अविनाश श्रीवास्तव
गाजियाबाद। 37 वर्षीय रीति ने एक बहुत ही साहसिक कदम उठाया जिसने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया है। स्तन और ओवरी कैंसर से बचने के लिए एक बेहद साहसिक कदम उठाया और स्वेच्छा से बाइलैटरल मास्टेक्टॉमी कराई और अपने अंडाशय को निकलवा लिया।
इस असामान्य स्थिति के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए और इस तथ्य को उजागर करने के लिए मैक्स हेल्थकेयर, वैशाली ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। इसमें रीति के मामले के बारे में भी बताया गया।
उनके परिवार में बीआरसीए 1 (स्तन कैंसर से जुड़े जीन) के आनुवंशिक परिवर्तन के मामले चल रहे हैं। उनकी बड़ी बहन को हाल ही में कनाडा में स्तन कैंसर का पता चला था और उनकी मां को दो बार स्तन कैंसर का सामना करना पड़ा। पहली बार उन्हें 1997 में एक स्तन में और उसके बाद 2007 में दूसरे स्तन में कैंसर का पता चला था।
इस तरह की पृष्ठभूमि होने के कारण, रीति को यह पता करने के लिए जीन परीक्षण कराना पड़ा कि क्या वह भी स्तन कैंसर से जुड़े जीन में उत्परिवर्तन का वहन कर रही हैं। मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल वैशाली के सर्जिकल ओन्कोलॉजी की निदेशक सर्जन डॉ. गीता कद्यप्रथ और जेनेटिक्स कंसल्टेंट डॉ. अमित वर्मा के परामर्श के बाद, उन्होंने आनुवांशिक परीक्षण कराया और जैसी उम्मीद की गई थी वैसा ही पाया गया। इस परीक्षण में उनमें बीआरसीए 1 उत्परिवर्तन सकारात्मक पाया गया। इसके परिणाम से इस बात की पुष्टि हो गयी कि उनमें अपने जीवन काल में स्तन कैंसर होने की लगभग 80 प्रतिशत और ओवरी कैंसर होने की 50-60 प्रतिशत संभावना थी।
डॉ. गीता कद्यप्रथ ने कहा, कि “स्तन कैंसर के केवल 10 प्रतिशत मामले आनुवांशिक उत्परिवर्तन के कारण होते हैं। हालांकि यह दुर्लभ है, हम उच्च जोखिम वाले पारिवारिक कैंसर वाले काफी रोगियों को देख रहे हैं। जीन के उत्परिवर्तन के डर से कई लोग जांच कराने से कतराते हैं। अभी भी कैंसर को लेकर समाज में डर और मिथ्या कायम है और इस कारण कई लोग अपनी उत्परिवर्तन स्थिति के बारे में जानना नहीं चाहते हैं। उत्परिवर्तन वाले लोगों में कैंसर को होने से रोकने के लिए समय पर उचित कार्रवाई बहुत जरूरी है। इस बारे में सभी लोगों को पता है कि कैंसर होने के बाद की जिंदगी काफी कठिन हो सकती है और इसके अनिश्चित परिणाम हो सकते हैं। सौभाग्य से, इस मामले में, बड़ी बहन ने अपनी छोटी बहन को बीआरएसी 1 जीन में उत्परिवर्तन के लिए समय पर जाँच करने के लिए प्रेरित किया। इस बीमारी को रोकने के लिए लोगों को जागरूक होना और बीमारी को रोकने के लिए सभी संभव कदम उठाना महत्वपूर्ण है। जानकारी हमें सशक्त बनाती है। पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जीने के अलावा कुछ भी अधिक महत्वपूर्ण नहीं है।”
वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में ऑन्कोलॉजी की एसोसिएट डायरेक्टर, डॉक्टर कनिका गुप्ता ने बताया कि, “जब बीआरसीए 1 जीन में बदलाव आते हैं तो इस केस में मरीज में स्तन कैंसर के विकास की संभावना 80 % ज्यादा होती है और ओवेरियन और फैलोपियन ट्यूब कैंसर के विकास की संभावना 50-60 % होती है। हालांकि, रिती की जांच से ओवेरियन सिस्ट का पता चला, जिसके कारण सर्जरी करना अनिवार्य हो गया था। केवल ओवरी को निकाल देने के बाद, ओवरी के कैंसर का जोखिम 80 % तक कम हो गया और स्तन कैंसर का जोखिम 56% तक कम हो गया। प्रोफाइलेक्टिक बाइलेटरल मास्टेक्टॉमी की मदद से हम कैंसर के जोखिम को 95% तक कम करने में सफल रहे।“