पर है।


मतदान के बाद अब नजरें एग्जिट पोल अनुमानों पर है। तमाम न्यूज चैनल और एजेंसियों एग्जिट पोल नतीजे बता रहे हैं। ज्यादातर में भाजपा मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। एक बार फिर कांग्रेस सत्ता से बाहर होती दिख रही है।


*ये है एक्जिट पोल की तस्वीर-*


न्यूज 18- Ipsos का एग्जिट पोल- भाजपा- 70, कांग्रेस- 10 सीटें, अन्य- 4 सीटें ।


टाइम्स नाउ का एग्जिट पोल- भाजपा - 71 सीटें, कांग्रेस-11 सीटें, अन्य- 08 सीटें।


रिपब्लिक-जन की बात एग्जिट पोल- भाजपा- 52-63 सीटें, कांग्रेस-15-19 सीटें, अन्य- 7-10 सीटें।


एबीपी-सी वोटर एग्जिट पोल- भाजपा- 72, कांग्रेस- 08, अन्य- 10।


6 बजे तक 65 फीसदी मतदान दर्ज

विधानसभा चुनाव: महाराष्ट्र- हरियाणा में ईवीएम में कैद हुई उम्मीदवारों की किस्मत


नई दिल्ली! महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पूरे हो गए हैं। दोनों राज्यों में वोटिंग सुबह सात बजे शुरू हो गई थी। बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियां दोनों ही राज्यों में सत्ता बरकरार रखने के लिए प्रयासरत हैं वहीं विपक्षी दल सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठाते हुए इसे अपने पक्ष में करने के प्रयास में है।


मतदान खत्म होने तक शाम 6 बजे तक महाराष्ट्र में कुल 60.05 प्रतिशत जबकि हरियाणा में 6 बजे तक 65 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। हालांकि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। हरियाणा में कुल 90 सीटें हैं और बीजेपी कांग्रेस दोनों ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।


साल 2014 के चुनाव में 47 सीटें जीत कर बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। वहीं 2014 में महाराष्ट्र में बीजेपी पूरे 15 साल बाद सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। इस बार हरियाणा के चुनाव के लिए बीजेपी ने कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने और एनआरसी लाने को बड़ा मुद्दा बनाया था। उधर कांग्रेस ने आर्थिक मंदी, किसानों का कर्ज और बेरोजगारी को मुद्दा बनाया था!


भारत: मिट्टी के दीए जलते हैं जहां

धमतरी। कई वर्षों के बाद इस साल बसंत की दीपावली में चार चांद लगने वाले हैं। उनके द्वारा कच्ची मिट्टी और चाक से बनाए गए दीये इस साल हाथो-हाथ बिक रहे हैं। सालों पुरानी परम्परा को पुनर्जीवित होते बसंत के चेहरे खिल उठे। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने पुश्तैनी धंधे को छोड़कर दूसरा रास्ता अपनाने की मंशा को भी अलविदा कह दिया है। स्थानीय विंध्यवासिनी वार्ड निवासी बसंत कुम्भकार बचपन से मिट्टी से निर्मित बर्तन, दीये, कलश, धूपदानी सहित भगवान गणेश, शंकर, दुर्गा, लक्ष्मी आदि की मूर्तियां बनाकर बेचते हैं। उनके पिता के अलावा दादा, परदादा भी मिट्टी के बरतन, मूर्ति और घरेलू उपकरण बनाकर अपना जीविकोपार्जन करते थे। 52 वर्षीय कुम्भकार ने बताया कि आज से करीब 10-12 वर्ष पहले तक उनका पुश्तैनी व्यवसाय अच्छा चलता था। इससे बेहतर आमदनी भी हो जाती थी, जो कि उनके परिवार के लिए पर्याप्त थी। इसी बीच चाइना सहित विदेशी एवं इलेक्ट्रॉनिक सामानों के बाजार में सस्ती दर पर उतर जाने से जैसे लोगों ने मुंह मोड़ लिया। मार्केट में इनके 10-12 साल पहले की अपेक्षा एक-चौथाई से भी कम बिक्री होने लगी। इससे उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती चली गई। यहां तक कि बसंत ने इस साल के बाद अगले साल से पीढिय़ों से चले आ रहे मिट्टी के व्यवसाय को बंद कर कोई दूसरा काम ढूंढने तक का मन बना लिया था।  कुम्भकार ने आगे बताया कि ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा पारम्परिक विरासतों को सहेजने तथा उन्हें पुनर्जीवित करने के बारे में पता चला। वहीं, जिला प्रशासन द्वारा भी मिट्टी से निर्मित दीयों को खरीदने की अपील की गई, जिसका आमजनता में व्यापक और सकारात्मक असर हुआ। पिछले 4-5 दिनों से मिट्टी के दीये खरीदने वालों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। इलेक्ट्रॉनिक लाइटों व झूमरों की जगह लोग मिट्टी के दीये और मूर्तियां लेना पसंद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जहां एक दिन में वे सिर्फ 500 दीये बनाते थे, अब 1000-1200 दीये रोजाना बना रहे हैं। वहीं इनकी खपत व आमदनी बढऩे से सालों की मायूसी काफूर हो गई है। बसंत ने बताया कि उनकी पत्नी लता बाई, बेटी भावना व बेटा खिलेश्वर भी उनके काम में मदद कर रहे हैं, जिससे कि मांग के आधार पर दीये, ग्वालिन, लक्ष्मी की मूर्ति, कलश आदि समय पर बन सके। बसंत द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीयों का वितरण आज जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा लोकार्पण भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान हितग्राहियों को किया गया, जिससे कि वे काफी खुश और संतुष्ट हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश की संस्कृति, प्राचीन धरोहरों और पारम्परिक कार्यों को पुनर्जीवित करने अनेक योजनाएं चलाई जा रही हंै। सुराजी गांव योजना का नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी सहित हरेली, तीज पर्व पर सार्वजनिक अवकाश, गौठानों में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा जैसे त्योहारों के जरिए परम्परागत विरासतों को सहेजने का कार्य राज्य शासन द्वारा किया जा रहा है। इसी तारतम्य में दीपावली पर्व पर प्रदेशवासियों से मिट्टी के दीये खरीदने तथा अपने साथ-साथ गरीब कुम्हार परिवारों के घर भी रौशन करने का आव्हान किया गया, जिससे कि माटीपुत्र कुम्हार जीवन-यापन के अपने पारम्परिक व्यवसाय से पलायन न कर पाए।


डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...