शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

अखरोट का उत्पादन, भंडारण

अखरोट (अंग्रेजी: Walnut, वैज्ञानिक नाम : Juglans Regia) पतझड़ करने वाले बहुत सुन्दर और सुगन्धित पेड़ होते हैं। इसकी दो जातियां पाई जाती हैं। 'जंगली अखरोट' 100 से 200 फीट तक ऊंचे, अपने आप उगते हैं। इसके फल का छिलका मोटा होता है। 'कृषिजन्य अखरोट' 40 से 90 फुट तक ऊंचा होता है और इसके फलों का छिलका पतला होता है। इसे 'कागजी अखरोट' कहते हैं। इससे बन्दूकों के कुन्दे बनाये जाते हैं।


अखरोट का फल एक प्रकार का सूखा मेवा है जो खाने के लिये उपयोग में लाया जाता है। अखरोट का बाह्य आवरण एकदम कठोर होता है और अंदर मानव मस्तिष्क के जैसे आकार वाली गिरी होती है। अखरोट (के वृक्ष) का वानस्पतिक नाम जग्लान्स निग्रा (Juglans Nigra) है। आधी मुट्ठी अखरोट में 392 कैलोरी ऊर्जा होती हैं, 9 ग्राम प्रोटीन होता है, 39 ग्राम वसा होती है और 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है। इसमें विटामिन ई और बी6, कैल्शियम और मिनेरल भी पर्याप्तं मात्रा में होते है।


अखरोट की गिरी:-अखरोट की दो सबसे आम प्रमुख प्रजातियां बीज के लिए उगाई जाती हैं - फारसी या अंग्रेजी अखरोट और काले अखरोट। अंग्रेजी अखरोट(जग्लांस रेजिया) फारस में उत्पन्न हुआ, और काले अखरोट (जग्लांस निग्रा)  पूर्वी उत्तर अमेरिका में उत्पन्न हुआ। काला अखरोट स्वाद में ज्यादा अच्छा होता है, लेकिन इसके उत्पादन में कड़ी मेहनत और खराब हुल्लिंग विशेषताओं के कारण, व्यावसायिक स्तर पर, इसका उत्पादन नहीं किया जाता। पर इसके कई संकरों को व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन के लिए विकसित किया गया है, जो लगभग अंग्रेजी अखरोट के समान ही होते हैं।अन्य प्रजातियों में, कैलिफोर्निया का काला अखरोट, जिसे जग्लांस कैलिफोर्निका कहते है, के अलावा जग्लांस सिनेराय(बर्टनट्स) और जग्लांस एरिजोना पाए जाते हैं।


उत्पादन:-अखरोट के उत्पादन में चीन सबसे आगे हैं और इसका उत्पादन करने वाले अन्य देशों में प्रमुख हैं - ईरान, अमेरिका, तुर्की और यूक्रेन I पूर्वी यूरोपीय देशों में सबसे ज्यादा उपज होती है जिनमें प्रमुख्य हैं , स्लोवेनिया और रोमानिया। भारत मे कश्मीर घाटी मे इसकी उपज होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका अखरोट का विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है और उसके बाद तुर्की का स्थान है।


भंडारण:-अखरोट जैसे फलों को अच्छी तरह से संसाधित और संग्रहित किया जाना चाहिए। खराब तरीके से भंडारण के कारण कीट और फफूंदी के होने से अखरोट ख़राब हो जाता है।अखरोट के लंबे समय तक भंडारण के लिए आदर्श तापमान -3 से 0 डिग्री सेल्सियस है। औद्योगिक और घरेलू भंडारण के लिए आद्रता कम होनी चाहिए।


खंडों में विभाजित शरीर

इनका शरीर खंडों में विभाजित रहता है जिसमें सिर में मुख भाग, एक जोड़ी श्रृंगिकाएँ (Antenna), प्रऻय: एक जोड़ी संयुक्त नेत्र और बहुधा सरल नेत्र भी पाए जाते हैं। वृक्ष पर तीन जोड़ी टाँगों और दो जोड़े पक्ष होते हैं। कुछ कीटों में एक ही जोड़ा पक्ष होता है और कुछेक पक्षविहीन भी होते है। उदर में टाँगें नहीं होती। इनके पिछले सिरे पर गुदा होती है और गुदा से थोड़ा सा आगे की ओर जननछिद्र होता है। श्वसन महीन श्वास नलियों (ट्रेकिया, Trachea) द्वारा होता हैं। श्वासनली बाहर की ओर श्वासरध्रं (स्पाहरेकल Spiracle) द्वारा खुलती है। प्राय: दस जोड़ी श्वासध्रां शरीर में दोनों ओर पाए जाते हैं, किंतु कई जातियों में परस्पर भिन्नता भी रहती है। रक्त लाल कणिकाओं से विहीन होता है और प्लाज्म़ा (Plasma) में हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) भी नहीं होता। अत: श्वसन की गैसें नहीं पहुँचती। परिवहन तंत्र खुला होता हैं, हृदय पृष्ठ की ओर आहारनाल के ऊपर रहता है। रक्त देहगुहा में बहता है, बंद वाहिकाओं की संख्या बहुत थोड़ी होती है। वास्तविक शिराएँ, धमनियों और केशिकाएँ नहीं होती। निसर्ग (मैलपीगियन, Malpighian) नलिकाएँ पश्चांत्र के अगले सिरे पर खुलती हैं। एक जोड़ी पांडुर ग्रंथियाँ (Corpora allata) भी पाई जाती हैं। अंडे के निकलने पर परिवर्धन प्राय: सीधे नहीं होता, साधारणतया रूपांतरण द्वारा होता है।


प्राणियों में सबसे अधिक जातियाँ कीटों की हैं। कीटों की संख्या अन्य सब प्राणियों की सम्मिलित संख्या से छह गुनी अधिक है। इनकी लगभग दस बारह लाख जातियाँ अब तक ज्ञात हो चुकी हैं। प्रत्येक वर्ष लगभग छह सहस्त्र नई जातियाँ ज्ञात होती हैं और ऐसा अनुमान है कि कीटों की लगभग बीस लाख जातियाँ संसार में वर्तमान हैं। इतने अधिक प्राचुर्य का कारण इनका असाधारण अनुकूलन (ऐडैप्टाबिलिटी, Adaptability) का गुण हैं। ये अत्यधिक भिन्न परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक जीवित रहते हैं। पंखों की उपस्थिति के कारण कीटों को विकिरण (डिसपर्सल, dispersal) में बहुत सहायता मिलती हैं। ऐसा देखने में आता में है कि परिस्थितियों में परिवर्तन के अनुसार कीटों में नित्य नवीन संरचनाओं तथा वृत्तियों (हैबिट्स, habit) का विकास होता जाता है।


कीटों ने अपना स्थान किसी एक ही स्थान तक सीमित नहीं रखा है। ये जल, स्थल, आकाश सभी स्थानों में पाए जाते हैं। जल के भीतर तथा उसके ऊपर तैरते हुए, पृथ्वी पर रहते और आकाश में उड़ते हुए भी ये मिलते हैं। अन्य प्राणियों और पौधों पर बाह्य परजीवी (इंटर्नल पैरासाइट, internal parasite) के रूप मे भी ये जीवन व्यतीत करते हैं। ये घरों में भी रहते हैं और वनों में भी; तथा जल और वायु द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँच जाते हैं। कार्बनिक अथवा अकार्बनिक, कैसे भी पदार्थ हों, ये सभी में अपने रहने योग्य स्थान बना लेते हैं। उत्तरी ध्रुवप्रदेश से लेकर दक्षिणी ध्रुवप्रदेश तक ऐसा कोई भी स्थान नहीं जहाँ जीवधारियों का रहना हो ओर कीट न पाए जाते हों। वृक्षों से ये किसी रूप में अपना भोजन प्राप्त कर लेते हैं। सड़ते हुए कार्बनिक पदार्थ ही न जाने कितनी सहस्र जातियों के कीटों को आकृष्ट करते तथा उनका उदरपोषण करते हैं। यही नहीं कि कीट केवल अन्य जीवधारियों के ही बाह्य अथवा आंतरिक पारजीवी के रूप में पाए जाते हों, वरन्‌ उनकी एक बड़ी संख्या कीटों को भी आक्रांत करती है। और उनसे अपने लिए आश्रय तथा भोजन प्राप्त करती हैं। अत्यधिक शीत भी इनके मार्ग में बाधा नहीं डालता। कीटों की ऐसी कई जातियाँ हैं जो हिमांक से भी लगभग 50 सेंटीग्रेट नीचे के ताप पर जीवित रह सकती हैं। दूसरी ओर कीटों के ऐसे वर्ग भी हैं जो गरम पानी के उन श्रोतों में रहते हें जिसका ताप 40 से अधिक है। कीट ऐसे मरुस्थलों में भी पाए जाते हैं जहां का माध्याह्कि ताप 60 सेल्सियस तक पहुँच जाता है कुछ कीट तो मरुस्थलों में भी पाऐ जाते हैं। जहाँ का माध्यांह्कि ताप 60 सेल्सियस तक पहुँच जाता है। कुछ कीट तो ऐसे पदार्थों में भी अपने लिए पोषण तथा आवास ढँूढ लेते हैं जिसके विषय में कल्पना भी नहीं की जा सकती कि उनमें कोई जीवधारी रह सकता है या उनके प्राणी अपने लिए भोजन प्राप्त कर सकता है। उदाहरण के लिए, साइलोसा पेटरोली (Psilosa petroll) नामक कीट के डिंभ कैलीफोर्निया के पैट्रोलियम के कुओं में रहते पाये गये हैं। कीट तीक्ष्ण तथा विषेले पदार्थों में रहते तथा अभिजनन करते पाए गए हैं। जैसे अपरिष्कृत टार्टर जिसमे 80 प्रतिशत पौटेशियम वाईटार्टरेट होता है।) अफीम, लाल मिर्च अदरक नौसादर, कुचला (स्ट्रिकनीन, strychnine) पिपरमिंट कस्तूरी, मदिरा की बोतलों के काम, रँगने वाले ब्रश। कुछ कीट ऐसे भी हैं जो गहरे कुओं और गुफाओं मे रहते हैं जहाँ प्रकाश कभी नहीं पहुँचता। अधिकतर कीट उष्ण देशों में मिलते हैं और इन्हीं कीटों से नाना प्रकार की आकृतियों तथा रंग पाए जाते हैं।


सहजवृति (Instinct) के कारण कीटों का व्यवहार स्वभावत: ऐसा होता है जिससे उनके निजी कार्य में निरंतर लगे रहने की दृढ़ता प्रकट होती है। उनमें विवेक और विचारशक्ति का अभाव होता है। घरेलू मक्खियों को ही लें। बारबार किए जाने वाले प्रहार से वे न तो डरती हैं और न हतोत्साहित ही होती हैं। उन्हें हार मानना तो जैसे आता ही नहीं। जब तक उनके शरीर में प्राण रहते हैं तब तक वे अपने भोजन की प्राप्ति तथा संतानोत्पति के कार्य की पूर्ति में बराबर लगी रहती हैं।


संकल्प रुपी उपासना

गतांक से...
 मेरे पुत्रों ऋषि ने जब यह श्रवण किया तो वह निरुत्तर हो गए। माता अरुंधति ने कहा, हे दिव्य, हे पुत्री, हमारी इच्छा ऐसी है कि तुम राष्ट्र का अनुग्रह करो, क्योंकि राष्ट्र का अन्‍न ग्रहण करना तुम्हारे लिए बहुत अनिवार्य है। उन्होंने कहा मातेश्वरी, कारण, क्यों अनिवार्य है? उन्होंने कहा तुम राष्ट्र का इसलिए अन्‍न ग्रहण करो कि 'ब्राह्म वासस्‌ प्रहे' राजकुमार का जन्म होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 'ममत्‍वाम्‌ ब्रह्मा' माता की यह इच्छा नहीं है। 'तपस्यम ब्रहमणम्‌ वाचन नमः क्रति लोकाम्‌' जो इस प्रकार की संतान को जन्म दे। मेरी कामना है मेरी इच्छा है कि मैं त्याग और तपस्या में पुत्र को जन्म देना चाहती हूं। माता अरुंधति ने कहा कि नहीं तुम राष्ट्र का अन्‍न ग्रहण करो। उन्होंने कहा मातेश्वरी तुमने यह श्रवन नहीं किया कि प्रभु ने हमारे तुम्हारे शरीर का निर्माण किया है और यह माता-पिता का संकल्प मात्र ही है। यदि हम यह उच्चारण करने लगे कि यह माता की संपदा है या पितर की संपदा है यह संपदा है उसकी जिसने निर्माण किया है। और उस निर्माण करने वाले में संस्कारों के आधार पर इसका निर्माण किया है। और उन्हीं आधार पर यह जीवन का विपरीत होता रहेगा। हे प्रभा, ब्रह्म, हे मातेश्वरी, यदि यह विकृत हो जाएगा और यह छिन्न-भिन्न हो जाएगा। संकल्पों में ही मानव संसार समाप्त हो जाएगा। माता अरुंधति भी मौन हो गई। वशिष्ठ मुनि बोले की हे पुत्री, राष्ट्रीयअन्‍न मे कोई दोष रोपण नहीं होता है। उन्होंने कहा प्रभु मैं स्वयं कला कौशल कर लेती हूं और उसके बदले जो आता है उससे मैं अपने उदर की पूर्ति कर लेती हूं। हे प्रभु, आप तो यह जानते हैं क्योंकि ब्रह्मवेता है और ब्राह्मवेताओं की बुद्धि बड़ी प्रखर होती है और बड़ी ऊंची उड़ान उड़ने वाली होती है। इस उडाण के साथ यह स्वीकार करना तुम्हारे लिए बहुत अनिवार्य हो जाएगा कि प्रत्येक मानव एक संकल्प है। पुत्र का जन्म होता है, आत्मा किसी का पुत्र है, शरीर का पुत्र-पुत्री होता है। परंतु यह क्या है यह माता-पिता का संकल्प ही पुत्र की संज्ञा संकल्प मात्र से है। यह संकल्प समाप्त हो जाए या विकृत हो जाए तो एक प्रकार की एक विडंबना ऐसी उत्पन्न हो जाए। जिसको हम नहीं जान पाते कौशल्या जी ने कहा पुत्री भी इस प्रकार का संकल्प है। राजा भी एक प्रकार का संकल्प है। प्रजा का संकल्प मात्र है। इसी प्रकार माता भी संकल्प मात्र है। पित्र भी संकल्प मात्र है। यह सूर्य भी एक प्रकार का संकल्प है। अरुंधति मंडल भी एक प्रकार का संकल्प है जो भी संकल्प है। हे भगवान, हे मातेश्वरी, हे पित्र, हे आचार्य, हे ब्रह्मावेता तुम जानते हो कि यह सर्वत्र जगत केवल एक संकल्प मात्र कहलाता है। उन्होंने पुनः कहा हां एक वाक्य में स्वीकार कर सकती हूं। यदि हे पित्र, यदि आपको और माता का दोनों का संकल्प नष्ट हो जाए। तो मैं भी अपने संकल्प को नष्ट कर सकती हूं। ऋषि वशिष्ठ मुनि महाराज मोन हो गए और मौन होकर उन्होंने कहा, 'तत्वनम ब्रह्मा: पुत्रों संभावा: उन्होंने कहा तुम्हारा संकल्प पूर्ण हो, पुत्री, उन्होंने कहा ब्राह्मणों देखो उन्होंने अपने आश्रम को गमन किया और उन्हें जब राजा प्राप्त हुए तो उन्हें राजा से कहा। हे राजन, यह तो संकल्प है ,आचार्य के द्वारा उन्होंने संकल्प किया हुआ है और संकल्प उनका नष्ट नहीं होना चाहिए। यदि संकल्प चला गया तो प्राण चला गया। मानवता चली गई। राजन तुम संकल्प में देवी को रहने दो। तुम अपने क्रियाकलापों में परिणत हो जाओ। उस समय राजा भी मौन हो गया। कुछ समय के पश्चात आज का वार और तिथि और दिवस कहलाता है। जहां राम जैसे महापुरुषों का जन्म हुआ। महापुरुषों के जीवन की कथाएं होती है। उनमें कोई विशेषताएं होती है। मेरे प्यारे, महानंद जी ने मुझे प्रेरणा दी। प्रेरणा के आधार पर वाकम ब्रह्म' मेरे पुत्रो,वह रचना अपने में बड़ी विचित्र बन करके रहती है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 05, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-62 (साल-01)
2. शनिवार, 05 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,शुक्‍लपक्ष,तिथि-सप्‍तमी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:15,सूर्यास्त 06:09
5. न्‍यूनतम तापमान -22 डी.सै.,अधिकतम-32+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, आद्रता बनी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

देखिए विद्युत विभाग की बड़ी लापरवाही

विधुत विभाग की बड़ी लापरवाही


मोहित श्रीवास्तव
गाजियाबाद,लोनी। बिजली विभाग की इतनी बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है। शांति नगर कॉलोनी स्‍थित शांति निकेतन इंटर कॉलेज की दीवारों से लगाकर जमीन पर ही ट्रांसफार्मर रख दिया गया है। ट्रांसफार्मर सेे आसपास के घरों में विद्युत कीी आपूर्ति की जा रही है। और तो ट्रांसफार्मर के बगल में नाली का पानी बहता हैै। स्थानीय निवासियों के द्वारा बताया गया है कि कई बार करंट भी आ जाता है। कई बार तो ट्रांसफार्मर में आग भी लग चुकी है। जमीन पर रखा ट्रांसफार्मर हादसे को दावत दे रहा है। जिससे विद्यार्थियों और स्थानीय निवासियों को हमेसा डर भी बना रहता है कि कही बच्चों के या अन्य लोगो के साथ कोई अप्रिय घटना नहीं हो जाये। कई बार कम्प्लेन करने पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। क्या विद्युत विभाग इस कदर लापरवाह हो सकता है?


कुंभ के विकास का वास्तविक दर्शन

प्रयागराज। लगातार हो रही बारिश से नगर-निगम प्रशासन एवं मेयर साहेब की लापरवाही सामने आ गई है।
निरंजन डॉट का पुल एवं कई इलाके मे बरसात का पानी भरा, आवागमन में हुई परेशानी।


46000 करोड़ का बजट से महाकुंभ और स्मार्ट सिटी के नाम पर और भी बजट किए गये। ठेकेदार और अधिकारियों ने खूब मलाई खाई है। जिसका खामियाजा अब जनता को भुगतना पड़ रहा है। जनता को इस कदर परेशान किया गया कि विकास के नाम पर उसके मकानों में तोड़फोड़ कराई गयी। जनता के व्यापार के साथ भी उठा-पटक की गई । जनता बेहाल और परेशान रही।
योगी सरकार ने 4000 करोड़ रुपए अपने प्रचार में खर्च कर विकास कार्य को गिना दिया। लेकिन जमीनी स्तर पर इनका विकास सिर्फ कुंभ तक ही दिखा। कुंभ के बाद इनका विकास चरमरा गया हैं ।
रिपोर्ट-बृजेश केसरवानी


शासन-प्रशासन नहीं सुन रहा फरियाद

प्रयागराज रामबाग कॉलोनी के घरों में घुसा पानी और आला अधिकारियों को फोन कर कर के हारे कॉलोनी के लोग



प्रयागराज। रेलवे कॉलोनी स्‍थित रामबाग 50 घरों के निवासी पिछले 2 दिन से घरों में कैद हैं। बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं। वहां के निवासियों ने प्रयागराज के आला अधिकारियों से गुहार लगाई। नगर-निगम कहता है कि रेलवे की कॉलोनी है और रेलवे कहता है कि यह कार्य नगर-निगम का है। दो पाटों के बीच में पीस रहे हैं रामबाग रेलवे कॉलोनी के निवासी। घरों में, किचन में, लेट्रिन-बाथरूम हर जगह पानी  घुसा हुआ है और बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं। उनका कहना है आखिर में हम फरियाद लगाएं तो किससे लगाएं। आला अधिकारियों को हम फरियाद लगा चुके हैं क्या यही है योगी और मोदी का विकास?
एफटीपी घरों में पानी।
रिपोर्ट-बृजेश केसरवानी


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...