शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

बड़ी धन हानि की आशंका है:मीन

राशिफल


मेष:-प्रयास सफल रहेंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। नौकरी में नई जिम्मेदारी मिल सकती है। सामाजिक काम करने की इच्छा प्रबल होगी। मान-सम्मान मिलेगा। वाणी में संयम रखें। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। कारोबार में वृद्धि होगी।


वृष:--घर में अतिथियों का आगमन होगा। किसी मांगलिक कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। दूर से शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। आत्मविश्वास बढ़ेगा। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधान रहें। धन प्राप्ति सु्गम होगी।


मिथुन:--भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ के योग बनते हैं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। किसी बड़ी समस्या का हल मिल सकता है। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य खराब हो सकता है। धनार्जन होगा।


कर्क:-किसी अपने ही व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। आय में कमी होगी। अप्रत्याशित खर्च सामने आ सकते हैं। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आशा व निराशा के भाव रहेंगे। खर्च से हाथ तंग रहेगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेंगे। जोखिम बिलकुल न उठाएं।


सिंह:-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। थकान व कमजोरी रह सकती है।



कन्या:-शत्रु सक्रिय रहेंगे। चुगलखोरों से सावधान रहें। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। नई आर्थिक योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। काफी समय से रुके काम पूर्ण हो सकते हैं। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। प्रमाद न करें।


तुला:--घर-परिवार की चिंता रहेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। शारीरिक कष्ट संभव है। पूजा-पाठ में मन लगेगा। तीर्थयात्रा की योजना बनेगी। कोर्ट-कचहरी व सरकारी कार्यालय के काम मनोनुकूल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी से बचें!


वृश्चिक:--पुराना रोग उभर सकता है। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में लापरवाही न करें। शारीरिक हानि हो सकती है। किसी भी तरह के विवाद में भाग न लें। स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। कुसंगति से बचें। महत्वपूर्ण निर्णय टालें।


धनु:--कुंआरों को वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। दांपत्य जीवन में आनंद रहेगा। कोर्ट व कचहरी तथा सरकारी कार्यालयों में रुके कार्य मनोनुकूल रहेंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। भाग्य का साथ मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।


मकर:--आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। समय पर नहीं मिलेगी। तनाव रहेगा। घर के वृ‍द्धजनों के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। कोई बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। भय रहेगा। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होकर उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। लाभ होगा।


कुंभ:--किसी मनोरंजक यात्रा का आयोजन हो सकता है। विद्यार्थी वर्ग अपने शिक्षण-अध्ययन संबंधी कार्य में सफलता प्राप्त करेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। जल्दबाजी में कोई कार्य न करें तथा विवाद की स्थिति न आने दें। कोई अरुचिकर घटना संभव है।


मीन:--कोई बड़ी धनहानि की आशंका है। लापरवाही न करें। भावना को वश में रखें। मन की बात किसी को न बतलाएं। नौकरी में अपेक्षाएं बढ़ेंगी। धैर्यशीलता की कमी रहेगी। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। भागदौड़ होगी।


कंप्यूटर का अर्थ अभिकलित्र

कंप्यूटर का अर्थ अभिकलित्र किस आधार से बताया गया है.? इतने कठिन शब्द का उपयोग छात्र और जन मानस कैसे कर पाएंगे? इसका हिंदी भाषी अभियंताओ को क्या लाभ होगा ? जो शब्द जिस भाषा से है उसे उसी भाषा में रखना उचित है। जैसे योग हिंदी शब्द है एयर हिंदुस्तान में इज़ाद हुआ है, अंग्रेजी में भी इसे योग ही कहते हैं और पूरी दुनिया इसे योग के नाम से ही जानती है। इसी में योग शब्द और योग विषय की भलाई है। हमें छात्रों को हिंदी भाषा में विषय को समझाने की जरूरत है न की विषय का ही नाम बदलकर उसे और कठिन बना देने कि ताकि उसे पढ़ने वाले छात्र दुनिया के अन्य छात्रों से पीछे रह जाये।


जैसा कि योग का उदाहरण दिया गया, यह एक मूल शब्द है, न कि यौगिक या व्युत्पन्न शब्द, अर्थात किसी अन्य शब्द या अन्य शब्दों के योग से बना या व्युत्पत्ति किया गया शब्द नहीं है। ऐसे दूसरी भाषा से आये शब्दों को जैसे का तैसा रखना ही उचित लगता है और ऐसी परम्परा या अभ्यास भी रहा है।


कम्प्यूटर एक यौगिक व्युत्पन्न शब्द है जो कम्प्यूट क्रिया से व्युत्पत्ति किया गया है। कम्प्यूट का अर्थ गणना करना है, अतः कई गणनाएं एक साथ करने वाला यंत्र संगणक हो सकता है। ऐसे शब्द को मूल भाषा में रखना आवश्यक नहीं लगता है। अभिकलित्र की योगविच्छेदन करने पर क्या अर्थ निकलता है, यदि कोई बताये तो उस पर भी विचार किया जा सकता है। ये वही है जैसे जनित्र = जनरेटर, शायद कोई योगविछेदन न कर पाये। इनके अलावा इस पर भी विचार किया जाना चाहिये कि 1:1 का अनुपात सर्वथा संभव भी नहीं है और इसे बाध्य भी किया नहीं जाना चाहिये। अंग्रेज़ी में वैल इसका उदाहरण है, जिसके लिये हिन्दी में कुआं एवं अच्छा, दो अर्थ निश्चित हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए सीधे सीधे संगणक और अभिकलित्र में से एक को दूसरे पर पुनर्प्रेषित किया जाना उचित है। अन्य स्थानों में दोनों में से कोई भी शब्द प्रयोग करने कि स्वतंत्रता रखी जाये।
इसके अलावा मूल लेख का क्या नाम हो, उसके लिये हम हिन्दी नाम अभिकलित्र चुन लें, जिसके प्रथम मुखवाक्य में ही बोल्ड में कोष्ठक में अन्य नाम दिये जा सकते हैं, जिनमें से प्रत्येक नाम को उस लेख पर पुनर्निदेशित कर सकते हैं।


गिध्द प्रजाति का 97 फ़ीसदी पतन

गिद्ध शिकारी पक्षियों के अंतर्गत आनेवाले मुर्दाखोर पक्षी हैं, जिन्हें गृद्ध कुल (Family Vulturidae) में एकत्र किया गया है। ये सब पक्षी दो भागों में बाँटे जा सकते हैं। पहले भाग में अमरीका के कॉण्डर (Condor), किंग वल्चर (King Vulture), कैलिफोर्नियन वल्चर (Californian Vulture), टर्की बज़र्ड (Turkey Buzzard) और अमरीकी ब्लैक वल्चर (American Black Vulture) होते हैं और दूसरे भाग में अफ्रीका और एशिया के राजगृद्ध (King Vulture), काला गिद्ध (Black Vulture), चमर गिद्ध (White backed Vulture), बड़ा गिद्ध (Griffon Vulture) और गोबर गिद्ध (Scavenger Vulture) मुख्य हैं।


ये कत्थई और काले रंग के भारी कद के पक्षी हैं, जिनकी दृष्टि बहुत तेज होती है। शिकारी पक्षियों की तरह इनकी चोंच भी टेढ़ी और मजबूत होती है, लेकिन इनके पंजे और नाखून उनके जैसे तेज और मजबूत नहीं होते। ये झुंडों में रहने वाले मुर्दाखेर पक्षी हैं जिनसे कोई भी गंदी और घिनौनी चीज खाने से नहीं बचती। ये पक्षियों के मेहतर हैं जो सफाई जैसा आवश्यक काम करके बीमारी नहीं फैलने देते।ये किसी ऊँचे पेड़ पर अपना भद्दा सा घोंसला बनाते हैं, जिसमें मादा एक या दो सफेद अंडे देती है।


पतन-यह जाति आज से कुछ साल पहले अपने पूरे क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पायी जाती थी। 1990 के दशक में इस जाति का 97% से 99% पतन हो गया है। इसका मूलतः कारण पशु दवाई डाइक्लोफिनॅक (diclofenac) है जो कि पशुओं के जोड़ों के दर्द को मिटाने में मदद करती है। जब यह दवाई खाया हुआ पशु मर जाता है और उसको मरने से थोड़ा पहले यह दवाई दी गई होती है और उसको भारतीय गिद्ध खाता है तो उसके गुर्दे बंद हो जाते हैं और वह मर जाता है। अब नई दवाई मॅलॉक्सिकॅम आ गई है और यह हमारे गिद्धों के लिये हानिकारक भी नहीं हैं। जब इस दवाई का उत्पादन बढ़ जायेगा तो सारे पशु-पालक इसका इस्तेमाल करेंगे और शायद हमारे गिद्ध बच जायें।


आयुर्वेदिक आहार मूंग दाल

मूंग बीन्स, मटर और दाल के रूप में एक ही पौधे के परिवार से छोटे और हरे रंग का एक प्रकार है जिसमें प्रोटीन, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स मैंगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, तांबे, जस्ता और विटामिन बी का एक उच्च स्रोत पाया जाता है। हालांकि दुनिया के अधिकांश हिस्सों में ये अन्य दालों की तुलना में कम लोकप्रिय है। हजारों सालों से मूंग दाल भारत में पारंपरिक आयुर्वेदिक आहार का एक हिस्सा रही है। प्राचीन भारतीय अभ्यास में मूंग दाल को "सबसे अधिक पोषित खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है" जो लगभग 1,500 बी.सी के बाद से एक पारंपरिक औषधि बन गयी है।


मूंग दाल को हरी दाल भी कहा जाता है। हालांकि, इसे और भी कई नामों से बुलाया जाता है जैसे गोल्डन ग्राम, मूंग बीज। हरी मूंग दाल को एशिया के कई देशो में, यूरोप और अमेरिका में भी विभिन्न उद्देश्यों के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत में प्रसिद्ध मुख्य डिश के अलावा हरी मूंग दाल का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है।


हरी मूंग दाल चेहरे की त्वचा के लिए बहुत लाभकारी है। मूंग दाल खाने से आपके चेहरे पर छुपी झुर्रिया, दाग धब्बे, काले घेरे कम हो जाते हैं। इसके नियमित खानें से आपकी उम्र 30 की बजाये 20 की लगने लगेगी। महिलाओं के लिए एजिंग(बढ़ती उम्र) सबसे बड़ी चिंता का विषय होता है क्यूंकि उन्हें इस उम्र में अपनी त्वचा और बालों का ख़ास ख्याल रखना होता है। अगर आप बढ़ती उम्र में भी जवान दिखना चाहते हैं तो नाश्ते में मूंग दाल खाना शुरू कर दीजिये इससे आपके चेहरे पर चमक बनी रहेगी और आप स्वस्थ भी रहेंगे।


मूंग दाल के लाभ बालों के लिए -मूंग दाल में कौपर पाया जाता है जिससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। कौपर हमारे शरीर में लोहा, कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा को पूरा करता है। मूंग दाल खाने से कौपर की आवश्यक मात्रा पूरी होती है। मूंग दाल से हमारे दिमाग में ऑक्सीजन बिना किसी रुकावट के सही ढंग से पहुँचता है और बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है जिससे आपके बाल घने, लम्बे और चमकदार दिखते हैं। मूंग दाल से आप बालों के लिए घर पर पेस्ट भी तैयार कर सकते हैं।


मूंग की दाल खाने के फायदे बढ़ाए मेटाबॉलिज्म -कई लोग अपने ख़राब मेटाबोलिज्म की वजह से बदहजमी और जलन की शिकायत करते रहते हैं। मूंग दाल में फाइबर पाया जाता है। जिसकी मदद से आपकी पाचन क्रिया अच्छी होती है और मेटाबोलिज्म रेट बढ़ता है। फाइबर आपकी पाचन क्रिया को बदहजमी होने से रोकता है और पेट को सही रखता है।


कछुए पराबैंगनी किरणें देख सकते हैं

कछुए (Turtles) या कर्म टेस्टूडनीज़ नामक सरीसृपों के जीववैज्ञानिक गण के सदस्य होते हैं जो उनके शरीरों के मुख्य भाग को उनकी पसलियों से विकसित हुए ढाल-जैसे कवच से पहचाने जाते हैं। विश्व में स्थलीय कछुओं और जलीय कछुओं दोनों की कई जातियाँ हैं। कछुओं की सबसे पहली जातियाँ आज से 15.7 करोड़ वर्ष पहले उत्पन्न हुई थीं, जो की सर्वप्रथम सर्पों व मगरमच्छों से भी पहले था। इसलिये वैज्ञानिक उन्हें प्राचीनतम सरीसृपों में से एक मानते हैं। कछुओं की कई जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं लेकिन 327 आज भी अस्तित्व में हैं। इनमें से कई जातियाँ ख़तरे में हैं और उनका संरक्षण करना एक चिंता का विषय है। इसकी उम्र 300 साल से अधिक होती है। कछुओं के रेटिना में असामान्य रूप से बड़ी संख्या में कोशिकाओं के होने से ये आसानी से रात के अंधेरे में देख लेते हैं। यह रंगों को देख सकते हैं और पराबैंगनी किरणों से लेकर लाल रंग तक को देख सकते हैं। कुछ भूमि में पाये जाने वाले कछुओं में तेजी की बहुत कमी देखने को मिलती है, इस तरह की कमी ज्यादातर शिकारियों में होती है, जो अचानक तेजी से शिकार को शिकार बना लेते हैं। हालांकि कुछ मांसाहारी कछुए अपने सिर को तेजी से स्थानांतरित करने में सक्षम हैं।


संकल्पमयी संसार की विशेषता

गतांक से...
 आओ मेरे प्यारो, मैं तुम्हें विशेष विचार नहीं देना चाहता हूं। विचार केवल यह है कि भगवान राम भयंकर वन में अपने 12 वर्ष के तप से अवऋन हो गए और अपने में विचार कर रहे हैं कि मैं अपने राष्ट्र को कैसा स्थापित करुं? जिससे राष्ट्र अपनी आभा में गतिमान होता हुआ और प्रत्येक राष्ट्र में रहने वाला मानव विचार विनिमय करने लगे। विचारवान बन करके परमपिता परमात्मा के अनूठे राष्ट्र में परिणत होकर के उधरवा में कल्पना करता चले जाए। भगवान राम ने यही कहा कि हम अपने में सुगंधी को ला सकें जैसे अग्नि प्रत्येक परमाणु का विभाजन कर देती है। उनमें वह तरंगों के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक राजा जब अपने राष्ट्र में उन्नत होने के लिए सदैव तत्पर रहेगा, तो वह उन्नत होना ही मानो मानवीयता आपमे रत हो जाएगा और राष्ट्र अपने में राष्ट्र कहलाएगा जैसे परमात्मा का राष्ट्र है। उसी में सूर्य है उसी में चंद्रमा है और उसी में पृथ्वी है और उसी में जल और अग्नि अपने अपने मे गमन कर रहे हैं। और प्राण सत्ता अपने में उग्र रूप धारण कर रही है और अंतरिक्ष में सब समाहित हो रहा है। विचार आता रहता है कि हमारा जीवन बेटा सुगंधित होना चाहिए। यदि जीवन में सुगंधी नहीं है तो वह जीवन नहीं कहलाता। राजा के राष्ट्र में सुगंध नहीं है तो राजा का राष्ट्र नहीं कहलाता। इसी प्रकार बेटा हम सुगंधी वाले बने। प्रत्येक ग्रह में वेदों की ध्वनि आनी चाहिए।ध्वनी मे ध्वनीत होना चाहिए। अनहद रूप में जब आती है अनहद रूप से उससे मानव अपनी मानवता को धारण करता हुआ। वह उसी ध्वनि से अपनी आंतरिक जगत की ध्वनि को धारण करता हुआ बेटा, वह ध्वनि एक योगिक ध्वनि कहलाती है और इसमें हमें ध्वनिया आती रहती है। विचार आता रहता है बेटा मैं दूर चला गया हूं। विचार यह प्रारंभ कर रहा था कि परमपिता परमात्मा का यह अनूठा जगत है। परमात्मा पुरोहित कहलाते हैं। इसलिए पुरोहितों के द्वारा प्रत्येक ग्रह में सुगंधी होनी चाहिए। राम ने 12 वर्ष का तप किया। जिसमें अन्न को त्यागते हुए उन्होंने सिल्लस्तन को प्राप्त किया। जिससे मन पवित्र बन कर के रजोगुण में जो एक दूसरे को मृत्युदंड देने की आभा का जन्म हुआ। उसे नष्ट करने के लिए उन्होंने तप किया। क्योंकि बिना तप किए कोई राष्ट्र को भोगने का अधिकारी नहीं होता है। तप उसे कहते हैं जो मानव जितेंद्रय बन करके अपने आत्मबल को उन्नत बनाता है। जो तपस्वी बनता है वह अन्नाद को पवित्र बना करके मन मस्तिष्क और बुद्धि को ऊंचा बनाता है। या यह कह दीजिए कि मन, प्राण और विचारों की उपलब्धि होकर के उन्हीं विचारों को महान बनाता रहता है। विचार विनिमय क्या है? बेटा मानव को तप करना चाहिए, क्योंकि बिना तप के राष्ट्र और समाज की उन्नति नहीं होती। वशिष्ठ मुनि महाराज और राम का जो उस काल का आध्यात्मिकवाद का प्रकरण है। वह बड़ा विचित्र रहा है, आज का हमारा उद्देश्य क्या रहा है। हमें तपस्वी बनना चाहिए और बिना तप के राज्य नहीं भोगा जाता। बिना तप के मुनीवरो समाज को उन्नत नहीं बना सकते। इसलिए प्रत्येक मानव को तपस्वी बनना चाहिए और तप करने के पश्चात अपने अधिकार का उपयोग करने वाला हो। परमपिता परमात्मा को साक्षी करता हुआ और परमपिता परमात्मा की अमृतधारा को जानने वाला बने। तो बेटा आज का विचार विनिमय क्या है कि हम परमपिता परमात्मा की आराधना करते हुए देव की महिमा का गुणगान गाते हुए। वेदों का उपदेश पाते हुए, हम इस सागर से पार हो जाए। बेटा,तपम् ब्राह्म: तपम रुद्रोभागा:, हे मानव,तू तपस्वी बन और तपस्वी बन करने के पश्चात बेटा राष्ट्र का अधिकार प्राप्त होता है। देखो राम ने ऐसा ही किया। राम तपस्वी बने और तप करने के पश्चात वह राष्ट्र को भोगने वाले बने। राष्ट्र में जो उनके विचार,गीत बने बने,उन विचारों को कल प्रकट कर सकूंगा। आज का वाक्य समाप्त होता है अब वेदों का पठन-पाठन होगा।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


हिंदी दैनिक


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 13, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-70 (साल-01)
2. रविवार,13 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,शुक्‍लपक्ष,तिथि- पूर्णिमा,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:16,सूर्यास्त 06:05
5. न्‍यूनतम तापमान -21 डी.सै.,अधिकतम-32+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई

यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई  संदीप मिश्र  लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को लेकर उत्तर प्रदेश में भी 7 दिनों के...