शनिवार, 5 अक्टूबर 2019

उल्लू के साथ जुड़ी है कई विशेषताएं

उल्लू एक ऐसा पक्षी है जिसे दिन कि अपेक्षा रात में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है। इसके कान बेहद संवेदनशील होते हैं। रात में जब इसका कोई शिकार (जानवर) थोड़ी सी भी हरकत करता है तो इसे पता चल जाता है और यह उसे दबोच लेता हैl इसके पैरों में टेढ़े नाखूनों-वाली चार-चार अंगुलियां होती हैं जिससे इसे शिकार को दबोचने में विशेष सुविधा मिलती हैl चूहे इसका विशेष भोजन हैंl उल्लू लगभग संसार के सभी भागों में पाया जाता हैl


जिन पक्षियों को रात में अधिक दिखाई देता है, उन्हें रात का पक्षी (Nocturnal Birds) कहते हैं। बड़ी आंखें बुद्धिमान व्यक्ति की निशानी होती है और इसलिए उल्लू को बुद्धिमान माना जाता है। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है पर ऐसा विश्वास है। यह विश्वास इस कारण है, क्योंकि कुछ देशों में प्रचलित पौराणिक कहानियों में उल्लू को बुद्धिमान माना गया है। प्राचीन यूनानियों में बुद्धि की देवी, एथेन के बारे में कहा जाता है कि वह उल्लू का रूप धारकर पृथ्वी पर आई हैं। भारतीय पौराणिक कहानियों में भी यह उल्लेख मिलता है कि उल्लू धन की देवी लक्ष्मी का वाहन है और इसलिए वह मूर्ख नहीं हो सकता है। हिन्दू संस्कृति में माना जाता है कि उल्लू समृद्धि और धन लाता है।


लीची की खेती एवं उपजाति

लीची का मध्यम ऊंचाई का सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 15-20 मीटर तक होता है, ऑल्टर्नेट पाइनेट पत्तियां, लगभग 15-25 सें.मी. लम्बी होती हैं। नव पल्लव उजले ताम्रवर्णी होते हैं और पूरे आकार तक आते हुए हरे होते जाते हैं। पुष्प छोटे हरित-श्वेत या पीत-श्वेत वर्ण के होते हैं, जो कि 30 सें.मी. लम्बी पैनिकल पर लगते हैं। इसका फल ड्रूप प्रकार का होता है, 3-4 से.मी. और 3 से.मी व्यास का। इसका छिलका गुलाबी-लाल से मैरून तक दाने दार होता है, जो कि अखाद्य और सरलता से हट जाता है। इसके अंदर एक मीठे, दूधिया श्वेत गूदे वाली, विटामिन- सी बहुल, कुछ-कुछ छिले अंगूर सी, मोटी पर्त इसके एकल, भूरे, चिकने मेवा जैसे बीज को ढंके होती है। यह बीज 2X1.5 नाप का ओवल आकार का होता है और अखाद्य होता है। इसके फल [[जुलाई ]] से अक्टूबर में फ़ूल के लगभग तीन मास बाद पकते हैं। इसकी दो उप-जातियां हैं:-लीची चिनेन्सिस, उपजाति:chinensis, : चीन, इंडोनेशिया, लाओस, कम्बोडिया में। पत्तियां 4-8|


लीची चिनेन्सिस, उपजाति: फिलीपिनेन्सिस: फिलीपींस, इंडोनेशिया, पत्तियां 2-4|
खेती और प्रयोग:-दक्षिण चीन में यह बहुतायत में उगायीं जातीं हैं, इसके साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया खासकर थाईलैंड, लाऔस, कम्बोडिय वियतनाम बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत, दक्षिणी जापान, ताईवान में। और अब तो यह कैलिफ़ोर्निया, हवाई और फ्लोरिडा में भी उगायी जाने लगी है। देहरादून में कुछ बहुत से स्वादिष्ट फलों की खेती होती है। इनमें प्रमुख है- लीची। लीची की खेती देहरादून में १८९० से ही प्रचलित है। हालांकि शुरुआत में लीची की खेती यहां के लोगों में उतनी लोकप्रिय नहीं थी। पर १९४० के बाद इसकी लोकप्रियता जोर पकड़ने लगी। इसके बाद तो देहरादून के हर बगीचे में कम से कम दर्जन भर लीची के पेड़ तो होते ही थे। १९७० के करीब देहरादून लीची का प्रमुख उत्पादक बन गया। देहरादून के विकास नगर, नारायणपुर, वसंत विहार, रायपुर, कालूगढ़, राजपुर रोड और डालनवाला क्षेत्र में लगभग ६५०० हेक्टेयर भूमि पर इस स्वादिष्ट फल की खेती होती है। लेकिन अब लीची की खेती में भारी कमी आई है। अब लीची की खेती सिर्फ ३०७० हेक्टेयर भमि पर ही होती है


लीची वियतनाम, चीनी और दक्षिण एशियाई बाजारों में ताज़ी बिकतीं हैं और विश्व भर के सुपरमार्किटों में भी। इसके प्रशीतन में रखने पर भी इसका स्वाद नहीं बदलता है, हां रंग कुछ भूरेपन पर आ जाता है।


संकल्पमयी संसार की संरचना

गतांक से...
हे मानव, तू अपने जीवन में महानता के लिए सदैव गमन करता रहता है। इसी से तेरे जीवन की प्रतिभा बनकर के रहे। विचार-विनिमय क्या है? 'रामम्‌ ब्रह्म कीर्तम्‌' माता कौशल्या के गर्भ से पुत्र का जन्म हुआ और जन्म होते ही उन्होंने अपने में ओम का उद्गीत गाया। बालक जब जन्म लेता है, माता के गर्भ से तो है स्वरों में देव भाषा और देव का रुदन करना, वह आरंभ करता है। मानव देखो अपने में वर्णह संभवे, बालक का जन्म हुआ है। आज अपने विचारों को विराम देता हूं मैं बहुत दूर चला गया हूं। विचार यह दे रहा था कि वेद का मंत्र हमें यह कहता है कि हे मानव तू संकल्पवादी बन करके उस प्रभु की रचना को विचारने वाला बन। प्रभु का यह ब्रह्मांड रचा हुआ है। जब सृष्टि का प्रारंभ होता है तो परमपिता परमात्मा की उग्र क्रिया से, क्योंकि उग्र क्रिया का नाम तप कहलाता है। उग्र क्रिया  ही मानव्य तप कहलाता है। परमपिता परमात्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो प्रभु का संकल्प मात्र ही एक उग्र क्रिया बनी और वह उग्र क्रिया बनी तो प्राण सत्ता गतिमान हो गया। जब रेत्‍तस: अपने में गतिमान हुआ, तो प्राण ने उसका पिंड बना दिया और पिंड के रूप में यह लोख लोकांतार दृष्टिपात आते रहते हैं। मेरे प्यारे, मैं विशेष चर्चा करने नहीं आया हूं। विचार यह देने के लिए आया हूं कि हम अपने में महान बनने का प्रयास करते रहे। संकल्प में, जगत संकल्पों को अपने में धारण करें। महान बनने का प्रयास करें। विचार आता रहता है वेद का मंत्र कहता है कि जितना भी यह जड़ जगत और चेतन्‍य जगत हमें दृष्टिपात आ रहा है। उस सर्वत्र ब्रह्मांड के मूल में मेरा वह प्रभु दृष्टिपात आता रहता है। वह पुरोहित है ,वह धन्य कहलाता है वह महान है और पवित्रता मेरठ रहने वाला है। उस परमपिता परमात्मा की महिमा का गुणगान गाते हुए अपनी महानता में गमन करते रहे। आज का वाक्य यहीं पर स्थिर होता है। अब समय मिलेगा तो मैं तुम्हें शेष चर्चाएं कल प्रकट करूंगा। अब वेद का पठन-पाठन होगा। इसके पश्चात यह वार्ता समाप्त हो जाएगी।
ओम देवाहा अभ्याम रुद्राहा षा मामृहि तमत्वा वाचन नम:।
ओ देवम भद्रा: वायु रथम ओपाहा।
ओम संजनहा वायु गतम अपाहा ऋषि:।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 06, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-63 (साल-01)
2. रविवार, 06 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,शुक्‍लपक्ष,तिथि-अष्‍ठमी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:15,सूर्यास्त 06:09
5. न्‍यूनतम तापमान -22 डी.सै.,अधिकतम-32+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, आद्रता बनी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


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शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्‍ना खरास्‍थिता

माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी - काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री और धुमोरना देवी कालात्री के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में हैं |


कालरात्रि-सिद्धियां
कालरात्रि- नवदुर्गाओं में सप्तम्
देवनागरी-कालरात्रि
संबंध-हिन्दू देवी
अस्त्र-तलवार
जीवनसाथी-शिव
सवारी-गधा
यह ध्यान रखना जरूरी है कि नाम, काली और कालरात्रि का उपयोग एक दूसरे के परिपूरक है, हालांकि इन दो देवीओं को कुछ लोगों द्वारा अलग-अलग सत्ताओं के रूप में माना गया है। डेविड किन्स्ले के मुताबिक, काली का उल्लेख हिंदू धर्म में लगभग ६०० ईसा के आसपास एक अलग देवी के रूप में किया गया है। कालानुक्रमिक रूप से, कालरात्रि महाभारत में वर्णित, ३०० ईसा पूर्व - ३०० ईसा के बीच वर्णित है जो कि वर्त्तमान काली का ही वर्णन है |


माना जाता है कि देवी के इस रूप में सभी राक्षस,भूत, प्रेत, पिसाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है, जो उनके आगमन से पलायन करते हैं |सिल्प प्रकाश में संदर्भित एक प्राचीन तांत्रिक पाठ, सौधिकागम, देवी कालरात्रि का वर्णन रात्रि के नियंत्रा रूप में किया गया है। सहस्रार चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः माँ कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है। उनके साक्षात्कार से मिलने वाले पुण्य (सिद्धियों और निधियों विशेष रूप से ज्ञान, शक्ति और धन) का वह भागी हो जाता है। उसके समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है और अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है।


श्लोक:-एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा | वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||


महिमा:-माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है।माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।


माँ कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में अवस्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए। यम, नियम, संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिए। मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए। वे शुभंकारी देवी हैं। उनकी उपासना से होने वाले शुभों की गणना नहीं की जा सकती। हमें निरंतर उनका स्मरण, ध्यान और पूजा करना चाहिए।


प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर गिरी गाज

प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर गाज
अविनाश श्रीवास्तव


गाजियाबाद,लोनी। क्षेत्र में हजारों अनधिकृत औद्योगिक इकाइयां जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण को बढ़ती जा रही है। मानकों के विरुद्ध संचालित औद्योगिक इकाइयों के विरुद्ध प्रशासन सख्त नजर आ रहा है।
क्षेत्र में रूप नगर, आर्य नगर, बुध नगर आदि स्थानों पर अनधिकृत रूप में फैक्ट्रियों का संचालन किया जा रहा है। सर्वेक्षण के अनुसार संचालित अधिकतर फैक्ट्रियां निर्धारित मानकों के विरुद्ध संचालित की जा रही हैं। संचालित अधिकतर फैक्ट्रियां वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं। कई औद्योगिक इकाइयां रिहायशी क्षेत्रों में भी संचालित की जा रही है। माना जा रहा था कि अधिकारियों और नेताओं की सांठगांठ से यह अवैध धंधा फल-फूल रहा है। जनता के स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मकता का अभाव प्रतीत किया जा रहा था।
परंतु वास्तविकता कुछ और ही है, उपजिलाधिकारी और तहसीलदार के द्वारा मामले की गंभीरता पर संज्ञान लेते हुए अवैध फैक्ट्रियों के विरुद्ध कार्यवाही का बिगुल बजा दिया है। जनता के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का बहुत बुरा असर पड़ रहा है। प्रदूषण को नियंत्रित करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। इसे बढ़ाना जनता के स्वास्थ्य से स्पष्ट खिलवाड़ हैै। प्रदूषण के विरुद्ध इस प्रकार की निरंतर कार्यवाही की जरूरत है।


नियम से हज जाएंगे भारतीय मुसलमान

नई दिल्ली।आज हज 2020 की घोषणा की। 10 अक्टूबर से हज के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी जो 10 नवम्बर, 2019 तक चलेगी। इस बार हज प्रक्रिया शत प्रतिशत ऑनलाइन/डिजिटल होगी। सभी हज यात्रियों को ई-वीजा की सुविधा दी गयी है। मोबाइल ऐप के जरिये भी हज के लिए आवेदन किया जा सकता है। हज 2019 के पूरा होने एवं अगले हज के संदर्भ में तैयारियों हेतु समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव श्री शैलेश, अतिरिक्त सचिव श्री एस के देव बर्मन, संयुक्त सचिव-हज श्री जान-ए-आलम, सऊदी अरब में भारत के राजदूत श्री औसफ सईद बैठक में शामिल हुए। हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन श्री शेख जिन्ना नबी, हज कमिटी के सीईओ श्री एम ए खान, जेद्दाह में भारत के कौंसल जनरल मोहम्मद नूर रहमान शेख, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (गल्फ) श्री टी.वी नागेंद्र प्रसाद, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री एस. के. मिश्रा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। हज ग्रुप ऑर्गनाइजर (एचजीओ) के लिए पोर्टल पर आवेदन की प्रक्रिया 1 नवम्बर से शुरु होगी जो 1 दिसंबर तक चलेगी। हज प्रक्रिया जल्द शुरू करने से भारत एवं सऊदी अरब में हज के इंतजाम बेहतर तरह से हो सकेंगे। जहाँ पिछले वर्ष देश भर में 21 इम्बार्केशन पॉइंट्स थे, वहीँ हज 2020 के लिए 1 नया इम्बार्केशन पॉइंट्- विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) शुरू किया जायेगा। इस प्रकार हज 2020 के लिए देश भर के 22 इम्बार्केशन पॉइंट्स के जरिये भारतीय मुसलमान हज यात्रा पर जायेंगे। हज 2019 कई मायनों में ऐतिहासिक एवं पिछले कई वर्षों में अब तक का सबसे सफल हज रहा। भारत के इतिहास में पहली बार रिकॉर्ड 2 लाख भारतीय मुसलमानों ने 2019 में बिना किसी सब्सिडी के हज यात्रा की।


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...