श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक दल नैशनल कॉन्फ्रेंस के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को आर्टिकल 370 और 35A को समाप्त किए जाने के करीब दो महीने बाद पहली बार अपने शीर्ष नेताओं फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की अनुमति दी गई। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है, जब एनसी ने आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। उधर, पार्टी सूत्रों के मुताबिक यह मुलाकात एनसी की एक सोची-समझी रणनीति का एक हिस्सा है।
नसी के सूत्रों ने कहा कि यह इस बात का संकेत हो सकता है कि एनसी आर्टिकल 370 पर केंद्र के प्रति अपने रुख में नरमी ला रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी आर्टिकल 370 की बजाय अब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए दबाव डालने पर फोकस करेगी। प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात के दौरान यह बेहद महत्वपूर्ण रहा कि एनसी के सदस्यों ने राज्य को मिले विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने पर कोई बात नहीं की। एनसी के नेताओं का फोकस अपनी दो मांगों पर रहा। इसमें सभी फारूक और उमर समेत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई और कश्मीर में जारी प्रतिबंधों को खत्म करना।
एनसी का केंद्र सरकार के प्रति रुख नरम
बता दें कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा एनसी के सदस्यों को अपने नेताओं से मिलने की अनुमति देना राज्य में राजनीतिक गतिविधि को बहाल करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। मुलाकात के बाद लोकसभा सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि फारूक और उमर अब्दुल्ला से बहुत 'अच्छे माहौल' में मुलाकात हुई। एक राजनीतिक विश्लेषक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि एनसी नेताओं के बयान, फारूक अब्दुल्ला का विक्ट्री साइन बनाना, इस बात का स्पष्ट संकेत है कि एनसी का केंद्र सरकार के प्रति रुख नरम हो रहा है।
आर्टिकल 370 पर पीडीपी का कड़ा रुख बरकरार
इस बीच राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए जहां एनसी का फोकस बदल गया है, वहीं पीडीपी ने आर्टिकल 370 और 35A को खत्म किए जाने पर अपना कड़ा रुख बरकरार रखा है। पीडीपी सूत्रों ने बताया कि इसी वजह से पार्टी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती और पीडीपी के नेताओं के बीच सोमवार को प्रस्तावित मुलाकात रद्द हो गई। पीडीपी ने रविवार को ऐलान किया था कि पार्टी के महासचिव वेद महाजन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल महबूबा से मुलाकात करेगा।
हालांकि बाद में यह बैठक रद्द कर दी गई। सोमवार को पीडीपी के सदस्य फिरदौस ताक ने कहा कि पार्टी के अंदर मतभेद के कारण इस बैठक को रद्द किया गया है। यह फैसला किया गया है कि 'आम सहमति बनने तक' महबूबा से मुलाकात नहीं की जाए। फिरदौस का यह स्पष्टीकरण ऐसे समय पर आया है जब पार्टी के महासचिव सुरिंदर चौधरी ने कहा था कि पीडीपी 'नैशनल कॉन्फ्रेस' की बी टीम नहीं है जो उसके पद चिन्हों पर चले।
राज्य में बीडीसी के चुनाव 24 अक्टूबर को
बता दें कि एनसी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने राज्य में कोई भी राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद से हिरासत में लिए गए और नजरबंद किए गए सभी लोगों की बिना शर्त रिहाई की मांग रखी है। एनसी के प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने शिष्टमंडल से कहा कि राज्य के लोगों ने विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और राज्य को दो हिस्से में बांटे जाने पर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जता दिया है और पार्टी इन भावनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती है। राज्य में प्रखंड विकास परिषद (बीडीसी) के चुनाव 24 अक्टूबर को होने हैं और एनसी ने कहा है कि अगर उसके नेताओं को हिरासत में रखा जाता है तो वह इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएगी।