शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

भूमि-अधिग्रहण याचिका पर विचार से इनकार

अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनंत दवे और बीरेन वैष्णव की पीठ ने अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन द्वारा 508 किलोमीटर लंबी बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू की जा रही है। केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून का हवाला देकर अदालत ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह परियोजना कई राज्यों से संबंधित है, लेकिन केंद्र ने भूमि अधिग्रहण करने के लिए गुजरात को कार्यकारी शक्ति की मंजूरी दी। गुजरात की ओर से सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट (एसआईए) के बिना भूमि अधिग्रहण को अधिसूचित करने के मुद्दे पर भी अदालत ने स्पष्टता जाहिर की। अदालत ने कहा कि राज्य द्वारा परियोजना से पहले सामाजिक आकलन, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन जैसे केंद्रीय कानून के अनिवार्य प्रावधानों को छोड़ते हुए अधिसूचना जारी करना भी वैध है।


अदालत ने कहा कि जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के दिशानिर्देशों के तहत की गई एसआईए प्रक्रिया उचित और संतोषजनक है। किसानों के लिए मुआवजे के मुद्दे पर फैसला करते हुए अदालत ने कहा कि किसान अपनी मांगों को जायज ठहराने के लिए अन्य परियोजनाओं में अधिक मुआवजे के सबूत पेश कर सकते हैं। परियोजना से प्रभावित कुल 6900 किसानों में से लगभग 60 फीसदी ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज की थी। किसानों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। सूरत जिले के पांच किसानों ने 2018 में गुजरात के भूमि अधिग्रहण अधिसूचना के खिलाफ अदालत का रुख किया।


पाक को यूएनएचआरसी ने दिखाया ठेंगा

जिनेवा। जम्मू कश्मीर को लेकर पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि करने की कोशिश में जुटा है। लेकिन उसे लगातार मुंह की खानी पड़ रही है। वहीं अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के ज्यादातर सदस्य देशों ने भी पाकिस्तान का साथ देने से इंकार कर दिया है। तय समय सीमा के अंदर पाकिस्तान आवश्यक सदस्यों के समर्थन का पत्र यूएनएचआरसी को नहीं सौंप पाया। यूएनएचआरसी के ज्यादातर सदस्य देशों ने जम्मू कश्मीर पर संकल्प पेश करने के पाकिस्तान के प्रस्ताव का समर्थन करने से साफ मना कर दिया। इसके चलते पाकिस्तान की मंशा पर पानी फिर गया है।


संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत की प्रथम सचिव कुमम मिनी देवी ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर भारत का संप्रभु और आंतरिक मामला है। पाकिस्तान गलत नीयत से सीमा की गलत व्याख्या करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अन्याय की सीमा पार हो रही है। हिरासत में लेकर रेप, हत्या जैसी वारदात को अंजाम दिया जा रहा है। ऐक्टिविस्ट्स और पत्रकारों के मानवाधिकारों का उल्लंघन वहां आम है,पास है।


सब ओर से सफलता प्राप्त होगी:कुंभ

राशिफल


मेष-पार्टी व पिकनिक का आनंद प्राप्त होगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वादिष्ट व्यंजनों का लाभ प्राप्त होगा। नौकरी में नया कार्य कर पाएंगे। थकान रह सकती है। मन में नए विचार आएंगे जिनको मूर्तरूप देने के लिए प्रयास कर पाएंगे। व्यवसाय अच्‍छा चलेगा।


वृष-दूर से कोई बुरी सूचना मिल सकती है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से खिन्नता रहेगी। दौड़धूप अधिक होगी। कारोबार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी।


मिथुन-सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। मेहनत का फल प्राप्त होगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। व्यस्तता के चलते थकान हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। लाभ होगा।


कर्क-आत्मसम्मान बना रहे, ऐसे कार्य करते रहें। दूसरे के कामों में हस्तक्षेप न करें। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। नए संपर्क बनेंगे। विवाद में न पड़ें। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। प्रमाद न करें।


सिंह-भेंट व उपहार की प्राप्ति हो सकती है। मान बढ़ेगा। रोजगार में वृद्धि होगी। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। उत्साह बना रहेगा। जल्दबाजी न करें।


कन्या-फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। कुसंगति से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। वाणी में हल्के शब्दों का प्रयोग समस्या पैदा कर सकता है। कार्य की गति धीमी रह सकती है। नौकरी में सहकर्मी साथ नहीं देंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी।


तुला-लाभदायक यात्रा होगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। नए काम मिलेंगे। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। प्रतिद्वंद्वी रास्ते से हट जाएंगे। रुके कार्य पूर्ण होंगे। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्‍य प्रभावित हो सकता है। आलस्य रहेगा। प्रमाद न करें।


वृश्चिक-कार्यस्थल पर व कार्यप्रणाली में सुधार होगा। योजना फलीभूत होगी। मित्रों व रिश्तेदारों का सहयोग कर पाएंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। शत्रु पस्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। लाभ में वृद्धि होगी। कार्य बनेंगे।


धनु-अध्यात्म में रुचि रहेगी। सत्संग का लाभ प्राप्त होगा। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। आय में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ रहेगा। बिगड़े काम बनेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। जोखिम न लें।


मकर-चोट, दुर्घटना व विवाद आदि से हानि संभव है। कार्यक्षेत्र में लापरवाही न करें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। किसी बड़ी समस्या से परेशानी हो सकती है। विवेक का प्रयोग करें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी।


कुंभ-समय अनुकूल है। सभी ओर से सफलता प्राप्त होगी। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रेम-प्रसंग में भेंट व उपहार देना पड़ सकते हैं। मनोरंजन का समय प्राप्त होगा। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। व्यापार व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे।


मीन-स्थायी संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। आर्थिक स्थिति सुधरेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। समय पर सभी काम होने से प्रसन्नता रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी न करें।


चौलाई का लाल साग व भाजी

चौलाई का सेवन भाजी व साग (लाल साग) के रूप में किया जाता है जो विटामिन सी से भरपूर होता है। इसमें अनेकों औषधीय गुण होते हैं, इसलिए आयुर्वेद में चौलाई को अनेक रोगों में उपयोगी बताया गया है। सबसे बड़ा गुण सभी प्रकार के विषों का निवारण करना है, इसलिए इसे विषदन भी कहा जाता है। इसमें सोना धातु पाया जाता है जो किसी और साग-सब्जियों में नहीं पाया जाता। औषधि के रूप में चौलाई के पंचाग यानि पांचों अंग- जड, डंठल, पत्ते, फल, फूल काम में लाए जाते हैं। इसकी डंडियों, पत्तियों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, सी प्रचुर मात्रा में मिलते है। लाल साग यानि चौलाई का साग एनीमिया में बहुत लाभदायक होता है। चौलाई पेट के रोगों के लिए भी गुणकारी होती है क्योंकि इसमें रेशे, क्षार द्रव्य होते हैं जो आंतों में चिपके हुए मल को निकालकर उसे बाहर धकेलने में मदद करते हैं जिससे पेट साफ होता है, कब्ज दूर होता है, पाचन संस्थान को शक्ति मिलती है। छोटे बच्चों के कब्ज़ में चौलाई का औषधि रूप में दो-तीन चम्मच रस लाभदायक होता है। प्रसव के बाद दूध पिलाने वाली माताओं के लिए भी यह उपयोगी होता है। यदि दूध की कमी हो तो भी चौलाई के साग का सेवन लाभदायक होता है। इसकी जड़ को पीसकर चावल के माड़ (पसावन) में डालकर, शहद मिलाकर पीने से श्वेत प्रदर रोग ठीक होता है। जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भपात होता है, उनके लिए चौलाई साग का सेवन लाभकारी है।


अनेक प्रकार के विष जैसे चूहे, बिच्छू, संखिया, आदि का विष चढ गया हो तो चौलाई का रस या जड़ के क्वाथ में काली मिर्च डालकर पीने से विष दूर हो जाता है। चौलाई का नित्य सेवन करने से अनेक विकार दूर होते हैं।


उपभोक्ता संरक्षण बिल की विशेषता

उपभोक्ता संरक्षण एक्ट-1986, उपभोक्ताओं के अधिकारों को पुष्ट करता है और जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर शिकायतों के निवारण का प्रावधान करता है। ये शिकायतें वस्तुओं की खराबी या सेवाओं के दोषपूर्ण होने से संबंधित हो सकती हैं। एक्ट व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों को अपराध के रूप में मान्यता देता है जिसमें किसी वस्तु या सेवा की क्वालिटी या मात्रा के संबंध में झूठी सूचना देना और भ्रामक विज्ञापन शामिल हैं। 


पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस एक्ट के कार्यान्वयन में कई समस्याएं रही हैं। अनेक उपभोक्ताओं को एक्ट के अंतर्गत अपने अधिकारों की जानकारी नहीं थी। हालांकि उपभोक्ता मामलों की निपटान दर उच्च थी (लगभग 90%), लेकिन उनका निपटान होने में काफी समय लगता था। एक मामले को निपटाने में औसत 12 महीने लगते थे।4इसके अतिरिक्त एक्ट में उपभोक्ता और मैन्यूफैक्चरर के बीच के उन कॉन्ट्रैक्ट्स का उल्लेख नहीं था जिनकी शर्तें अनुचित होती हैं। इस संबंध में भारत के विधि आयोग ने सुझाव दिया था कि एक अलग कानून लागू किया जाए और कॉन्ट्रैक्ट की अनुचित शर्तो से जुड़ा एक ड्राफ्ट बिल पेश किया।


1986 के बिल को संशोधित करने के लिए 2011 में एक बिल प्रस्तुत किया गया ताकि उपभोक्ता कॉन्ट्रैक्ट की अनुचित शर्तों के खिलाफ शिकायतें और ऑनलाइन शिकायतें दर्ज करा सकें। हालांकि 15वीं लोकसभा के भंग होने के साथ यह बिल निरस्त हो गया।1986 के एक्ट का स्थान लेने के लिए लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण बिल, 2015 पेश किया गया। बिल में कई नए प्रावधान प्रस्तुत किए गए जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) प्रॉडक्ट लायबिलिटी, (ii) अनुचित कॉन्ट्रैक्ट्स, और (iii) रेगुलेटरी निकाय का गठन। उपभोक्ता मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने इस बिल की जांच की और अप्रैल 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।[8] कमिटी ने निम्नलिखित के संबंध में अनेक सुझाव दिए : (i) प्रॉडक्ट लायबिलिटी, (ii) रेगुलेटरी निकाय (केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी) की शक्तियां और कार्य, (iii) भ्रामक विज्ञापन और ऐसे विज्ञापनों को एन्डोर्स करने वालों के लिए सजा, और (iv) जिला स्तर पर न्यायिक (एड्जुडिकेटरी) निकाय का आर्थिक क्षेत्राधिकार। 2015 के बिल का स्थान लेने के लिए जनवरी 2018 में उपभोक्ता संरक्षण बिल, 2018 पेश किया गया।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता

गतांक से...
 मेरे प्यारे, वैदिक साहित्य में बहुत सी चर्चाएं आती रहती है। विद्या की विवेचना होती रहती है। आज मैं विशेष विवेचना नहीं दूंगा। देखो केवल अंतरण की विवेचना करूंगा, जो मानव चित्त का मंडल बना हुआ है। उन मंडलों में शब्द निहित रहते हैं चित्त निहित रहते हैं। जिनको मुनिवरो, देखो मनुष्य अपने में धारण करता हुआ अपनत्व की धाराओं को अपनाता है। 'ध्वनि गान्‌न्‌ ब्रह्म वाचा:' मुझे वह काल स्मरण आता रहता है। जब हमारे यहां एक ऋषि हुए हैं, जिन ऋषि का नाम तुगंध्‍वज कहलाता था। उन्हें तुगंध्‍वज ऋषि कहते थे। एक राजा हुए हैं सतयुग के काल में जिनका नाम महाराजा नल कहलाता था। महाराजा नल उनके चरणों में ओत'प्रॏत होता था। बाल अवस्था में उन्हीं के द्वारा शिक्षा अध्ययन करते थे। तो वह जो तुगं ध्वज ऋषि थे। वह दीप मालिका का ज्ञान जानते थे कि कैसे दीपक में प्रकाश आ जाता है। इस ध्वनि के कारण शब्दों से प्रणायाम के द्वारा कैसे मस्तिष्क जल हात्‌ में प्रकट होता हुआ दीप मालिका बन जाती है। तो मुनिवरो, राजा नल का बाल्यकाल का नाम श्वेतकेतु ब्रह्मचारी था, वह श्वेतकेतु ब्रह्मचारी उनके यहां अध्ययन करते थे। बाल अवस्था में उनको दिपमालिका का उन्होंने अध्ययन कराया। अध्ययन में इतने पारंगत हो गए कि वह दीप मालिका जब गाना गाते थे तो दीपक में प्रकाश आ जाता था। जैसे दीप मालिका एक पर्व हमारे यहां पर होता है। जिसको दीप मालिका कहते हैं। दीपको का प्रकाश हो जाता है तो उस समय देखो ध्वनि के द्वारा प्राण और ललाट दोनों का समन्वय करते हुए। जब वह गाना गाते थे तो मुनिवर नगर के दीपक प्रकाशित हो जाते थे। मुझे वह काल, उनका साहित्य स्‍मरण आता रहता है। जब वह बाल्यकाल में परायण हो गए। परायण होते हुए। 'संभव: देवो ब्रह्मवाचा: प्रवचन ब्रह्मवचोसी देवा:' ब्रह्म और चर्य दोनों का समन्वय होता है। क्योंकि वह श्वेतवृत्ति ब्रह्मचारी थे वह सदैव ब्रह्मचर्य में रत रहते थे। 'नरा नृत्‍यम्‌ वृहीव्रताम्‌' उनके गुरु ने जब उसे दीक्षित बनाया तो उसका नामकरण भी नल के रूप में परिणत हो गया। उसका नामकरण नल के रूप में जब परिणत हो गया। जब वह भोजनालय तपाने लगते थे तो अग्नि में ऐसा सुंदर भोजन तपाते थे। यह भी एक विधा होती है। वैदिक साहित्य में भिन्न-भिन्न प्रकार की विधाएं हैं। मेरी प्यारी माता भोजनालय में परिणित हो जाती है तो गायत्री छंदों का पठन-पाठन करती हुई अपने पुत्र को महान बना देती है। मुझे महर्षि गौतम का और अगस्त मुनि का जीवन स्मरण आता रहता है। अगस्त मुनि की माता का नाम श्‍वैशनै था। उनका नाम दिव्‍या कहलाता था। एक समय बाल काल में जब वह बालक 5 वर्ष का था। 5 वर्ष के पुत्र ने माता से यह कहा। हे माता, तुमने मुझे संस्कारों से जन्म दिया है परंतु मैं यह चाहता हूं कि मुझे तू 12 वर्ष का भोजन प्रदान कर। जिससे मेरा अंतरात्मा उसे पवित्र हो जाए। माता ने वह वाक्य स्वीकार कर लिया। स्वीकार करके माता भोजनालय एकांत हृदय की संतुलनता को करती हुई वह भोजन करा, भोजन को तपाती थी अग्नि में, तपाने के पश्चात बालक को भोजन कराती थी। 12 वर्ष के पश्चात मेरे प्यारे ऋषि अगस्त मुनि महाराज आत्मा और परमात्मा की प्रतिभा को जानकर के विज्ञान की धाराओं को अन्य में जितने विज्ञान की तरंगे होती है उनको सबको जान करके वह महान बन गया। तो विचार क्या है माता जब भोजन बनाती है भोजन तपाती है अग्नि में, तो योगेश्वर बना देती है। गायत्री का जपन हो जाता है भोजन बना रही है। ध्‍वनिया वेदो का गाना गा रही है। वह तरंगित भोजन को बालक पान करता है तो बालक महान बन जाता है। पुत्र बन जाता है। माता वही सौभाग्यशाली होती है जिस माता के गर्भ से बालक ब्रह्म वेता या ब्रह्मविचारक बन जाए। जिससे वह परमपिता परमात्मा के क्षेत्र में महानता को प्राप्त हो जाए। महाराजा नल के जीवन का मुझे वह काल स्मरण आता रहता है। मेरे पूज्य पाद गुरुदेव भी मुझे इसकी वार्ता प्रकट कराते रहते थे।  यह वार्ताएं मेरे हृदय  में आती रहती है। महाराजा नल जब वह गान गाते थे तो रात्रि काल में दीपमालिका नगरों की बन जाती थी। वह इतने परायण बन गए थे। जब उनके राष्ट्र के बंटवारे के ऊपर कुछ भिन्नता आई तो महाराजा नल का संस्कार भी हो गया था। महाराजा नल का संस्कार महारानी दमयंती के द्वारा हुआ। तो मुनिवर देखो, 'ब्रह्म वाचपृही लोकाम वसूरधर्म ब्रहे' में  महाराज पुष्कर ने जब उनके राज्य को अपना लिया और 12 वर्ष की प्राप्ति वन प्राप्ति हो गई। तो भयंकर वन में पति-पत्नी दोनों ने गमन किया और भयंकर वनों में महाराजा नल उस  बृह्‍म अस्‍वतो में पत्नी को भी त्याग दिया। त्याग देने के पश्चात वह तो तुगंध्वज राजा के राष्ट्र में चले गए  और महारानी दमयंती गमन करती हुई एकांत रह गई। वनों में भ्रमण करती हुई अपने पिता के द्वार चली गई। जब महारानी दमयंती को यह प्रतीत हो गया कि मेरा स्वामी कहीं है और यह प्रतीत हुआ कि स्वामी तुगंध्वज राजा के यहां है, तो वह कैसे आए?


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 21, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-49 (साल-01)
2. शनिवार,21 सितबंर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन, कृष्‍णपक्ष,तिथि सप्‍तमी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:12,सूर्यास्त 6:10
5. न्‍यूनतम तापमान -26 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


https://universalexpress.page/
email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275
 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...