शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

चौलाई का लाल साग व भाजी

चौलाई का सेवन भाजी व साग (लाल साग) के रूप में किया जाता है जो विटामिन सी से भरपूर होता है। इसमें अनेकों औषधीय गुण होते हैं, इसलिए आयुर्वेद में चौलाई को अनेक रोगों में उपयोगी बताया गया है। सबसे बड़ा गुण सभी प्रकार के विषों का निवारण करना है, इसलिए इसे विषदन भी कहा जाता है। इसमें सोना धातु पाया जाता है जो किसी और साग-सब्जियों में नहीं पाया जाता। औषधि के रूप में चौलाई के पंचाग यानि पांचों अंग- जड, डंठल, पत्ते, फल, फूल काम में लाए जाते हैं। इसकी डंडियों, पत्तियों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, सी प्रचुर मात्रा में मिलते है। लाल साग यानि चौलाई का साग एनीमिया में बहुत लाभदायक होता है। चौलाई पेट के रोगों के लिए भी गुणकारी होती है क्योंकि इसमें रेशे, क्षार द्रव्य होते हैं जो आंतों में चिपके हुए मल को निकालकर उसे बाहर धकेलने में मदद करते हैं जिससे पेट साफ होता है, कब्ज दूर होता है, पाचन संस्थान को शक्ति मिलती है। छोटे बच्चों के कब्ज़ में चौलाई का औषधि रूप में दो-तीन चम्मच रस लाभदायक होता है। प्रसव के बाद दूध पिलाने वाली माताओं के लिए भी यह उपयोगी होता है। यदि दूध की कमी हो तो भी चौलाई के साग का सेवन लाभदायक होता है। इसकी जड़ को पीसकर चावल के माड़ (पसावन) में डालकर, शहद मिलाकर पीने से श्वेत प्रदर रोग ठीक होता है। जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भपात होता है, उनके लिए चौलाई साग का सेवन लाभकारी है।


अनेक प्रकार के विष जैसे चूहे, बिच्छू, संखिया, आदि का विष चढ गया हो तो चौलाई का रस या जड़ के क्वाथ में काली मिर्च डालकर पीने से विष दूर हो जाता है। चौलाई का नित्य सेवन करने से अनेक विकार दूर होते हैं।


उपभोक्ता संरक्षण बिल की विशेषता

उपभोक्ता संरक्षण एक्ट-1986, उपभोक्ताओं के अधिकारों को पुष्ट करता है और जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर शिकायतों के निवारण का प्रावधान करता है। ये शिकायतें वस्तुओं की खराबी या सेवाओं के दोषपूर्ण होने से संबंधित हो सकती हैं। एक्ट व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों को अपराध के रूप में मान्यता देता है जिसमें किसी वस्तु या सेवा की क्वालिटी या मात्रा के संबंध में झूठी सूचना देना और भ्रामक विज्ञापन शामिल हैं। 


पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस एक्ट के कार्यान्वयन में कई समस्याएं रही हैं। अनेक उपभोक्ताओं को एक्ट के अंतर्गत अपने अधिकारों की जानकारी नहीं थी। हालांकि उपभोक्ता मामलों की निपटान दर उच्च थी (लगभग 90%), लेकिन उनका निपटान होने में काफी समय लगता था। एक मामले को निपटाने में औसत 12 महीने लगते थे।4इसके अतिरिक्त एक्ट में उपभोक्ता और मैन्यूफैक्चरर के बीच के उन कॉन्ट्रैक्ट्स का उल्लेख नहीं था जिनकी शर्तें अनुचित होती हैं। इस संबंध में भारत के विधि आयोग ने सुझाव दिया था कि एक अलग कानून लागू किया जाए और कॉन्ट्रैक्ट की अनुचित शर्तो से जुड़ा एक ड्राफ्ट बिल पेश किया।


1986 के बिल को संशोधित करने के लिए 2011 में एक बिल प्रस्तुत किया गया ताकि उपभोक्ता कॉन्ट्रैक्ट की अनुचित शर्तों के खिलाफ शिकायतें और ऑनलाइन शिकायतें दर्ज करा सकें। हालांकि 15वीं लोकसभा के भंग होने के साथ यह बिल निरस्त हो गया।1986 के एक्ट का स्थान लेने के लिए लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण बिल, 2015 पेश किया गया। बिल में कई नए प्रावधान प्रस्तुत किए गए जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) प्रॉडक्ट लायबिलिटी, (ii) अनुचित कॉन्ट्रैक्ट्स, और (iii) रेगुलेटरी निकाय का गठन। उपभोक्ता मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने इस बिल की जांच की और अप्रैल 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।[8] कमिटी ने निम्नलिखित के संबंध में अनेक सुझाव दिए : (i) प्रॉडक्ट लायबिलिटी, (ii) रेगुलेटरी निकाय (केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी) की शक्तियां और कार्य, (iii) भ्रामक विज्ञापन और ऐसे विज्ञापनों को एन्डोर्स करने वालों के लिए सजा, और (iv) जिला स्तर पर न्यायिक (एड्जुडिकेटरी) निकाय का आर्थिक क्षेत्राधिकार। 2015 के बिल का स्थान लेने के लिए जनवरी 2018 में उपभोक्ता संरक्षण बिल, 2018 पेश किया गया।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता

गतांक से...
 मेरे प्यारे, वैदिक साहित्य में बहुत सी चर्चाएं आती रहती है। विद्या की विवेचना होती रहती है। आज मैं विशेष विवेचना नहीं दूंगा। देखो केवल अंतरण की विवेचना करूंगा, जो मानव चित्त का मंडल बना हुआ है। उन मंडलों में शब्द निहित रहते हैं चित्त निहित रहते हैं। जिनको मुनिवरो, देखो मनुष्य अपने में धारण करता हुआ अपनत्व की धाराओं को अपनाता है। 'ध्वनि गान्‌न्‌ ब्रह्म वाचा:' मुझे वह काल स्मरण आता रहता है। जब हमारे यहां एक ऋषि हुए हैं, जिन ऋषि का नाम तुगंध्‍वज कहलाता था। उन्हें तुगंध्‍वज ऋषि कहते थे। एक राजा हुए हैं सतयुग के काल में जिनका नाम महाराजा नल कहलाता था। महाराजा नल उनके चरणों में ओत'प्रॏत होता था। बाल अवस्था में उन्हीं के द्वारा शिक्षा अध्ययन करते थे। तो वह जो तुगं ध्वज ऋषि थे। वह दीप मालिका का ज्ञान जानते थे कि कैसे दीपक में प्रकाश आ जाता है। इस ध्वनि के कारण शब्दों से प्रणायाम के द्वारा कैसे मस्तिष्क जल हात्‌ में प्रकट होता हुआ दीप मालिका बन जाती है। तो मुनिवरो, राजा नल का बाल्यकाल का नाम श्वेतकेतु ब्रह्मचारी था, वह श्वेतकेतु ब्रह्मचारी उनके यहां अध्ययन करते थे। बाल अवस्था में उनको दिपमालिका का उन्होंने अध्ययन कराया। अध्ययन में इतने पारंगत हो गए कि वह दीप मालिका जब गाना गाते थे तो दीपक में प्रकाश आ जाता था। जैसे दीप मालिका एक पर्व हमारे यहां पर होता है। जिसको दीप मालिका कहते हैं। दीपको का प्रकाश हो जाता है तो उस समय देखो ध्वनि के द्वारा प्राण और ललाट दोनों का समन्वय करते हुए। जब वह गाना गाते थे तो मुनिवर नगर के दीपक प्रकाशित हो जाते थे। मुझे वह काल, उनका साहित्य स्‍मरण आता रहता है। जब वह बाल्यकाल में परायण हो गए। परायण होते हुए। 'संभव: देवो ब्रह्मवाचा: प्रवचन ब्रह्मवचोसी देवा:' ब्रह्म और चर्य दोनों का समन्वय होता है। क्योंकि वह श्वेतवृत्ति ब्रह्मचारी थे वह सदैव ब्रह्मचर्य में रत रहते थे। 'नरा नृत्‍यम्‌ वृहीव्रताम्‌' उनके गुरु ने जब उसे दीक्षित बनाया तो उसका नामकरण भी नल के रूप में परिणत हो गया। उसका नामकरण नल के रूप में जब परिणत हो गया। जब वह भोजनालय तपाने लगते थे तो अग्नि में ऐसा सुंदर भोजन तपाते थे। यह भी एक विधा होती है। वैदिक साहित्य में भिन्न-भिन्न प्रकार की विधाएं हैं। मेरी प्यारी माता भोजनालय में परिणित हो जाती है तो गायत्री छंदों का पठन-पाठन करती हुई अपने पुत्र को महान बना देती है। मुझे महर्षि गौतम का और अगस्त मुनि का जीवन स्मरण आता रहता है। अगस्त मुनि की माता का नाम श्‍वैशनै था। उनका नाम दिव्‍या कहलाता था। एक समय बाल काल में जब वह बालक 5 वर्ष का था। 5 वर्ष के पुत्र ने माता से यह कहा। हे माता, तुमने मुझे संस्कारों से जन्म दिया है परंतु मैं यह चाहता हूं कि मुझे तू 12 वर्ष का भोजन प्रदान कर। जिससे मेरा अंतरात्मा उसे पवित्र हो जाए। माता ने वह वाक्य स्वीकार कर लिया। स्वीकार करके माता भोजनालय एकांत हृदय की संतुलनता को करती हुई वह भोजन करा, भोजन को तपाती थी अग्नि में, तपाने के पश्चात बालक को भोजन कराती थी। 12 वर्ष के पश्चात मेरे प्यारे ऋषि अगस्त मुनि महाराज आत्मा और परमात्मा की प्रतिभा को जानकर के विज्ञान की धाराओं को अन्य में जितने विज्ञान की तरंगे होती है उनको सबको जान करके वह महान बन गया। तो विचार क्या है माता जब भोजन बनाती है भोजन तपाती है अग्नि में, तो योगेश्वर बना देती है। गायत्री का जपन हो जाता है भोजन बना रही है। ध्‍वनिया वेदो का गाना गा रही है। वह तरंगित भोजन को बालक पान करता है तो बालक महान बन जाता है। पुत्र बन जाता है। माता वही सौभाग्यशाली होती है जिस माता के गर्भ से बालक ब्रह्म वेता या ब्रह्मविचारक बन जाए। जिससे वह परमपिता परमात्मा के क्षेत्र में महानता को प्राप्त हो जाए। महाराजा नल के जीवन का मुझे वह काल स्मरण आता रहता है। मेरे पूज्य पाद गुरुदेव भी मुझे इसकी वार्ता प्रकट कराते रहते थे।  यह वार्ताएं मेरे हृदय  में आती रहती है। महाराजा नल जब वह गान गाते थे तो रात्रि काल में दीपमालिका नगरों की बन जाती थी। वह इतने परायण बन गए थे। जब उनके राष्ट्र के बंटवारे के ऊपर कुछ भिन्नता आई तो महाराजा नल का संस्कार भी हो गया था। महाराजा नल का संस्कार महारानी दमयंती के द्वारा हुआ। तो मुनिवर देखो, 'ब्रह्म वाचपृही लोकाम वसूरधर्म ब्रहे' में  महाराज पुष्कर ने जब उनके राज्य को अपना लिया और 12 वर्ष की प्राप्ति वन प्राप्ति हो गई। तो भयंकर वन में पति-पत्नी दोनों ने गमन किया और भयंकर वनों में महाराजा नल उस  बृह्‍म अस्‍वतो में पत्नी को भी त्याग दिया। त्याग देने के पश्चात वह तो तुगंध्वज राजा के राष्ट्र में चले गए  और महारानी दमयंती गमन करती हुई एकांत रह गई। वनों में भ्रमण करती हुई अपने पिता के द्वार चली गई। जब महारानी दमयंती को यह प्रतीत हो गया कि मेरा स्वामी कहीं है और यह प्रतीत हुआ कि स्वामी तुगंध्वज राजा के यहां है, तो वह कैसे आए?


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 21, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-49 (साल-01)
2. शनिवार,21 सितबंर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन, कृष्‍णपक्ष,तिथि सप्‍तमी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:12,सूर्यास्त 6:10
5. न्‍यूनतम तापमान -26 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


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गुरुवार, 19 सितंबर 2019

संविधान के अनुरूप कार्य करेगी सरकार

केरल की सरकार संविधान के अनुरूप कार्य करें यह मैं सुनिश्चित करुंगा। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अजमेर में दरगाह जियारत के बाद दीवान आबेदीन से मुलाकात की। 
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में सूफी परंपरा के अनुरूप पवित्र मजार पर मखमली और फूलों की चादर पेश की। राज्यपाल ने जियारत की रस्म अदा करते हुए देश में अमनचैन की दुआ की। जियारत के बाद दरगाह परिसर में ही मीडिया से संवाद करते हुए खान ने कहा कि वे केरल में भारत के राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद हैं। चूंकि राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है, इसलिए मैं संविधान से बंधा हंू। खान से यह सवाल किया गया कि केरल में जिस प्रकार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो रही हैं उस संदर्भ में राज्यपाल की क्या भूमिका होगी? खान ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि केरल की सरकार संविधान के अनुरूप काम करें। खान ने कहा कि केरल के हर क्षेत्र में महिलाओं की जबर्दस्त भागीदारी है। देश भर में महिलाओं की ऐसी ही भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन दिनों पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बहुत से कार्य कर रहे हैं हमारे देश के पर्यटन स्थलों को विकसित करने में मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसे हमारे देश की विविधता ही कहा जाएगा कि इतने सुंदर और मनोरम पर्यटन स्थल मौजूद हैं। 
दरगाह दीवान से मुलाकात:
जियारत के बाद राज्यपाल खान ने दरगाह के दीवान और सज्जादानशीन जैनुल आबेदीन से मुलाकात की। दोनों ने देश के मौजूदा हालातों पर विचार विमर्श किया। दीवान आबेदन का कहना रहा कि देश में अमनचैन कायम रहना चाहिए। खान और दरगाह दीवान की इस मुलाकात को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। असल में केरल की मुस्लिम आबादी में ख्वाजा साहब का विशेष स्थान है, इसलिए बड़ी संख्या में केरल के मुसलमान दरगाह जियारत के लिए अजमेर आते हैं। यही वजह रही कि दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद ने राज्यपाल खान को एक ज्ञापन देकर अजमेर में केरल हाउस बनाने की मांग की। राज्यपाल खान अजमेर में विवेकानंद केन्द्र द्वारा आयोजित एक समारोह में भी भाग ले रहे हैं। 
तीन तलाक कानून के समर्थक:
यूं तो आरिफ मोहम्मद खान कई राजनीतिक दलों में रहे हैं। खान पूर्व में बसपा, जनता दल और कांग्रेस में भी रहे। लेकिन पिछले दिनों भाजपा के तीन तलाक बिल का खान ने खुला समर्थन किया।  खान ने कहा कि तीन तलाक की परंपरा की वजह से मुस्लिम महिलाओं को अनेक अत्याचार झेलने पड़ रहे थे। सरकार ने कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को राहत प्रदान की है। खान जिस तरह तीन तलाक कानून पर सरकार के साथ खड़े नजर आए उसी का परिणाम रहा कि उन्हें पिछले दिनों ही केरल का राज्यपाल मनोनीत किया गया। 
दरगाह में शानदार इस्तकबाल:
राज्यपाल खान का 19 सितम्बर को ख्वाजा साहब की दरगाह मे ंशानदार इस्तकबाल किया गया। केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी के प्रतिनिधियों ने तो खान का स्वागत किया ही, साथ ही खादिमों की संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी इस्तकबाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अंजुमन सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने खान को दरगाह की सूफी परंपराओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि दरगाह में मुस्लिम महिलाओं को भी पूरी स्वतंत्रता है। वे दरगाह परिसर में नमाज पढ़ सकती हैं तथा पवित्र मजार पर जाकर जियारत भी कर सकती है। अंगारा शाह ने दरगाह की परंपरा के अनुरूप दस्तार बंदी भी की। 
एस.पी.मित्तल


कांग्रेस को लेकर जयपुर में हुआ मंथन

अशोक गहलोत और सचिन पायलट में एका हो तो राजस्थान में सत्ता और संगठन में भी तालमेल हो जाएगा। तालमेल को लेकर जयपुर में हुआ मंथन। 
जयपुर स्थित राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सरकार के मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेश के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे तथा राष्ट्रीय सचिवों ने भाग लिया। यह बैठक कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के निर्देश पर हुई। पिछले दिनों गहलोत और पायलट ने अलग-अलग सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद ही सोनिया गांधी ने राजस्थान में सत्ता और संगठन में तालमेल पर जोर दिया। बैठक के बाद सीएम गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष पायलट और प्रभारी महासचिव पांडे ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया। तीनों नेताओं ने एक बार फिर यह दिखाने की कोशिश की सत्ता और संगठन में कोई विवाद नहीं है। लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार बैठक में  गहलोत और पायलट के समर्थकों ने अपने अपने नजरिए से बात को रखा। जहां पायलट के समर्थकों ने राजनीतिक नियुक्तियों का सवाल उठाया तो वहीं गहलोत के समर्थकों ने सरकार के अच्छे काम काज की बात की। दिसम्बर में होने वाले पंचायतीराज और उससे पहले 52 स्थानीय निकायों के चुनावों को लेकर भी बैठक में मंथन हुआ। अब सत्ता और संगठन तालमेल दिखाने के लिए यह निर्णय हुआ है कि प्रभारी मंत्री जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में बैठक कर जनसुनवाई करेंगे। इसी प्रकार पंचायतीराज के टिकट वितरण के लिए पर्यवेक्षकों को जिलों में नहीं भेजा जाएगा। इसकी एवज में प्रभारी मंत्री ही अपनी रिपोर्ट प्रदेशाध्यक्ष को देेंगे। 19 सितम्कर को भले ही दिखाने के लिए सत्ता और संगठन की संयुक्त हो बैठक हो गई हो, लेकिन सब जानते हैं कि जब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट में तालमेल नहीं होगा, तब तक ऐसी बैठकों के कोई मायने नहीं है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद गहलोत और पायलट के बीच की तल्खी सार्वजनिक हुई है। पायलट ने प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी प्रतिकूल टिप्पणियां की है। पायलट कई बार राजनीतिक नियुक्तियों का मुद्दा मुख्यमंत्री के समक्ष उठा चुके हैं। वहीं गहलोत के समर्थक एक व्यक्ति एक पद की मांग कर चुके है। पायलट इस समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के साथ-साथ सरकार में डिप्टी सीएम के पद पर भी नियुक्त है। पायलट के समर्थक चाहते हैं कि वे दोनों पदों पर बने रहे, जबकि गहलोत के समर्थक पायलट से एक पद खासकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का लेना चाहते हैं। अब यह देखना होगा कि दोनों पक्षों में पायलट के दोनों पदों को लेकर क्या सहमति बनी है। यदि अभी भी एक व्यक्ति एक पद की मांग होती रही तो फिर सत्ता और संगठन में तालमेल होना मुश्किल है। चूंकि पंचायतीराज के चुनाव प्रदेश भर में बहुत महत्वपूर्ण हैं, ऐसे में देखना होगा कि सत्ता और संगठन के बीच किस प्रकार तालमेल होता है। इसमें कोई दो राय नहीं की गत विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस संगठन को मजबूती मिली थी। 
एस.पी.मित्तल


जनसमर्थन को बपौती नहीं समझना चाहिए

जनता के वोट से मिली सत्ता को बपौती नहीं समझना चाहिए। 
जिन अमित शाह को गुंडा कहा, उन्हीं से ममता बनर्जी मिलने पहुंची। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात में जो उत्साह ममता ने दिखाया, वैसा भाव अमितशाह के चेहरे पर नहीं था। ममता बनर्जी उन्हीं अमितशाह से मिलीं जिन्हें पांच माह पहले गुंडा कहा था, तब अमित शाह सिर्फ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। सब जानते है कि ममता बनर्जी ने अपनी सरकार का दुरुपयोग करते हुए शाह के हेलीकॉप्टर को भी नहीं उतरने दिया। लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए शाह को सभा तक नहीं करने दी और जब शाह ने रोड शो किया तो उपद्रवियों ने शाह पर तेल बम फेंके। यदि भाजपा के कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में डाल कर तेल बमों को नहीं पकड़ते तो शाह को अपनी जान भी गवानी पड़ती। इतना सब कुछ होने पर भी ममता ने कहा कि अमितशाह तो गुंडा हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की जनता ने भाजपा को 18 सीटें जीता कर बता दिया कि गुंडागर्दी कौन कर रहा है। असल में जनता के वोट से सत्ता हांसिल करने के बाद अनेक राजनेता सत्ता को अपनी बपौती समझने लगते हैं। उन्हीं में से ममता बनर्जी भी हैं। ममता को लगता था कि कोई ताकत उन्हें सत्ता से बाहर नहीं कर सकती है। यही वजह रही कि ममता ने केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष को गुंडा कह दिया। ममता घमंड में इतनी चूर थीं कि नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री मानने से ही इंकार कर दिया। बंगाल में 2021 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। हवा बता रही है कि ममता बनर्जी की टीएमसी हार जाएगी। जो लोग सत्ता में रह कर घमंड दिखाते हैं उन्हें पश्चिम बंगाल के हालातों से सबक लेना चाहिए। जनता कभी भी नेताओं को सकड़ पर ला सकती है। सब जानते हैं कि ममता बनर्जी ने गुंडा तत्वों को संरक्षण देकर बंगाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ्ज्ञ और भाजपा के कार्यकर्ताओं की किस प्रकार हत्याएं करवाईं।
राज्यपाल ने की थी संघ प्रमुख से मुलाकात:
गत 7 से 9 सितम्बर के बीच अजमेर के पुष्कर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक हुई थी। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी भाग लिया। 10 सितम्बर को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने पुष्कर पहुंचकर कोई ढाई घंटे तक भागवत से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर गंभीर मंत्रणा हुई। उल्लेखनीय है कि धनकड़ राज्यपाल नियुक्त होने से पहले तक सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील थे और वे लगातार भाजपा नेताओं के समर्क में रहे। 
एस.पी.मित्तल


फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी

फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भविष्यवाणी क...