रविवार, 6 अक्टूबर 2019

कार-बस की भिड़ंत में तीन जिंदा जले

बाडमेर। राजस्थान के बाड़मेर में कार और बस की भिड़ंत में 3 लोगों के जलने की खबर है। इन तीनों लोगों की मौत हो चुकी है। इस दर्दनाक हादसे में दोनों गाड़ियों के जलने की खबर है। दरअसल ये हादसा रामदेव मन्दिर निम्बानिया की ढाणी के पास हुआ जहां बस और कार की आपस में भिड़त हो गई। इस हादसे में मरने वाले तीन लोगों में से एक की पहचान हो गई है। मृतक का नाम धनराज रोडा बताया जा रहा है, जो बाड़मेर के ही रहने वाले थे। रिपोर्ट्स की मानें तो ये हादसा ओवर टेकिंग के चलते हुआ। एक्सीडेंट होते ही बस में आग लग गई।


71 बच्चे फाइलेरिया पॉजिटिव मिले

रायपुर। राज्‍य को फाइलेरिया मुक्‍त बनाने के लिए रेंडम प्रक्रिया के माध्‍यम से स्‍कूली बच्‍चों का सर्वे किया गया। जिसमें रायपुर जिले के 71 बच्चों में फाइलेरिया (हाथी पांव) की पुष्टि होने के बाद स्‍वास्‍थ्‍य विभाग अलर्ट हो गया है।


चिरायु की टीम ने जिले के चयनित 71 स्‍कूलों के पहली और दूसरी कक्षा में अध्‍ययनरत कुल दर्ज 3544 बच्‍चों में से 2737 बच्‍चों का ब्‍लड सेम्‍पल लेकर फाइलेरिया टेस्‍ट स्‍टीप कीट से जांच किया जिसमें 71 बच्‍चों में फाइलेरिया के लक्षण मिले हैं। जबकि 2529 बच्‍चों में फाइलेरिया निगेटीव पाए गए।


सर्वे रिपोर्ट के बाद फाइलेरिया पॉजेटिव बच्‍चों को 12 दिनों तक नियमित दवाईयां दी जा रही है। वहीं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम प्रभावित बच्‍चों के स्‍कूल और निवास स्‍थान के आस-पास कैम्‍प लगाकर प्रभावित परिवार सहित मोहल्‍लों के अन्‍य परिवारों का भी लाइन लिस्टिंग कर हाथी पांव से पीडि़त मरीजों की खोज किया जाएगा।


स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-मोहल्ले में नाइट सर्वे भी करेगी और पीड़ित बच्चों की स्लाइड बनाएगी। फाइलेरिया टांसमिशन असेसमेंट सर्वे-2019 के लिए चयनित रायपुर जिले में हाथी पांव रोग के संक्रमण की जांच के लिए 20 से 30 सितंबर 2019 तक सर्वे किया गया।


इस बीमारी का परजीवी मौजूद
जिला मलेरिया अधिकारी डॉक्टर विमल किशोर रॉय के अनुसार प्रारंभिक जांच से पता चला कि इन बच्चों के अंदर इस बीमारी का परजीवी मौजूद है। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय वेक्‍टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जल जनित रोगों को दूर करने के लिए चिरायु की 11 टीम सर्वे के बाद स्‍थानीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अमले को निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।


डॉ राय ने बताया जिले के चार ब्‍लॉक अभनपुर के 12 स्‍कूल में 9, आरंग के 13 स्‍कूल में 16 , तिल्‍दा के 12 स्‍कूल में 23, धरसींवा के 11 स्‍कूल में 6 और राजधानी रायपुर व बिरगांव नगर निगम क्षेत्र के 23 स्‍कूलों में 17 बच्‍चों में फाइलेरिया के लक्षण मिलने की पुष्टि की गई है।


फाइलेरिया उन्‍नमूलन के लिए रायपुर में 80, बलौदाबाजार में 49, गरियाबंद में 79 और महासमुंद में 73 चिंहाकिंत सरकारी और निजी स्‍कूलों में सर्वे किया गया। डॉक्टर राय ने बताया, फ़ाइलेरिया को हाथीपांव भी कहा जाता है।


इसे ग्रसित लोगों का जीवन बहुत कष्ट दाई होता है हालांकि यह जान लेवा नहीं होता है लेकिन इसका इलाज नहीं होता है। यह रोग मूलत गरीबी अवस्‍था में जीवन यापन करने वालों में पाया जाता है। इस रोग के कारण कार्यक्षमता प्रभावित होने से रोगी की आर्थिक स्थिति और खराब होते जाती है।


घबराएं नहीं, सरकारी अस्पताल जाएं
मुख्‍य स्‍वास्‍थ्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ श्रीमती मीरा बघेल ने बताया, किसी को फाइलेरिया बीमार के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निशुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।


उन्‍होंने बताया सर्वे में लिए गए रक्त के नमूने की जांच में ये पता किया जाता है कि मरीज के रक्त में परजीवी की संख्या कितनी है। इसके बाद मरीज का उपचार शुरू किया जाता है। मरीज को 12 दिन की दवा की खुराक दी जाती है इससे बीमारी के परजीवी मर जाता है। और मरीज इस रोग के दुष्‍प्रभाव से बच जाता है। फाइलेरिया के बीमारी से बचाव के लिए लोगों में जागरुकता जरुरी है।


कैसे फैलता है रोग
फाइलेरिया को हाथी पांव रोग भी कहा जाता है। ये रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने की वजह से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है। ये मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेगी।


चिंपांजी पेंटिंग के रिकॉर्ड तोड़ मूल्य

नई दिल्ली। पेंटिंग बनाने वाले कलाकरों की अलग-अलग पेंटिंग दुनिया भर में भारी कीमत पर बिकती है और अपने घरों में शौक से पेंटिंग लगाने वाले लोग अच्छी कलाकृति को मनचाहे दाम पर खरीदना भी चाहते है। आज हम आपको एक ऐसी पेंटिंग के बारे में बताने जा रहे है जो रिकॉर्ड कीमत में बिकी है। हम बात कर रहे है लंदन में एक गुमनाम पेंटर द्वारा बनाई गई ब्रिटिश संसद  'हाउस ऑफ कॉमन्स' में बैठे चिम्पांजियों वाली पेंटिंग की जिसे साल 2009 में बनाया गया था। शुरुआत में इस पेंटिंग की कीमत 13 से 20 करोड़ करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन नीलामी में यह करीब 86.41 करोड़ रुपये में बिकी। इस पेंटिंग का शीर्षक है 'डिवॉल्व्ड पार्लियामेंट'। नीलामी में इस पेंटिंग को खरीदने के लिए कुल 10 लोगों ने बोली लगाई थी। 13 फीट लंबी यह पेंटिंग महज 13 मिनट में ही बिक गई। 'ब्रिटिश संसद में बैठे चिम्पांजी' वाली पेंटिंग बनाने वाले पेंटर ने शुरुआत में इसका नाम 'क्वेश्चन टाइम' रखा था, लेकिन इसी साल मार्च महीने में ब्रिस्टल म्यूजियम में इसकी प्रदर्शनी से एक दिन पहले उसने इसका नाम बदल कर 'डिवॉल्व्ड पार्लियामेंट' रख दिया। इस पेंटिंग की तस्वीर बैंक्सी नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट पर डाली गई थी। पेंटर के एक पूर्व सहयोगी ने बताया कि इस पेंटिंग को खरीदने वाले ने इसमें जरूर मौद्रिक मूल्य से अधिक कुछ देखा होगा, तभी इसे खरीदा है। अगर वह सिर्फ पैसे को अहमियत देते तो सोने में निवेश नहीं करते।


बिहार: बारिश के बाद डेंगू का डेरा

पटना। जलजमाव के बाद शहर पर डेंगू का कहर टूट पड़ा है शनिवार को एक दिन में सर्वाधिक 85 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। ये सभी के सभी मरीज पटना जिले के ही हैं। पीएमसीएच के वायरोलॉजी डिपार्टमेंट में तैयार हो रही अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन में मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या है।


इसके साथ ही इस मौसम में डेंगू मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 775 हो गया है। इसके पहले शुक्रवार को एक दिन में 67 मरीज डेंगू से प्रभावित मिले थे। वहीं, गुरुवार को दो दिनों में अस्पताल में 58 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई थी।


डॉक्टरों के मुताबिक घरों के आस पास जमा बारिश का पानी भी इसका एक कारण हो सकता है। डेंगू के अलावा चिकुनगुनिया के 23 मरीज और दिमागी बुखार यानी जेई के 46 रोगी भी इस सीजन में अबतक मिल चुके हैं। इस कारण तुरंत घरों में जमा साफ पानी को गिरा दें और घर के आगे जमा पानी पर किरासन तेल डाल दें। शनिवार को पीएमसीएच के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में डेंगू के सात नये मरीज भर्ती हुए हैं। इलाज डेंगू वार्ड में किया जा रहा है। लंगरटोली का 15 वर्षीय आशाब, चिरैयांटांड की हेमा कुमारी, नटराज गली के विश्वेश्वर साह, मसौढ़ी के नंदबिहारी, दानापुर की नेहा कुमारी, फुलवारी की रोशन खातून और वैशाली के रोशन कुमार शामिल हैं। पीएमसीएच के ब्लड बैंक, रेडक्रॉस सोसायटी और जयप्रभा मॉडल ब्लड बैंक की ओर से मरीजों के परिजनों को प्लेटलेट्स मुहैया कराये जा रहे हैं। पंचलोक डाइग्नोस्टिक सेंटर के साथ डेंगू का निःशुल्क टेस्ट शिविर आयोजित किया जा रहा है।


85 मरीजों में डेंगू की पुष्टि एक दिन में 775 डेंगू की पुष्टि अब तक जांच में मिले डेंगू के चार मरीज
पटना सिटी। नालंदा  मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शनिवार को 18 सैंपल  की जांच की गयी, जिनमें चार में  डेंगू होने की पुष्टि हुई, जबकि 14 की   रिपोर्ट निगेटिव मिली। विभागाध्यक्ष डॉ हीरा लाल महतो ने बताया कि  अब तक  डेंगू के 477 मरीजों की जांच हुई है। इनमें 100 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है, जबकि  377 मरीज  की रिपोर्ट निगेटिव मिली है। चिकनगुनिया के दो मरीजों की जांच हुई, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव मिली। विभागाध्यक्ष ने बताया कि चिकनगुनिया के 76 मरीजों की जांच हो चुकी  है। चार में बीमारी की पुष्टि हुई है, जबकि 72 की रिपोर्ट निगेटिव  मिली है।


ठंडे प्रदेश से आई लोकाट की प्रजाति

Loquat ( एरीओबोट्री जपोनिका ; कैंटोनीज़ चीनी से: at E ; ज्युटिंग : lou4-gwat1 ) परिवार Rosaceae में फूलों के पौधे की एक प्रजाति है, जो दक्षिण-मध्य चीन के ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों के मूल निवासी है। यह जापान, कोरिया, भारत के पहाड़ी क्षेत्रों (हिमाचल), पाकिस्तान के पुटोहर और तलहटी क्षेत्रों में भी काफी आम है और कुछ फिलीपींस के उत्तरी भाग में, और श्रीलंका में पहाड़ी देश में पाया जा सकता है । [ उद्धरण वांछित ] यह कुछ दक्षिणी यूरोपीय देशों जैसे तुर्की , साइप्रस , ग्रीस , माल्टा , इटली , अल्बानिया , मोंटेनेग्रो , क्रोएशिया , स्लोवेनिया , फ्रांस , स्पेन और पुर्तगाल में भी पाया जा सकता है ; और मोरक्को , अल्जीरिया सहित कई उत्तरी अफ्रीकी देशों और मध्य पूर्व में जैसे ईरान , सीरिया , इराक , जॉर्डन , फिलिस्तीन , इज़राइल और लेबनान । यह केन्या के पूर्वी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में भी पाया जाता है।


यह एक बड़ा सदाबहार झाड़ी या पेड़ है , जो अपने पीले फल के लिए व्यावसायिक रूप से उगाया जाता है, और एक सजावटी पौधे के रूप में भी खेती की जाती है।


एरोबोट्री जापोनिका को पहले जीनस मेस्पिलस से निकटता से संबंधित माना जाता था, और अभी भी कभी-कभी जापानी पदक के रूप में जाना जाता है। इसे जापानी बे और चीनी बेर , के रूप में भी जाना जाता है। इसे चीन में पीपा और इटली में नेस्पोला के नाम से भी जाना जाता है।


उपयोगी गुड़ के अनेक फायदे

गुड़ एक मीठा ठोस खाद्य पदार्थ है जो ईख, ताड़ आदि के रस को उबालकर कर सुखाने के बाद प्राप्त होता है। इसका रंग हल्के पीले से लेकर गाढ़े भूरे तक हो सकता है। भूरा रंग कभी-कभी काले रंग का भी आभास देता है। यह खाने में मीठा होता है। प्राकृतिक पदार्थों में सबसे अधिक मीठा कहा जा सकता है। अन्य वस्तुओं की मिठास की तुलना गुड़ से की जाती हैं। साधारणत: यह सूखा, ठोस पदार्थ होता है, पर वर्षा ऋतु जब हवा में नमी अधिक रहती है तब पानी को अवशोषित कर अर्धतरल सा हो जाता है। यह पानी में अत्यधिक विलेय होता है और इसमें उपस्थित अपद्रव्य, जैसे कोयले, पत्ते, ईख के छोटे टुकड़े आदि, सरलता से अलग किए जा सकते हैं। अपद्रव्यों में कभी कभी मिट्टी का भी अंश रहता है, जिसके सूक्ष्म कणों को पूर्णत: अलग करना तो कठिन होता हैं किंतु बड़े बड़े कण विलयन में नीचे बैठ जाते हैं तथा अलग किए जा सकते हैं। गरम करने पर यह पहले पिघलने सा लगता है और अंत में जलने के पूर्व अत्यधिक भूरा काला सा हो जाता है।


गुड़ का उपयोग मूलतः दक्षिण एशिया में किया जाता है। भारत के ग्रामीण इलाकों में गुड़ का उपयोग चीनी के स्थान पर किया जाता है। गुड़ लोहतत्व का एक प्रमुख स्रोत है और रक्ताल्पता (एनीमिया) के शिकार व्यक्ति को चीनी के स्थान पर इसके सेवन की सलाह दी जाती है। गुड़ के एक अन्य हिन्दी शब्द जागरी का प्रयोग अंग्रेजी में इसके लिए किया जाता है।


गुड़ बनाने की विधियाँ 
उपयोग:-गुड़ उपयोगी खाद्य पदार्थ माना जाता है। इसका उपयोग भारत में अति प्राचीन काल से होता आ रहा है। भारत की साधारण जनता इसका व्यापक रूप में उपयोग करती है तथा यह भोजन का एक आवश्यक व्यंजन है। इसमें कुछ ऐसे पौष्टिक तत्व विद्यमान रहते हैं जो चीनी में नहीं रहते। स्वच्छ चीनी में केवल चीनी ही रहती हैं, पर गुड़ में 90 प्रतिशत के लगभग ही चीनी रहती है। शेष में ग्लूकोज, खनिज पदार्थ, विटामिन आदि स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी पदार्थ भी रहते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं तथा भोज्य पदार्थों में विभिन्न रूपों में इसका उपयोग होता है।


संकल्प: राम-भरत संवाद

राम-भरत संवाद
देखो मुनीवरो, आज हम तुम्हारे समक्ष पूर्व की भांति कुछ मनोहर वेद मंत्रों का गुणगान गाते चले जा रहे हैं। यह भी तुम्हें प्रतीत हो गया होगा। आज हमने पूर्व से जिन वेद मंत्रों का पठन-पाठन किया है। हमारे यहां परंपरागतो से उस मनोहर वेद वाणी का प्रसार होता रहता है। जिस पवित्र वेद वाणी में उस परमपिता परमात्मा की महिमा का गुणगान किया जाता है। क्योंकि वह परमपिता परमात्मा आनंदमई माने गए हैं और जितना भी यह जड़ जगत अथवा चेतन्‍य जगत हमें दृष्टिपात आ रहा है। उस सर्वत्र ब्रम्हांड के मूल में प्राय: वह परमपिता परमात्मा दृष्टिपात आते रहते हैं। उस परमपिता परमात्मा की महिमा अथवा उसका जो अग्नि मई रूप है जो तजोमयी कहलाता है ।आज हम तेजोमयी परमपिता परमात्मा की महिमा अथवा उसके गुणों का गुणवादन करते रहे हैं। क्योंकि वह परमपिता परमात्मा अनंतमई माने गए हैं। और वह हमारे पुरोहित है जो परा विद्या को प्रदान करने वाले हैं। मानव ही पुरोहित कहलाते हैं। इसलिए हमारे यहां पर उस परमपिता परमात्मा को पुरोहित के रूप में वर्णित किया गया है। और प्रत्येक मानव उसे वर लेता है। और उसे अपना पुरोहित बना करके उससे परा विद्या को अपने में धारण करने वाला है। इसलिए हम उस परमपिता परमात्मा जो परा विद्या का देने वाला है। जिस विद्या को धारण करने के पश्चात मानव का जीवन पवित्र बन जाता है और उस विद्या के अनुपम रहस्य को जानता हुआ मानव अपने कर्मकांड की ओर भी नाना पद्धति को अपनाने के लिए तत्पर हो जाता है। इसलिए हम उस परमपिता परमात्मा की महिमा अथवा उसके गुणों का अभिवादन करते चले जाएं। वह परमपिता परमात्मा हमारा पुरोहित है और पुरोहित उसे कहा जाता है जो परा विद्या को जानने वाला है। जो परा विद्या में रत रहने वाला है। मानो उसी का दिया हुआ यह अनुपम ज्ञान और विद्या है। मानव उसी के आश्रित रहता हुआ अपनी मानवीयता को पवित्र बनाता रहता है। आज हम अपने परम देव पुरोहित के लिए सदैव गान गाते रहें। क्योंकि यहां तो प्रत्येक मानव अपने पुरोहित को जानने के लिए सदैव तत्पर रहा है और यह विचार ता है कि मैं आज पुरोहित को अपने में अपनाता हूं मैं परम पिता परमात्मा के अनुपम क्षेत्र में रमण करने वाला वह परमपिता परमात्मा जो पुरोहित है। जिसकी विद्या को जानने के लिए मानव समाज इच्छुक रहता है। और भी नाना महापुरुष उनके ज्ञान को जानने के लिए तत्पर रहे हैं। वह परमपिता परमात्मा जो हमारा पुरोहित है जो इस ब्रह्मांड का पुरोहित है। जो मानव को परा विद्या प्रदान करने वाला है। उसे ही पुरोहित कहा जाता है। आज इस पुरोहित के लिए हम सदैव गुणगान गाते रहे हैं। पुरोहितानाम्‌ भविताम ब्रह्म: वही तो पुरोहित है। जो परमात्मा परब्रह्म के स्वरूप में विद्यमान है। हमारे यहां पुरोहितों के संबंध में भिन्न भिन्न प्रकार की विवेचना की गई है। जब हम पुरोहितों के लिए अपने विवेचना अथवा अपने लिए तत्पर होते हैं तो है पुरोहितनाम्‌ भविताम ब्रह्मा: जो पुरोहित बनकर के मानव के लिए जनकल्याण के लिए विचारता रहता है और अपने संपर्क में लाता हुआ अपने को उस में आहूत कर देता है। विचार विनिमय क्या है? हम पुरोहित की उपासना करने वाले बने, उन पुरोहित को जानते रहे जो परा विद्या को देने वाला है। जो मानव को मानवता की आभा में परिणत कर देता है। तो बेटा, वह पुरोहित कहा जाता है। एक पुरोहितनाम्‌ यज्ञम भव्यतम ब्राह्मण: यह जो संसार रूपी एक प्रकार की यज्ञशाला हैं। इस यज्ञ शाला में मानो आप ही तो पुरोहित बने हुए हैं। जो परा विद्या के अंकुरों को हमें परिणत करते रहते हैं और उसी परा विद्या को धारण करते हुए, हम सागर से पार हो जाते हैं। देखो पुरोहितजन प्रत्येक ग्रह में परिणत होता है।


पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...