मंगलवार, 8 अक्टूबर 2019

शस्त्र पूजा से कांप उठेगा दुश्मन

पेरिस। इस बार दशहरा पर होने वाली शस्‍त्र पूजा पूरे भारत के लिए बेहद खास होने वाली है। यह इतनी खास है कि इसने हर भारतीय को अपना सीना गर्व से चौड़ा करने का हक भी दिया है। दशहरा पर शस्‍त्र पूजा का चलन यूं तो काफी पुराना है, लेकिन उत्‍तर भारत में इसकी रंंगत देखते ही बनती है।


 संघ हर वर्ष दशहरा वाले दिन शस्‍त्र पूजा करता है।दशहरा पर इस बार शस्‍त्र पूजा की गूंज भारत की सरहद को लांघ कर फ्रांस तक सुनाई देगी। ऐसा इसलिए क्‍योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वहां पर राफेल फाइटर जेट की पूजा करेंगे।


आपको बता दें कि 8 अक्‍टूबर को ही फ्रांस आधिकारिक तौर पर भारत को राफेल विमान सौंपेगा। इसी वजह से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पेरिस गए हैं। यहां पर वह राफेल विमान में उड़ान भी भरेंगे। इसके साथ ही वह इस विमान में उड़ान भरने वाले देश के पहले रक्षा मंत्री भी बन जाएंगे। राजनाथ की शस्‍त्र पूजा के साथ ही दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में गिना जाने वाला राफेल भारतीय वायुसेना में शामिल भी हो जाएगा। राफेल की बात करें तो यह ऐसे शुभ मौके पर भारतीय वायुसेना को मिल रहा है जब बुराई पर अच्‍छाई की जीत का जश्‍न पूरे भारत में दशहरा के रूप में मनाया जा रहा है। इसके अलावा यह इत्‍तफाक ही है कि इसी दिन भारतीय वायु सेना दिवस भी है। राफेल विमान मीटियोर और स्काल्प मिसाइलों से लैस होंगे। इनकी मारक क्षमता इतनी बेजोड़ है कि इसके बाद इस पूरे क्षेत्र में भारत का दबदबा पहले से कहीं अधिक बढ़ जाएगा। 


जबरदस्त मारक क्षमता की मिसाइल 
वहीं स्‍काल्‍प मिसाईल की मारक रेंज काफी अधिक है। यह मिसाइल किसी भी मौसम में लक्ष्‍य को भेद सकती है। फिलहाल यह मिसाइल फ्रांस के अलावा ब्रिटेन के पास भी है।गल्‍फवार के दौरान इसका इस्‍तेमाल हो चुका है। भारत के लिए ये दोनों मिसाइलें गेमचंजर साबित होंगी। जो नई पीढ़ी की क्‍लोज रेंज वाली मिसाइल है। इसको लेकर कंपनी ने भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड से एक समझौता भी किया है। बड़े ठिकानों को तबाह करने में यह मिसाइल बेहद खास है। इस लिहाज से यह शस्‍त्र पूजा भारत की भविष्‍य की मजबूती के लिए बेहद खास है।


वायुसेना का अपाचे हेलीकॉप्‍टर 
वायुसेना की मजबूती की ही बात करें तो दशहरा पर होने वाले वायुसेना दिवस समारोह में चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्‍टर भी दिखाई देने वाले हैं। भारत की रक्षा के लिए ये दोनों ही हेलीकॉप्‍टर बेहद खास हैं। अपाचे की ही बात करें तो डबल पायलट वाला ये हेलीकॉप्‍टर 18 फीट ऊंचा और इतना ही चौड़ा भी है। इसकी रफ्तार के आगे दूसरे हेलीकॉप्‍टर काफी बौने दिखाई देते हैं। इसकी रफ्तार 280 किमी प्रति घंटा है।भारत को 22 अपाचे मिलने हैं। फिलहाल भारत को आठ अपाचे मिलें है और अन्‍य 14 मार्च 2020 तक भारतीय वायुसेना को मिल जाएंगे। इसकी कई खूबियों से एक इसका दुश्‍मन के राडार की पकड़ में न आना भी है। इसमें 16 एंटी टैंक मिसाइल लग सकती हैं जो दुश्‍मन पर कहर बरपा सकती हैं। इसके अलावा इसमें लगने वाली 30MM की 1,200 गोलियां एक बार में लोड की जा सकती हैं। इतना ही नहीं ये हेलीकॉप्‍टर एक बार में करीब पौने तीन घंटे या करीब 550 किमी तक उड़ सकता है। इस खास हेलीकॉप्‍टर के लिए ट्रेनिंग भी बेहद खास है। इसके हर पायलट पर सरकार को लाखों डॉलर खर्च करने पड़ेंगे।


अब बात चिनूक की भी कर लेते हैं। ये हेलीकॉप्‍टर कुछ ही समय में सेना के जवानों को किसी भी दुर्गम इलाके में ले जाने में सक्षम है। यह किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। यह हेलीकॉप्‍टर 11 टन तक का भार उठा सकता है।किसी तरह की आपदा आने पर भी यह हेलीकॉप्‍टर राहत कार्य में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। वर्ष 2015 में बोइंग से हुए करार के मुताबिक भारत को कुल 15 हेलीकॉप्‍टर मिलने हैं, जिनमें से चार को सौंप भी दिया गया है। अन्‍य हेलीकॉप्‍टर अगले वर्ष तक भारत को मिल जाएंगे। भारतीय रक्षा प्रणाली को मजबूती देने के लिए किया गया यह पूरा सौदा 8048 करोड़ रुपये का है। दुनिया के 18 देशों की सेनाएं इस हेलीकॉप्‍टर का इस्‍तेमाल करती हैं।


द्वारका की रामलीला में शामिल राष्ट्रपति-पीएम

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में मंगलवार को दशहरा पर्व को लेकर रामलीला कमेटियों की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार लालकिला की जगह द्वारका श्रीरामलीला कमेटी के मंच पर मौजूद रहेंगे। लालकिला स्थित माधव दास पार्क में धार्मिक रामलीला में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उपस्थित रहेंगी। वीवीआईपी गतिविधियों के चलते सोमवार को दिल्ली पुलिस ने इन स्थलों पर सुरक्षा के बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं। लालकिला मैदान और द्वारका की रामलीला कमेटियों के साथ आसपास के इलाके का राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने सोमवार को जायजा लिया। दशहरे को लेकर रामलीलाओं में कहीं 60 तो कहीं 80 फीट तक के रावण के पुतले तैयार किए गए हैं। रोहिणी के जपानी पार्क में करीब 60 तो इंद्रप्रस्थ रामलीला में 80 फीट के रावण का दहन किया जाएगा। यहां कुंभकरण की 70 और मेघनाद के पुतले की ऊंचाई करीब 65 फीट है।


जल्दबाजी में कोई कार्य न करें: कुंभ

राशिफल


मेंष-व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। पार्टनरों से मतभेद दूर होकर सहयोग प्राप्त होगा। किसी बड़ी समस्या से मुक्ति मिलेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।


वृष-पुराना रोग उभर सकता है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। आर्थिक‍ स्थिति बिगड़ सकती है। कुसंगति से हानि होगी। किसी भी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। धैर्यशीलता में कमी होगी। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। धनार्जन होगा।


मिथुन-स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। कोई बुरी सूचना मिल सकती है। प्रसन्नता में कमी रहेगी। शत्रुता में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। कारोबारी लाभ में वृद्धि के योग हैं। प्रमाद न करें।


कर्क-शत्रुभय रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। सुख के साधन जुटेंगे। अच्‍छे समाचार मिल सकते हैं। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मित्रों तथा संबंधियों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। आय बढ़ेगी।


सिंह-शत्रु परास्त होंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कोर्ट व कचहरी, सरकारी दफ्तरों में रुका कार्य पूर्ण अनुकूल होगा। प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेंगे। चोट व रोग से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पूजा-पाठ में मन लगेगा। साधु-संत का आशीर्वाद मिल सकता है। व्यापार ठीक चलेगा।


कन्या-कुसंगति से हानि होगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। किसी व्यक्ति से अकारण विवाद हो सकता है। शांति बनाए रखें। पारिवारिक चिंता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय में जल्दबाजी न करें।


तुला-किसी प्रभावशाली प्रबुद्ध व्यक्ति से मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। धनलाभ के अवसर बार-बार प्राप्त होंगे। थकान व कमजोरी रह सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार ठीक चलेगा।


वृश्चिक-शत्रुओं का पराभव होगा। सुख के साधन जुटेंगे। स्थायी संपत्ति में वृद्धि हो सकती है। कोई कारोबारी बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में उन्नति होगी। लाभ में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जल्दबाजी बिलकुल न करें।


धनु-दांपत्य जीवन में खुशहाली रहेगी। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग को पठन-पाठन व लेखन इत्या‍दि के कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी।


मकर-चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि संभव है। किसी भी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। दु:खद समाचार मिल सकता है। नए संबंध बनाने से पहले वि‍चार कर लें। मन में काम के प्रति दुविधा रहेगी। गलतफहमी के कारण विवाद संभव है। आय में निश्चितता रहेगी। जोखिम न लें।


कुंभ-जल्दबाजी में कोई कार्य न करें। विवाद संभव है। नौकरी में नई जिम्मेदारी प्राप्त हो सकती है। प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। मान-सम्मान प्राप्त होगा। ऐश्वर्य के साधनों की प्राप्ति संभव है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा।


मीन-दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में कोई मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। अतिथियों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। राजमान व यश में वृद्धि संभव है। व्यापार ठीक चलेगा।


दुनिया की दूसरी बड़ी 'थल-सेना'

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये।


भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं।


भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।


गर्म वातावरण का निवासी तोता

तोता पक्षियों के सिटैसिफ़ॉर्मीस (Psittaci) गण के सिटैसिडी (Psittacidae) कुल का पक्षी है, जो गरम देशों का निवासी है। यह बहुत सुंदर पक्षी है और मनुष्यों की बोली की नकल बखूबी कर लेता है। यह सिलीबीज द्वीप से सालोमन द्वीप तक के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी कई जातियाँ हैं। लेकिन इनमें हरा तोता (Ring Necked Parakett), जो अफ्रीका में गैंबिया के मुहाने (mouth of Gambia) से लेकर, लाल सागर होता हुआ भारत, बरमा और टेनासरिम (Tenasserim) तक फैला हुआ है, सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह हरे रंग का 10-12 इंच लंबा पक्षी है, जिसके गले पर लाल कंठा होता है। तोते को मनुष्यों ने संभवत: सबसे पहले पालतू किया और आज तक ये शौक के साधन बने हुए हैं। तोते के मुख्य निवास स्थान आस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड हैं, जहाँ के अनेक प्रकार के रंगीन तोते प्रति वर्ष पकड़कर विदेशों में भेजे जाते हैं। इनमें काकातुआ और मैकॉ (Macaw) आदि बड़े कद के सुंदर तथा रंगीन एवं बजरीका, रोज़ेला और काकाटील छोटे कद के होते हैं।


काकातुआ सफेद और मैकॉ नीले रंग का होता है। बजरीका नीले, पीले, हरे सभी रंग के चित्तीदार होते हैं, जो देखने में बहुत सुंदर लगते हैं। रोज़ेला भी कम सुंदर नहीं होता। इसका सिर लाल, सीना पीला और डैना तथा दुम नीली रहती है। काकाटील का शरीर ऊदा और सफेद तथा सिर पीला रहता है। हमारे देश में भी तोतों की परबत्ता, ढ़ेलहरा, टुइयाँ, मदनगोर आदि कई जातियाँ हैं, लेकिन ये सब प्राय: हरे रंग की होती हैं।


तोते झुंड में रहनेवाले पक्षी हैं, जिनके नर मादा एक जैसे होते हैं। इनकी उड़ान नीची और लहरदार, लेकिन तेज होती है। इनका मुख्य भोजन फल और तरकारी है, जिसे ये अपने पंजों से पकड़कर खाते रहते हैं। यह पक्षियों के लिये अनोखी बात है।तोते की बोली कड़ी और कर्कश होती है, लेकिन इनमें से कुछ सिखाए जाने पर मनुष्यों की बोली की हूबहू नकल कर लेते हैं। इसके लिये अफ्रीका का स्लेटी तोता (Psittorcu erithacus) सबसे प्रसिद्ध है।


तोता एकपत्नीव्रती पक्षी है। इसकी मादा पेड़ के कोटर या तनों में सुराख काटकर 1 से 12 तक सफेद अंडे देती है।


तोते की आवाज़:-यद्यपि तोता अत्यधिक लोकप्रिय पक्षी है, परंतु यह प्रसिद्धि है कि तोता आपने पालने वाले के प्रति भी बेवफा होता है। कहा जाता है कि तोता चाहे कितने दिनों का पालतू क्यों न हो, पर जब एक बार पिंजरे के बाहर निकल जाता है, तब वह फिर अपने पिंजरे या मालिक की तरफ देखता तक नहीं। इसी आधार पर यह मुहावरा बना है 'तोते की तरह आँखें फेरना या बदलना' अर्थात् बहुत बेमुरौवत होना। हालाँकि स्वाभाविक रूप से यह तोते की अत्यधिक स्वतंत्रताप्रियता का प्रमाण ही है। पूर्वोक्त अर्थ में ही 'तोता-चश्म' पद भी प्रचलित है, अर्थात् जिसकी आँखों में तोते की तरह लिहाज या संकोच का पूर्ण अभाव हो; बेवफा, बेमुरौवत।


सोयाबीन, दलहन नहीं तिलहन

सोयाबीन एक फसल है। यह दलहन के बजाय तिलहन की फसल मानी जाती है। सोयाबीन दलहन की फसल है शाकाहारी मनुष्यों के लिए इसको मांस भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक प्रोटीन होता है। इसका वानस्पतिक नाम गलीसईन मैक्स है।स्थ्य के लिए एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। इसके मुख्य घटक प्रोटीन, कार्बोहाइडेंट और वसा होते है। सोयाबीन में 38-40 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत तेल, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है।


सोयाप्रोटीन के एमीगेमिनो अम्ल की संरचना पशु प्रोटीन के समकक्ष होती हैं। अतः मनुष्य के पोषण के लिए सोयाबीन उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत हैं। कार्बोहाइडेंट के रूप में आहार रेशा, शर्करा, रैफीनोस एवं स्टाकियोज होता है जो कि पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए लाभप्रद होता हैं। सोयाबीन तेल में लिनोलिक अम्ल एवं लिनालेनिक अम्ल प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये अम्ल शरीर के लिए आवश्यक वसा अम्ल होते हैं। इसके अलावा सोयाबीन में आइसोफ्लावोन, लेसिथिन और फाइटोस्टेरॉल रूप में कुछ अन्य स्वास्थवर्धक उपयोगी घटक होते हैं।


सोयाबीन न केवल प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्त्रौत है बल्कि कई शारीरिक क्रियाओं को भी प्रभावित करता है। विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा सोया प्रोटीन का प्लाज्मा लिपिड एवं कोलेस्टेरॉल की मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया है और यह पाया गया है कि सोया प्रोटीन मानव रक्त में कोलेस्टेरॉल की मात्रा कम करने में सहायक होता है। निर्दिष्ट स्वास्थ्य उपयोग के लिए सोया प्रोटीन संभवतः पहला सोयाबीन घटक है।


विश्व का 60% सोयाबीन अमेरिका में पैदा होता है। भारत मे सबसे अधिक सोयाबीन का उत्पादन मध्यप्रदेश करता है। मध्यप्रदेश में इंदौर में सोयाबीन रिसर्च सेंटर है।


सोयाबीन घटकों के निर्दिष्ट स्वास्थ्य कार्य
घटक निर्दिष्ट स्वास्थ्य कार्य,प्रोटीन कोलेस्ट्राल को कम करना, मोटापा कम करना, उम्र बढ़ने से रोकना, कैंसर रोधी,प्रोटीन हाइडोंलाइजेट षोषक, मोटापा कम करना, उच्च रक्त चाप से बचव,लेक्टिन प्रतिरक्षा क्रिया,टिंप्सिन इन्हीबिटर कैंसर रोधी
आहार फाइबर वसा को कम करना, पेट कैंसर रोधी
ऑलिगो-सैकराइड आंतों में पाए जाने वाले बिफीडो बैक्टीरिया के लिए लाभदायक,लिनोलिक एसिड आवश्यक फैटी एसिड, कोलेस्ट्राल को कम करना,लिनोलेनिक एसिड कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम को कम करने में सहायक, एलर्जी रोधक,लेसिथिन वसा को कम करना, स्मृति में सहायक,स्टेरोल वसा को कम करना,टोकोफेरोल कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम को कम करने में सहायक,एंटीऑक्सीडेंट गुण,विटामिन के थक्का रोधी, ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, कैंसर रोधी,विटामिन बी बेरीबेरी रोग रोधीी,फाईटेट कैंसर रोधी,
सैपोनिन वसा को कम करना, एंटीऑक्सीडेंट गुण
आइसोफ्लावॉन ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, कैंसर रोधीी।


संकल्पमयी संसार की विशेषता

गतांक से...
 मेरे प्यारे, इस प्रकार का विचार हमारे प्रऻय: वैदिक साहित्य में आता रहा है। वैदिक साहित्य में भिन्न-भिन्न प्रकार की विवेचनाऐ, भिन्न-भिन्न के क्रियाकलाप उनके (पुरोहित के) मुखारविंद से उत्पन्न हो रहे हैं। वह पुरोहिताम भूवरणस्‍तये ,वेदाचार्य कहता है कि हमारे जीवन में यदि कोई उन्नति दे सकता है तो वह पुरोहित कहलाता है। भगवान मनु ने यही कहा कि राजा के राष्ट्र में पुरोहित होना चाहिए। उसका अपने में बड़ा महत्व माना गया है। देखो पुरोहितानाम भूतम ब्राह्मण लोकाम व्रणहे:, वह पुरोहित कहलाता है जो अपने राष्ट्र और समाज को उन्नत बनाता है। त्रेता के काल में मेरे पुत्रों महात्मा ब्रहमणेश मनु मानो, वस्तुम्‌ ब्रहे कृतम्, रघुकुल में रघुवंश मे पुरोहित की आवश्यकता रहती है और प्रत्येक राष्ट्र में पुरोहित की आवश्यकता रहती है। रघुकुल के जो पुरोहित थे, वशिष्ठ मुनि महाराज बेटा, पुरोहिताम ब्राह्मण ब्रहम: राजा को पराविद्या की शिक्षा देते हैं और राजा उसे अपने में ग्रहण कर लेता है। मेरे प्यारे, मुझे स्मारण आता रहता है त्रेता के काल में जब राम ने लंका को विजय करने के पश्चात अपने गृह में प्रवेश किया। तब उन्होंने वास किया और वास करने के पश्चात अपनी स्थली पर विद्यमान हो गए। विद्यमान होकर के नाना ऋषि-मुनियों को निमंत्रित किया गया और निमंत्रित करने के पश्चात भरत अपना राष्ट्र का अधिकार अपना कर्तव्य जान करके राम को प्रदान करना चाहते थे। उस राष्ट्रीय धरोहर को राम को प्रदान करना चाहते थे। बेटा राम से प्रार्थना की प्रभु आइए अपने राष्ट्र को अपनाइए। मानो इस राष्ट्र का मुझे कोई अधिकार नहीं है। क्योंकि मैं इसका अधिकारी नहीं हूं। राम बोले अमृताम ब्राह्म: इसको तुम ही भोगो मुझे नहीं चाहिए। उन्होंने कहा नहीं मैं नहीं चाहता हूं। प्रभु मैं आपको समर्पित करना चाहता हूं। राष्ट्र स्थली को अपनाइए। हे राम। भरत से कहा सब को निमंत्रित किया जाए। राष्ट्र में जितने अधिकारी है और ऋषि-मुनियों का सब का आगमन होना चाहिए। बेटा सब को निमंत्रित किया और निमंत्रित करने के पश्चात उस राज्यसभा में नाना ॠषिवर नाना विज्ञानवेता मानव सर्वत्र राष्ट्र निमंत्रण के कथन अनुसार अयोध्या में उनका आगमन हुआ और बेटा अगले दिवस प्रातकाल सब आसनों पर विराजमान हो गए। राम ने उपस्थित होकर कहा, ऋषि-मुनियों आज मुझे अपना राष्ट्र देना चाहते हैं परंतु मैं इस राष्ट्र को अपनाना नहीं चाहता। उन्होंने कहा क्यों नहीं चाहते? उन्होंने कहा मैं तपस्या करने जाऊंगा। उस समय महाराजा शिव ने कहा कि है राम आप तपस्या करके आप अपनी क्रियाओं से निवृत्त होने के लिए भी तपस्या आपकी ज्‍यौं की त्‍यौं है। राम ने कहा, प्रभु तुम्हारा वाक्य यथार्थ है। महाराजा शिव के बहुत प्रार्थना करने के पश्चात,  जब महात्मा पुरोहितों से यह कह रहा है। पुरोहित जनों देखो मैं राष्ट्र को नहीं चाहता। तप में जाना चाहता हूं। महात्मा वशिष्ठ मुनि महाराज ने ब्रह्मा से कहा, हे राम, तुम्हें राष्ट्र तो भोगना ही है परंतु त्याग पूर्वक इस राष्ट्र को भोगने वाले बनो। राम ने कहा कि प्रभु मैं इस राष्ट्र को नहीं चाहता जब तक अपने रजोगुण और तमोगुण हमारे शरीर में व्याप्त है। उसे नष्ट करना चाहता हूं। मैं तपस्या में परिणत होना चाहता हूं। उस समय विशेषकर राजा और महात्मा, जन, मानव मौन हो गए और मौन होकर के यह विचार में लगे कि इसको कैसे कार्य रोक दिया जाए। जो राम राजा बने और भरत तपस्वी बन जाए। देखो राष्ट्र का पालन चलता रहे और दोनों तपस्या में परिणत हो जाए।


सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी ...