तेहरान। सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हुए मिशाईल हमलों को लेकर अब आरोप प्रतिआरोप का सिलसिला शुरू हो चुका है। सऊदी अरब हमला करने का आरोप ईरान के सिर थोपना चाहती है,संवाददाता सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता तुर्की अल-मलीकी ने 18 ड्रोन और सात क्रूज मिसाइलों के टुकड़े भी दिखाए। बताया जा रहा है कि हमले में इनका इस्तेमाल हुआ था। सऊदी के इस बयान ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है।
ये हमले के लिए इस्तेमाल मिसाइलों के अवशेष है। सऊदी सरकार का कहना है कि अरामको तेल सुविधा पर हमला करने के लिए इनका उपयोग किया गया था।
सऊदी अरब की नामचीन तेल कंपनी अरैमको की अबकैक स्थित ऑयल प्रोसेसिंग फैसिलिटी और खुरैश स्थित बड़ी ऑयल फील्ड को शनिवार को ड्रोन से निशाना बनाया गया था। इन ड्रोन हमलों की जिम्मेदारी ईरान समर्थित यमन के हाउती विद्रोहियों ने ली है। हालांकि अमेरिका और सऊदी अरब इसमें ईरान की भूमिका मान रहे हैं।
मलीकी ने कहा, 'हमले उत्तर की ओर से हुए और बिना शक ईरान ने करवाए। हम सटीक ठिकाने का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।' मलीकी ने यह नहीं कहा कि सऊदी को ईरान के दोषी सिद्ध हो जाने का भरोसा है। हालांकि उम्मीद जताई कि हमले की सटीक जगह का पता जरूर लग जाएगा। इससे पहले अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि संयंत्रों पर हमले में ड्रोन के साथ क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया था। इस से स्पष्ट होता है कि स्थिति बहुत सीधी नहीं है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने हमले को ईरान प्रायोजित बताते हुए इसे युद्ध की गतिविधि की संज्ञा दी है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यहां तक कह चुके हैं कि अमेरिका जानता है कि अपराधी कौन है। बस सुबूत मिलने का इंतजार किया जा रहा है। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका हर कदम उठाने के लिए तैयार है। सेटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर एक अमेरिकी अधिकारी ने भी दावा किया था कि हमले जिस ओर से किए गए हैं, वह यमन नहीं बल्कि ईरान की ओर संकेत करता है। यमन में विद्रोहियों से लड़ रही गठबंधन सेना ने भी शुरुआती जांच में यही कहा है कि हमले ईरान की ओर से हुए हैं।
ईरान ने हमले में हाथ होने के आरोपों को फिर खारिज किया है। ईरान के विदेश मंत्री जावद जरीफ ने कहा कि अमेरिका यह स्वीकार नहीं कर पा रहा है कि उसके पास अरबों डॉलर के हथियार होने के बाद भी यमन के विद्रोही पलटवार कैसे कर रहे हैं। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका व सऊदी अरब को क्षेत्र में अस्थिरता और टकराव का कारण भी बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी रिहायशी इलाके के बजाय औद्योगिक क्षेत्र में हमला कर हाउती विद्रोहियों ने सऊदी अरब को यमन में गठबंधन सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ चेतावनी दी है।
ट्रंप ने ईरान पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की बात कही है। विस्तृत जानकारी दिए बगैर ट्रंप ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों इस संबंध में निर्देश दे दिया है। इस बीच, लगातार उग्र दिख रहे ट्रंप का रुख हमले को लेकर फिर नरम पड़ा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका युद्ध नहीं चाहता। वह खाड़ी व यूरोपीय देशों से चर्चा कर रहे हैं। दूसरी ओर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सऊदी के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान से बात कर सहयोग का भरोसा दिलाया है। वहीं, सऊदी प्रिंस ने दक्षिण कोरिया से भी मदद मांगी है। उन्होंने दक्षिण कोरिया से कहा है कि वह सऊदी की हवाई सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने में सहायता करे।
अमेरिका इस मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से कार्रवाई चाहता है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, 'सुरक्षा परिषद का गठन अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए हुआ है और यह हमला इस पैमाने पर खरा उतरता है।' यूएन ने जांच के लिए विशेषज्ञ भी सऊदी भेजे हैं। माना जा रहा है कि उनकी अगुआई में अंतरराष्ट्रीय जांच होगी। इस बीच खबर है कि अमेरिका की ओर से वीजा स्वीकृत नहीं होने के कारण ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और विदेश मंत्री जावद जरीफ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से दूर रह सकते हैं।