शनिवार, 28 सितंबर 2019

सोच समझकर धन निवेश करें:मिथुन

राशिफल


वृषभ: बुद्धि-विवेक से सफलता आज आपके कदम चूमेगी, मनोरंजन कार्य में समय अधिक व्यतीत होगा, प्रिय व्यक्ति से मुलाकात एवं सहयोग प्राप्त होगा। नौकरीपेशा लोगों को पद प्रतिष्ठा आदि का लाभ होगा। यदि आप व्यवसायी है तो समय अनुकूल है। 


मिथुन:क्रोध पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक है। वाद-विवाद में न पड़ें अन्यथा विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। शत्रु आज आपको नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं। सरकारी कामों में बाधा आ सकती है।


कर्क:आत्मविश्वास एवं पराक्रम में वृद्धि के कारण सफलता आपको अवश्य प्राप्त होगी। मेहनत के अनुपात में लाभ अवश्य प्राप्त होगा। सभी काम में सावधानी बरतें। भूमि भवन संबंधी कार्य व्यवसाय लाभदायक रहेंगे। स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
सिंह:आज परिवार के सदस्यों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। धन प्राप्ति के विशेष योग हैं। कहीं से शुभ मदद मिलने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। क्रीड़ा व शैक्षिक क्षेत्रों में किसी सफल शख्सियत से प्रभावित होंगे। संतान से खुशी का समाचार मिलेगा।


कन्या:आज धन का आवागमन लगा रहेगा, जहां आय होगी वहीं अपव्यय के भी योग बन रहे हैं। सोच-समझकर ही धन निवेश करें। पूंजी निवेश से पहले कंपनी की वैधता निजी स्तर पर जांच लें, अन्यथा हानि हो सकती है। मानसिक तनाव हो सकता है।


तुला:खर्च और कर्ज आज आपकी चिन्ता का कारण बन सकते हैं, इसलिए सोच-समझकर कार्य करें, अनावश्यक खर्च से बचें। आज आप परिवार में किसी अपने के कारण ही नुकसान की स्थिति का सामना कर सकते हैं। अपनी निजी बातें किसी को न बताएं।
वृश्चिक:आज बेहद शुभ दिन है। आज आपके कार्य बनते चले जाएंगे। पुरानी समस्याओं का अंत होगा। नौकरी में अधिकारियों का सहयोग एवं कार्य करने के लिए उत्साह बना रहेगा। घर के बड़े बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। अध्यात्मिक उन्नति होगी।


धनु:आज दिन भर कार्य की व्यस्तता रहेगी। मान-सम्मान, यश में वृद्धि होगी, पूजा-पाठ से मन-प्रसन्न रहेगा। आज आपके लिए शुभ और सफलता का दिन है। यात्राओं की अधिकता के कारण स्वास्थ कुछ नरम रहेगा। थकान लग सकती है।


मकर:आध्यात्मिक सुख एवं सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा, भाग्य आज आपका साथ देने के लिए है तत्पर, नए अवसर प्राप्त होंगे। वित्तीय मामलों में आपकी व्यस्तता बनी रहेगी। आय के नए स्रोत बनते दिखाई देंगे।
कुंभ:आज दूर की यात्रा न करें, वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं, अजनबी लोगों पर भरोसा न करें वरना लेने के देने पड़ सकते हैं। भूमि या भवन के विवाद के कारण मानसिक अशांति हो सकती है। पड़ोसी के साथ किसी प्रकार के विवाद में पड़ने से बचें।


मीन:जीवनसाथी का सहयोग प्राप्‍त होगा। प्रिय व्यक्ति का साथ मिलेगा, शेयर में निवेश भी कर सकते हैं, लाभ होगा। खर्च सोचकर करें। कागजी कामकाज और रोजमर्रा के कार्यों को आप बेहतर ढंग से निपटाएंगे।


उपवास में फलाहार सर्वोत्तम

निषेचित, परिवर्तित एवं परिपक्व अंडाशय को फल कहते हैं। साधारणतः फल का निर्माण फूल के द्वारा होता है। फूल का स्त्री जननकोष अंडाशय निषेचन की प्रक्रिया द्वारा रूपान्तरित होकर फल का निर्माण करता है। कई पादप प्रजातियों में, फल के अंतर्गत पक्व अंडाशय के अतिरिक्त आसपास के ऊतक भी आते है। फल वह माध्यम है जिसके द्वारा पुष्पीय पादप अपने बीजों का प्रसार करते हैं, हालांकि सभी बीज फलों से नहीं आते।


किसी एक परिभाषा द्वारा पादपों के फलों के बीच में पायी जाने वाली भारी विविधता की व्याख्या नहीं की जा सकती है।छद्मफल (झूठा फल, सहायक फल) जैसा शब्द, अंजीर जैसे फलों या उन पादप संरचनाओं के लिए प्रयुक्त होता है जो फल जैसे दिखते तो है पर मूलत: उनकी उत्पप्ति किसी पुष्प या पुष्पों से नहीं होती। कुछ अनावृतबीजी, जैसे कि यूउ के मांसल बीजचोल फल सदृश होते है जबकि कुछ जुनिपरों के मांसल शंकु बेरी जैसे दिखते है। फल शब्द गलत रूप से कई शंकुधारी वृक्षों के बीज-युक्त मादा शंकुओं के लिए भी होता है।


वनस्पतिक फल व सब्जियां


एक वेन आरेख पाक्य सब्जियों और वनस्पतिक फलों के मध्य संबंध प्रदर्शित करते हुये। कुछ सब्जियां जैसे कि टमाटर फल और सब्जी दोनो वर्गों में आते हैं।
वनस्पतिक अर्थ के कुछ वास्तविक फलों, को खाना पकाने और भोजन तैयार करने में, सब्जी, मात्र इसलिए माना जाता है क्योंकि वे मीठे नहीं होते। इन वनस्पतिक फलों मे कूष्माण्ड (जैसे, स्क्वैश, कद्दू और खीरा), टमाटर, मटर, सेम, मक्का, बैंगन और मीठी मिर्च, कुछ मसाले जैसे, ऑलस्पाइस और मिर्च वनस्पतिक फल हैं। कभी कभी, लेकिन बहुत कम, एक पाक्य (भोजन पकाने संबंधी) "फल" वनस्पतिक अर्थ मे एक वास्तविक फल नहीं होता, उदाहरण के लिए रेवतचीनी को अक्सर एक फल माना जाता है क्योंकि इसका उपयोग मिष्ठान बनाने मे किया जाता है, हालाँकि रेवतचीनी का सिर्फ डंठल (पर्णवृंत) ही खाने योग्य होता है। पाक संबंधी अर्थ में, एक फल आमतौर पर एक वनस्पति उत्पाद होता है जिसका स्वाद मीठा होता है और इसमे बीज होते हैं, एक सब्जी एक फीका या कम मीठा वनस्पति उत्पाद है और एक गिरी एक कठोर तेलयुक्त और खोलयुक्त वनस्पति उत्पाद है।


उपवास व्रत का एक अंग है

मनुष्य को पुण्य के आचरण से सुख और पाप के आचरण से दु:ख होता है। संसार का प्रत्येक प्राणी अपने अनुकूल सुख की प्राप्ति और अपने प्रतिकूल दु:ख की निवृत्ति चाहता है। मानव की इस परिस्थिति को अवगत कर त्रिकालज्ञ और परहित में रत ऋषिमुनियों ने वेद, पुराण, स्मृति और समस्त निबंधग्रंथों को आत्मसात् कर मानव के कल्याण के हेतु सुख की प्राप्ति तथा दु:ख की निवृत्ति के लिए अनेक उपाय कहे हैं। उन्हीं उपायों में से व्रत और उपवास श्रेष्ठ तथा सुगम उपाय हैं। व्रतों के विधान करनेवाले ग्रंथों में व्रत के अनेक अंगों का वर्णन देखने में आता है। उन अंगों का विवेचन करने पर दिखाई पड़ता है कि उपवास भी व्रत का एक प्रमुख अंग है। इसीलिए अनेक स्थलों पर यह कहा गया है कि व्रत और उपवास में परस्पर अंगागि भाव संबंध है। अनेक व्रतों के आचरणकाल में उपवास करने का विधान देखा जाता है।


व्रत, धर्म का साधन माना गया है। संसार के समस्त धर्मों ने किसी न किसी रूप में व्रत और उपवास को अपनाया है। व्रत के आचरण से पापों का नाश, पुण्य का उदय, शरीर और मन की शुद्धि, अभिलषित मनोरथ की प्राप्ति और शांति तथा परम पुरुषार्थ की सिद्धि होती है। अनेक प्रकार के व्रतों में सर्वप्रथम वेद के द्वारा प्रतिपादित अग्नि की उपासना रूपी व्रत देखने में आता है। इस उपासना के पूर्व विधानपूर्वक अग्निपरिग्रह आवश्यक होता है। अग्निपरिग्रह के पश्चात् व्रती के द्वारा सर्वप्रथम पौर्णमास याग करने का विधान है। इस याग को प्रारंभ करने का अधिकार उसे उस समय प्राप्त होता है जब याग से पूर्वदित वह विहित व्रत का अनुष्ठान संपन्न कर लेता है। यदि प्रमादवश उपासक ने आवश्यक व्रतानुष्ठान नहीं किया और उसके अंगभूत नियमों का पालन नहीं किया तो देवता उसके द्वारा समर्पित हविर्द्रव्य स्वीकार नहीं करते।


ब्राह्मणग्रंथ के आधार पर देवता सर्वदा सत्यशील होते हैं। यह लक्षण अपने त्रिगुणात्मक स्वभाव से पराधीन मानव में घटित नहीं होता। इसीलिए देवता मानव से सर्वदा परोक्ष रहना पसंद करते हैं। व्रत के परिग्रह के समय उपासक अपने आराध्य अग्निदेव से करबद्ध प्रार्थना करता है- "मैं नियमपूर्वक व्रत का आचरण करुँगा, मिथ्या को छोड़कर सर्वदा सत्य का पालन करूँगा।" इस उपर्युक्त अर्थ के द्योतक वैदिक मंत्र का उच्चारण कर वह अग्नि में समित् की आहुति करता है। उस दिन वह अहोरात्र में केवल एक बार हविष्यान्न का भोजन, तृण से आच्छादित भूमि पर रात्रि में शयन और अखंड ब्रह्मचर्य का पालन प्रभृति समस्त आवश्यक नियमों का पालन करता है।


कागभूषडं-लोमस क्रियाकलाप

गतांक से...
शिशु एक बिंदु है और उस बिंदु में उस परमाणु का जब विभाजन करते हैं, तो उसमें सर्वत्र देवता विद्यमान रहते हैं। कौन देवता है? उसमें गति भी विद्यमान है, प्राण भी विद्यमान है, तेज भी विद्यमान है, गुरुत्व भी विद्यमान है। सर्वत्र ब्रह्मांड उसमें दृष्टिपात आता है। एक परमाणु में सर्वत्र ब्रह्मांड दृष्टिपात आ रहा है। जैसा यह ब्रह्म हमें ब्रह्मांड दृष्टिपात आ रहा है। तो इस ब्रह्मांड की कल्पना करते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रकार का रथ है। वह माता कौन है, जो रथ ही है। जो रथ बनी हुई है। वह चेतना है वह मेरा प्यारा प्रभु है। उस रथ में सर्वत्र जीव विद्यमान है। लोक-लोकांतर उसने विद्यमान है। जैसे एक मधुमक्खी होती है। परंतु वह आवर्तयो में रमण करने वाली प्रत्येक मक्खियां उसकी परिक्रमा करती रहती है। इसी प्रकार कुछ परमाणु गति करते हैं जो रथ के रूप में विद्यमान है। यही विज्ञान जब ऋषि भारद्वाज मुनि के यहां प्रकट हुआ था। ब्रह्मचारी सुकेता ने यही कहा था कि महाराज यह जो एक वस्तु का बिंदु है। एक रथ के बिंदु में परमाणु है। विशेष और उस परमाणु के अंतर्गत नाना प्रकार के परमाणु गति कर रहे हैं और जो परमाणु गति कर रहे हैं। वह एक प्रकार का बिंदु रथ बना हुआ है। उस बिंदु रथ में ही मानव का चित्त विद्यमान रहता है। मेरे प्यारे, यह विशाल ज्ञान है प्रभु का। यही कागभूषडं जी और लोमस मुनि की अपने विद्यालय में इस प्रकार की चर्चाएं होती रहती थी। इस प्रकार का अनुसंधान होता रहता था। इन अनुसंधान की प्रवृत्तियों में मानव परंपरागत से रत होता रहा है।
 मैं तुम्हें कोई विशेष विवेचना देने नहीं आया हूं। विवेचना केवल यह देने के लिए आया हूं कि यह जो प्रभु का जगत है। यह जो प्रभु का ब्रह्मांड है। यह इतना अनंतवत्‍त माना गया है कि मानव चिंतन करता हुआ अंत में मौन हो जाता है। अंत में शिशु की भांति बाल्‍य प्रवर्ती में प्रवेश कर जाता है। इतना विशाल विज्ञान है प्रभु का। लोमस और कागभूषडं जी अपने स्थलों पर विद्यमान होकर के प्राण के ऊपर चर्चा करने लगे। उन्होंने कहा कि यह जो सूर्य प्राण है इसका संबंध सूर्य से होता है। चंद्र का जो चंद्र प्रणायाम में उसका संबंध चंद्रमा से होता है। चंद्रमा में अमृत है, शीतलता है और देखो सूर्य में तेज है प्रकाश है। ऊर्जा है तजोमई कहलाता है। परमाणु के आदान प्रदान की इसमें शक्‍ति है। यही शक्ति चंद्रमा में मानी गई है। परंतु देखो इन दोनों प्राण को हम अपने में जब ग्रहण कर लेते हैं। अपने अंतर जगत में ले जाते हैं और ब्राह्म जगत से परमाणुओं को ले लेते हैं। अंतर जगत से अशुद्ध परमाणुओं को त्याग देते हैं तो इससे हमें यह सिद्ध हुआ है कि हमारा प्राण संशोधन करने वाला है। प्राण गति को देने वाला है। प्राण सूत्र में दोनों एक समय प्राण को लेकर के पृथ्वी के गर्भ में प्रवेश कर गए। पृथ्वी के गर्भ में जो जल-अग्नि का भंडार है। 'अप्रतम्‌ ब्रह्मवाचा:' प्राण दोनों रूपों में परमाणु के लिए गति कर रहा है। कहीं वही प्राण अग्नि का भंडार बन करके, कहीं प्रांण जल का भंडार बनकर के, शिशु का भंडार बन करके। दोनों का आदान-प्रदान कर रहा है। उन्हीं परमाणु में सूर्य और चंद्र दोनों प्रकार के परमाणुओं से श्रवन का निर्माण हो रहा है। रत्नों का निर्माण हो रहा है। जल को शक्तिशाली बनाया जा रहा है। पृथ्वी के गर्भ में वसुंधरा के गर्भ में अग्नि का भंडार है। वहां अमृत का भंडार है। जिसके ऊपर मुनिवर वैज्ञानिकजनो ने जिन्होंने पृथ्वी के गर्भ में प्रवेश किया तो वहां नाना प्रकार के रत्नों का परमाणुओं का निर्माण हो करके धातु-पिपात का निर्माण हो रहा था। तो उन्हीं परमाणुओं का संबंध माता के गर्भ स्थल में एक बिंदु प्रवेश हुआ। उन्हीं धातुओं का संबंध चंद्र प्राण के ऊपर सूर्य स्वरों से ऊपर वही प्राण बनकर के नाना धातु के पिपात बनकर के इस मानव के शरीर का निर्माण हो रहा है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 29, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-57 (साल-01)
2. शनिवार,29 सितबंर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,शुक्‍लपक्ष,तिथि प्रतिपदा,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:15,सूर्यास्त 6:10
5. न्‍यूनतम तापमान -24 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

सड़क हादसे में गई 13 लोगों की जान

जोधपुर। शुक्रवार की दोपहर हुए एक भीषण सड़क हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई तथा कई अन्य घायल हुए। हादसा बालेसर थाना क्षेत्र में उस समय हुआ जब एक सिटी बस का टायर फट गया और वह सामने से आ रही जीप से जा टकराई। थाना प्रभारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि हादसा राष्ट्रीय राजमार्ग 125 पर हुआ है और कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि पुलिस और प्रशासन घटनास्थल पर मौजूद है तथा घायलों को अस्पताल भेजा जा रहा है।


अखिलेश ने तुरंत की पीड़ित की सहायता

प्रयागराज। आज समाजवादी साहू राठौर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. जगजीवन प्रसाद साहू एमएलसी के नेतृत्व में सुनील साहू गोंडा हत्याकांड मृतक के परिवार की। मुलाकात समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा, अखिलेश यादव से करवाई गई। माननीय अखिलेश ने तुरंत मामले की तहकीकात करते हुए डीआईजी महोदय को फोन मिला कर पूरे मामले से अवगत कराया व तुरंत सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया।  पार्टी कोष से ₹1लाख की आर्थिक सहायता तत्काल प्रदान करने को आदेशित किया।
तत्पश्चात समाजवादी साहू राठौर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. जगजीवन प्रसाद साहू एमएलसी जी द्वारा मृतक के परिवार को पार्टी कोष से ₹1लाख का चेक प्रदान किया गया। साथ में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हरिओम साहू राष्ट्रीय महासचिव विजय साहू "मून"जी, बी.आर. साहू व जिलाध्यक्ष गोंडा  संजय साहू के साथ तमाम लोग उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-बृजेश केसरवानी


चीन में भूकंप के झटकें महसूस किए गए

चीन में भूकंप के झटकें महसूस किए गए  अखिलेश पांडेय  बीजिंग। उत्तर-पश्चिम चीन के निंग्जिया में भूकंप के झटकें महसूस किए गए है। चीन भूकंप नेटव...