बुधवार, 9 अक्टूबर 2019

उप-विषाणु का कण भी रोग

विषाणुओं के अध्ययन की एक मुख्य प्रेरणा यह तथ्य है, कि वे कई संक्रामक रोग पैदा करते हैं। इन रोगों में जुखाम, इंफ्लुएन्ज़ा, रेबीज़, खसरा, दस्त के कई रूप, हैपेटाइटिस, येलो फीवर, पोलियो, चेचक तथा एड्स तक आते हैं। कई विषाणु, जिन्हें ऑन्कोवायरस कहते है। कई तरह के कैंसर में भी योगदान देते हैं। कई उप-विषाणु कण भी रोग का] का निमित्त है एक उपग्रह विषाणु। विषाणु जिस शैली में रोग करते हैं, उसका अध्ययन विषाण्वीय रोगजनन या वायरल पैथोजैनेसिस कहलाता है। जिस श्रेणी तक कोई विषाणु रोग करता है, उसे "वायरुलेंस कहते हैं।


जब किसी कशेरुकी जीव की उन्मुक्ति प्रणाली का विषाणु से सामना होता है, वह विशिष्ट रोगप्रतिकारक या एंटीबॉडी का निर्माण करती है, जो विषाणु को बांध कर उसे विध्वंस के लिये विह्नित कर देती है| इन रोगप्रतिरोधकों की उपस्थिति कभि कभि यह जानने के लिये भि जांची जाती है, कि कोई व्यक्ति पूर्व में उस विषाणु से आक्रमित हुआ है या नहीं| ऐसे परीक्षणों में से एक है ऐलाइज़ा या ई एल आई एस ए| विषाणु जनित रोगों से बचाव हेतु टीकाकरण लाभदायी होता है, जिसमें व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक तत्व पहले से ही डाल दिये जाते हैं, या उनमें प्रतिरोधकों का निर्माण कराया जाता है| खास तौर पर बनायी मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ का भी प्रयोग विषाणुओं की उपस्थिति जाँच हेतु किया जा सकता है, जिसे फ्ल्यूरोसेंस सूक्ष्मदर्शिकी या फ्ल्यूरोसेंस माइक्रोस्कोपी कहा जाता है। विषाणुओं के विरुद्ध कशेरुकियों की दूसरी रक्षा पद्धति है कोशिका मध्यस्थ उन्मुक्ति या सेल मेडियेटेड इम्म्युनिटी जिसमें प्रतिरोधित कोशिकाएं, जिन्हें टी-कोशिका कहते है, कार्यरत होते हैं| शरीर की कोशिकाएं, अन्वरत रूप से अपने प्रोटीन कोशिका का एक छोटा अंश कोशिका की सतह पर प्रदर्शित करतीं हैं| यदि टी-कोशिका को संदेहजनक विषाणु अंश वहां मिलता है, तो उसका होस्ट (आतिथेय) कोशिका मिटा दिया जाता है, व विषाणु विशिष्ट टी-कोशिका बढ़्ती जातीं हैं| यह पद्धति कुछ टीकों द्वारा आरंभ की जा सकती है।


पादप, पशु श्रेणी व कई अन्य यूकैर्योट्स में पायी जाने वाली, एक महत्वपूर्ण कोशिकीय पद्धति, आर एन ए इंटरफेयरेंस, विषाणुओं के विरुद्ध रक्षा कए लिये यथासंभव उपयुक्त है| इंटरैक्टिंग किण्वकों का एक समूह, डबल स्टअंडेड आर एन ए अणुओं (जो कि कई विषाणुओं में जीवन चक्र का भाग होते हैं) पहचानते हैं और फिर उस आर एन ए अणु के सभि सिंगल स्ट्रैंडेड अणुओं को नष्ट कर देते हैं।


हरेक हानिकारक विषाणु एक विरोधाभार प्रस्तुत करता है: होस्ट को नष्ट करना विषाणु के लिये आवश्यक नहीं है| फिर क्यों और कैसे इस विषाणु का विकास हुआ? आज यह माना जाता है, कि अधिकांश विषाणु, अपने होस्ट के भीतर अपेक्षाकृत कृपालु होते हैं| हानिकारक विषाणु रोगों को ऐसे समझा जा सकता है, कि कोई कृपालु विषाणु, जो अपनी जाति में कृपालु है, कूद कर एक नयी जाति में चला जाता है, जो उसकी देखि समझी नहीं है।


 ज़ूनोसिस
उदा० इन्फ्लुएंज़ा विषाणु के प्राकृतिक होस्ट सुअर या पक्षी होते हैं, व एड्स को कृपालु मर्कट विषाणु से निकला बताया जाता है। हालांकि कई विषाणुजनित रोगों से बचाव टीकों द्वारा लम्बे समय तक संभव है, विषाणु विरोधी औषधियों का विकास, रोगों के उपचार हेतु, अपेक्षाकृत नया विकास है| पहला ड्रग था इंटरफैरोन, वह पदार्थ, जो कि प्राकृतिक रूप से कुछ उन्मुक्त कोशिकाओं द्वारा संक्रमण दिखने पर उत्पादित होते हैं, व उन्मुक्ति प्रणाली के अन्य भागों को उत्तेजित (स्टिमुलेट) करते हैं।


सबसे प्राचीन पालतू पशु

वह मनुष्य से जुड़ा हुआ संसार का सबसे प्राचीन पालतू स्तनपोषी प्राणी है, जिसने अज्ञात काल से मनुष्य की किसी ने किसी रूप में सेवा की है। घोड़ा ईक्यूडी (Equidae) कुटुंब का सदस्य है। इस कुटुंब में घोड़े के अतिरिक्त वर्तमान युग का गधा, जेबरा, भोट-खर, टट्टू, घोड़-खर एवं खच्चर भी है। आदिनूतन युग (Eosin period) के ईयोहिप्पस (Eohippus) नामक घोड़े के प्रथम पूर्वज से लेकर आज तक के सारे पूर्वज और सदस्य इसी कुटुंब में सम्मिलित हैं।


इसका वैज्ञानिक नाम ईक्वस (Equus) लैटिन से लिया गया है, जिसका अर्थ घोड़ा है, परंतु इस कुटुंब के दूसरे सदस्य ईक्वस जाति की ही दूसरों छ: उपजातियों में विभाजित है। अत: केवल ईक्वस शब्द से घोड़े को अभिहित करना उचित नहीं है। आज के घोड़े का सही नाम ईक्वस कैबेलस (Equus caballus) है। इसके पालतू और जंगली संबंधी इसी नाम से जाने जातें है। जंगली संबंधियों से भी यौन संबंध स्थापति करने पर बाँझ संतान नहीं उत्पन्न होती। कहा जाता है, आज के युग के सारे जंगली घोड़े उन्ही पालतू घोड़ो के पूर्वज हैं जो अपने सभ्य जीवन के बाद जंगल को चले गए और आज जंगली माने जाते है। यद्यपि कुछ लोग मध्य एशिया के पश्चिमी मंगोलिया और पूर्वी तुर्किस्तान में मिलनेवाले ईक्वस प्रज़्वेलस्की (Equus przwalski) नामक घोड़े को वास्तविक जंगली घोड़ा मानते है, तथापि वस्तुत: यह इसी पालतू घोड़े के पूर्वजो में से है। दक्षिण अफ्रिका के जंगलों में आज भी घोड़े बृहत झुंडो में पाए जाते है। एक झुंड में एक नर ओर कई मादाएँ रहती है। सबसे अधिक 1000 तक घोड़े एक साथ जंगल में पाए गए है। परंतु ये सब घोड़े ईक्वस कैबेलस के ही जंगली पूर्वज है और एक घोड़े को नेता मानकर उसकी आज्ञा में अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करतेे है। एक गुट के घोड़े दूसरे गुट के जीवन और शांति को भंग नहीं करते है। संकटकाल में नर चारों तरफ से मादाओ को घेर खड़े हो जाते है और आक्रमणकारी का सामना करते हैं। एशिया में काफी संख्या में इनके ठिगने कद के जंगली संबंधी 50 से लेकर कई सौ तक के झुंडों में मिलते है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार उन्हे पालतू बनाता रहता है।


लंबी यात्रा कर पहुंचा शकरकंद

शकरकंद (sweet potato ; वैज्ञानिक नाम : Ipomoea batatas - ईपोमोएआ बातातास्) कॉन्वॉल्वुलेसी (Convolvulaceae - कोन्वोल्वूलाकेऐ) कुल का एकवर्षी पौधा है, पर यह अनुकूल परिस्थिति में बहुवर्षी सा व्यवहार कर सकता है। यह एक सपुष्पक पौधा है। इसके रूपान्तरित जड़ की उत्पत्ति तने के पर्वसन्धियों से होती है जो जमीन के अन्दर प्रवेश कर फूल जाती है। जड़ का रंग लाल अथवा भूरा होता है एवं यह अपने अन्दर भोजन संग्रह करती है।


यह उष्ण अमरीका का देशज है। अमरीका से फिलिपीन होते हुए, यह चीन, जापान, मलेशिया और भारत आया, जहाँ व्यापक रूप से तथा सभी अन्य उष्ण प्रदेशों में इसको खेती होती है। यह ऊर्जा उत्पादक आहार है। इसमें अनेक विटामिन रहते हैं विटामिन "ए' और "सी' की मात्रा सर्वाधिक है। इसमें आलू की अपेक्षा अधिक स्टार्च रहता है। यह उबालकर, या आग में पकाकर, खाया जाता है। कच्चा भी खाया जा सकता है। सूखे में यह खाद्यान्न का स्थान ले सकता है। इससे स्टार्च और ऐल्कोहॉल भी तैयार होता है। बिहार और उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से इसकी खेती होती है। फलाहारियों का यह बहुमूल्य आहार है। इसका पौधा गरमी सहन कर सकता है, पर तुषार से श्घ्रीा मर जाता है।


शकरकंद सुचूर्ण तथा अच्छी जोती हुई भूमि में अच्छा उपजता है। इसके लिए मिट्टी बलुई से बलुई दुमट तथा कम पोषक तत्ववाली अच्छी होती है। भारी और बहुत समृद्ध मिट्टी में इसकी उपज कम और जड़ें निम्नगुणीय होती हैं। शकरकंद की उपज के लिए भूमि की अम्लता विशेष बाधक नहीं है। यह पीएच ५.० से ६.८ तक में पनप सकता है। इसकी उपज के लिए प्रति एकड़ लगभग ५० पाउंड नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। फ़ॉस्फ़ेट और पौटैश उर्वरक लाभप्रद होते हैं। पौधा बेल के रूप में उगता है। पौधा में कदाचित ही फूल और बीज लगते हैं।


रासायनिक अभियांत्रिकी

रासायनिक अभियान्त्रिकी (en:Chemical Engineering) रसायन शास्त्र, भौतिकी, अर्थशास्त्र वगैरह और उनके सिद्धान्तों को औद्योगिक उपयोगों में प्रयुक्त कराने वाला विज्ञान या व्यवसाय है। इसका मुख्य हिस्सा प्रक्रम अभियान्त्रिकी कहलाता है, जिसमें भारी मात्रा में निर्मित रसायनों को औद्योगिक स्तर पर सहज तरीके से बनाने का अध्ययन किया जाता है। लेकिन आज रासायनिक अभियान्त्रिकी सिर्फ़ इसी तक सीमित नहीं है। आज रासायनिक अभियन्ता जैवप्रौद्योगिकी (जेनेटिक्स, ख़मीरीकरण आदि) विषयों पर काम और शोध करते हैं और विमान, अन्तरिक्ष यान, खाद्य पदार्थ, जैवमेडिकल संयन्त्र, सिलिकॉन तकनीकी. नैनोतकनीकी, इलेक्ट्रॉनिक्स वगैरह के क्षेत्रों में नये और उच्च कोटि के पदार्थों का निर्माण भी सहज तरीके से करते हैं।


उपयोग
रासायनिक इंजीनियरी अनेकानेक प्रकार के उत्पादों के निर्माण में प्रयुक्त होती है। अकार्बनिक एवं कार्बनिक रसायनों का निर्माण करना, सिरैमिक्स, ईंधन, पेट्रोरसायन, कृषिरसायन (agrochemicals जैसे उर्वरक, कीटनाशक, घासफूसनाशक (herbicides)), प्लास्टिक एवं एलास्टोमर, विस्फोटक, डिटरजेंत एवं डिटरजेन्ट उत्पाद (जैसे साबुन, शैम्पू, सफाई में प्रयुक्त द्रव आदि]], इत्र, फ्लेवर, एवं औषधियों आदि का निर्माण रसायन इंजीनियरी के प्रमुख अनुप्रयोग हैं।


रसायन इंजीनियरी से सम्बन्धित विषय हैं - काष्ठ प्रसंस्करण (wood processing), खाद्य प्रसंस्करण (food processing), पर्यावरण तकनीकी (environmental technology), तथा पेट्रोलियम, काँच, पेंट, चिपकाने वाले पदार्थ (adhesives) आदि।


संकल्पमयी संसार की विशेषता

गतांक से...
 मेरे प्यारे जब यह वाक्य कहा गया संभव ब्रहे, मुझे ऐसा स्मरण आ रहा है पुत्रों, राम ने कहा कि मैं राष्ट्र को नहीं चाहता। मैं भयंकर वन में जाकर तप करना चाहता हूं। क्योंकि तप से ही मानव का जीवन उन्नत होता है और तप से ही मानव की तमोगुण की तरंगे सतोगुण में प्रवेश कर जाती हैं। इसलिए मैं अपने में तपस्वी बनना चाहता हूं। यह वाक्य उन्होंने स्वीकार कर लिया और स्वीकार करके उन्हीं ने कहा, भरतम्‌ ब्रवहे, हे विधाता भरत, इस राष्ट्र को तुम भोगो। उन्होंने कहा प्रभु मुझे कोई अधिकार नहीं है आप जेष्‍ठ है। आपका यह राज्य है इसे भोगीए प्रभु। उन्होंने कहा है भरत मैं तपस्या करने जा रहा हूं जब तक मैं तपस्वी नहीं बनूंगा मैं राज्य का अधिकारी नहीं हूं। क्योंकि तप करने के पश्चात ही मानव को राज्य का अधिकार होता है। जब उन्होंने ऐसा कहा उन्होंने कहा तपम ब्रह्मा, महात्मा भरत ने आचार्य से कहा, आचार्यजन इसका निपटारा कीजिए। यह क्या शब्द कह रहे हैं। उन्होंने कहा है राम को पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकूंगा। क्योंकि मैं राष्ट्र का अधिकारी नहीं हूं तो भी मैं तपस्या करूंगा। परंतु देखो उन्होंने उसे शिक्षा दी और शिक्षा देने के पश्चात वह अध्ययन करने लगे। मेरे प्यारे, राम अयोध्या को त्याग कर वन में चले गए और वन में जाकर के तपस्या करने लगे। तपस्या क्या है? देखो दूषित अन्‍न को पान नहीं करना चाहिए। उसको पान करने का नाम तपस्या है। मुझे स्मरण आता रहता है कि राम ने उसको पान किया। जिस पर किसी का अधिकार नहीं था उसको एकत्रित करके उसका दुग्ध बनाते और अग्‍नि में तपा करके खरल बना करके उसको पान करते। उन्होंने 12 वर्ष का इस प्रकार कठोर तप करने का निश्चय किया। राम प्रातः काल और सांयकाल तक रात्रि के काल में भी प्रभु के ऊपर मनन करते रहते और यह प्रार्थना करते रहते प्रभु तेरा कैसा उधरवा जगत है। यह कैसी भव्यशाला है। जिसमें आपको पुरोहित बना करके हम तपस्या में परिणत होने जा रहे हैं। मेरे प्यारे राम के यहां ऋषि-मुनियों का आवागमन होता रहता और तपस्या में परिणत होते रहते। उनका जीवन बड़ा भव्यता में परिणत होता रहता। राम ने 12 वर्ष का अनुष्ठान किया ,12 वर्षों में अध्ययन करते उनको पान करने के लिए तिर्यकसंग कोई कर्तव्य करते। अन्न को पान करने के लिए राम का जीवन बड़ा संचालित हो रहा है। विचार में मग्‍न है। महात्मा वशिष्ठ मुनि महाराज माता अरुंधति एक समय तपस्वी के दर्शन करने जा पहुंचे। राम ने उनके चरणों की पादुका का जल से स्पर्श करके उसका आचमन किया। आचमन करने के पश्चात भब्रहे कृतम, राम तपस्या में परिणित है। वे तपस्या कर रहे हैं मानव मन को पवित्र बना रहे हैं। क्योंकि मन को पवित्र बनाने का नाम ही तप कहा जाता है। पुराणों को शोधन करने का नाम ही तपस्या कहा जाता है। मेरे प्यारे देखो तपस्यम ब्रह्मा कृतम् लोका:, तपस्या में परिणत है। परंतु ऋषि वशिष्ठ मुनि महाराज और माता अरुंधति दोनों अपने आश्रम से भ्रमण करते हुए राम के समीप पहुंचे। राम उन्हें दृष्टिपात करते हुए उनकी हर्ष की कोई सीमा नहीं रही। ऋषि के चरणों को स्पर्श करते बोले कि प्रभु मेरा यह कैसा अहोभाग्य है। भगवान जो ब्रहमवेता का मुझे दर्शन हो रहा है। मानव देखो  दर्शनम ब्रह्मा:, विचार विनिमय कर रहे थे और अपने को विचारशील बनाते हुए, इस सागर से पार होना चाहते हैं। वह अनुपम सागर है जिस सागर के लिए प्रत्येक मानव परंपरागतो से ही महान से महान कल्पना करता रहा है। राम उस अन्न को पान करके तपस्यम्‌, वशिष्ठ मुनि ने कहा राम तुम इस प्रकार का यह तप क्यों कर रहे हो। उन्होंने कहा प्रभु मैंने लंकापति से संग्राम किया है और संग्राम में मेरी रजोगुण और तमोगुण प्रवृत्ति विशेष कर रही है। उस रजोगुण में मैंने लंका के प्राणी मात्र को नष्ट किया है। मैं इसलिए पापाचार में परिणित हो रहा हूँ। विचारने से यह प्रतीत होता है कि मेरे अंतःकरण में हृदय में जो संस्कार विधमान हो गए हैं। जो संस्कारों की उपलब्धियां हो गई है उन्हें नष्ट करना मेरा कर्तव्य कहलाता है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


हिंदी दैनिक


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 10, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-67 (साल-01)
2. बृहस्पतिवार,10 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,शुक्‍लपक्ष,तिथि- द्वादशी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:16,सूर्यास्त 06:05
5. न्‍यूनतम तापमान -22 डी.सै.,अधिकतम-32+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी,नमी बनी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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मंगलवार, 8 अक्टूबर 2019

सितारों ने दी विजयदशमी की शुभकामना

दशहरा 2019- अमिताभ बच्चन, सारा अली खान, अक्षय कुमार और अन्य सितारों ने दीं शुभकामनाएं


मुबंई। आज पूरे देश में दशहरे के त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। पीएम मोदी से लेकर खेल जगह व बॉलीवुड सितारों ने अपने-अपने अंदाज में देशवासियों को दशहरे की शुभकामनाएं दी है। इस कड़ी में बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन, खिलाड़ी अक्षय कुमार, अनिल कपूर, अनुष्का शर्मा, सारा अली खान, अर्जुन कपूर, सोनाली बेंद्रे, तापसी पन्नू, करण जौहर, जूही चावला, निमरत कौर, तमन्नाह भाटिया और काजल अग्रवाल जैसी बॉलीवुड हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं दी हैं ।


बिग बी ने टि्वटर पर एक कोलाज साझा किया है। जिसमें उनकी एक तस्वीर भी थी और उन्होंने लिखा- "दशहरा व विजय दशमी की बधाई ,सुख शांति सम्मृद्धि की दुहाई ,  
स्नेह आदर। " जबकि अक्षय कुमार ने ट्वीट किया कि "सभी को खुश दशहरा। आशा है कि इस त्योहारी सीजन में बहुत सारी समृद्धि और खुशी आए।


सारा अली खान ने अपनी, अपनी मां अमृता सिंह और उनके भाई इब्राहिम अली खान की एक तस्वीर साझा की और लिखा "सभी को दशहरे की शुभकामनाएं। आप के अंदर और आपके आस-पास की बुराई का रावण के पुतलों की तरह विनाश हो।"अनुष्का शर्मा ने अपनी इच्छा को सरल और मधुर रखा और लिखा- "हैप्पी दशहरा। चलो विजय और अच्छाई की भावना का जश्न मनाएं! यह शुभ दिन आपके और आपके परिवार के लिए खुशी और समृद्धि लाए।


अर्जुन कपूर ने अपने प्रशंसकों के लिए "समृद्धि और खुशी से भरा वर्ष" की कामना की और ट्वीट किया- "इस दशहरे, आइए हम अपने भीतर की बुराई को नष्ट करें और एक उज्जवल वर्ष की आशा करें। सभी को समृद्धि और खुशियों से भरा वर्ष की शुभकामनाएं। शुभ दशहरा!"


पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...