बुधवार, 25 सितंबर 2019

एक यूनिक आइडेंटिटी कार्ड

यूआईडी योजना, यूपीए सरकार की एक बहुत ही महत्वकांशी योजना है। इस योजना के लिए योजना आयोग के तहत यूआईडी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यूआईडीएआई का गठन होगा। ये संगठन सुनिश्चित करेगा कि इसका फायदा किसी भी तरह से गैर-सामाजिक तत्व न उठा पाएं। यूआईडी योजना के तहत देश के हर नागरिक को एक अद्वितीय नंबर दिया जाएगा। सरकार देश के हर नागरिक को एक यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर देने की प्रक्रिया में जोर-शोर से जुट गई है। सरकार की योजना के मुताबिक 2011 तक सभी नागरिकों को यूनिक आइडेंटिफिकेशन संख्या जारी कर दी जाएगी। और इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने इन्फोसिस के को-चेयरमैन नंदन नीलेकणी को चुन भी लिया है। लेकिन यह लक्ष्‍य सन 2011 तक पूरा नहीं हो पाया।


हर ज़रूरत के लिए सिर्फ 'एक कार्ड'
इसके जरिए देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के समाधान के अलावा वस्तुओं और सेवाओं के सार्वजनिक बंटवारे के लिए एक व्यवस्थित तंत्र भी विकसित किया जा सकेगा। शुरुआत में यूआईडी नंबर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर या मतदाता सूची के आधार पर आवंटित की जाएगी। व्यक्ति की पहचान पर जालसाजी की संभावना खत्म करने के लिए इसमें तस्वीर और बायोमेट्रिक आंकड़े जोड़े जाएंगे। साथ ही, लोगों के फायदे के लिए इसके आसान पंजीकरण और जानकारियों में बदलाव की प्रक्रिया को आसान बनाने के तरीकों पर भी विचार किया जा रहा है। प्रस्तावित आइडेंटिटी कार्ड ऐसे स्मार्ट कार्ड होंगे जिनपर व्यक्ति की पूरी जानकारी मिलेगी। शख्स के उंगलुइयों के निशान और तस्वीर। ऐसा नहीं है कि ये यूनीक आइडेंटिटी कार्ड वयस्कों को ही मिलेंगे। बल्कि ये उन्हें भी दिए जाएंगे जो 18 साल से कम उम्र के हैं। इसका लक्ष्य विभिन्न सरकारी विभागों के बीच पहचान के लिए प्रचलित अलग-अलग व्यवस्थाओं को खत्म करना है। इन स्मार्ट कार्ड्स पर सरकार 6 अरब डॉलर की रकम खर्च करेगी। वर्तमान सरकार इस परियोजना पर कार्य कर रही है। इस पर खर्च होने वाली रकम भी बढ़ गई है।


कहां चलेगा पायलट प्रोजेक्ट? 
सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 'कर्नाटक' को बतौर पायलट राज्य चुना है। नैशनल अथॉरिटी फॉर युनीक आइडेंटिटी (NAUI), ने राज्य सरकार से छोटे पैमाने पर इस योजना को लागू करने को कहा है। कर्नाटक में इस योजना की जिम्मेदारी ई-गवर्नेस डिपार्टमेंट के हाथों में होगी। डिपार्टमेंट शहरी और ग्रामीण जिलों की पहचान कर डाटाबेस इकट्ठा करेगा और इसकी अनुकूलता को आंकेगा।


तीन साल में पूरी होगी योजना
इस योजना को पूरा होने में काफी समय लगेगा। कारण है जन्म, मौतें, शादियों, पासपोर्ट डाटा, बैंक अकाउंट और राशन आँकड़ो को एक डाटाबेस में डालना। और फिर, ऐसा करने से अलग-अलग कार्यालयों के लिए भी सहुलियत होगी। अपने खातों का अद्यतनीकरण करने के लिए सीधे केंद्रीय डाटाबेस का अन्वेषण कर सकते हैं। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना को पूरा होने में 3 साल का समय लग जाएगा।


लोमस और कागभुसडं क्रिया-कलाप

गतांक से...
 मुझे वह काल स्मरण आता रहता है जिस समय कागभुसडं जी प्रणायाम और साधना में परिणत होते थे। महर्षि लोमस और कागभुसडं जी दोनों अपनी आभा में भ्रमण करते रहते थे। मैं ऋषि कागभुसडं जी का जब बालक काल था, तो माता के चरणों में जब औत-प्रॏत होता तो माता बालक काल में उसे ज्ञान देती रहती थी। एक समय कागभुसडं जी से कहा है बालक उनका बालक का नाम सभुंख ऋषि था। संभुख नामक बालक था, ब्रह्मचारी था, शंभुख ऋषि जब माता की लोरीओ का पान करता रहता था। तो माता का नाम राकेश्‍वरी था। जब राकेश्वरी अपने बालक को लोरियो का पान कराती रहती थी। यह कहती रहती 'संभवा देवो ब्रह्मवाचा दिव्‍यंगतम्‌ प्रमाणं रूद्र वाचा' राकेश्‍वरी ने कहा कि है बालक तुमने मेरे गर्भ से जन्म लिया है। तू महान है तो पवित्र है आत्मा चेतन में होता है तो आत्मा है। तू अज्ञान में रत रहने वाला नहीं है तो योगिक है, योग में परिणत होने वाला बन। यह माता के उपदेशों को पान करता हुआ बालक अपने मे अपनी माता के शब्दों को निहारता रहता था। लोरीओ का पान करता रहता था। जब माता के गर्भ से अर्थात लोरियों से पृथक हुआ तो पिता के द्वार पर पिता भी उसे उपदेश देते रहते थे। हे बालक। तेरा जीवन महान बनना चाहिए। क्योंकि हमारा ग्रह सदैव  ब्रह्मवेताओं का रहा है। ब्रह्म जिज्ञासा हमारे गोत्र में रहते चले आए हैं और तुम भी ब्रह्म वेता बनो। परंतु देखो ब्रह्मा की जिज्ञासा में जो पुत्र को जानने वाला बनता है वही ब्रह्म की धाराओं में रमण करने वाला होता है। तो मुनिवरो, देखो कागभुसडं जी के उस बालक के नामकरण ब्रह्म वाचा वह जो पिता थे वह स्वेतकेतु ऋषि महाराज थे। श्वेतकेतु ऋषि महाराज पारा गोत्र में होते थे क्योंकि पारा गोत्र का विकास हुआ था वह किसी काल में 'संभो वाचम व्रही' कुटकुट गोत्र से हुआ था। कुटकुट गोत्र का जो निकास था, वह वायु गोत्र से हुआ था। वायु गोत्र का जो निकास हुआ वह ब्रह्मा के पुत्र अथर्वा से हुआ था। ब्रह्मा के पुत्र अथर्वा से वेदों की प्रतिभा व्याकरण की धाराओं का जन्म होता रहता है। कागभुसडं जी को जब यह वाक्य पिता ने प्रकट किया तो वह विद्यालय में प्रवेश हो गये।कागभुसडं जी के आचार्य जी का नामकरण मऋषि समितकेतू महाराज था। समितकेतु ऋषि महाराज वरतेतु ऋषि के पुत्र कहलाते थे। उनके यहां उनका वह संस्कार अब्रहे विद्या का संस्कारों का आचार्य के कुल में हुआ। आचार्य उसे शिक्षा देते रहे परंतु जैसे कागा प्रवृत्ति वाला पक्षी होता है। वह काग प्रवृत्ति उसकी चंचलता होती है। इसी प्रकार वह बालक विद्यालय में काग प्रकृति वाला ब्रह्मचारी था, चंचल था। जब वह अध्ययन करने लगा तो उसका जो क्रियाकलाप था वह प्राण सूत्र की चर्चा करता रहता था। प्राण सूत्र में अपने को पिरोता रहता था। प्राण सूत्र की विवेचना करता हुआ प्राण में रत रहता था। तो आचार्य ने उनका नामों का भुसडं जी जैसे काका प्रवृत्ति वाला एक पक्षी होता है वह 'काग व्रहे वृत्‍ति देवा:' वह अपने में चंचल रहता है, अपने तक उसका जीवन सीमित रहता है। परंतु दूसरों के लिए शिक्षाप्रद होता है। कि मानव को अपने कार्य में रत रहना चाहिए। अपने कार्य में अपनी प्रवृत्तियों में चिंतन करते रहना चाहिए। अपने में गंभीर बने रहना चाहिए। कागभुसडं जी का नाम कागा चंचल है और भुसडं नामा व्रहे वृतांम, जो वेदों के पठन-पाठन करने में उसकी प्रवृत्तियों में रमन रमने वाला हो ।उसको भुसडं जी कहते हैं तो चंचल हो और वेदों का अध्ययन करने वाला, गंभीर रहस्यों का उत्कर्ष करने वाला, उसका नामकरण कागभुसडं किया गया। वह अध्ययन सील रहते हुए, वह महान प्राण की चर्चा करते रहते थे। अपने को प्राण सूत्र में पिरोते हुए एक समय अपने पूज्य पाद गुरुदेव से उन्होंने यह कहा। हे प्रभु, मैं प्राण सूत्र को जानना चाहता हूं, यह प्राण सूत्र क्या है। तो आचार्य जी ने कहा प्राण सूत्र प्राणों को कहा गया है। वह सर्वत्र ब्रह्मांड एक प्राण सूत्र में पिरोया हुआ है। प्राण सूत्र में अपने को जो मानव गिरोह देता है संसार सागर से पार हो जाता है।


प्राधिकृत प्रकाशन विभाग

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 26, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-54 (साल-01)
2. बृहस्पतिवार,26 सितबंर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन, कृष्‍णपक्ष,तिथि द्वादशी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:15,सूर्यास्त 6:10
5. न्‍यूनतम तापमान -24 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


मंगलवार, 24 सितंबर 2019

जीवित चूहों का प्रसिद्ध मंदिर

रामचन्द्र गहलोत


बीकानेर। थार रेगिस्तान में बीकानेर से लगभग 32 किलोमीटर दूर मरू टीलों के बीच एक चर्चित गांव है-देशनोक। बीकानेर जिले के इस प्रसिद्ध गांव में करणी माता का एक मन्दिर है जो 'चूहों का मन्दिर' नाम से प्रसिद्ध हैं। मरू टीलों के बीच बसा यह छोटा सा गांव इस मन्दिर के कारण दुनियाभर में विख्यात है। इसे 'चूहों का स्वर्ग मन्दिर' भी कहा जाता है। चूहों का ऐसा संगम शायद ही दुनिया में अन्यत्रा कहीं देखने को मिले। इस मन्दिर में हर तरफ चूहे ही चूहे नजर आते हैं। कोई आराम करता हुआ, कोई खाता हुआ, कोई पीता हुआ तो कोई आपस में खेलता हुआ। रोचक बात यह है कि मन्दिर में जहां तक नजर जाती है वहीं ये चूहे विचरण करते हुए नजर आएंगे।


सुबह एवं संध्या की आरती के समय आपको मन्दिर प्रांगण में हजारों की संख्या में चूहे नजर आयेंगे। संध्या आरती के समय तो जो भक्त एक बार जहां खड़ा होता है, आरती पूर्ण होने तक उसे वहीं खड़ा रहना पड़ता है क्योंकि पूरा मन्दिर प्रागंण चूहों से भर जाता है। आरती के पश्चात बड़े-बड़े थालों में इनके लिए भोजन रख दिया जाता है तथा भक्त लोग इतने चूहों को एक साथ भोजन करते देख धन्य हो जाते हैं। कहते हैं इस मन्दिर में एक सफेद चूहा है जो किसी सौभाग्यशाली को ही दिखाई देखा है और उस पर माता की विशेष कृपा होती हैं। यह चूहा बहुत कम लोगों को दिखाई देता है।


इन चूहों को खाने के लिए मन्दिर के पुजारी मिठाई, अनाज, दूध एवं पानी देते हैं। मन्दिर में आने वाले भक्त भी इनके लिए लड्डू, बर्फी, पेड़ा, दूध एवं अन्य मिठाई चढ़ाते हैं। मन्दिर में इन चूहों के लिए एक अलग रसोईघर है जहां बड़े-बड़े कड़ाहों में इनके लिए भोजन तैयार होता हैं। खास बात यह है कि इनके छोड़े हुए भोजन को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाता है और भक्त लोग बड़ी प्रसन्नता से प्रसाद ग्रहण करते हैं। चूहों को कोई पक्षी न झपट ले जाए, इसके लिए मंदिर प्रांगण के ऊपर लोहे की जालियां लगी हुई हैं।


मन्दिर में प्रवेश करते ही एक बोर्ड पर लिखा है, कि 'अगर किसी के पैर के नीचे दबकर कोई चूहा मर गया तो बदले में उसे चांदी का चूहा देना होगा। कृपया सावधानी से चलिए, इसलिए श्रद्धालु मन्दिर में पैर घिसटाकर चलते हैं। इस चूहों ने आज तक किसी को नहीं काटा है। गुजरात में फैले प्लेग के दौरान एक वैज्ञानिक दल भी निरीक्षण के लिए आया था परंतु इन चूहों में किसी तरह की कोई बीमारी नहीं पाई गई।


माना जाता है कि करणी माता का वरदान है कि देशनोक में कभी कोई महामारी नहीं फैलेगी। ऐतिहासिक एवं धार्मिक मान्यता के अनुसार करणी माता का जन्म सुआप गांव (जोधपुर) के चारण वंश के मेहोजी के घर विक्रमी सवंत 1444 में अविश्वनी शुक्ल सप्तमी को हुआ था। कहते हैं कि मेहोजी एवं उनकी पत्नी देवल ने इष्टदेवी हिंगलाज की लम्बी आराधना की जिससे प्रसन्न होकर देवी ने दुर्गा रूप में इन्हें दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। मेहोजी और देवल ने देवी से अपने घर में जन्म लेने का वर मांगा। देवी ने इन्हें यह वर दे दिया और इनके घर जन्म लेने का वचन भरा। मान्यता हैं कि करणी माता ने नौ की बजाय 21 माह गर्भ में रहकर जन्म लिया था और प्रसूति के समग देवल को दुर्गा रूप में दर्शन देकर अपने वचन का स्मरण कराया था।


मेहोजी और देवल माता ने इनका नाम 'रिधूबाई' रखा था परंतु बचपन से ही अपने अलौकिक चमत्कारों, अंधों, लगड़ों को ठीक करने तथा रोगियों के रोग दूर करने के कारण इनका नाम 'करणी' रख दिया गया। करणी माता ने यहां के जनमानस को अनेक चमत्कार दिखाये और धीरे-धीरे करणी माता यहां के लोगों की असाध्य देवी बन गई। करणी माता के संबंध में यहां अनेक जनश्रुति प्रचलित हैं। कहते हैं कि भूख प्यास से व्याकुल युगल राजा की सेना को माता ने भरपेट भोजन कराया था जबकि भोजन कुछ ही लोगों का था।


करणी माता ने जोधपुर, नरेश जोधा जी के पुत्रा बीका जी को देशनोक के पास एक नई रियासत बसाने का आशीर्वाद दिया तथा खुद अपने हाथों से उसकी नींव रखी जिसका नाम बीकानेर रखा गया। करणी माता के आर्शीवाद से बीकानेर एक समृद्ध रियासत बनकर उभरी। राजपूत नरेश जोधा जी एवं बीका जी जीवन पर्यन्त माता के उपासक रहे। वर्तमान मन्दिर के स्थान पर पहले एक गुफा थी जहां करणी माता ने ज्यादातर समय बिताया। बाद में बीकाजी के वंशज नरेशों में यहां संगमरमर का मन्दिर बनवा दिया। मन्दिर के गर्भगृह में उस गुफा का कुछ हिस्सा अब भी है।


सुआप गांव देशनोक से लगभग 127 किलोमीटर दूर है और यहां पुराना जाल का वृक्ष अब भी है जहां माता का झूला विद्यमान है। मन्दिर का प्रवेश द्वार अत्यंत ही आकर्षक है। प्रवेश द्वार पर फूल, पत्तियों के डिजाईन के अलावा हाथी तराशे गए हैं। प्रवेश द्वार चांदी का बना हुआ है और उस पर महीन कलाकारी की गई है। प्रवेश द्वार के बाहर संगमरमर के बने शेर बैठे हुए दिखाई देते हैं। मन्दिर के बाकी तीन द्वार भी चांदी के बने हुए हैं तथा मन्दिर के गर्भगृह में शुद्ध सोने के अनेकों छत्रा चढ़ाए हुए हंै। करणी माता का सिंहासन भी सोने का बना हुआ है। करणी माता को चूहों एव गायों से विशेष लगाव था, इसलिए इस गांव के लोग अपने पशुओं के क्रय-विक्रम के पश्चात उनका दूध यहां चढ़ाते हैं। इससे इन्हें पशु धन में लाभ मिलता है।


वैसे तो यहां कभी भी आ सकते हैं परंतु नवरात्रों में यहां भारी मेला लगता है तथा दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यहां अन्य प्रदेशों से भी श्रद्वालु आते हैं। विदेशी सैलानी भी यहां खूब आते हैं और माता के इस अद्भुत मन्दिर एवं उसके चूहों को देखकर दंग रह जाते हैं। निश्चित रूप से मेरी तरह बीकानेर जाने वाले हर श्रद्धालु की यात्रा इस मन्दिर को देखे बिना अधूरी रह जाती है। (अदिति)


भारत आतंकवाद को पनपने दें,

इमरान खान अब हमारे कश्मीर में क्या चाहते हैं?
क्या भारत फिर से आतंकवाद को पनपने दें?
कश्मीर में शांति पाकिस्तान के हित में भी है। 

अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से साफ कहा कि यदि भारत चाहेगा तो वे कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। इमरान खान चाहते हैं कि अमरीका अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर भारत-पाक के बीच वार्ता करवाए। लेकिन सवाल उठता है कि इस वार्ता से पाकिस्तान को क्या हासिल होगा? भारत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर आतंकवाद को खत्म कर दिया है। सब जानते हैं कि इस अनुच्छेद 370 के प्रावधानों की वह से कश्मीर घाटी में पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ रहा था। इसलिए पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथी हमारे कश्मीर में आतंक फैला रहे थे। लेकिन अब पाकिस्तान के कट्टरपंथियों का कनेक्शन कश्मीर घाटी से कट गया है, इसलिए घाटी में शांति है। 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाने की घोषणा की गई, तब से अब तक पचास दिनों में सुरक्षा बलों को एक बार भी गोली नहीं चलानी पड़ी है। अब जब हमारे कश्मीर में शांति हो रही है तो पाकिस्तान से किस मुद्दे पर वार्ता की जाए? 370 के हटने के बाद जम्मू और लद्दाख में तो जश्न का माहौल है। पाकिस्तान को अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी कोई समर्थन नहीं मिल रहा है। अमरीका और भारत की दोस्ती पाकिस्तान ने 22 सितम्बर की रात को ह्यूस्टन में देख ही ली है। कोई देश नहीं चाहता कि आतंकवाद पनपे। अब इस बात को पाकिस्तान को भी समझना चाहिए। अच्छा हो कि पाकिस्तान कश्मीर को भूल जाए और अपने यहां बैठे कट्टपंथियों पर अंकुश लगाए। कट्टरपंथियों की वजह से पाकिस्तान को भी भारी नुकसान हो रहा है। हाउडी मोदी कार्यक्रम में डोनाल्ड ट्रंप ने मुस्लिम आतंकवाद की बात कह कर पाकिस्तान की ओर ही इशारा किया है। 24 सितम्बर को इमरान खान से मीडिया के सामने संवाद करते हुए ट्रंप ने कहा कि भारत की मजबूत स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सुनने के लिए ह्यूस्टन के स्टेडियम में 59 हजार अमरीकी मौजूद रहे। जहां पूरे अमरीका में मोदी मोदी की गूंज हो रही है, वहीं इमरान खान की उपस्थिति को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है। इमरान खान और पाकिस्तान माने या नहीं, लेकिन नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति बहुत मजबूत हुई है। अनुच्छेद 370 को हटा कर मोदी ने बोल्ड कदम उठाया है, इससे आतंकवाद पर लगाम लगी है। पाकिस्तान को अपने ब्लूचीस्तान और सिंध प्रांत के असंतोष पर ध्यान देना चाहिए। अब कश्मीर में पाकिस्तान के लिए कोई गुंजाइश नहीं हैं।
एस.पी.मित्तल


यूनिवर्सल एक्सप्रेस प्रतिनिधि को सम्मान

यूनिवर्सल एक्सप्रेस प्रतिनिधि को सम्मान
 अविनाश श्रीवास्तव


प्रयागराज। एसडीएम श्री पुष्कर श्रीवास्तव  के द्वारा सेक्रेटरी लोक सेवा आयोग की संस्तुति के आधार पर बृजेश केसरवानी जिला प्रतिनिधि प्रयागराज यूनिवर्सल एक्सप्रेस को सम्मानित किया गया है। 'ब्रेन ओ ब्रेन' स्टेट लेवल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एसडीएम उपस्थित रहे और वहां मीडिया मित्रों को सम्मानित किया गया। जिन्होंने निर्भीक निष्पक्ष और न्‍यायप्रिय पत्रकारिता का जीवन जिया है। परिवर्तन और जागरूकता की दहलीज पर खड़े रहे हैं। ऐसे संघर्षशील कलम के सिपाहियों, जिनमें पत्रकारिता के दौरान बिना डरे निडर होकर सच दिखाने का साहस रहा हैं और सामाजिक तत्वों के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे हैं। जिसका परिणाम यह है कि एसडीएम के द्वारा सम्मानित किए गए सभी पत्रकार मित्र लगभग 10 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं और लोगों को न्याय दिलाने मे सफल रहे हैं।


धोखेबाज प्रधानमंत्री (संपादकीय)

धोखेबाज प्रधानमंत्री (संपादकीय)


भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री को धोखेबाज कहने का अर्थ है कि गणराज्य द्वारा चयनित सरकार अथवा संसद विश्वास के योग्य नहीं है। इतना भद्दा आरोप लगाना और आरोप का व्यापक विरोध ना होना, राष्ट्रीय गरिमा के विरुद्ध है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नेतृत्व कर रहे हैं। दुनिया में भारत को विभिन्न स्रोतों से स्थापित करने का उद्धत प्रयास कर रहे हैं। राष्ट्रीय विकारों के विरुद्ध कार्यरत संघर्षशील व्यक्ति कुछ तो गलतियां भी कर सकता है या कुछ कमियों का शेष रहना स्वाभाविक होता है। परिपूर्णता अथवा संपूर्णता मनुष्य से सदैव अछूती रहती है।जब कार्यसिद्धि की जाती है तो करता, स्वयं भी सही और गलत के मझधार में बना रहता है। ज्यादातर परिणाम सफलता से चूक जाते हैं इसमें करता का गुणधर्म दोषमुक्त हो जाता है। यदि परिणाम सफल हो जाता है तो भी उसके विपरीत की प्रक्रिया दोनों स्थिति में स्थिर बनी रहती है। यदि सच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र से कोई धोखा किया है, राष्ट्र विरोधी, दोषपूर्ण कार्य किया है? जिससे राष्ट्र अथवा राष्ट्र वासियों को क्षति या कष्ट उत्पन्न हुआ है या भविष्य में होने की संभावना है। उस तथ्य के प्रमाण सार्वजनिक करें मार्कंडेय काटजू।


न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सर्वोच्च न्यायालय में स्थाई न्यायाधीश रह चुके हैं। भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष पद पर कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में भारतीय पुनर्मूल्यांकन संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत है। काटजू के द्वारा एक ट्वीट लिखा गया है। जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को बदतमीज और मोदी को धोखेबाज शब्दों से परिभाषित किया है। ऐसी स्थिति में दलगत विचारधारा से अलग प्रत्येक भारतीय काटजू से यही अपेक्षा करेगा कि वह अपने शब्दों की प्रमाणिकता सार्वजनिक करें। ताकि भारत की जनता के सामने मोदी का सच स्पष्ट हो सके।


राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...