यूआईडी योजना, यूपीए सरकार की एक बहुत ही महत्वकांशी योजना है। इस योजना के लिए योजना आयोग के तहत यूआईडी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यूआईडीएआई का गठन होगा। ये संगठन सुनिश्चित करेगा कि इसका फायदा किसी भी तरह से गैर-सामाजिक तत्व न उठा पाएं। यूआईडी योजना के तहत देश के हर नागरिक को एक अद्वितीय नंबर दिया जाएगा। सरकार देश के हर नागरिक को एक यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर देने की प्रक्रिया में जोर-शोर से जुट गई है। सरकार की योजना के मुताबिक 2011 तक सभी नागरिकों को यूनिक आइडेंटिफिकेशन संख्या जारी कर दी जाएगी। और इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने इन्फोसिस के को-चेयरमैन नंदन नीलेकणी को चुन भी लिया है। लेकिन यह लक्ष्य सन 2011 तक पूरा नहीं हो पाया।
हर ज़रूरत के लिए सिर्फ 'एक कार्ड'
इसके जरिए देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के समाधान के अलावा वस्तुओं और सेवाओं के सार्वजनिक बंटवारे के लिए एक व्यवस्थित तंत्र भी विकसित किया जा सकेगा। शुरुआत में यूआईडी नंबर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर या मतदाता सूची के आधार पर आवंटित की जाएगी। व्यक्ति की पहचान पर जालसाजी की संभावना खत्म करने के लिए इसमें तस्वीर और बायोमेट्रिक आंकड़े जोड़े जाएंगे। साथ ही, लोगों के फायदे के लिए इसके आसान पंजीकरण और जानकारियों में बदलाव की प्रक्रिया को आसान बनाने के तरीकों पर भी विचार किया जा रहा है। प्रस्तावित आइडेंटिटी कार्ड ऐसे स्मार्ट कार्ड होंगे जिनपर व्यक्ति की पूरी जानकारी मिलेगी। शख्स के उंगलुइयों के निशान और तस्वीर। ऐसा नहीं है कि ये यूनीक आइडेंटिटी कार्ड वयस्कों को ही मिलेंगे। बल्कि ये उन्हें भी दिए जाएंगे जो 18 साल से कम उम्र के हैं। इसका लक्ष्य विभिन्न सरकारी विभागों के बीच पहचान के लिए प्रचलित अलग-अलग व्यवस्थाओं को खत्म करना है। इन स्मार्ट कार्ड्स पर सरकार 6 अरब डॉलर की रकम खर्च करेगी। वर्तमान सरकार इस परियोजना पर कार्य कर रही है। इस पर खर्च होने वाली रकम भी बढ़ गई है।
कहां चलेगा पायलट प्रोजेक्ट?
सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 'कर्नाटक' को बतौर पायलट राज्य चुना है। नैशनल अथॉरिटी फॉर युनीक आइडेंटिटी (NAUI), ने राज्य सरकार से छोटे पैमाने पर इस योजना को लागू करने को कहा है। कर्नाटक में इस योजना की जिम्मेदारी ई-गवर्नेस डिपार्टमेंट के हाथों में होगी। डिपार्टमेंट शहरी और ग्रामीण जिलों की पहचान कर डाटाबेस इकट्ठा करेगा और इसकी अनुकूलता को आंकेगा।
तीन साल में पूरी होगी योजना
इस योजना को पूरा होने में काफी समय लगेगा। कारण है जन्म, मौतें, शादियों, पासपोर्ट डाटा, बैंक अकाउंट और राशन आँकड़ो को एक डाटाबेस में डालना। और फिर, ऐसा करने से अलग-अलग कार्यालयों के लिए भी सहुलियत होगी। अपने खातों का अद्यतनीकरण करने के लिए सीधे केंद्रीय डाटाबेस का अन्वेषण कर सकते हैं। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना को पूरा होने में 3 साल का समय लग जाएगा।