शनिवार, 5 अक्टूबर 2019

बैंक खाते के आधार पर देंगे लोन

SBI बिना दस्तावेजों के त्यौहारों पर दे रहा है लोन, जानें कैसे कर सकते हैं अप्लाई


नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक जयपुर (एसबीआई) मण्डल द्वारा आयोजित लोन मेले में दो दिन में 250 करोड़ रुपये के ॠण आवेदन प्राप्त हुए हैं। बैंक के मुख्य महाप्रबंधक रविन्द्र पाण्डेय ने बताया कि बैंक की ओर से ऑनलाइन लोन आवेदन की व्यवस्था की है, इसके तहत लोन लेने के इच्छुकों को किसी तरह के दस्तावेज पेश करने की जरूरत नहीं है। उनका समस्त विवरण भी उनके बैंक खाते में दर्शाये विवरण से हासिल कर लिया जाएगा। इस व्यवस्था के तहत मौके पर ही ॠण स्वीकृत किये जा रहे हैं। इससे लोन प्रक्रिया का समय, कागजी खर्च एवं ग्राहक को होने वाली असुविधा से बचा जा रहा है।


इसमें ग्राहक को एक ही जगह होम लाने, कार लोन, एमएसई, मुद्रा आदि की सुविधाएं प्राप्त हो रहीं हैं तथा एक ही छत के नीचे सभी बैंक एवं वित्तीय संस्थानों का विकल्प ग्राहक के पास उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि सभी ऋणों की स्वीकृति ऑनलाइन वैरिफिकेशन के द्वारा ग्राहक को मोबाइल पर ही भेजी जा रही है।


अधिकारी ने बताया कि त्योहारी सीजन में बाज़ार एवं अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिये भारत सरकार के वित्तीय सेवाएं विभाग के अभियान 'ग्राहक संपर्क -पहल' के तहत आयोजित किया। उन्होंने बताया कि इस ऋण मेले में एक छत के नीचे सभी राष्ट्रीयकृत बैंक, निजी बैंक और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों ने भाग लिया। इस आयोजन का सारा प्रबंधन एसबीआई द्वारा ही संभाला जा रहा है।


कैश वैन से एक करोड 57 लाखे लूटे

बेमेतरा। बेमेतरा में कैश वैन से 1 करोड़ 57 लाख रूपए की लूट को अंजाम दिया गया है। झाल गांव के पास 4 युवकों ने कैश वैन में लूट की वारदात की है। पुलिस सरगर्मी से आरोपियों की तलाश में जुट गई है।


बताया जा रहा है गांव के पास कैश वैन की टायर पंचर हो गई थी। सड़क किनारे खड़ी वैन पर 4 युवकों ने धावा बोलकर वैन से 1 करोड़ 57 लाख रूपए लूटकर फरार हो गए। शिकायत पर पुलिस आरोपियों के बताए हुलिए के आधार पर सर्चिंग तेज कर दी है। पुलिस की माने तो आरोपी जल्द पकड़े जाएंगे।


स्थाई संपत्ति में वृद्धि के योग:वृष

राशिफल


मेष-कोर्ट-कचहरी तथा सरकारी कार्यालयों में अटके काम पूरे हो सकते हैं तथा स्थिति सुधरेगी। आय में वृद्धि होगी। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। घर में व्यय होगा। किसी दुविधा से निर्णय लेने की क्षमता कम होगी। बुद्धि का प्रयोग करें। प्रमाद न करें।


वृष-स्थायी संपत्ति में वृद्धि के योग हैं। कोई कारोबारी बड़ा सौदा हो सकता है। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में चैन रहेगा। किसी लंबे कारोबारी प्रवास की योजना बन सकती है। समय की अनुकूलता का लाभ लें। प्रसन्नता रहेगी।


मिथुन-विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य में सफलता हासिल करेगा। अध्ययन आदि में एकाग्रता रहेगी। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। किसी मनोरंजक यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। नौकरी में कोई नया कार्य कर पाएंगे। उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।


कर्क-जोखिम व जमानत के कार्य टालें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। बनते काम बिगड़ सकते हैं। दौड़धूप अधिक होगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। कारोबार में लाभ होगा। आय होगी। धैर्य रखें।


सिंह-प्रयास सफल रहेंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। नौकरी में कार्यभार रहेगा। अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेश शुभ फल देंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। जल्दबाजी न करें।


कन्या-दूर से उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। निवेश में जल्दबाजी न करें। आय बनी रहेगी। उत्साह से काम कर पाएंगे।


तुला-रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। आय में वृद्धि होगी। कोई बड़ा रुका हुआ कार्य पूर्ण होने के योग हैं। कारोबार अच्‍छा चलेगा। उत्साह बना रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।


वृश्चिक-फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधान रहें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। कारोबार ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे।


धनु-व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। काम में मन लगेगा। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण बनेगा। कारोबार अच्‍छा चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जीवन सु्‍खमय रहेगा।


मकर-कार्यकारी नए काम मिल सकते हैं। योजना फलीभूत होगी। प्रभावशाली लोगों का सहयोग प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेशादि लाभदायक रहेंगे। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।


कुंभ-अध्यात्म में रुचि रहेगी। किसी संत-महात्मा का आशीर्वाद मिल सकता है। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। नौकरी में चैन रहेगा। विवाद से बचें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बेकार बातों पर ध्यान न दें। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। प्रमाद न करें।


मीन-क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। नकारात्मकता रहेगी। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा।


ज्वार अन्न नहीं,चारे के लिए

ज्वार (Sorghum vulgare ; संस्कृत : यवनाल, यवाकार या जूर्ण) एक प्रमुख फसल है। ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनों के लिए बोई जाती हैं। ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पौष्टिक चारा हैं। भारत में यह फसल लगभग सवा चार करोड़ एकड़ भूमि में बोई जाती है। यह खरीफ की मुख्य फसलों में है। यह एक प्रकार की घास है जिसकी बाली के दाने मोटे अनाजों में गिने जाते हैं।


परिचय:-सिंचाई करके वर्षा से पहले एवं वर्षा आरंभ होते ही इसकी बोवाई की जाती है। यदि बरसात से पहले सिंचाई करके यह बो दी जाए, तो फसल और जल्दी तैयार हो जाती है, परंतु बरसात जब अच्छी तरह हो जाए तभी इसका चारा पशुओं को खिलाना चाहिए। गरमी में इसकी फसल में कुछ विष पैदा हो जाता है, इसलिए बरसात से पहले खिलाने से पशुओं पर विष का बड़ा बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यह विष बरसात में नहीं रह जाता है। चारे के लिये अधिक बीज लगभग 12 से 15 सेर प्रति एकड़ बोया जाता है। इसे घना बोने से हरा चारा पतला एवं नरम रहता है और उसे काटकर गाय तथा बैलों को खिलाया जाता है। जो फसल दाने के लिये बोई जाती है, उसमें केवल आठ सेर बीज प्रति एकड़ डाला जाता है। दाना अक्टूबर के अंत तक पक जाता है भुट्टे लगने के बाद एक महीने तक इसकी चिड़ियों से बड़ी रखवाली करनी पड़ती है। जब दाने पक जाते हैं तब भुट्टे अलग काटकर दाने निकाल लिए जाते हैं। इसकी औसत पैदावार छह से आठ मन प्रति एकड़ हो जाती है। अच्छी फसल में 15 से 20 मन प्रति एकड़ दाने की पैदावार होती है। दाना निकाल लेने के बाद लगभग 100 मन प्रति एकड़ सूखा पौष्टिक चारा भी पैदा होता है, जो बारीक काटकर जानवरों को खिलाया जाता है। सूखे चारों में गेहूँ के भूसे के बाद ज्वार का डंठल तथा पत्ते ही सबसे उत्तम चारा माना जाता है।


यह अनाज संसार के बहुत से भागों में होता है। भारत, चीन, अरब, अफ्रीका, अमेरिका आदि में इसकी खेती होती है। ज्वार सूखे स्थानों में अधिक होती है, सीड़ लिए हुए स्थानों में उतनी नहीं हो सकती। भारत में राजस्थान, पंजाब आदि में इसका ब्यवहार बहुत अधिक होता है। बंगाल, मद्रास, बरमा आदि में ज्वार बहुत कम बोई जाती है। यदि बोई भी जाती है तो दाने अच्छे नहीं पडते। इसका पौधा नरकट की तरह एक डंठल के रूप में सीधा ५-६ हाथ ऊँचा जाता है। डंठल में सात सात आठ आठ अंगुल पर गाँठें होती हैं जिनसे हाथ डेढ़ हाथ लंबे तलवार के आकार के पत्ते दोनों ओर निकलते हैं। इसके सिरे पर फूल के जीरे और सफेद दानों के गुच्छे लगते हैं। ये दाने छोटे छोटे होते हैं और गेहूँ की तरह खाने के काम में आते हैं।


ज्वार कई प्रकार की होती है जिनके पौधों में कोई विशेष भेद नहीं दिखाई पड़ता। ज्वार की फसल दो प्रकार की होती है, एक रबी, दूसरी खरीफ। मक्का भी इसी का एक भेद है। इसी से कहीं कहीं मक्का भी ज्वार ही कहलता है। ज्वार को जोन्हरी, जुंडी आदि भी कहते हैं। इसके डंठल और पौधे को चारे के काम में लाते हैं और 'चरी' कहते हैं। इस अन्न के उत्पत्तिस्थान के संबंध में मतभेद है। कोई कोई इसे अरब आदि पश्चिमी देशों से आया हुआ मानते हैं और 'ज्वार' शब्द को अरबी 'दूरा' से बना हुआ मानते हैं, पर यह मत ठीक नहीं जान पड़ता। ज्वार की खेती भारत में बहुत प्राचीन काल से होती आई है। पर यह चारे के लिये बोई जाती थी, अन्न के लिये नहीं।


उल्लू के साथ जुड़ी है कई विशेषताएं

उल्लू एक ऐसा पक्षी है जिसे दिन कि अपेक्षा रात में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है। इसके कान बेहद संवेदनशील होते हैं। रात में जब इसका कोई शिकार (जानवर) थोड़ी सी भी हरकत करता है तो इसे पता चल जाता है और यह उसे दबोच लेता हैl इसके पैरों में टेढ़े नाखूनों-वाली चार-चार अंगुलियां होती हैं जिससे इसे शिकार को दबोचने में विशेष सुविधा मिलती हैl चूहे इसका विशेष भोजन हैंl उल्लू लगभग संसार के सभी भागों में पाया जाता हैl


जिन पक्षियों को रात में अधिक दिखाई देता है, उन्हें रात का पक्षी (Nocturnal Birds) कहते हैं। बड़ी आंखें बुद्धिमान व्यक्ति की निशानी होती है और इसलिए उल्लू को बुद्धिमान माना जाता है। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है पर ऐसा विश्वास है। यह विश्वास इस कारण है, क्योंकि कुछ देशों में प्रचलित पौराणिक कहानियों में उल्लू को बुद्धिमान माना गया है। प्राचीन यूनानियों में बुद्धि की देवी, एथेन के बारे में कहा जाता है कि वह उल्लू का रूप धारकर पृथ्वी पर आई हैं। भारतीय पौराणिक कहानियों में भी यह उल्लेख मिलता है कि उल्लू धन की देवी लक्ष्मी का वाहन है और इसलिए वह मूर्ख नहीं हो सकता है। हिन्दू संस्कृति में माना जाता है कि उल्लू समृद्धि और धन लाता है।


लीची की खेती एवं उपजाति

लीची का मध्यम ऊंचाई का सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 15-20 मीटर तक होता है, ऑल्टर्नेट पाइनेट पत्तियां, लगभग 15-25 सें.मी. लम्बी होती हैं। नव पल्लव उजले ताम्रवर्णी होते हैं और पूरे आकार तक आते हुए हरे होते जाते हैं। पुष्प छोटे हरित-श्वेत या पीत-श्वेत वर्ण के होते हैं, जो कि 30 सें.मी. लम्बी पैनिकल पर लगते हैं। इसका फल ड्रूप प्रकार का होता है, 3-4 से.मी. और 3 से.मी व्यास का। इसका छिलका गुलाबी-लाल से मैरून तक दाने दार होता है, जो कि अखाद्य और सरलता से हट जाता है। इसके अंदर एक मीठे, दूधिया श्वेत गूदे वाली, विटामिन- सी बहुल, कुछ-कुछ छिले अंगूर सी, मोटी पर्त इसके एकल, भूरे, चिकने मेवा जैसे बीज को ढंके होती है। यह बीज 2X1.5 नाप का ओवल आकार का होता है और अखाद्य होता है। इसके फल [[जुलाई ]] से अक्टूबर में फ़ूल के लगभग तीन मास बाद पकते हैं। इसकी दो उप-जातियां हैं:-लीची चिनेन्सिस, उपजाति:chinensis, : चीन, इंडोनेशिया, लाओस, कम्बोडिया में। पत्तियां 4-8|


लीची चिनेन्सिस, उपजाति: फिलीपिनेन्सिस: फिलीपींस, इंडोनेशिया, पत्तियां 2-4|
खेती और प्रयोग:-दक्षिण चीन में यह बहुतायत में उगायीं जातीं हैं, इसके साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया खासकर थाईलैंड, लाऔस, कम्बोडिय वियतनाम बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत, दक्षिणी जापान, ताईवान में। और अब तो यह कैलिफ़ोर्निया, हवाई और फ्लोरिडा में भी उगायी जाने लगी है। देहरादून में कुछ बहुत से स्वादिष्ट फलों की खेती होती है। इनमें प्रमुख है- लीची। लीची की खेती देहरादून में १८९० से ही प्रचलित है। हालांकि शुरुआत में लीची की खेती यहां के लोगों में उतनी लोकप्रिय नहीं थी। पर १९४० के बाद इसकी लोकप्रियता जोर पकड़ने लगी। इसके बाद तो देहरादून के हर बगीचे में कम से कम दर्जन भर लीची के पेड़ तो होते ही थे। १९७० के करीब देहरादून लीची का प्रमुख उत्पादक बन गया। देहरादून के विकास नगर, नारायणपुर, वसंत विहार, रायपुर, कालूगढ़, राजपुर रोड और डालनवाला क्षेत्र में लगभग ६५०० हेक्टेयर भूमि पर इस स्वादिष्ट फल की खेती होती है। लेकिन अब लीची की खेती में भारी कमी आई है। अब लीची की खेती सिर्फ ३०७० हेक्टेयर भमि पर ही होती है


लीची वियतनाम, चीनी और दक्षिण एशियाई बाजारों में ताज़ी बिकतीं हैं और विश्व भर के सुपरमार्किटों में भी। इसके प्रशीतन में रखने पर भी इसका स्वाद नहीं बदलता है, हां रंग कुछ भूरेपन पर आ जाता है।


संकल्पमयी संसार की संरचना

गतांक से...
हे मानव, तू अपने जीवन में महानता के लिए सदैव गमन करता रहता है। इसी से तेरे जीवन की प्रतिभा बनकर के रहे। विचार-विनिमय क्या है? 'रामम्‌ ब्रह्म कीर्तम्‌' माता कौशल्या के गर्भ से पुत्र का जन्म हुआ और जन्म होते ही उन्होंने अपने में ओम का उद्गीत गाया। बालक जब जन्म लेता है, माता के गर्भ से तो है स्वरों में देव भाषा और देव का रुदन करना, वह आरंभ करता है। मानव देखो अपने में वर्णह संभवे, बालक का जन्म हुआ है। आज अपने विचारों को विराम देता हूं मैं बहुत दूर चला गया हूं। विचार यह दे रहा था कि वेद का मंत्र हमें यह कहता है कि हे मानव तू संकल्पवादी बन करके उस प्रभु की रचना को विचारने वाला बन। प्रभु का यह ब्रह्मांड रचा हुआ है। जब सृष्टि का प्रारंभ होता है तो परमपिता परमात्मा की उग्र क्रिया से, क्योंकि उग्र क्रिया का नाम तप कहलाता है। उग्र क्रिया  ही मानव्य तप कहलाता है। परमपिता परमात्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो प्रभु का संकल्प मात्र ही एक उग्र क्रिया बनी और वह उग्र क्रिया बनी तो प्राण सत्ता गतिमान हो गया। जब रेत्‍तस: अपने में गतिमान हुआ, तो प्राण ने उसका पिंड बना दिया और पिंड के रूप में यह लोख लोकांतार दृष्टिपात आते रहते हैं। मेरे प्यारे, मैं विशेष चर्चा करने नहीं आया हूं। विचार यह देने के लिए आया हूं कि हम अपने में महान बनने का प्रयास करते रहे। संकल्प में, जगत संकल्पों को अपने में धारण करें। महान बनने का प्रयास करें। विचार आता रहता है वेद का मंत्र कहता है कि जितना भी यह जड़ जगत और चेतन्‍य जगत हमें दृष्टिपात आ रहा है। उस सर्वत्र ब्रह्मांड के मूल में मेरा वह प्रभु दृष्टिपात आता रहता है। वह पुरोहित है ,वह धन्य कहलाता है वह महान है और पवित्रता मेरठ रहने वाला है। उस परमपिता परमात्मा की महिमा का गुणगान गाते हुए अपनी महानता में गमन करते रहे। आज का वाक्य यहीं पर स्थिर होता है। अब समय मिलेगा तो मैं तुम्हें शेष चर्चाएं कल प्रकट करूंगा। अब वेद का पठन-पाठन होगा। इसके पश्चात यह वार्ता समाप्त हो जाएगी।
ओम देवाहा अभ्याम रुद्राहा षा मामृहि तमत्वा वाचन नम:।
ओ देवम भद्रा: वायु रथम ओपाहा।
ओम संजनहा वायु गतम अपाहा ऋषि:।


न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जनपद के टाउन हॉल में मंगलवार को सामाजिक न्याय क्रांति मोर्चा ...